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नगर का प्रभाव क्षेत्र (Umland)

इस लेख में आप नगर का प्रभाव क्षेत्र (Umland) का अर्थ एवं इसके विभिन्न नामों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

प्रत्येक बस्ती, चाहे वह गाँव हो, कस्बा हो, नगर हो या महानगर, अपने आसपास के क्षेत्र की सेवा करती है। यह सेवा आर्थिक और सामाजिक कार्यों के माध्यम से होती है। बड़ी बस्तियों में इन कार्यों की संख्या और प्रभाव अधिक होता है, जबकि छोटी बस्तियों में यह कम होता है।

नगर या कस्बा ऐसी सेवाएँ प्रदान करता है, जिनका लाभ केवल नगरवासी ही नहीं, बल्कि उसके आसपास के क्षेत्र के लोग भी उठाते हैं। डिकिन्सन के अनुसार, “नगर का अस्तित्व उन सेवाओं और कार्यों पर निर्भर करता है, जो वह अपने समीपवर्ती क्षेत्र के लिए करता है।”

नगर और उसके समीपवर्ती क्षेत्र का संबंध

कोई भी नगर अलग-थलग नहीं रह सकता। वह भोजन, दूध, सब्जियाँ, फल, और अन्य आवश्यकताओं के लिए अपने आसपास के क्षेत्र पर निर्भर करता है। नगर व्यापार, उद्योग, और प्रशासनिक कार्यों के लिए भी आसपास के क्षेत्र पर निर्भर होता है।

नगर और उसके देहात क्षेत्र (Countryside) का गहरा संबंध होता है। नगर अपने आसपास के क्षेत्र को कई प्रकार की सेवाएँ प्रदान करता है और बदले में वहाँ से अपनी आवश्यक वस्तुएँ प्राप्त करता है। उदाहरण के लिए, नगर अपने क्षेत्र से अनाज, सब्जियाँ, और कच्चा माल प्राप्त करता है, जबकि बदले में तैयार माल और अन्य सेवाएँ प्रदान करता है।

Umland

नगर के प्रभाव क्षेत्र (Umland) का अर्थ

जितने देहात क्षेत्र से नगर का सम्बन्ध होता है उस क्षेत्र को नगर का ‘प्रभाव क्षेत्र’ (Umland) कहते हैं। हालांकि नगर अपने कुछ कार्यों द्वारा दूरवर्ती क्षेत्रों से भी सम्बन्ध रखता है, उदाहरण के तौर पर, नगर में उत्पादित माल का पूरे विश्व भी व्यापार हो सकता है। लेकिन इस कार्य के आधार पर नगर का प्रभाव क्षेत्र नहीं आँका जा सकता। 

नगर का प्रभाव क्षेत्र (Umland) वह क्षेत्र होता है, जो उसके चारों ओर सतत् रूप से फैला होता है। यह क्षेत्र नगर से सामाजिक दृष्टि से सम्बद्ध होता है, नगर भी उस पर निर्भर करता है। इस प्रकार यह प्रभाव क्षेत्र दो आकर्षण बिन्दुओं का मिश्रण है; एक तो नगर जो केन्द्र बिन्दु (focal point) के रूप में होता है; तथा दूसरा नगरीय प्रदेश, जो एक स्थानिक इकाई होता है, जिस पर नगर का प्रभाव विस्तृत होता है। यह दोनों बिन्दु स्थानिक सत्ता (spatial entity) बनाते हैं, जिसको ग्रन्थित प्रदेश (nodal region) का नाम भी दिया जाता है। 

नगर के प्रभाव क्षेत्र (Umland) को विद्वानों ने अलग-अलग कई नाम दिए हैं, जिनका जिक्र आगे किया जा रहा है।

नगर के प्रभाव क्षेत्र (Umland) के विभिन्न नाम और उनका अर्थ

ऊपर हम जान चुके हैं कि नगर का प्रभाव क्षेत्र (Umland) किसी भी नगरीय केंद्र के आसपास का वह क्षेत्र होता है, जो उस नगर की सेवाओं का उपयोग करता है और बदले में नगर को अपनी आवश्यक सेवाएँ, संसाधन या श्रम प्रदान करता है। इसे कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जिनमें प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:

  • अमलैण्ड (Umland)
  • नगर प्रदेश (City Region)
  • खिंचाव क्षेत्र (Catchment Area)
  • पृष्ठ-प्रदेश (Hinterland)
  • नगर-प्रभाव-क्षेत्र का घेरा (Sphere of Influence)
  • सहायक क्षेत्र (Tributary Area)
  • नगरीय क्षेत्र (Urban-Field)
  • ग्रन्थित प्रदेश (Nodal Region)
  • व्यापार क्षेत्र (Trade Area)
  • प्रभाव क्षेत्र (Influence Area)

(i) अमलैण्ड (Umland)

अमलैण्ड (Umland) शब्द जर्मन भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ “चारों ओर का क्षेत्र” होता है। इसका सबसे पहला उपयोग भूगोलवेत्ता आन्द्रे ऐलिक्स ने 1914 में किया। इसके बाद कई अन्य विद्वानों ने इस शब्द का उपयोग और परिभाषा में योगदान दिया, जैसे ह्विटलसी (1937), स्टेनले डौज (1939), क्लीफ (1943) और ग्रिफिथ टेलर (1949)

ग्रिफिथ टेलर के अनुसार, अमलैण्ड किसी नगर के चारों ओर का वह भाग है जो नगर के साथ सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक संबंधों से जुड़ा होता है। भारत में इस शब्द का पहला उपयोग डॉ. रामलोचन सिंह ने किया। उन्होंने इसे इस प्रकार परिभाषित किया:
“अमलैण्ड वह क्षेत्र है, जिसमें नगर और उसका आस-पास का क्षेत्र आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टि से एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि अमलैण्ड किसी नगर के आसपास का वह ग्रामीण क्षेत्र होता है, जो नगर को संसाधन और सेवाएँ प्रदान करता है। अन्य भारतीय विद्वानों में डॉ. लाल सिंह (1956), डॉ. उजागर सिंह (1961), डॉ. ए.बी. मुखर्जी (1962) और डॉ. आर.एल. द्विवेदी (1964) ने इस शब्द का उपयोग किया।

हालांकि, कुछ विद्वानों ने इस शब्द को विदेशी मानते हुए इसे नकारने का प्रयास किया। डॉ. उजागर सिंह ने इसे अनुचित माना और बताया कि जैसे अंग्रेजी में हिंटरलैण्ड (जो जर्मन भाषा से लिया गया है) को अपनाया गया है, उसी प्रकार अमलैण्ड को भी स्वीकार किया जा सकता है। यह शब्द नगर के प्रभाव क्षेत्र को सही और स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है।

(ii) नगर प्रदेश (City Region)

नगर प्रदेश  (City Region) शब्द का उपयोग सबसे पहले डिकिन्सन और हैरिस ने किया। यह शब्द नगर और उसके चारों ओर के क्षेत्र के स्थानिक और कार्यात्मक संबंधों को व्यक्त करता है। डिकिन्सन के अनुसार, नगर प्रदेश वह क्षेत्र है, जो नगरीय केंद्र के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव में आता है। यह क्षेत्र नगर द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं का उपभोक्ता होता है।

डॉ. पीटर हैगेट (1972) ने नगर प्रदेश की विस्तृत परिभाषा दी। उनके अनुसार, “नगर प्रदेश वह क्षेत्र है, जो नगर को चारों ओर से घेरता है और उससे स्थानिक संगठन के रूप में जुड़ा होता है। यह क्षेत्र सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का एक केंद्र होता है।”
भारत में इस शब्द का उपयोग हाल ही में कई भूगोलवेत्ताओं ने किया है। डॉ. ए.बी. चटर्जी ने इसे नगर और उसके आसपास के क्षेत्रों के बीच के गहन संबंधों को समझाने के लिए उपयुक्त माना। उनका मानना था कि नगर प्रदेश नगर की आर्थिक और सामाजिक सेवाओं का विस्तार करता है।

डॉ. एन.बी.के. रेड्डी के अनुसार, “हर नगर एक वृहद् प्रदेश का हृदय होता है। यह प्रदेश नगर से सेवाएँ प्राप्त करता है और नगर पर निर्भर रहता है।” डॉ. पी.डी. महादेव और डॉ. डी.सी. जयाशंकर ने भी इस शब्द को नगरीय बस्तियों के प्रभाव क्षेत्र को परिभाषित करने के लिए उपयुक्त माना।

(iii) नगरीय क्षेत्र (Urban-Field)

नगरीय क्षेत्र (Urban-Field) शब्द का सबसे पहला उपयोग डॉ. स्मेल्स ने किया। उनका मानना था कि यह शब्द नगर के प्रभाव क्षेत्र को स्पष्ट रूप से दर्शाने के लिए उपयुक्त है, क्योंकि अमलैण्ड विदेशी शब्द होने के कारण आकर्षक नहीं लगता।

भारत में इस शब्द का उपयोग डॉ. प्रकाश राव और डॉ. ए.आर. तिवारी ने किया। उनके अनुसार, नगरीय क्षेत्र वह क्षेत्र है, जो नगर के चारों ओर फैला होता है और नगर की सेवाओं और प्रभाव का हिस्सा बनता है। यह शब्द सरल और समझने में आसान है।

(iv) पृष्ठ-प्रदेश (Hinterland)

पृष्ठ-प्रदेश एक यूरोपीय शब्द है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से बंदरगाह नगरों के लिए किया गया। यह उन क्षेत्रों को दर्शाता है, जहाँ से बंदरगाह नगर माल मंगाते या एकत्र करते हैं। यह शब्द बाद में अन्य नगरों के प्रभाव क्षेत्र को परिभाषित करने के लिए भी उपयोग में लिया गया।

डॉ. एफ.एच. ग्रीन ने अपने लेखों में नगरीय पृष्ठ-प्रदेश शब्द का उपयोग किया। उन्होंने इसे नगर और उसके आसपास के क्षेत्रों के बीच के व्यापारिक और सामाजिक संबंधों का प्रतीक माना। भारत में डॉ. शाह मंज़ूर आलम (1965) ने पृष्ठ-प्रदेश और महानगरीय प्रदेश शब्दों का उपयोग किया। उनके अनुसार, पृष्ठ-प्रदेश वह क्षेत्र है, जो नगरीय केंद्र के प्रभाव में आता है और उससे आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से जुड़ा रहता है।

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