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वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index)

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Real Time Air Quality Index

वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index): परिचय

वर्तमान समय में पर्यावरण प्रदूषण विश्व के लिए एक गंभीर समस्या के साथ-2 नई चुनौती भी बन चुका है। भारत में हर साल उत्तर-पश्चिमी भागों विशेषकर दिल्ली व आसपास के इलाकों (एनसीआर) में अक्टूबर और नवम्बर महीने में प्रदूषण की स्थिति बद से बदतर हो जाती है। इस समस्या की गंभीरता की स्थिति का पता करने हेतु भारत सरकार ने पर्यावरण प्रदूषण के स्तर की माप के लिए स्वच्छ भारत अभियान के तहत नई दिल्ली में 17 सितंबर, 2014 को राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) की शुरूआत की।

Air Pollution Image, India Gate, Delhi
प्रदूषित हवा में दिल्ली के इंडिया गेट का दृश्य

क्या बताता है, वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI)?

विश्व के अलग-2 देशों में वायु की गुणवत्ता की माप के लिए वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बनाए गए हैं। इन सूचकांकों की सहायता से देश में वायु की गुणवत्ता को मापा जाता है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) मुख्य रूप से 8 प्रदूषकों (PM10, PM2.5, NO2, SO2, CO, O3, NH3, and Pb)) से मिलाकर बनाया जाता है; लेकिन मुख्य रूप से नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मापदंड से अधिक है या नहीं, इसकी जाँच की जाती है। 

वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के लिए विभिन्न देशों में अलग-2 नामों का उपयोग किया जाता है उदाहरण के लिए भारत में इसे राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI), कनाडा में वायु गुणवत्ता स्वास्थ्य सूचकांक, मलेशिया में वायु प्रदूषण सूचकांक तथा सिंगापुर में प्रदूषक मानक सूचकांक नाम से जाना जाता है।

एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या होता है (What is Air Quality Index)

इस प्रकार हम देखते हैं कि अन्य सूचकांकों की तरह की ही एयर क्वालिटी इंडेक्स भी वायु की गुणवत्ता की जाँच करता है और बताता है कि हवा में कौन सी गैस कितनी मात्रा उपस्थित है। वायु की गुणवत्ता के आधार पर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 6 केटेगरी में बाँटा गया है जिनका विवरण नीचे दिया गया है: 

वायु गुणवत्ता सूचकांककेटेगरीवायु की गुणवत्ता और स्वास्थ्य संबंधित  चेतावनीबचाव के उपाय
0 – 50अच्छा इस केटेगरी में वायु गुणवत्ता को संतोषजनक समझा जाता है तथा वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए कम या कोई जोखिम नहीं बनता।कोई नहीं
51 – 100संतोषजनक इस केटेगरी की वायु गुणवत्ता भी स्वीकार्य होती है; लेकिन, कुछ प्रदूषकों के लिए बहुत कम संख्या में लोगों के लिए स्वास्थ्य संबंधी चिंता हो सकती है जो वायु प्रदूषण के लिए असामान्य रूप से संवेदनशील हैं। संवेदनशील लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।सक्रिय बच्चों और वयस्कों, और अस्थमा जैसे श्वास रोग वाले लोगों को लंबे समय तक आउटडोर क्रियाएं कम  करनी चाहिए।
101 – 200मध्यम (थोड़ा प्रदूषित)वायु प्रदूषण के प्रति संवेदनशील लोगों को स्वास्थ्य प्रभाव का अनुभव हो सकता है। आम जनता को प्रभावित होने की संभावना कम ही होती है।सक्रिय बच्चों और वयस्कों, और अस्थमा जैसे श्वास रोग वाले लोगों को लंबे समय तक आउटडोर क्रियाएं कम  करनी चाहिए।
201 – 300खराबइस केटेगरी की हवा की गुणवत्ता से हर किसी के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है तथा संवेदनशील समूहों के लोगों को अधिक गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव का अनुभव हो सकता है। फेफड़े की बीमारी जैसे अस्थमा, और हृदय रोग, बच्चों और बड़े वयस्कों के साथ लोगों को असुविधा के कारण सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।सक्रिय बच्चों और वयस्कों, और अस्थमा जैसे श्वास रोग वाले लोगों को लंबे समय तक आउटडोर क्रियाएं कम  करनी चाहिए। हर कोई, विशेष रूप से बच्चों को, लंबे समय तक आउटडोर परिश्रम सीमित करना चाहिए
301 – 400बहुत खराबइस केटेगरी की वायु गुणवत्ता से पूरी आबादी प्रभावित होने की अधिक संभावना है। लंबे समय तक ऐसा रहने पर लोगों को सांस की बीमारी हो सकती है।सक्रिय बच्चों और वयस्कों, और अस्थमा जैसी श्वसन रोग वाले लोगों को सभी बाहरी परिश्रम से बचना चाहिए; हर कोई, खासकर बच्चों को, बाहरी परिश्रम को सीमित करना चाहिए।
401 – 500गंभीरस्वास्थ्य चेतावनी: हर किसी को अधिक गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव का अनुभव हो सकता है। यह वायु प्रदूषण आपातकाल कहा जा सकता है स्वस्थ लोगों का भी श्वसन ख़राब हो सकता है. फेफड़े /हृदय रोग वाले लोगों का प्रभाव गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है. हर किसी को सभी बाहरी परिश्रम से बचना चाहिए।
Air Quality Index Table

अत: जैसे-2  वायु की गुणवत्ता ख़राब होती जाती है वैसे-2  रैंकिंग भी अच्छी से ख़राब और फिर गंभीर की श्रेणी में आती जाती है।

भारत के उत्तर-पश्चिमी भागों के प्रमुख शहरों में वायु प्रदूषण की समस्या को बदतर बनाने में मुख्य भूमिका वायु में मौजूद PM 2.5 और PM 10 कणों की होती है। जब इन कणों का स्तर वायु में बढ़ जाता है तो सांस लेने में दिक्कत, आँखों में जलन आदि होने लगती हैं और दिल्ली जैसे शहरों में तो हालात इतने ख़राब हैं कि हर सदस्य प्रतिदिन 21 सिगरेट के बराबर धुआं अपने अंदर समा लेता है।

क्या होते हैं, PM 2.5 और PM 10 कण

‘पर्टिकुलेट मैटर‘ (Particulate Matter) को संक्षिप्त रूप में PM कहा जाता है, जिसे कण प्रदूषण (Particle Pollution) भी कहा जाता है। वायु में उपस्थित 2.5 माइक्रोमीटर या इससे कम वाले कण PM2.5 और 10 माइक्रोमीटर या इससे कम वाले कण PM10 कहें जाते हैं। ये कण इतने छोटे होते हैं कि इनको नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता । इन्हें देखने के लिए हमें इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का उपयोग करना पड़ता है।

दिल्ली जैसे शहरों में वायु प्रदूषण को इतना खरतनाक बनाने में PM 2.5 और PM 10 कणों की मुख्य भूमिका है, जब इनका स्तर पर्यावरण में मौजूद हवा में बढ़ता है तो लोगों को सांस लेने में दिक्कत, आँखों में जलन जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

वायु प्रदूषण से बचाव हेतु मास्क का उपयोग करते हुए बच्चे

अक्टूबर और नवम्बर महीने में वायु प्रदूषण बढने के मुख्य कारण (Causes of Air Pollution in Delhi)

1. देश के उतर-पश्चिमी भागों में उच्च वायुदाब की स्थिति बनने से हवा के बहाव में कमी आना

2. दिवाली के शुभ अवसर पर अधिक मात्रा में पटाखे फोड़ना 

3. हरियाणा और पंजाब के किसानों द्वारा खेतों में बची धान की फसलों के अवशेष अर्थात् पराली जलना

4. प्रतिवर्ष परिवहन के साधनों  की संख्या में अत्यधिक वृद्धि होना 

वायु प्रदूषण रोकने या कम करने के उपाय (Measures to control Air Pollution)

वायु प्रदूषित भागों निम्न उपाय अपना कर प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सकता है 

  • CNG एवं इलेक्ट्रिक आधारित परिवहन के साधनों बढ़ावा देकर 
  • परिवहन के साधनों पर ओड -ईवन फॉर्मूला लागू करना, ताकि हररोज चले वाली गाडियों की संख्या को कम किया जा सके 
  • वृक्षों पर पानी का छिड़काव करके
  • निर्माण कार्यो पर समय विशेष के लिए  रोक लगाकर  
  • सार्वजनिक परिवहन को मजबूत बनाना, ताकि अधिक से अधिक लोग उनका उपयोग करने लगें 
  • कोयले से चलने वाली ताप बिजली परियोजनाओं को रोककर 
  • लोगों को वायु प्रदूषण के दुष्परिणामों से अवगत करके, इसको रोकने में उनकी भागीदारी बढाकर 

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