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कोपेन के अनुसार भारत के जलवायु प्रदेश (Climate Regions of India according to Köppen 

इस लेख में हम कोपेन के अनुसार वर्गीकृत भारतीय जलवायु प्रदेशों (Climate Regions of India according to Köppen) की चर्चा करेंगे।

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भारत एक विशाल देश है, जिसे उपमहाद्वीप की संज्ञा दी जाती है। इतने बड़े देश में विभिन्न प्रदेशों या क्षेत्रों में जलवायु सम्बन्धी विषमताओं का पाया जाना स्वाभाविक है। वैसे तो सम्पूर्ण भारत में मानसूनी जलवायु पाई जाती है, लेकिन यहाँ की जलवायु में प्रादेशिक स्वरूप भी देखने को मिलते हैं। उदाहरण के लिए हरियाणा तथा पश्चिमी बंगाल की जलवायु मानसूनी होते हुए भी एक-दूसरे से सर्वथा भिन्न है। ये भिन्नताएँ तापमान, वर्षा तथा जलवायु के अन्य तत्त्वों में पाई जाती हैं। 

एक जलवायु प्रदेश में जलवायु को प्रभावित करने वाले कारकों के संयुक्त प्रभाव से जलवायु की दशाओं में एकरूपता देखने को मिलती है। यदि हम जलवायु के वर्गीकरण की बात करें तो इसके वर्गीकरण हेतु दो महत्त्वपूर्ण जलवायु कारक तापमान तथा वर्षा को आधार लिया जाता है। क्योंकि भारत में तापमान की अपेक्षा वर्षा में भिन्नता अधिक पाई जाती है इसलिए अधिकांश भूगोलवेत्ताओं ने भारत को जलवायु प्रदेशों में विभाजित करने के लिए तापमान की अपेक्षा वर्षा को अधिक प्राथमिकता दी है। 

भारत को जलवायु प्रदेशों में बाँटने वाले विदेशी भूगोलवेत्ताओं में स्टाम्प, केन्द्रयू, कोपेन, धानवेट, ट्रिवार्था तथा जोनसन (B.L.C. Johnson) के नाम उल्लेखनीय है। भारतीय भूगोलवेत्ताओं में आर०एल० सिंह तथा सुब्रह्मण्यम (Subrahmanyam) ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।

कोपेन के अनुसार भारत के जलवायु प्रदेश (Climate Regions of India according to Köppen)
कोपेन के अनुसार भारत के जलवायु प्रदेश (Climate Regions of India according to Köppen) (Source: NCERT)

इस लेख में हम कोपेन के अनुसार वर्गीकृत भारतीय जलवायु प्रदेशों की चर्चा करेंगे।

कोपेन के अनुसार भारत के जलवायु प्रदेश (Climate Regions of India according to Köppen)

जर्मनी के विद्वान् कोपेन (Dr. Waldimir Koeppen) ने विश्व के जलवायु प्रदेशों को प्रस्तुत करने का प्रयत्न 1918 से 1931 की अवधि में किया। 1936 में इन प्रदेशों का संशोधन प्रस्तुत किया और भारत के जलवायु प्रदेशों की एक नई योजना प्रस्तुत की । जलवायु प्रदेशों के इस वर्गीकरण को उस समय नवीनतम विश्लेषण की संज्ञा दी गई। कोपेन ने अपने जलवायु प्रदेशों को निर्धारित करने के लिए निम्नलिखित तथ्यों को आधार माना है

  • वार्षिक तथा मासिक औसत तापमान। 
  • वर्षा की मात्रा। 
  • स्थानीय वनस्पति। 

उपरोक्त तथ्यों के आधार पर कोपेन ने जलवायु के निम्नलिखित पाँच प्रकार बताए हैं। जिन्हें अंग्रेजी के पहले पाँच बड़े अक्षरों द्वारा दर्शाया जाता है। 

  • उष्ण कटिबन्धीय जलवायु (Tropical Climate – A) 
  • शुष्क जलवायु (Dry Climate – B) 
  • गर्म जलवायु (Warm Climate – C) 
  • हिम जलवायु (Snow Climate – D) 
  • बर्फीली जलवायु (Ice Climate – E) 

तापमान तथा वर्षा के ऋतुओं के अनुसार आंकड़ों के आधार पर उपर्युक्त पाँच जलवायु प्रदेशों को उप-प्रदेशों में भी विभाजित किया गया है। जिनको दर्शाने के लिए अंग्रेजी के छोटे अक्षरों (a, c, f, h, m, g, s तथा w) का प्रयोग किया गया है। 

इन अक्षरों के अर्थ इस प्रकार हैं :

a = गर्म ग्रीष्म, सबसे अधिक गर्म माह का औसत तापमान 22° से० से अधिक

c = शीतल ग्रीष्म, सबसे अधिक गर्म माह का औसत तापमान 22° से० से कम

f =  कोई भी मौसम शुष्क नहीं

w = शीत ऋतु में शुष्क मौसम

s = ग्रीष्म ऋतु में शुष्क मौसम

g = गंगा तुल्य तापमान का वार्षिक परिसर, सबसे अधिक गर्म माह सक्रान्ति से पहले आता है तथा वर्षा ग्रीष्म ऋतु में होती है

h (heiss) = वार्षिक औसत तापमान 18°C से० से नीचे

m (monsoon) = मानसून, शुष्क मौसम की अल्प अवधि

इस प्रकार कोपेन महोदय ने सम्पूर्ण भारत को निम्नलिखित नौ जलवायु प्रदेशों में बाँटा है : 

लघु शुष्क ऋतु वाला मानसून प्रकार (Monsoon Type with Short Dry Season- Amw

यह जलवायु भारत के पश्चिमी तटों पर मुम्बई के दक्षिण में पाई जाती है। इस भाग में शीत ऋतु छोटी तथा शुष्क होती है। दक्षिण-पश्चिमी मानसून द्वारा इस भाग में 300 सेमी० से अधिक वर्षा होती है। 

अधिक गर्मी की अवधि में शुष्क ऋतु बाला मानसून प्रकार (Monsoon Type with Dry Season in High Sun Period- As)

यह जलवायु कारोमण्डल तट पर मिलती है। इसमें तमिलनाडु के तटीय भाग तथा दक्षिणी आन्ध्र प्रदेश शामिल हैं। यहाँ शीतकाल में वर्षा होती है और ग्रीष्मकाल शुष्क रहता है। शीतकालीन वर्षा 75 से 100 सेमी होती है जो लौटते हुए मानसून द्वारा हो जाती है। 

उष्ण कटिबन्धीय सवाना प्रकार की जलवायु (Tropical Savanna Type – Aw)

यह जलवायु मालाबार तथा कोरोमण्डल तटों को छोड़कर लगभग समस्त प्रायद्वीपीय पठार पर पाई जाती है। इसकी उत्तरी सीमा कर्क रेखा के साथ-साथ जाने वाली रेखा द्वारा निर्धारित होती है। शीत ऋतु शुष्क होती है। ग्रीष्मकाल में दक्षिण-पश्चिमी मानसून द्वारा 75 सेमी० के आस-पास वर्षा होती है। 

अर्ध-शुष्क स्टेपी जलवायु (Semi-arid Steppe Climate – Bshw)

यह जलवायु प्रायद्वीप के अन्तः स्थित वर्षा छाया क्षेत्रों तथा राजस्थान एवं हरियाणा के कुछ भागों में पाई जाती है। यहाँ वर्षा ग्रीष्मकाल में 12 से 25 सेमी० के लगभग होती है। शीतकाल शुष्क रहता है। यहाँ अर्ध-शुष्क स्टेपी वनस्पति पाई जाती है। 

उष्ण मरुस्थलीय प्रकार की जलवायु (Hot Desert Type Climate – Bwhw)

यह जलवायु राजस्थान के पश्चिमी भागों में सीमित है। यहाँ वार्षिक वर्षा का औसत 12 सेमी० से भी कम है। ग्रीष्मकाल में तापमान बहुत ऊँचा हो जाता। प्राकृतिक वनस्पति का अभाव होता है। 

शुष्क शीत ऋतु वाला मानसून प्रकार (Monsoon Type with Dry Winters – Cwg)

यह जलवायु भारत के उत्तरी विशाल मैदान के अधिकांश भागों तथा मालवा पठार में मिलती है। ग्रीष्मकाल का तापमान 40° से० से अधिक होता है जबकि शीतकाल का तापमान 27° से० से नीचे रहता है। वर्षा ग्रीष्म ऋतु में होती है और शीतकाल शुष्क होता है।

लघु ग्रीष्म के साथ शीतल आई शीत ऋतु वाली जलवायु (Cold Humid Winters Type with Shorter Summers – Dfc)

इस जलवायु प्रकार में भारत का उत्तर-पूर्वी भाग शामिल है। इसमें सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश तथा असम के ऊपरी भाग सम्मिलित हैं। शीतकाल आर्द्र, लम्बा व ठण्डा होता है। ग्रीष्मकाल अल्प अवधि का होता है। 

टुण्ड्रा जलवायु (Tundra Type – Et)

यह जलवायु उत्तराखंड के पर्वतीय भागों में पाई जाती है। यहाँ पर औसत तापमान 0° से० से 10° से० के बीच रहता है। ऊँचाई के अनुसार तापमान में कमी आती जाती है। 

ध्रुवीय जलवायु (Polar Type – E)

जम्मू-कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश के उच्च पर्वतीय भागों में इस प्रकार की जलवायु है। यहाँ सबसे गर्म महीने का तापमान 0° से 10° से० के मध्य रहता है। शीतकाल में प्रायः बर्फ पड़ा करती है। 

उपर्युक्त वर्गीकरण में वनस्पति और जलवायु के आँकड़ों पर विशेष ध्यान दिया गया है, किन्तु भू-पृष्ठीय रचना, वायुदाब में अन्तर, पवनों की दिशा तथा समुद्री धाराओं के प्रभाव की अवहेलना की गई है। इसके अतिरिक्त, कोपेन के सूत्र निचले मैदानों के लिए तो किसी प्रकार ठीक हैं, किन्तु ऊँचे भागों के लिए अनुपयुक्त सिद्ध होते हैं।

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