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क्लाइमोग्राफ़ (Climograph)

Estimated reading time: 8 minutes

क्लाइमोग्राफ़ का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Climograph)

क्लाइमोग्राफ़ (Climograph) को क्लाइमोग्राम (Climogram) भी कहा जाता है। “क्लाइमोग्राफ़ (Climograph) एक ऐसा आलेख है जिसमें किसी स्थान के जलवायवी तत्त्वों के आँकड़ों को एक-दूसरे के सम्मुख आलेखित किया जाता है और परिणामी ग्राफ़ की आकृति और स्थिति उस स्थान की सामान्य जलवायु सम्बन्धी प्रकृति का सूचकांक प्रस्तुत करती है।”

क्लाइमोग्राफ़ की रचना का इतिहास (History of the Meaning of Climograph)

  • क्लाइमोग्राफ़ (Climograph) नामक आलेख बनाने के बारे में सबसे पहले जे० बाल ने विचार किया था।
  • सन् 1918 में व्लादिमीर कोपेन (W. Koppen) ने संसार के जलवायु वर्गीकरण को वैज्ञानिक आधार प्रदान करने के लिए वर्ष के सबसे ठण्डे व सबसे गर्म महीनों के न्यूनतम तथा उच्चतम तापमानों का प्रयोग करते हुए जलवायु चार्ट अथवा क्लाइमोग्राफ़ (Climograph) बनाए। आगे बढ़ाते हुए सन् 1926 में जे०बी० लेली (J.B. Leighly) ने विश्व के विभिन्न भागों में पाई जाने वाली जलवायु की तुलना करने के उद्देश्य से क्लाइमोग्राफ़ बनाए।
  • इसी दौरान ग्रिफिथ टेलर ने जलवायु का मापन की गतिविधियों पर प्रभाव जानने के लिए क्लाइमोग्राफ़ की रचना की।
  • टेलर के बाद फॉस्टर (E.E. Foster), हन्टिंगटन (Huntington) तथा हैनरी ई० रेज (Raisz) ने भी ऐसे जलवायु आरेखों की रचना की।

क्लाइमोग्राफ़ की रचना करने वाले जलवायवी तत्त्व (Climatic Elements Constructing the Climograph)

क्लाइमोग्राफ़ (Climograph) किन्हीं दो निश्चित जलवायवी तत्त्वों से ही बने हों, जरूरी नहीं। समय-समय पर अलग-अलग विद्वानों ने अपने क्लाइमोग्राफ़ की रचना करने के लिए अलग-अलग जलवायवी तत्त्वों का सहारा लिया है। उदाहरणतः-

  • लेली, फॉस्टर, हन्टिंगटन व रेज़ ने अपने-अपने क्लाइमोग्राफ़ में तापमान और वर्षा नामक दो तत्त्वों को आधार बनाया। लेली ने तो इन तत्त्वों के वनस्पति पर पड़ने वाले प्रभाव को भी ध्यान में रखा।
  • व्लादिमीर कोपेन ने वर्ष के उच्चतम व न्यूनतम तापमानों को अपने क्लाइमोग्राफ़ (Climograph) का आधार बनाया।
  • ग्रिफिथ टेलर ने तो इन तत्त्वों से अलग दो तत्त्वों- सापेक्षिक आर्द्रता तथा आर्द्र बल्ब तापमान की सहायता से अपने क्लाइमोग्राफ़ की रचना की।

जलवायवी तत्त्व कोई भी रहे हों, लेकिन सभी क्लाइमोग्राफ़ों का एक ही मकसद था – मानव के सन्दर्भ में जलवायु के लक्षणों को प्रस्तुत करना।

आखिर क्यों बनाया गया था क्लाइमोग्राफ़… ?
हर स्थान की जलवायु की अपनी एक विशिष्टता होती है जिसकी पहचान क्लाइमोग्राफ़ बखूबी से करता है। इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति के बाद विश्व में बाज़ार हड़पने और कच्चे माल के उत्पादक क्षेत्रों पर कब्जा करने की होड़ में अंग्रेज़ों व अन्य यूरोपीय जातियों के लिए यह जानना जरूरी हो गया था कि गोरी नस्ल के लोग दुनियाँ में कहाँ-कहाँ सुखद तरीके से रहकर अपने हितों का पोषण कर सकते हैं। किन क्षेत्रों से उन्हें कौन से कृषिगत, वनीय, प्राणिज और खनिज सम्बन्धी कच्चे माल की प्राप्ति हो सकती है? 
किस स्थान की जलवायु का कैसा शरीर-क्रियात्मक (Physiological Effect) प्रभाव पड़ता है क्योंकि भौतिक सुख-दुख तथा मानसिक दशा आंशिक रूप से जलवायु द्वारा अनुकूलित होते हैं। इस प्रकार क्लाइमोग्राफ़ गोरे लोगों द्वारा पिछड़े और गरीब लेकिन प्राकृतिक संसाधनों से लबरेज़ उष्णकटिबंधीय मुल्कों के आर्थिक शोषण के पायलट (Pilot) के रूप में सामने आया।
क्यों बनाया गया था क्लाइमोग्राफ़?

ग्रिफिथ टेलर का क्लाइमोग्राफ़ (Griffith Taylor’s Climograph)

ग्रिफिथ टेलर के क्लाइमोग्राफ़ (Climograph) का महत्त्व

सभी जलवायवी आरेखों में से ग्रिफिथ टेलर का क्लाइमोग्राफ़ (Climograph) एक ऐसा लोकप्रिय आरेख बनकर उभरा है जिसने मानचित्र में अपना एक खास मुकाम हासिल कर लिया है।

ग्रिफिथ टेलर के क्लाइमोग्राफ़ (Climograph) के जलवायवी तत्व

टेलर के क्लाइमोग्राफ़ में मासिक आर्द्र बल्ब तापमान (Wet-Bulb Temperature) एवं सापेक्षिक आर्द्रता (Relative Humidity) के आँकड़ों को ग्राफ़ पेपर पर एक-दूसरे के सामने अंकित करके एक आलेख बनाया जाता है। इस आलेख की आकृति एवं ग्राफ़ पेपर पर बनाए गए चौखटे (Frame) में उसकी स्थिति उस स्थान की जलवायु सम्बन्धी सामान्य दशाओं का सहज बोध कराती है।

ग्रिफिथ टेलर के क्लाइमोग्राफ़ (Climograph) के उद्देश्य

टेलर ने क्लाइमोग्राफ़ की रचना ऑस्ट्रेलिया में मानव बसाव को श्वेत जाति के पक्ष में समझाने हेतु की थी। ऑस्ट्रेलिया का बहुत बड़ा भाग, गोरे लोगों के बसाव के लिए उपयुक्त नहीं है। परिणामस्वरूप निकटवर्ती देशों के उष्ण प्रदेशों की घनी आबादी का एक भाग यहाँ बसाया जा सकता है। क्लाइमोग्राफ़ का उपयोग करते हुए टेलर ने ऑस्ट्रेलिया को बसाव की दृष्टि से एक सीमित देश या क्षेत्र बताया। इसी का परिणाम है कि ऑस्ट्रेलिया में आज भी श्वेत जाति की नीति प्रचलित है।

ग्रिफिथ टेलर के क्लाइमोग्राफ़ (Climograph) की रचना

टेलर द्वारा बनाए गए क्लाइमोग्राफ़ की क्षैतिज भुजा अर्थात् X-अक्ष पर 20 से 100 प्रतिशत तक सापेक्षिक आर्द्रता तथा ऊर्ध्वाधर भुजा अर्थात् Y-अक्ष पर आर्द्र-बल्ब तापमान को -10°F (-23.3°C) से 90°F (32.2°C) तक दर्शाया जाता है। इस ग्राफ़ पर वर्ष के 12 महीनों के आर्द्र-बल्ब तापमान तथा सापेक्षिक आर्द्रता का सम्बन्ध प्रदर्शित करने वाले 12 बिन्दु आलेखित किए जाते हैं। प्रत्येक बिन्दु के निकट उसकी पहचान के लिए उस महीने का पहला अक्षर लिख दिया जाता है। 

इसके बाद जनवरी को प्रदर्शित करने वाले बिन्दु को फरवरी के बिन्दु से तथा फरवरी के बिन्दु को मार्च के बिन्दु से एक सरल रेखा द्वारा मिला दिया जाता है। इस क्रम को दिसम्बर माह तक जारी रखने के बाद दिसम्बर के बिन्दु को जनवरी के बिन्दु से मिला दिया जाता है। इस प्रकार हमें ग्राफ़ पेपर पर 12 भुजाओं वाला एक बन्द चित्र (Closed twelve, sided figure) प्राप्त होता है। टेलर ने इस ग्राफ़ के चार कोनों पर चार शब्दों का प्रयोग किया जिनका नाम, स्थिति, अर्थ व महत्त्व निम्नलिखित है-

MUGGY – (उत्तर-पूर्वी कोना) उष्ण व आर्द्र (उमस वाली) जलवायु। आर्द्र-बल्ब तापमान 60°F (15.5°C) तथा सापेक्षिक आर्द्रता 70 प्रतिशत से अधिक।

RAW – (दक्षिण-पूर्वी कोना) शीत आर्द्र जलवायु  आर्द्र-बल्ब तापमान 40°F (4.4°C) से कम तथा सापेक्षिक आर्द्रता 70 प्रतिशत से अधिक।

KEEN – (दक्षिण-पश्चिमी कोना) शीतल, शुष्क जलवायु। आर्द्र बल्ब तापमान 40°F (4.4°C) से कम तथा सापेक्षिक आर्द्रता 40 प्रतिशत से कम।

SCORCHING – (उत्तर-पश्चिमी कोना) उष्ण मरुस्थली झुलसा देने वाली जलवायु। आर्द्र-बल्ब तापमान 60°F (15-5°C) से अधिक तथा सापेक्षिक आर्द्रता 40 प्रतिशत से कम।

बारह भुजाओं वाले इस चित्र की आकृति तथा ऊपरिलिखित इन चार शब्दों के सन्दर्भ में इसकी स्थिति से हमें पता चलता है कि उस स्थान पर किस महीने की जलवायु कैसी है।

क्लाइमोग्राफ़ (Climograph) की स्थिति से जलवायु का अनुमान

  • यदि कोई क्लाइमोग्राफ़ ग्राफ़ पेपर के चौखटे के उत्तर-पश्चिमी कोने में स्थित है तो उसकी जलवायु उष्ण मरुस्थली होगी जिसमें मौसम झुलसा देने वाला (Scarching) होगा।
  • शीतल-मरुस्थली जलवायु दक्षिण-पश्चिमी कोने (Keen) द्वारा प्रदर्शित होगी।
  • दक्षिण-पूर्वी कोने (Raw) द्वारा शीत व आर्द्र जलवायु प्रदर्शित होगी।
  • इसी प्रकार क्लाइमोग्राफ़ भी उत्तर-पूर्वी कोने में स्थित (Muggy) उष्ण-आर्द्र व उमस वाली जलवायु का प्रतिनिधित्व करेगी।

क्लाइमोग्राफ़ (Climograph) के आकार से जलवायु का अनुमान

  • धुरा आकृति (Spindle Shaped) क्लाइमोग्राफ़ शुष्क महाद्वीपीय जलवायु को दर्शाता है।
  • उत्तर-पूर्व में दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर कर्ण रेखावत् (Diagonal) क्लाइमोग्राफ़ मानसूनी जलवायु को दर्शाता है।
  • उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर कर्ण रेखावत् (Diagonal) क्लाइमोग्राफ़ भूमध्य सागरीय जलवायु को दर्शाता है।
  • ब्रिटिश द्वीप समूह तुल्य जलवायु सम्पूर्ण रूप से फैले हुए क्लाइमोग्राफ़ द्वारा दर्शाई जाती है।

संशोधन

यद्यपि ग्रिफिथ टेलर के अनुसार Y-अक्ष पर आर्द्र-बल्ब तापमान -10°F (-23.3°C) से 90°F (32.2°C) तक दिखाया जाता है, तथापि इसमें स्थान के अनुसार संशोधन भी किया जा सकता है। उदाहरणतः भारत में आर्द्र-बल्ब तापमान -5°C से कम नहीं होता। अतः भारत में ऐसे स्थानों का क्लाइमोग्राफ़ बनाते समय आर्द्र-बल्ब तापमान -5°C से 30°C तक प्रदर्शित किया जा सकता है। इसी प्रकार उत्तर-पश्चिमी भारत, पाकिस्तान, मध्य-पूर्व, सहारा तथा उत्तरी विक्टोरिया जैसे उष्ण मरुस्थलों का क्लाइमोग्राफ़ बनाते समय आर्द्र-बल्ब तापमान 0° से 100°F (37.7°C) के मध्य लिए जाने चाहिए।

बे-आरामी (Discomfort) का मापक

टेलर ने यूरोप की गोरी चमड़ी वाली जातियों के लिए एक बे-आरामी का मापक (Scale of Discomfort) भी सुझाया है, जो निम्नलिखित है-

तापमान (डिग्री सेल्सियस में)तापमान (डिग्री फेरनहाइट में)परिणाम
4.4° – 7.2°40° – 45°बहुत कम बे-आरामी
7.2° – 12.8°45° – 55°आदर्श
12.8° – 15.5°55° – 60°बहुत कम बे-आरामी
15.5° – 18.3°60° – 65°कभी कभार बे-आरामी
18.3° – 21.2°65° – 70°प्राय: बे-आरामी
21.2° – 23.9°70° – 75°सामान्यतया: बे-आरामी
बे-आरामी का मापक (Discomfort Scale)

क्लाइमोग्राफ़ बनाने की विधि

उदाहरण: निम्नलिखित सारणी में करनाल (हरियाणा) के मासिक मध्यमान आर्द्र – बल्ब तापमान तथा सापेक्षिक आर्द्रता के आंकडें दिए गए हैं। इन आंकड़ों की सहायता से करनाल (हरियाणा) के क्लाइमोग्राफ़ की रचना कीजिए।

MonthsJFMAMJJASOND
Wet – Bulb Temperature in °C10.411.915.718.120.524.126.126.221.5.2014.111.3
Relative Humidity in %685649333045717970605363
क्लाइमोग्राफ़ संबंधी आंकडें

क्लाइमोग्राफ़ की रचना-विधि

ग्राफ़ पेपर पर X-अक्ष पर सापेक्षिक आर्द्रता तथा Y- अक्ष पर आर्द्र-बल्ब तापमान अंकित कीजिए। वैसे तो आप कितना बड़ा या छोटा मापक ले सकते हैं किन्तु सुविधा की दृष्टि से सापेक्षिक आर्द्रता को दिखाने के लिए 8 इंच लम्बी आधार रेखा (X-अक्ष) लेकर उसके आधा-आधा इंच के 16 बराबर भाग बनाइए। इस पर 20 से 100% तक सापेक्षिक आर्द्रता अंकित कीजिए।

यद्यपि क्लाइमोग्राफ़ के आविष्कारक टेलर ने आर्द्र-बल्ब तापमान -23.3°C से आरम्भ किया था लेकिन हम अपनी सुविधा के लिए इसे पूर्णांक संख्या -20°C से आरम्भ करेंगे। अतः -20°C से 30°C तक आर्द्र-बल्ब तापमान दिखाने के लिए ऊर्ध्वाधर रेखा (Y-अक्ष) 5 इंच लम्बी लें व उसके भी आधे-आधे इंच पर निशान लगाकर 10 बराबर भाग करें। इस पर 5°C के अन्तराल पर -20°C से 30°C तक मार्किंग करें।

अब ग्राफ़ के चौखटे पर (J) माह को अंकित करने के लिए 10.4°C आर्द्र-बल्ब-तापमान तथा 68% सापेक्षिक आर्द्रता को प्रकट करने वाले चिह्नों से उठाए गए लम्बों के प्रतिच्छेदन (Interaction) बिन्दु पर जनवरी या J अंकित कर दें। इसी प्रकार शेष 11 महीने भी अंकित करें व इन पर इनके मूलाक्षर (Abbreviations) लिख दें। जनवरी को फरवरी से, फरवरी को मार्च से मिलाते हुए क्रम जारी रखिए तथा अन्तर में दिसम्बर को जनवरी माह से सरल रेखा द्वारा मिला दें।

इस प्रकार हमारी 12 भुजाओं वाली बन्द आकृति तैयार हो जाएगी। ग्राफ़ पेपर पर चार कोनों में SCRCHING, MUGGY, KEEN और RAW लिखिए । शीर्षक व अन्य केबल पूरे करने के बाद प्राध्यापक महोदय से इसका निरीक्षण करवाइए। (चित्र देखिए)

Climograph

अब क्लाइमोग्राफ़ की आकृति और स्थिति को देखते हुए निष्कर्ष निकालिए कि करनाल की जलवायु मोटे तौर पर कैसी है और इसके कौन-से महीने आरादायक (Comfortable) हैं ?

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