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संकेन्द्रीय वलय सिद्धान्त (Concentric Zone Theory)

Estimated reading time: 8 minutes

इस लेख के माध्यम से आप अमरीकी समाजशास्त्री बर्गेस के संकेन्द्रीय वलय सिद्धान्त (Concentric Zone Theory) के बारे में विस्तार से जानेंगे।

परिचय (Introduction)

नगरीय आकारिकी के सिद्धान्तों (Theories of Urban Morphology) को नगरीय भूमि-उपयोग सम्बन्धी सिद्धान्त (Theories of Urban land-use) भी कहा जाता है। ये नगर की भीतरी संरचना (internal structure) के बारे में भी बताते हैं। कोई ऐसी योजना बनाई जाए जिसके द्वारा नगर का समुचित विकास किया जाए या उन्हें पुनः व्यवस्थित किया जाए, इस बात पर विचार करने से पहले हमें उस नगर के वर्तमान भूमि उपयोग का अध्ययन करना आवश्यक है कि किन-किन कारणों से नगर का वर्तमान स्वरूप सामने आया है तथा ऐसी कौन-कौन सी सुविधाएँ वहाँ पर उपलब्ध हैं जिससे वहाँ पर कोई अमुक कार्य विशेष उन्नति कर गया है। 

देखा जाए तो प्रत्येक नगर की भीतरी बनावट अपने आप में विशिष्ट (unique) होती है, उनमें कार्यों के मिश्रित क्षेत्र होते हैं। नगर के भीतर के भूमि उपयोग एवं संरचना के बारे में पता करने हेतु विभिन्न विद्वानों द्वारा सिद्धान्त प्रस्तुत किए गए, लेकिन यहां हम संकेन्द्रीय वलय सिद्धान्त (Concentric Zone Theory) की चर्चा करेंगे।

Concentric Zone Theory

संकेन्द्रीय वलय सिद्धान्त (Concentric Zone Theory)

इस सिद्धान्त का प्रतिपादन 1927 में अमरीकी समाजशास्त्री बर्गेस (E. W. Burgess) ने किया था। यह सिद्धान्त उन्होंने अपने लेखों The growth of the City (1925) तथा Urban Areas (1929) में प्रस्तुत किया। उनका सिद्धान्त अमरीका के नगरों, विशेष रूप से शिकागो, के अध्ययन पर निर्भर है। 

इस सिद्धान्त में बताया गया है कि किसी नगर का विस्तार केन्द्र से बाहर की ओर अरीय रूप (Radial form) में होता है, जिसमें संकेन्द्रीय वलयों की एक श्रेणी बन जाती है। उसकी संकेन्द्रीय पेटियों की श्रेणियाँ (Concentric zones) एक आदर्शवादी विचारधारा है। किसी भी नगर में उसकी यह योजना पूर्ण रूप से लागू नहीं होती। धरातलीय रुकावटें जैसे नदियाँ, झीलें, पहाड़ियाँ, हिमनदी, खाइयाँ आदि नगर के क्षेत्रीय ढाँचे को बिगाड़ देती हैं। यातायात मार्ग जैसे कि रेलमार्ग, मोटर मार्ग आदि भी इस ढाँचे को छोटे-छोटे भागों में बाँट देते हैं। 

शिकागो नगर का विकास बहुत तेजी के साथ टेक्नालॉजी के विकास के कारण हुआ है। इस नगर के पाँच संकेन्द्रीय वलय केन्द्र से बाहर की ओर जिस प्रकार से मिलते हैं उनके अनुसार नगरीय विकास को इन पाँच संकेन्द्रीय वलयों द्वारा समझा जा सकता है।

आन्तरिक केन्द्रीय व्यापार क्षेत्र (Central Business District) 

उन्होंने प्रथम या भीतरी क्षेत्र को CBD का नाम दिया है। यह वह स्थान है जहाँ गगनचुम्बी इमारतें मिलती हैं। यहाँ पर ही दुकानें, थियेटर, होटल, दफ्तर तथा अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान होते हैं। यह क्षेत्र वास्तविक रूप से खुदरा व्यापार क्षेत्र, हल्के विनिर्माण और व्यापारिक मनोरंजन की सुविधा वाला होता है। शिकागो में इस क्षेत्र को लूप (loop) कहा गया है। 

न्यूयार्क में अरिहाइशी एवं केन्द्राभिमुख क्षेत्र (uptown and downtown areas) कहते हैं। पिट्सबर्ग में इसे गोल्डन टेम्पल (Golden Temple) का नाम दिया गया है। अमरीकी नगरों में यह क्षेत्र विशेष रूप से बहुत थोड़ी सी जगह घेरे रहता है। यहाँ पर कम स्थान घेरने वाले उद्योग विकसित मिलते हैं। इसका अधिकांश भाग अरिहाइशी (non-residential area) होता है।

संक्रमण पेटी (Zone of transition)

यह पेटी CBD को चारों ओर से घेरे रहती है। इसके अन्दर रिहाइशी क्षेत्र होते हैं, जिसमें जगह-जगह उद्योग व व्यापारिक संस्थान होते हैं जो आन्तरिक पेटी से आकर यहाँ बस जाते हैं। यह क्षेत्र औद्योगिक व व्यापारिक क्षेत्र के मध्य का क्षेत्र होता है, जिसका अतिक्रमण इन दोनों क्षेत्रों द्वारा ही किया जाता है। इसलिए इसे संक्रमण क्षेत्र कहा गया है। 

इस क्षेत्र को उसके उपयोग व बदली हुई विशेषता के आधार पर आसानी से पहचाना जा सकता है। नगर में रहने वाले पुराने लोगों के मकान, पुरानी बनावट के मकान, कमरों का किराये पर सुलभ होना, कुम आमदनी वाले लोग, गन्दे-गन्दे मकान व गलियाँ यहाँ पर देखने को मिलते हैं। अपराध, वैश्यावृत्ति जैसी विशेषताएँ भी देखने को मिलती हैं। अमरीका के अनेक नगरों में यह क्षेत्र नये अप्रवासियों द्वारा बसाया हुआ मिलता है।

श्रमिक लोगों के रिहाइशी मकानों का क्षेत्र (Zone of Working men’s houses)

यह क्षेत्र संक्रमण पेटी को चारों ओर से घेरे होता है। यह देखने में संक्रमण पेटी से अच्छा लगता है। यहाँ पर उद्योगों में काम करने वाले श्रमिक रहते हैं। ये लोग संक्रमण पेटी में तो रहना पसन्द नहीं करते लेकिन नगर के भीतरी भाग के पास में ही रहना पसन्द करते हैं ताकि वे नगर में अपने काम करने के स्थान पर आसानी से पहुँच सकें। 

यहाँ पर मध्यम श्रेणी के लोगों के मकान कम देखने को मिलते हैं। शिकागो में यह क्षेत्र मकानों का क्षेत्र है जिसकी सीमा दो मंजिल वाले मकानों द्वारा निश्चित की गई है। इसमें नीचे की मंजिल में मकान मालिक व ऊपर की मंजिल में किरायेदार रहता है। यहाँ ऐसा देखने में आता है कि बाप कारखानों में काम करते हैं जबकि उनके बेटे-बेटियाँ CBD में काम करने जाते हैं, नाचघर तथा सिनेमा देखते हैं तथा विवाह के पश्चात् इस पेटी के बाहर फैली पेटी में रहना पसन्द करते हैं।

श्रेष्ठतर रिहाइशी मकानों का क्षेत्र अथवा मध्यम श्रेणी के लोगों का निवास क्षेत्र (The zone of better residences or zone of middle class dwellers)

यह पेटी श्रमिक लोगों के रिहाइशी मकान की पेटी के बाहर विस्तृत रूप से फैली रहती है, जहाँ पर व्यावसायिक कार्यों में लगे लोग रहते हैं, जिनमें छोटे-छोटे व्यापारिक संस्थानों के मालिक, मैनेजर, क्लर्क आदि आते हैं। यहाँ होटल भी देखने को मिलते हैं। इमारतें कई कमरों वाली होती हैं। ज्यादातर मकानों में एक परिवार रहता है। मकानों के आगे काफी बड़ा खुला क्षेत्र होता है जिसका प्रयोग बाग बगीचे के रूप में होता है।

नगर को अभिगमन करने वालों का क्षेत्र (The commuter’s zone)

यह नगर की बाहरी पेटी होती है जिसमें स्थित उपनगरीय क्षेत्रों तथा अनुषंगी नगरों (satellite towns) के साथ अभिगमन होता रहता है। कुछ विद्वानों ने इस बाहरी पेटी की बस्तियों को शयनागार नगर (bed-room towns) का नाम भी दिया है क्योंकि ये नगर में काम करने वाले लोगों को रात में आश्रय प्रदान करती हैं और दिन में ये लोग नगर में काम करने जाते हैं। नगर की इस पेटी में भी तेज यातायात साधनों की सुविधा के साथ उच्च श्रेणी के रिहाइशी मकान भी देखने को मिलते हैं।

बर्गेस ने अपने सिद्धान्त के समर्थन में सामाजिक आँकड़े, विशेषतः शिकागो के आँकड़े, प्रस्तुत किए हैं। वह कहता है कि नगर के लूप या केन्द्र से नगर के सीमावर्ती क्षेत्रों की ओर आने पर पुरुष-महिला अनुपात, नगर से बाहर जन्म लेने वाले लोगों का प्रतिशत तथा अपराध दरें कम होती जाती हैं जबकि ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जाती है जो स्वयं के मकानों में रहते हैं।

आलोचना (Criticism)

यह सिद्धान्त नगर की भीतरी बनावट को आदर्श रूप में वर्णन करने वाला चित्र (diagram) है। एम० अलिहान  ने इसकी बहुत आलोचना की है। वह कहता है कि पेटी का महत्व तभी हो सकता है, जबकि उसकी सीमाएँ उतार-चढ़ाव (gradient) के बीच भेद करती हुई दिखाई जाएँ। यदि उतार-चढ़ाव एक लगातार पेटी के रूप में मिलता है तभी नगर के केन्द्र से कोई-सा भी अर्द्धव्यास लेकर पेटी की रेखाएं (zonal lines) स्वेच्छा से खींची जा सकती हैं। यह सिद्धान्त एक संकेन्द्रीय वलय में एक ही प्रकार के निश्चित तथ्य के वितरण की ओर संकेत करता है। इसी प्रकार का विचार खण्ड सिद्धान्त (sector theory) में दिया गया है।

एम० आर० डेवीज कहता है कि कम सम्पन्न आर्थिक क्षेत्र की विशेषता यह है कि उसमें कम आय के लोगों की अधिक संख्या, रेडियो व टेलीफोन की कम संख्या, मकान मालिकों की कम संख्या, परिवार वाले मकानों की कमी, दो या दो से अधिक परिवार वाले मकानों की अधिकता, हत्याओं, अपराधों का अधिक होना, वेश्यावृत्ति, बेरोजगारी की प्रवृत्ति अधिक मिलना, आश्रित परिवारों की अधिकता, अशिक्षित लोगों का अधिक संख्या में होना, जन्म-दर का ऊँचा होना, बच्चों की मृत्यु-दर अधिक होना आदि विशेषताएँ मिलती हैं।

आमतौर पर यह पेटी नगर के केन्द्र के निकट ही केन्द्रित रहती है। लेकिन इस पेटी की विशेषताएँ हमको नगर के अन्य भागों अथवा पेटियों में मिल सकती हैं। वैसे औद्योगिक पेटी तथा रेलमार्ग के सहारे ऐसी पेटी विकसित हो जाती हैं।

लेकिन डेवीज का कहना है कि यह सिद्धान्त नगर के उद्योगों और रेल-मार्गों के भूमि उपयोग का कोई वर्णन नहीं करता। औद्योगिक कार्य-कलाप किसी भी पेटी में मिल सकते हैं। ऐसा न केवल शिकागो नगर में देखने को मिलता है, बल्कि अन्य नगरों में भी देखने में आता है। इस मामले में उन्होंने निम्न पाँच बातें बतायी हैं-

  • मध्यवर्ती भाग का आकार अनियमित होता है लेकिन इसका आकार वृत्ताकार के स्थान पर आयताकार या वर्गाकार होता है।
  • व्यापारिक भूमि उपयोग नगर के केन्द्र से बाहर की ओर अरीय सड़कों के किनारे विस्तृत हो जाता है तथा कुछ महत्वपूर्ण स्थानों पर इसका जमाव भी हो जाता है जिससे व्यापार के उपकेन्द्र (sub-centres) बन जाते हैं।
  • उद्योग-धन्धे नगर में यातायात साधनों-जैसे जल व रेल मार्गों के किनारे स्थापित हो जाते हैं। वैसे भी अन्य सुविधाओं के मिलने से कहीं पर भी स्थापित हो जाते हैं।
  • औद्योगिक व यातायात क्षेत्रों के निकट ही निम्न आय वर्ग के लोगों के मकान देखने को मिलते हैं।
  • उच्च व मध्यम-श्रेणी के लोगों के मकान नगर के किसी भी भाग में मिल सक्तूते हैं। उपर्युक्त पाँचों बातें नगर में विभिन्न कार्यों के वितरण के आम सिद्धान्तों को प्रकट करती हैं। नगर में एक ही प्रकार के भूमि उपयोग के ढाँचे एक स्थान पर मिलने मुश्किल हैं। यहाँ तक कि इनका आदर्श रूप भी देखने में नहीं आता।

वाल्टर फिरे (Walter Firey) इस सिद्धान्त की आलोचना करते हुए कहते हैं कि आय-वर्गों का वितरण जो भूमि की कीमत द्वारा जाना जा सकता है, एक संकेन्द्रीय वलय क्षेत्र में एक समान नहीं मिलता। कोई सा भी संकेन्द्रीय वलय क्षेत्र एक ही प्रकार की किराया कीमत या भूमि की कीमत (Rental value) नहीं रखता। ऐसा ही विचार उन्होंने खण्ड सिद्धान्त के बारे में प्रकट किया है।

आर० ई० डिकिन्सन इस सिद्धान्त की आलोचना करते हुए कहते हैं कि पेरिस आदि नगर वृत्ताकार रूप नहीं रखते हैं बल्कि तारा प्रतिरूप रखते हैं।

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