Search
Close this search box.
Search
Close this search box.

Share

निकटवर्ती पड़ोसी विश्लेषण विधि (Nearest Neighbor Analysis)

Estimated reading time: 6 minutes

हम जानते हैं कि भूगोल दूरी से सम्बन्धित विषय है। बस्तियों अथवा सेवा केन्द्रों के बीच दूरी अथवा अन्तरालन उनके आकार और कार्यों पर निर्भर करता है। प्राय: यह देखने में आता है कि बड़े आकार के सेवा केन्द्र अधिक दूरी पर स्थित होते हैं, तथा छोटे आकार के सेवा केन्द्र पास-पास स्थित होते हैं।  बड़े आकार का सेवा केन्द्र चूँकि अनेक प्रकार के कार्यों के जमाव को प्रेरित करता है, इसलिए यह छोटे आकार के सेवा केन्द्रों की अपेक्षा उपभोक्ताओं के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र बन जाता है। केन्द्रों के आकार व उनकी संख्या में बराबर परिवर्तन होते रहते हैं, जिसका प्रभाव उनके बीच की दूरी पर भी पड़ता है।

क्या होते हैं, सेवा केन्द्र (Service Center) 
सेवा केन्द्र (Service Center) वें स्थानीय इकाइयाँ हैं, जिनके द्वारा अधिकांश सेवाएँ एवं सुविधाएँ प्रमुखतः एक निश्चित क्षेत्र के लोगों को प्रदान की जाती हैं। यह सेवा केन्द्र अपने इस निश्चित क्षेत्र में केन्द्रीय सुविधाजनक स्थिति में होते हैं तथा उससे परिवहन मार्गों द्वारा जुड़े होते हैं। यह केन्द्र वास्तव में अपने चारों ओर फैले निर्भर सीमावर्ती क्षेत्र के लिए आकर्षण केन्द्र (focus) के रूप में होते हैं।
सेवा केन्द्र (Service Center)

विभिन्न भूगोलवेत्ताओं द्वारा समय-समय पर सेवा केन्द्रों के आकार एवं उनके बीच दूरी अथवा अन्तरालन (spacing) का अध्ययन किया जाता रहा है। उदाहरण के लिए 1933 में क्रिस्टालर ने बताया कि सेवा केन्द्रों के बीच की दूरी प्रमुख रूप से उनके जनसंख्या आकार पर निर्भर करती है। इसी प्रकार 1946 में कोल्ब व ब्रूनर, 1954 में लॉश, 1955 में क्लार्क व इवान्स, 1960 में वाल्टर इजार्ड, 1966 में पी० हैगेट, 1968 में वेणु गोपाल, 1975 में ए० स्मिथ, 1979 में आर० बी० मण्डल ने इस विषय पर अत्यन्त महत्त्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए हैं।

प्रस्तुत लेख में हम सेवा केन्द्रों के बीच के दूरी अथवा अन्तरालन को मापने वाली निकटवर्ती पड़ोसी विश्लेषण विधि (Nearest Neighbor Analysis) चर्चा करेंगे। 

Also Read  नगरों के वर्गीकरण की शुद्ध सांख्यिकीय विधियां (Pure Statistical Method of Towns’ Classification)

निकटवर्ती पड़ोसी विश्लेषण विधि (Nearest Neighbor Analysis)

सेवा केन्द्रों के बीच समान दूरी होना या कहें सम वितरण विश्व के किसी भी भाग में मिलना असम्भव है। यह वितरण न तो समरूप होता है और न ही सुनिश्चित अनियत प्रारूप (Random pattern) वाला होता है। इसलिए समरूपीय वितरण एक सैद्धान्तिक विचार तो हो सकता है लेकिन एक भौगोलिक वास्तविकता नहीं। किसी प्रदेश या क्षेत्र में स्थित विभिन्न सेवा केन्द्रों के बीच समरूपीय वितरण तभी सम्भव है, जबकि उस प्रदेश में भौतिक दशाओं में समरूपता हो। ऐसी सम्भावना प्रायः दुष्प्राप्य है।

निकटवर्ती पड़ोसी विश्लेषण विधि (Nearest Neighbor Analysis) में सेवा केन्द्रों की प्रकीर्णन या फैलाव  (dispersion) एवं संकेन्द्रण या जमाव (concentration) की अवस्था को मापने के लिए उनके जनसंख्या आकार, वितरण और प्रारूप विश्लेषण को ध्यान में रखा गया है। क्लार्क और इन्वास के अनुसार, यह विधि किसी भी क्षेत्र में अनियत दशा से सेवा केन्द्रों के बीच पारस्परिक दूरी अथवा अन्तरालन के विचलन दशा (deviation) को बताने में अत्यन्त सहायक है। 

यह विधि अवलोकित अन्तरालन (Observed spacing) और अपेक्षित अन्तरालन (Expected spacing) के बीच के सम्बन्धों की व्याख्या करती है। जहां एक ओर अपेक्षित अन्तरालन एक अनियत् प्रतिदर्श (Random pattern) की गहनता की जानकारी देती है। वहीं दूसरी ओर अवलोकित अन्तरालन (Observed spacing)सभी बिन्दुओं या स्थानों के बीच की औसत दूरी को बताती है। इसमें बिन्दुओं को उनके समीप के बिन्दु से परस्पर एक रेखा द्वारा जोड़कर औसत दूरी को ज्ञात किया जा सकता है।

इस प्रकार देखा जाए तो निकटवर्ती पड़ोसी विश्लेषण विधि (Nearest Neighbor Analysis) वास्तव में सेवा केन्द्रों के बीच विचलन की गहनता तथा उनके क्षेत्रीय प्रारूप को निर्धारित करती है। 

विधि (Method)

सेवा केन्द्रों के वितरण की सैद्धान्तिक विचारधारा को उनके बीच पारस्परिक दूरी अथवा अन्तरालन के मापन द्वारा अच्छी तरह से व्यक्त किया जा सकता है। यह सैद्धान्तिक अन्तरालन प्रति इकाई क्षेत्रफल में केन्द्रों के घनत्व पर निर्भर करती है। प्रति इकाई क्षेत्र (Per unit area) की गणना N / A के सूत्र पर निर्भर करती है। जहां  A का तात्पर्य प्रदेश के क्षेत्रफल से है, तथा N का तात्पर्य उस प्रदेश में स्थित कुल सेवा केन्द्रों से है। 

Also Read  नगरों के वर्गीकरण की आनुभविक व सांख्यिकीय विधि (Empirical-cum-Statistical Method of Towns’ Classification)

निकटवर्ती पड़ोसी विश्लेषण विधि (Nearest Neighbor Analysis) की विचारधारा सेवा केन्द्रों के स्थानिक वितरण को मापने का प्रयास करती है, जो दो निकटवर्ती सेवा केन्द्रों के बीच एक सीधी रेखीय दूरी के माप पर निर्भर करती है। यह माप वास्तविक दूरी (Actual distance) अथवा वास्तविक अन्तरालन (Actual spacing) कहलाता है। दो निकटवर्ती सेवा केन्द्रों के बीच की वास्तविक दूरी को r कहा जाता है और जब उस क्षेत्र में स्थित सभी सेवा केन्द्रों के बीच परस्पर निकटतम दूरी को ध्यान में रखकर जोड़ दिया जाता है, तो ऐसी रेखीय दूरियों का कुल योग ∑r अथवा ∑NND कहलाता है। 

इस सम्पूर्ण दूरी को, बस्तियों की कुल संख्या से विभाजित कर दिया जाता है। इस गणना से बस्तियों की औसत अवलोकित दूरी (अन्तरालन) का पता लगता है।

इसको सूत्र द्वारा निम्न तरह से व्यक्त किया जा सकता है- 

ro =  ∑r / N

जहां,

ro = अवलोकित दूरी (Observed spacing)

Er = रेखीय दूरियों का योग (Sum of linear distances)

N = बस्तियों की कुल संख्या (Number of settlements) 

अवलोकित दूरी (Observed spacing) की माप सेवा केन्द्रों के अनियतता की दशा निर्धारण में काम आती है। जब केन्द्र अनियत प्रारूप (random pattern) में वितरित होते हैं, तब इनकी दूरी की तुलना अपेक्षित अन्तरालन (Expected spacing) से की जाती है। इसको re कहा जाता है। इसकी गणना निम्न सूत्र द्वारा की जाती है-

re = 1 / 2√P

P की गणना N/Aसूत्र द्वारा की जाती है। A का तात्पर्य कुल क्षेत्रफल से है, जिसमें वह सेवा केन्द्र स्थित है, तथा N केन्द्रों की संख्या से सम्बन्धित है। 

इसी प्रकार ‘R’ शब्द भी एक मापक है। यह अनियतता से विचलन की मात्रा की दो दशाओं का बोध कराता है : 

  • एक वितरण का समरूपता की ओर झुकाव, 
  • दूसरा समूहन की ओर झुकाव

‘R’ का सांख्यिकीय मान सदा 0 से 2.1491 के अन्तराल में ही घटता-बढ़ता है। यह सेवा केन्द्रों के समरूपीय वितरण प्रारूप में झुकाव की प्रवृत्ति को बताता है। शून्य से 0-60 तक का मान समूहन, 0.60 से 1.10 तक का मान अनियत तथा 1.10 से अधिक का मान समरूपीय वितरण को दिखाता है। विभिन्न अनियत मानों में सेवा केन्द्रों के बिखराव की प्रकृति को स्पष्ट रूप से समझने के लिए उन्हें निम्न वर्गों में रखा जा सकता है-

Also Read  नगरीकरण की ऐतिहासिक अवस्थाएँ (Historical Stages of Urbanization)
‘R’ का मान बिखराव की प्रवृति
0.01 से 0.30समूहन (Clustered)
0.31से 0.60अर्द्ध-समूहन (Semi-Clustered)
0.61 से 0.90अनियतता की ओर (Towards Random)
0.91 से 1.10अनियत (Random)
1.11 से 1.40अल्पतम समरूपीय (Least Uniform)
1.41 से 1.70अल्प समरूपीय (Low Uniform)
1.71 से 2.00संयत समरूपीय (Moderate Uniform)
2.00 से अधिकसमरूपीय (Uniform)
सेवा केन्द्रों के बिखराव की प्रवृति

You Might Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Category

Realated Articles

Category

Realated Articles