इस लेख में आप उपवन नगर (Garden City) का अर्थ, विकास एवं इसकी विशेषताओं के बारे में विस्तार से जानेंगे।

उपवन नगर (Garden City) का अर्थ एवं विकास
उन्नीसवीं शताब्दी में यूरोप की औद्योगिक क्रांति ने ब्रिटेन के ढांचे को पूरी तरह बदल दिया। कारखाने बड़े नगरों या रेलवे स्टेशनों के पास स्थापित होने लगे। इससे मानचेस्टर, लिवरपूल, बर्मिंघम और लंदन जैसे बड़े नगरों के आस-पास के ग्रामीण क्षेत्र खाली हो गए। इन नगरों के भीतर गंदी बस्तियों का निर्माण होने लगा।
1898 में एबेनेजर हॉवर्ड (Ebenezer Howard) ने इस समस्या का हल सुझाया और नए नगरों की स्थापना पर जोर दिया। उन्होंने उपवन नगर (Garden City) का विचार प्रस्तुत किया, जिसमें स्वच्छ, स्वस्थ और सुंदर वातावरण हो। उनका कहना था कि ऐसे नगरों का आकार ऐसा होना चाहिए, जिसमें सभी लोग आराम से रह सकें। यह नगर चारों ओर से ग्रामीण क्षेत्रों से घिरा हो और सारी भूमि सार्वजनिक या ट्रस्ट के अधिकार में हो।
उपवन नगर (Garden City) के मुख्य सिद्धांत
एबेनेजर ने औद्योगिक नगरों से गंदी बस्तियों को साफ करने और उद्योगों के विकेंद्रीकरण पर जोर दिया। उनके अनुसार, उपवन नगर (Garden City) कृषि क्षेत्र में स्थापित होना चाहिए। एक नगर की 3,000 की आबादी के लिए लगभग 2,000 हेक्टेयर भूमि आवश्यक होनी चाहिए। नगर पूरी तरह आत्मनिर्भर होना चाहिए और सभी आवश्यक वस्तुएं वहीं पर उत्पादित और वितरित होनी चाहिए।
हरी पेटी (Green Belt)
उपवन नगर (Garden City) के चारों ओर एक “हरी पेटी” होनी चाहिए, जो नगर के भविष्य के विकास को नियंत्रित करे। नगर का क्षेत्र खुले स्थानों और रिहायशी प्लॉटों में बंटा होना चाहिए।
सुविधाओं का समावेश
इस नगर में ग्रामीण और नगरीय जीवन दोनों का आनंद मिलना चाहिए। इसके लिए स्कूल, थियेटर, सामाजिक एवं मनोरंजन केंद्र, अस्पताल, दुकानें, खेल के मैदान, छोटे उद्योग और हरित उपवन जैसी सुविधाएं होनी चाहिए। समाज के हर वर्ग के लिए आवास की व्यवस्था की जानी चाहिए।
इस तरह, एबेनेजर हॉवर्ड द्वारा प्रस्तुत उपवन नगर (Garden City) का विचार एक आदर्श और नियोजित नगर की नींव है।