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इस लेख के माध्यम से आप अमेरिकी विद्वान होमर होयट के खण्ड सिद्धान्त (Sector Theory) के बारे में विस्तार से जानेंगे।
होमर हायट का खण्ड सिद्धान्त (Sector Theory)
अमेरीकी विद्वान होमर हायट ने 1939 में 142 अमेरीकी नगरों के आँकड़ों के आधार पर नगर के विकास व भीतरी बनावट पर एक सिद्धान्त खण्ड सिद्धान्त (Sector Theory) के नाम से प्रस्तुत किया। यह सिद्धान्त बर्गेस की कुछ बातों का खण्डन करता है। होमर हायट के अनुसार नगर में पाँच प्रकार के खण्ड देखने को मिलते हैं-
- केन्द्रीय व्यापारिक क्षेत्र
- थोक पैमाने पर हल्के विनिर्माण उद्योग
- निम्न श्रेणी रिहाइश
- मध्यम श्रेणी रिहाइश
- उच्च श्रेणी रिहाइश
इस सिद्धान्त में पूरे नगर को एक वृत्त माना गया है और उसके विभिन्न क्षेत्रों को खण्ड (sector) के नाम से सम्बोधित किया गया है। इनका मानना था कि एक ही प्रकार का भूमि उपयोग हमें नगर के केन्द्र में मिलने के साथ-साथ नगर के समीपवर्ती भाग में भी देखने को मिल सकता है। उदाहरण के लिए निम्न श्रेणी या मध्यम श्रेणी के रिहायशी क्षेत्र एक से अधिक खण्डों में देखे जा सकते हैं (जैसा की चित्र में दिखाया गया है)।
होमर हायट ने बताया कि ऊँचे किराये वाला क्षेत्र (high rent area) एक या एक से अधिक खण्डों में निम्न किराये वाले क्षेत्र वृत्त के कटे रूप को ग्रहण कर लेते हैं जो नगर के केन्द्र से बाहर की ओर नगरीय सीमा तक फैले होते हैं। जैसे-जैसे नगर की जनसंख्या बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे ऊँचा किराया क्षेत्र एक खण्ड के सहारे-सहारे बाहर की ओर फैलते जाते हैं। यह संकेन्द्रीय वलय प्रतिरूप धारण नहीं कर पाते।
इसी प्रकार औद्योगिक क्षेत्र नदी घाटियों में जल-मार्गों या रेल मार्गों पर विकसित हो जाते हैं। ये क्षेत्र भी संकेन्द्रीय वलय का रूप धारण नहीं कर पाता। वर्तमान समय में नगरों में यह प्रवृत्ति देखने को मिलती है कि कारखाने नगरों की बाहरी पेटी (उसके किनारों पर) स्थापित होने लगे हैं। हायट का कहना है कि अमेरीकी नगर यातायात मार्ग के सहारे-सहारे विभिन्न दिशाओं में फैलकर एक अष्टभुज (octopus with tentacles) का रूप धारण कर लेते हैं।
नगर के रिहाइशी क्षेत्र का विकास
इस सिद्धान्त के अनुसार नगर के रिहाइशी क्षेत्र का विकास तीन तरह से होता है
- नगर लम्बवत् रूप (vertical expansion) से बढ़ सकता है अथवा मकानों की मंजिले बढ़ सकती हैं। एक परिवार वाले मकान एक से अधिक परिवार वाले मकानों में परिवर्तित हो जाते हैं।
- मकान खाली पड़े प्लाटों पर भी बनने लगते हैं। इस प्रकार बस्तियों के बीच में खाली छुटा हुआ भाग मकानों से घिर जाता है।
- जब नगर पर जनसंख्या का दबाव पड़ता है तब मकान नगरीय सीमा को धक्का देकर बाहर को बन जाते हैं। इस प्रकार का विस्तार अपकेन्द्रीय विस्तार (centrifugal or lateral expansion) कहलाता है।
उपर्युक्त तीनों प्रकार का नगरीय विकास साधारणतया क्रमानुसार ही होता है अर्थात् एक के बाद दूसरा और दूसरे के बाद तीसरा। इसमें विभिन्नताएँ भी पैदा हो जाती हैं क्योंकि प्रत्येक नगर का धरातल, संस्कृति, अर्थव्यवस्था, जनसंख्या व सामाजिक संगठन भिन्न-भिन्न होते हैं।
अपकेन्द्रीय विकास के तीन रूप (Three Forms of Centrifugal Growth)
ध्रुवीय विकास (Axial growth)
यह वह विकास है जो यातायात मार्गों के सहारे-सहारे, जो कि नगर के केन्द्र से बाहर की ओर फैले होते हैं, होता है। रिहाइशी मकान इन मार्गों के सहारे-सहारे बन जाते हैं। जब इसका विस्तार समीपवर्ती भागों में हो जाता है तो नगर का आकार सितारे की भाँति (star-shaped) हो जाता है। छोटे-छोटे नगर जो ज्यादा दूर तक नहीं फैले होते, वहाँ पर रिहाइशी घनत्व कम होता है तथा वहाँ पर विकास की यह पद्धति लागू नहीं होती।
एकाकी बस्तियाँ (Isolated settlements)
यह एकाकी बस्तियाँ नगर की सीमा के बाहर फैल जाती हैं। कभी-कभी छोटी बस्तियों के समूह (nuclei) औद्योगिक कारखानों के चारों ओर फैले रहते हैं। ये उद्योग वहाँ रहने वाले लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं।
एकाकी बस्तियों का मिलाप (Coalescence of isolated nuclei)
जनसंख्या के बढ़ने पर नगर के बाहर की अनेक औद्योगिक बस्तियाँ आपस में एक-दूसरे से मिल जाती हैं या नगर के मुख्य भाग से जुड़ जाती हैं।
नगरों के सीमावर्ती भागों में व्यापारिक एवं औद्योगिक गतिविधियाँ विकसित होने पर जनसंख्या विस्तार का अपकेन्द्रीय विकास सम्भव हो पाता है। कभी-कभी ये गतिविधियाँ जनसंख्या का अनुसरण करती हैं, जिस ओर जनसंख्या प्रवास करती है या जहाँ पर लोगों को विशेष सुविधाएँ प्राप्त होती हैं वहाँ पर भी उद्योग एवं व्यापार पनपने लगता है।
औद्योगिक स्थापन नगर के बाहर की बस्तियों की ओर बढ़ता या उनका अनुसरण करता है। नगर के समीपवर्ती भाग में स्थित कारखाना चुम्बक का काम करता है। वह श्रमिक परिवारों को अपनी ओर आकर्षित करता है। ये परिवार अपने रोजगार के स्थान के निकट रहना ही पसन्द करते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कई युद्ध उद्योग (war industries) सड़क-मार्गों या जल-मार्गों के किनारे-किनारे नगरों के सीमावर्ती भागों पर फैल गये जिन्होंने नगर के सभी भागों से जनसंख्या को आकर्षित किया।
समालोचना
यह सिद्धान्त संकेन्द्रीय वलय सिद्धान्त की अपेक्षा नगर के रिहाइशी क्षेत्र के ढाँचे के बारे में अधिक अच्छी तरह बताता है। यह नगर के विकास व विस्तार का भी ध्यान रखता है। हायट के खण्ड सिद्धान्त की प्रमुख विशेषता यह है कि नगर का विकास यातायात-मार्गों के सहारे-सहारे होता है। नगर का आकार वृत्तीय है जो कई खण्डों में बँटा होता है। खण्ड नगर के केन्द्र के बाहर चारों ओर फैले रहते हैं।
जिस प्रकार का भूमि उपयोग नगर के वृत्त के केन्द्र पर मिलता है उसी प्रकार का भूमि उपयोग नगर के बाहर की सीमा पर बढ़ता जाता है। जैसे नगर के पूर्वी भाग में उच्च रिहाइशी क्षेत्र नगर के पूर्वी भाग की सीमा की ओर ही बढ़ेगा। उच्च किराया रिहाइशी क्षेत्रों के बारे में बताते हुए हायट ने कहा है कि यह क्षेत्र नगर के ऊँचे भागों में बाढ़ों से सुरक्षित स्थानों पर विकसित हो जाता है तथा यह प्राकृतिक रुकावटों, दफ्तरों, इमारतों, बैंक, दुकानों से दूर स्थित होता है।
जैसे शिकागो का उच्च किराया क्षेत्र झील के सहारे-सहारे फैला है जो नगर के केन्द्र (loop) से उत्तरी सीमा तक फैला है। यह उच्च श्रेणी के उपनगर की उत्तरी सीमा के बाहर झील के तट के किनारे-किनारे पचास-साठ किमी की दूरी तक फैले हैं और ये सब शिकागो से तेज यातायात साधनों से जुड़े हैं।