नगरों में उद्योग-धंधों, व्यापार और अन्य कार्यों के साथ-साथ आवास की समस्या भी बढ़ती जा रही है। लेकिन जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में आवास की सुविधाएँ बहुत कम बढ़ी हैं। इसी कारण, दुनियाभर के नगरों में गन्दी बस्तियों (Slum) का विस्तार तेजी से हो रहा है।
गन्दी बस्ती (Slum) का अर्थ एवं परिभाषाएं
- गन्दी बस्ती (Slum) गंदे, घने और अंधकारयुक्त क्षेत्र को कहते हैं।
- यह ऐसे मकानों का समूह होता है जो मानव के रहने योग्य नहीं होते। इनमें स्वच्छ हवा, सूर्य का प्रकाश और सड़क जैसी सुविधाएँ नहीं होतीं। गंदगी, कीड़े-मकोड़े और मक्खियाँ चारों ओर फैली रहती हैं।
आवास विशेषज्ञ ऐन्डर्सन और ईश्वरन के अनुसार, “गन्दी बस्ती (Slum) वह स्थान है, जहाँ गरीब लोग बेहद खराब मकानों में रहते हैं। इन क्षेत्रों में स्वच्छ पानी, सड़क, नालियाँ और सुरक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं होतीं।”
गन्दी बस्ती (Slum) एक ऐसा जटिल घिनावना रिहाइशी क्षेत्र है, जहाँ पर घटिया आवासों में निर्धन व्यक्ति निवास करते हैं। इनका विकास नगरीय क्षेत्र में ऐसे स्थलों पर होता है जो आर्थिक, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक व राजनीतिक दृष्टि से पिछड़े होते हैं।
एस० नांगिया एवं एस० थोराट के अनुसार, “गन्दी बस्ती (Slum) नगर के उस भाग का नाम है, जो मानव बसाव के अयोग्य होती है। यहाँ मकानों की संरचना या तो पुरानी जीर्णोवस्था अथवा मरम्मत न हो सकने वाले पास-पास सटे हुये मिलती है, अथवा फिर यहाँ स्वच्छता का अभाव होता है, जिनमें शुद्ध वायु संचालन, नालियों का अभाव, जल आपूर्ति का अभाव मिलता है। यह बसाव स्थान भी अस्वास्थ्यप्रद स्थानों पर विस्तार रखते हैं। “
स्वतंत्रता के बाद हमारे देश में नगरीय जनसंख्या तेजी से बढ़ी। कई गाँव कस्बों और नगरों में बदल गए। नगरीय जीवन महंगा होने लगा, और लोगों के अनुसार रिहाइशी मकानों की कमी बढ़ती गई। साथ ही, नगरों में मजदूरी, मरम्मत, रिक्शा चलाने और घरेलू कार्यों के लिए कामगारों की माँग बढ़ी। इन सभी कारणों से गन्दी बस्तियों, खासकर नई गन्दी बस्तियों का विकास और विस्तार हुआ।
गन्दी बस्तियों (Slum) के प्रकार
- बाहरी क्षेत्रों की गन्दी बस्तियाँ
ये बस्तियाँ बड़े नगरों के बाहरी इलाकों में बनती हैं। इनमें झोपड़ियों और कच्चे मकानों का समूह होता है। यहाँ रहने वाले लोग सुबह काम करने के लिए शहर के अंदर जाते हैं और शाम को अपनी बस्ती में लौट आते हैं। - केन्द्रीय क्षेत्रों की गन्दी बस्तियाँ
ये बस्तियाँ नगरों के अंदरूनी या मध्य भागों में होती हैं। शुरू में ये गन्दी बस्तियाँ नहीं थीं, लेकिन औद्योगिक विकास के कारण इन क्षेत्रों में रहने वाले मध्यम वर्ग के लोग अन्य स्थानों पर चले गए। धीरे-धीरे ये मकान जर्जर हो गए और गन्दी बस्तियों में बदल गए।
गन्दी बस्तियों (Slums) की विशेषताएँ
(1) मानव के रहने के अनुपयुक्त मकानों की संख्या अधिक होती है।
(2) अपराध, रोग, अनाचार आदि बहुत बढ़ जाते हैं।
(3) स्वास्थ्य व सुरक्षा की कमी होती है।
(4) मृत्यु-दर विशेष रूप से बच्चों की अधिक होती है।
(5) व्यक्तिगत जीवन का अभाव होता है। एक कमरे में 10-12 व्यक्ति सोते व रहते
(6) निरक्षर लोगों का ही वहाँ जमाव मिलता है।
(7) मकानों के अन्दर व बाहर फैला गन्दा पानी दुर्गन्ध व कीड़े-मकोड़ों को जन्म देता
(8) यहाँ पर गरीबी तथा ऊँची जन्म-दर देखने को मिलती है।
(9) इनके पुनर्निर्माण की कोई गुंजाइश नहीं होती है।
(10) एक कमरे में एक परिवार रहता है जिसमें एक ही प्रवेश द्वार होता है।
(11) मकान प्रायः मिट्टी या टूटी-फूटी ईटों से बने होते हैं और छत खपरैल या टीन की होती है।
काऊपर ने कहा है कि भगवान ने देश बनाया और इंसान ने नगर। लेकिन गन्दी बस्तियों का निर्माण उन लोगों ने किया है जो समाज-विरोधी और स्वार्थी होते हैं। ये लोग लालच, शक्ति और संपत्ति के भूखे होते हैं और नागरिक सुविधाओं के महत्व को नहीं समझते।
गन्दी बस्तियों (Slums) की स्थिति
बड़े-बड़े नगरों में गन्दी बस्तियाँ (Slums) आमतौर पर इन जगहों पर पाई जाती हैं:
- नगर के बीच के क्षेत्रों में।
- उद्योगों और कारखानों के आसपास।
- नगर के बाहरी इलाकों में।
- रेलवे लाइनों के किनारे खाली पड़ी जमीन पर।
- सार्वजनिक खाली भूमि के क्षेत्रों में।
गन्दी बस्तियों (Slums) के बनने के कारण
- औद्योगिक विकास का अभाव: जब नगर के किसी क्षेत्र में उद्योग बिना योजना के विकसित होते हैं, तो आवास की समस्या पैदा होती है। लोग कारखानों के पास रहने के लिए मजबूर हो जाते हैं, जिससे गन्दी बस्तियाँ बनती हैं।
- आवास की कमी: प्रत्येक व्यक्ति अपने काम के नजदीक रहना चाहता है। लेकिन जब मकानों की कमी होती है, तो लोग छोटे और अस्वास्थ्यकर स्थानों में रहने लगते हैं।
- जीवन-यापन का खर्च: बड़े नगरों में रहना महंगा होता है। गरीब और निम्न वर्ग के लोग सस्ते मकानों की तलाश में गन्दी बस्तियों में बस जाते हैं।
- जनसंख्या वृद्धि: बड़े नगरों में बाहर से आकर बसने वाले लोगों की संख्या अधिक होती है। इससे मकानों की माँग बढ़ जाती है और गन्दी बस्तियाँ बनने लगती हैं।
अन्य कारण
- ग्रामीण इलाकों से शहरों की ओर पलायन।
- नगरों में जनसंख्या का प्राकृतिक रूप से बढ़ना।
- प्राकृतिक आपदाएँ, जैसे बाढ़ या भूकंप।
- सामाजिक जागरूकता की कमी।
- बेहतर जीवनशैली के प्रति लापरवाही।
- आर्थिक स्थिति कमजोर होना और जमीन-मकानों की कीमत का महँगा होना।
गन्दी बस्तियों (Slums) का निर्माण अस्वास्थ्यकर और अव्यवस्थित जीवन का प्रतीक है। इन्हें रोकने के लिए बेहतर योजनाएँ और जन-जागरूकता की जरूरत है।