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जीवमण्डल आगार क्या होता है, इसको जानने के लिए हमारे लेख ‘जीवमण्डल आगार’ को अवश्य देखें।
जीवमण्डल आगार का मण्डलन (Zoning of Biosphere Reserve)
सन् 1976 में UNESCO की टास्क फोर्स ने जीवमण्डल आगार के सरल मण्डलन प्रतिरूप (zoning pattern) का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव में जीवमण्डल आगार के 3 मण्डलों को सम्मिलित किया गया।
- पूर्णरूपेण रक्षित क्रोड क्षेत्र (strictly protected core area)
- पूर्णरूपेण सीमांकित बफर मण्डल
- असीमांकित बाह्यमण्डल या संक्रमण मण्डल (undelineated transition zone)
क्रोड क्षेत्र राष्ट्रीय उद्यान का प्रतिनिधित्व करता है। सरकारी कर्मचारियों को छोड़कर कोई अन्य व्यक्ति का इस क्षेत्र में प्रवेश वर्जित होता है। मध्यवर्ती या बफर मण्डल का सीमांकन तो अच्छी तरह किया जाता है परन्तु इसका उपयोग ऐसे कार्यों के लिए किया जा सकता है जो पूर्णतया नियंत्रित (regulated) एवं अविध्वंसक (non- destructive) हों। बाह्य मण्डल की सीमा सुनिश्चित नहीं होती है। इसका शोध (experimental research), परम्परागत उपयोग, पुनर्वास (rehabilitation) आदि के लिए उपयोग किया जा सकता है।
संहत जीवमण्डल आगार (cluster biosphere reserve)
सन् 1977 में संहत जीवमण्डल आगार (cluster biosphere reserve) की संकल्पना का विकास किया गया। इस संकल्पना के अनुसार मुख्य ‘जीममण्डल आगार’ के साथ कुछ गौण ‘जीवमण्डल आगार’ भी होने चाहिए। क्योंकि एक ही सम्बद्ध क्षेत्र में ‘जीवमण्डल आगार’ के सभी कार्य सम्पादित नहीं किए जा सकते।
जीवमण्डल आगार की विशेषताएं (Features of biosphere reserve)
माइकेल बैटिसी (1986) के अनुसार किसी भी वास्तविक ‘जीवमण्डल आगार’ के अन्तर्गत उसकी तीनों भूमिकाओं का होना आवश्यक है :
(i) संरक्षणात्मक भूमिका, (ii) लाजिस्टिक भूमिका, तथा (iii) विकासीय भूमिका।
इन्होंने विशुद्ध ‘जीवमण्डल आगार’ के लिए निम्न विशषताओं का होना आवश्यक बताया है :
- ‘जीवमण्डल आगार’ में पूर्ण रूप से रक्षित मण्डल होना चाहिए। इसके अभाव में कोई भी ‘जीवमण्डल आगार’ विशुद्ध एवं वास्तविक ‘जीवमण्डल आगार’ नहीं हो सकता है।
- ‘जीवमण्डल आगार’ में स्थित राष्ट्रीय उद्यान का उद्देश्य उसके बाहर स्थित आस-पास के क्षेत्र का विकास करना भी होना चाहिए।
- ‘जीवमण्डल आगार’ में पारिस्थितिक तंत्र के विकास के लिए संरक्षण सम्बन्धी कार्यों एवं शोध कार्यों तथा शिक्षा के बीच पूर्ण सम्बन्ध तथा परस्पर सहयोग होना चाहिए।
- किसी भी ‘जीवमण्डल आगार’ का विश्व के अन्य’ जीवमण्डल आगारों’ के साथ सम्पर्क होना चाहिए, इनमें शोध से सम्बन्धित सूचनाओं का आदान-प्रदान होना चाहिए, तथा प्रायोगिक शोध कार्यों की नियमित मॉनीटरिंग होनी चाहिए।
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