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Table of contents
भारत में वनों को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया गया है, जिनका वर्णन नीचे किया गया है –
प्रशासन के आधार पर भारतीय वनों का वर्गीकरण (Classification of Indian forests on the basis of administration)
आरक्षित वन ( Reserved Forests)
इस प्रकार के वन सरकार के प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण में रहते हैं तथा यहाँ लोगों का प्रवेश लकड़ियों को इकट्ठा करने के लिए तथा पशुओं को चराने के लिए वर्जित हैं। देश का कुल 53 प्रतिशत क्षेत्र आरक्षित वन के अंतर्गत आता है।
संरक्षित वन (Protected Forest)
संरक्षित वन सरकार की देख-रेख में तो रहते हैं, किन्तु स्थानीय लोगों को ईंधन के लिए लकड़ी इकट्ठा करने तथा पशुओं को इस प्रदेश में चराने की अनुमति दी गई है। बशर्ते वन क्षेत्र को किसी तरह का गंभीर नुकसान न हो। देश का कुल 29 प्रतिशत वन प्रदेश संरक्षित वन के अन्तर्गत आता है।
अवर्गीकृत वन (Unclassified Forests)
अवर्गीकृत वन में वृक्षों को काटने तथा मवेशियों को चराने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। देश का लगभग 18 प्रतिशत वन प्रदेश इस वर्ग के अन्तर्गत आता है।
इनकों भी पढ़ें 1. भारत में वनों का वितरण 2. भारत में कोयले का उत्पादन एवं वितरण |
भारतीय संविधान में भारतीय वनों का वर्गीकरण (Classification of Indian forests in the Indian Constitution)
राज्य वन (State Forests)
राज्य वन सरकार (राज्य/केन्द्र) के पूर्ण नियंत्रण में होते हैं तथा इसमें देश के सभी महत्वपूर्ण वन प्रदेश आते हैं। देश का लगभग 94 प्रतिशत वन प्रदेश इस वर्ग के अन्तर्गत आता है।
वाणिज्यिक वन (Commercial Forests)
वाणिज्यिक वनों का स्वामित्व तथा प्रशासन स्थानीय निकायों (नगर-निगम, नगर बोर्ड, शहरी प्रदेश, जिला बोर्ड तथा ग्रामीण पंचायत) के अधीन होता है। देश का लगभग 5 प्रतिशत वन प्रदेश इस वर्ग के तहत आता है।
निजी वन (Private Forests)
निजी वनों का स्वामित्व निजी (किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह) हाथों में होता है तथा यह देश के कुल वन प्रदेश का 1 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है।
व्यापारिक आधार पर भारतीय वनों का वर्गीकरण (Classification of Indian forests on commercial basis)
विपण्य (Merchantable)
ये वन अभिगम्य वन होते हैं। देश का लगभग 82 प्रतिशत वन प्रदेश इस वर्ग के अन्तर्गत आता है।
अविपण्य (Non-Merchantable)
ये वन अभिगम्य वन नहीं होते हैं तथा ऊँचे पर्वतीय प्रदेशों में स्थित होते हैं। यहां स्थलाकृति सुगम्य नहीं होती। देश का लगभग 18 प्रतिशत वन (मुख्यतः शंकुधारी) इस वर्ग के अन्तर्गत आता है।
गठन / बनावट के आधार पर बनावट के आधार पर तथा पत्तों के किस्मों के आधार पर भारतीय वनों का वर्गीकरण (Classification of Indian forests on the basis of structure and types of leaves.)
शंकुधारी वन (Conifer Forests)
शंकुधारी वन शीतोष्ण वन हैं, जो देश के लगभग 6.5 प्रतिशत वन क्षेत्र को घेरे हुए हैं
‘चौड़े पत्तों वाले वन (Broadleaf Forests)
ये वन उष्णकटिबंधीय तथा शीतोष्ण मानसून वन होते हैं। देश का लगभग 94 प्रतिशत वन प्रदेश इस वर्ग के अन्तर्गत आता है। ये वन मैदानी प्रदेशों, पठार तथा पर्वतीय प्रदेशों में पाए जाते हैं।
उपयोगिता के आधार पर भारतीय वनों का वर्गीकरण (Classification of Indian forests on the basis of utility)
उपयोगी वन (Exploitable Forests)
इस वर्ग में देश का कुल 58 प्रतिशत वन प्रदेश आता है।
संभाव्य उपयोगी वन (Potentially exploitable)
ये वन आरक्षित वन हैं, जिसका उपयोग भविष्य में किया जाएगा। इस वर्ग में देश का कुल 22 प्रतिशत वन प्रदेश आता है।
अन्य वन
इस वर्ग में देश का कुल 20 प्रतिशत वन प्रदेश आता है। इन वनों के उपयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
औसत वार्षिक वर्षा के आधार पर भारतीय वनों का वर्गीकरण (Classification of Indian forests on the basis of average annual rainfall)
औसत वार्षिक वर्षा के आधार पर भारतीय वनों को एल.डी. स्टैम्प द्वारा निम्नलिखित चार वर्गो में विभाजित किया गया है:
वनस्पति के प्रकार | औसत वार्षिक वर्षा (से.मी.) | प्रदेश |
सदाबहार वन | 200 से अधिक | आर्द्र |
मानसून वन | 100-200 | अर्ध-आर्द्र |
शुष्क वन | 50-100 | शुष्क |
मरुस्थली वन | 50 से कम | अत्यधिक शुष्क (मरुस्थल) |
FAQs
आरक्षित वन किसे कहते हैं?
संरक्षित वन किसे कहते हैं?
भारतीय संविधान में भारतीय वनों को कितने वर्गों में बाँटा गया है?
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