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साधारण रैखिक आलेख (Simple linear graph): अर्थ, रचना विधि तथा अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

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साधारण रैखिक आलेख (Simple linear graph) में केवल एक ही वक्र होता है अर्थात् इस आलेख के द्वारा दिए हुए क्षेत्र या स्थान के किसी एक तथ्य जैसे, तापमान, वर्षा, वायुदाब, जनसंख्या, आय, व्यय, निर्यात, आयात अथवा उत्पादन आदि, के आँकड़ों के कालिक परिवर्तनों या उतार-चढ़ावों को प्रदर्शित किया जाता है। 

साधारण रैखिक आलेख (Simple linear graph) की रचना विधि

  • यह एक अत्यन्त लोकप्रिय आलेख है जिसका अनेक विषयों में प्रयोग होता है। साधारण रैखिक आलेख की रचना करने के लिए सबसे पहले  ग्राफ पेपर पर एक-दूसरे को समकोण पर काटती हुई दो सरल रेखाएँ खींचते हैं। 
  • इन सरल रेखाओं में क्षैतिज सरल रेखा को X अक्ष या क्षैतिज अक्ष तथा ऊर्ध्वाधर सरल रेखा को Y अक्ष या ऊर्ध्वाधर अक्ष कहा जाता है। 
  • क्षैतिज अक्ष (X अक्ष) पर दिए हुए समय की अवधि को समान दूरी के अन्तराल पर चिह्न लगाकर दर्शाते हैं तथा ऊर्ध्वाधर अक्ष (Y अक्ष) पर दिए हुए मूल्यों की मापनी बनाते हैं। 
  • इसके पश्चात् भिन्न-भिन्न महीनों, वर्षों, दशाब्दियों अथवा शताब्दियों, जैसी भी दशा हो, के आँकड़ों को ग्राफ पेपर पर अलग-अलग बिन्दुओं के द्वारा प्रकट करते हैं तथा अन्त में इन बिन्दुओं को मिलाते हुए वक्र खींच देते हैं। 
  • ग्राफ-पेपर पर बिन्दु अंकित करने की विधि को एक उदाहरण देकर स्पष्ट किया जा सकता है। मान लीजिए 2024 में किसी वस्तु का उत्पादन 1000 मीटरी टन है तो इस संख्या को ग्राफ-पेपर पर प्रदर्शाने के लिए 2024 व 1000 मीटरी टन के चिह्नों से सम्बन्धित अक्षों पर उठाये गए लम्बों के प्रतिच्छेदन बिन्दु को चिह्नित कर दिया जायेगा। दूसरे शब्दों में, 1981 के चिह्न से 1000 मीटरी टन के बराबर लम्ब दूरी पर अंकित किया गया चिह्न अभीष्ट बिन्दु होगा।

साधारण रैखिक आलेख (Simple linear graph) से संबंधित महत्वपूर्ण बातें

  • रैखिक आलेख के ऊर्ध्वाधर अक्ष (Y अक्ष) पर अंकित मापक का शून्य सदैव मूलबिन्दु पर होता है तथा इसे दिखाना  आवश्यक है। अर्द्ध-लघुगणकीय ग्राफ इसका अपवाद है। 
  • कभी-कभी दिए हुए मूल्यों में न्यूनतम मूल्य का मान भी इतना बड़ा होता है कि यदि शून्य से अधिकतम मूल्य तक का पूरा मापक बनाकर वक्र खींचा जाए तो ग्राफ-पेपर पर वक्र व क्षैतिज अक्ष के मध्य काफी स्थान व्यर्थ खाली पड़ा रह जाएगा। 
  • इसी प्रकार यदि सभी मूल्य बड़े-बड़े हैं तथा उनका अन्तर अधिक नहीं है तो मापनी को किसी छोटे अन्तराल पर विभाजित करना पड़ेगा, जिसके लिए अपेक्षाकृत बड़े आकार वाले ग्राफ-पेपर की आवश्यकता होगी। 
  • उपरोक्त दशाओं में आभासी आधार रेखा (false base line) का प्रयोग करते हैं। यह रेखा क्षैतिज अक्ष के समांतर खींची जाती है तथा इसके सिरे पर न्यूनतम मूल्य से कुछ छोटी सुविधानुसार कोई संख्या लिखकर ऊर्ध्वाधर अक्ष (Y अक्ष) पर मापक के चिह्न लगाते हैं। 
  • इस प्रकार आभासी आधार रेखा के द्वारा ऊर्ध्वाधर अक्ष (Y अक्ष) के मापक में से शून्य के बाद आने वाले अनावश्यक मूल्यों के चिह्नों को निकाल दिया जाता है। 
  • कभी-कभी आभासी आधार रेखा खींचने के बजाय मूलबिन्दु (अर्थात् शून्य चिह्न) के थोड़ा ऊपर ऊर्ध्वाधर अक्ष को खण्डित कर देते हैं तथा इसके ऊपरी भाग में आवश्यक मूल्यों के उचित अन्तराल पर चिह्न बना दिए जाते हैं। 

उदाहरण  भिवानी से संबंधित निम्नलिखित आँकड़ों को साधारण रैखिक आलेख के द्वारा प्रदर्शित कीजिए :

MonthMean Monthly Temperature in °C
January13.3
February16.8
March22.7
April29.5
May33.4
June33.9
July31.1
August29.7
September29.1
October26.4
November20.7
December15.2
Simple linear graph data (Bhiwani)
simple line graph

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