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पारिस्थितिकी: अवधारणा तथा परिभाषा ( Ecology: Concept and Definition)

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पारिस्थितिकी : अवधारणा तथा परिभाषा ( Ecology: Concept and Definition)

पारिस्थितिकी (ecology), सामान्य रूप में वह विज्ञान है जो एक तरफ सभी जीवों तथा उनके भौतिक पर्यावरण का तथा दूसरी तरफ विभिन्न जीवों के एक-दूसरे पर आश्रय, परस्पर अभिक्रियाशीलता तथा आपसी अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन करता है। (Ecology in a very simple term, is a science that studies the interdependent, mutually reactive and interconnected relationships between the organisms and their physical environment on the one hand, and among the organisms on the other hand.

दूसरे शब्दों में पारिस्थितिकी वह विज्ञान है जिसमें समस्त जीवों तथा उनके भौतिक पर्यावरण के बीच अन्तर्सम्बन्धों एवं विभिन्न जीवों के बीच आपसी सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। हालांकि ‘oecology’ (oekologie या oecologie) शब्द का आविष्कार सर्वप्रथम जर्मन जीवविज्ञानी अर्न्स्ट हैकेल ने 1869 में किया था, परन्तु जीवों तथा उनके पर्यावरण के मध्य सम्बन्धों को व्यक्त करने के लिए विभिन्न नामावलियों का प्रयोग पहले ही किया जा चुका था। 

उदाहरण के लिए, फ्रान्सीसी जन्तुविज्ञानी आइसोडार ज्योरफ्राय सेण्ट हिलेयर ने 1859 में विभिन्न जीवों के आपसी सम्बन्धों के अध्ययन के लिए ‘ethology’ (जैववासिकी) नामावली का प्रयोग किया था। इसी प्रकार ब्रिटिश प्रकृतिविज्ञानी सेण्ट जार्ज जैक्सन मिवार्ट ने जीवों तथा उनके पर्यावरण के बीच सम्बन्धों के अध्ययन के लिए ‘hexicology’ नामावली के प्रयोग का प्रस्ताव किया था। 

यहां इस बात का उल्लेख करना महत्वपूर्ण होगा कि विभिन्न जीवों एवं उनके भौतिक पर्यावरण के बीच अन्तर्सम्बन्धों की अभिव्यक्ति तथा अध्ययन से सम्बन्धित विभिन्न नामावलियों एवं संकल्पनाओं के नियमन एवं निरूपण (formulation) या रचना में डार्विन की प्रजातियों के उद्भव की संकल्पना की अहम भूमिका रही है। 

हैकेल द्वारा निर्मित ‘oecology’ या ‘oekology’ नाम ग्रीक भाषा के दो शब्दों से हुआ है : ‘oikos’ जिसका अर्थ होता है ‘घर’ या ‘निवास’ या ‘वास्य क्षेत्र’ (habitat) तथा ‘logos’ जिसका अर्थ है अध्ययन या वर्णन। आगे चलकर ‘oecology’ के स्थान पर ‘ecology’ का प्रयोग प्रारम्भ हो गया। ज्ञात हो कि हैकेल ने अपने विचारों को सर्वप्रथम जर्मन भाषा में व्यक्त किया था, बाद में इनका अंग्रेजी में अनुवाद किया गया था।

अमेरिकी पारिस्थितिकीविद फ्रेडरिक क्लीमेण्ट्स ने पारिस्थितिकी को ‘समुदाय का विज्ञान’ (science of community) के रूप में सम्बोधित किया जबकि चार्ल्स एल्टन ने पारिस्थितिकी को ‘वैज्ञानिक प्राकृतिक इतिहास’ (scientific natural history) के रूप में परिभाषित किया। 

कुछ लोगों ने पारिस्थितिकी के अन्तर्गत मात्र पौधों के अध्ययन पर जोर दिया (यथा, ई० वार्मिंग) जबकि कुछ लोगों ने सम्पूर्ण जैविक समुदाय के अध्ययन पर बल दिया (यथा, फ्रेडरिक क्लीमेण्ट्स)। इस तरह पारिस्थितिकी विज्ञान के अन्तर्गत अध्ययन के दो परस्परव्यापी क्षेत्रों (overlapping areas) का समावेश हुआ : 

(i) पर्यावरण के सन्दर्भ में जीवों का अध्ययन, तथा (ii) जीवों के विकासीय इतिहास का अध्ययन। 

ब्रिटिश पारिस्थितिकीविद Macfadyen (1957) ने पौधों या जन्तुओं तथा उनके पर्यावरण के बीच सम्बन्धों को नियंत्रित तथा संचालित करने वाले नियमों तथा सिद्धान्तों को ज्ञात करने की आवश्यकता पर जोर दिया। के० फ्रेडरिक (1958) ने बताया कि पारिस्थितिकी समस्त प्रकृति के सदस्यों के रूप में जीवधारियों का विज्ञान है। इन्होंने पर्यावरण पर जीवों के प्रभावों तथा जीवों पर पर्यावरण के प्रभावों के अध्ययन को महत्वपूर्ण नहीं माना, बल्कि इसे नजरअन्दाज कर दिया। 

फ्रेसर डार्लिंग (1963) ने पारिस्थितिकी के विषय-क्षेत्र को विस्तृत किया तथा प्रतिपादित किया कि ‘पारिस्थितिकी’ समस्त पर्यावरण के सन्दर्भ मे जीवों का तथा उनके अन्तर्जातीय (interspecific) एवं आपसी अन्तर्सम्बन्धों का विज्ञान है’- ‘Ecology is the science of organisms in relation to their total environment, and interrelationship of organisms interspecifically and between themselves’. (F. Fraser Darling, 1963)। 

इस परिभाषा से यह स्पष्ट होता है कि पारिस्थितिकी के अन्तर्गत दो पक्षों का अध्ययन किया जाता है :

(i) किसी खास क्षेत्र के भौतिक पर्यावरण के सन्दर्भ में जीवों का अध्ययन, तथा 

(ii) एक समुदाय के विभिन्न जीवों के मध्य आपसी अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन तथा विभिन्न समुदाय के जीवों के मध्य आपसी अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन। 

पारिस्थितिकी की उपुर्यक्त परिभाषा का यह प्रभाव हुआ है कि पारिस्थितिकी के अध्ययन के दो उपागमों (approaches) का अभ्युदय हुआ तथा पारिस्थितिकी का दो प्रमुख शाखाओं में विभाजन हुआ:

पारिस्थितिकी के अध्ययन के दो उपागमों (two approaches to study the of ecology)

स्वपारिस्थितिकी (autecology)

‘स्वपारिस्थितिकी’ (autecology), जिसके अन्तर्गत किसी निश्चित पारिस्थितिक तंत्र में एकाकी प्रजाति (species) के पारिस्थितिक सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है, तथा 

समुदाय पारिस्थितिकी (synecology)

‘समुदाय पारिस्थितिकी’ (synecology) जिसके अन्तर्गत किसी खास पारिस्थितिक तंत्र (ecosystem) में वनस्पति समुदायों का उनके आवास (habitats) के सन्दर्भ में अध्ययन किया जाता है। 

वर्तमान समय में पारिस्थितिकी की संकल्पना को अत्यधिक विस्तृत कर दिया गया है। टुसोव के शब्दों में ‘The concept of ecology has been extended to the corresponding range of phenomena, research and problems. In that connection ‘ecology’ has been quite logically extended as well to the field of the interaction of society and its physical environment’ (Y. P. Trusov. 1983) । अर्थात् अब पारिस्थितिकी के अन्तर्गत न केवल पौधों एवं जन्तुओं तथा उनके पर्यावरण के बीच अन्तर्सम्बन्धों का ही अध्ययन किया जाता है वरन् मानव समाज तथा उसके भौतिक पर्यावरण के बीच अन्तर्क्रियाओं का भी अध्ययन किया जाता है।

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