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नगरों के बसने के कारण (Factors of Habitat of Town)

नगरों के बसने के पीछे कई कारण (Factors of Habitat of Town) होते हैं। इन्हें समझने के लिए हमें इन कारकों का अध्ययन करना जरूरी है। मुख्य तत्व इस प्रकार हैं—

नाभियता (Nodality)

नाभियता का मतलब किसी स्थान की केंद्रीयता से है, यानी वहाँ कितने परिवहन मार्ग आकर मिलते हैं और यातायात कितना होता है। आमतौर पर नगर ऐसे स्थानों पर बसते हैं जहाँ कई रास्ते आकर जुड़ते हैं या फिर नगर बनने के बाद वहाँ रास्तों का विस्तार किया जाता है।

उदाहरण: केपटाउन, मेलबोर्न, ब्यूनस आयर्स और रियो डी जेनेरो।

कुछ नगरों की स्थिति इतनी महत्वपूर्ण होती है कि वे उजड़ने के बाद भी बार-बार बसते हैं। दिल्ली इसका उदाहरण है, जो अब तक 17 बार उजड़कर फिर से बस चुका है। इसके दक्षिण-पश्चिम में अरावली पहाड़ियाँ हैं और पूर्व में यमुना नदी बहती है। यह स्थान पंजाब और अन्य हिस्सों से आने वाले यात्रियों के लिए एक प्रमुख द्वार जैसा काम करता है। इसी मार्ग पर प्रसिद्ध ग्रैंड ट्रंक रोड भी स्थित है, जो राजस्थान और अन्य क्षेत्रों को जोड़ती है।

कोलकाता एक ऐसा नगर है जिसका स्थान अधिक उपयुक्त नहीं था, फिर भी यह देश का दूसरा सबसे बड़ा नगर और प्रमुख बंदरगाह बन गया।

कोलकाता की स्थिति और विकास

  • यह समुद्र तल से अधिक ऊँचा नहीं है, जिससे बारिश का पानी इकट्ठा हो जाता है।
  • यहाँ का बंदरगाह कृत्रिम है और हुगली नदी में मिट्टी जमती रहती है, जिसे हटाने में भारी खर्च होता है।
  • बड़े जहाजों के रुकने में कठिनाई होती है।
  • पहले यहाँ दलदली भूमि, खराब जल निकासी और मलेरिया जैसी समस्याएँ थीं।

फिर भी कोलकाता बड़ा नगर बना क्योंकि—

  • हुगली नदी के कारण यह जूट उत्पादक क्षेत्रों से जुड़ा है।
  • पास ही दामोदर घाटी से कोयला मिलता है।
  • ब्रह्मपुत्र घाटी और छोटा नागपुर पठार के संसाधन पास में हैं।
  • यहाँ बड़ा बाजार और घनी आबादी वाला क्षेत्र है।

यही कारण है कि अपनी प्रारंभिक समस्याओं के बावजूद, कोलकाता एक महानगर बन सका।

सुरक्षा (Defence)

किसी भी नगर को बसाने में उसकी सुरक्षा सबसे जरूरी होती है। प्राचीनकाल से अब तक, नगरों की स्थापना में सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा गया है। पुराने नगर अधिकतर किलों के आसपास बने थे और उनकी सुरक्षा के लिए चारों ओर दीवार बनाई जाती थी। ऐसे नगरों के नाम अक्सर “बुर्ग” या “चेस्टर” (Burgh or Chester) जैसे शब्दों पर रखे जाते थे, जिनका मतलब नौसैनिक दुर्ग या सैन्य स्थल होता था।

सुरक्षा के लिहाज से पहाड़ी क्षेत्रों और नदियों के किनारे नगर बसाने के लिए सही माने जाते थे। पहाड़ की चोटी को सबसे सुरक्षित स्थान माना जाता था, जिसे “मजबूत बसाव-स्थान” (Acropolis site) कहा जाता था। पहाड़ी क्षेत्रों में सीधी चढ़ाई होने के कारण दुश्मनों के लिए हमला करना मुश्किल होता था। इसलिए पुराने समय में अधिकतर किले ऐसे ऊँचे और ढलान वाले पहाड़ों पर बनाए जाते थे। उदाहरण के लिए, एथेन्स (यूनान), मेड्रिड (स्पेन), एडिनबर्ग (स्कॉटलैंड) और भारत में चित्तौड़, आमेर, ग्वालियर जैसे नगर पहाड़ियों पर स्थित किलों में बसे थे।

नदियों के किनारे भी नगर बसाने के लिए सुरक्षित माने जाते थे। भारत में गंगा नदी का पश्चिमी तट उत्तर प्रदेश तक एक सुरक्षित क्षेत्र माना जाता था, जहाँ हरिद्वार, गढ़मुक्तेश्वर और इलाहाबाद जैसे नगर बसाए गए। प्राचीनकाल में नदियाँ सुरक्षा कवच का काम करती थीं। जैसे दिल्ली के पूर्वी भाग में यमुना नदी एक खाई की तरह नगर की रक्षा करती थी। 

नदियों के मोड़ (meander loops) और संगम स्थलों (confluence forks) को भी सुरक्षित समझा जाता था, जैसे वाराणसी और मुंगेर गंगा नदी के मोड़ पर बसे हैं, जबकि दिल्ली और आगरा यमुना नदी के मोड़ पर स्थित हैं। इसी तरह, चेकोस्लोवाकिया की राजधानी प्राग वल्टावा नदी के मोड़ पर और अमेरिका के शुरुआती यूरोपीय बस्तियाँ नदियों के पूर्वी किनारे पर बसी थीं। इलाहाबाद (भारत), सेंट लुईस (अमेरिका) और मैनोस (ब्राजील) नदियों के संगम पर स्थित नगरों के उदाहरण हैं।

प्राचीनकाल में नगरों का उपयोग आस-पास के क्षेत्रों की सुरक्षा और आर्थिक गतिविधियों के लिए भी किया जाता था। इन नगरों में धन-संपत्ति सुरक्षित रहती थी और आसपास के क्षेत्रों की रक्षा भी होती थी। यही कारण है कि नगर उन्हीं स्थानों पर बसाए गए, जो हर तरह से सुरक्षित थे। 

किसी भी देश या राज्य की राजधानी उसके राजनीतिक महत्व को दर्शाती है। प्राचीनकाल से ही नगरों का विकास राजनीतिक आवश्यकताओं के अनुसार होता आया है। हालाँकि आज के समय में परमाणु हथियारों के कारण कोई स्थान पूरी तरह सुरक्षित नहीं रह गया, फिर भी कई नगर अपने ऐतिहासिक और रणनीतिक महत्व के कारण आज भी मौजूद हैं। उदाहरण के लिए, पेरिस, वाशिंगटन, बोन, मॉस्को, कैनबरा, बीजिंग और दिल्ली।

जल की प्रचुरता (पेयजल की उपलब्धता)

मनुष्य ने शुरू से ही ऐसे स्थानों पर बसने को प्राथमिकता दी, जहाँ खेती, उद्योग और पीने के लिए मीठा पानी आसानी से मिल सके। इसी कारण पुराने समय में शहरों को नदियों के किनारे बसाया गया। उदाहरण के लिए, हरिद्वार, मथुरा, वाराणसी, पाटलिपुत्र (पटना) जैसे शहर नदियों के किनारे बसे थे। पेरिस, मास्को, कानपुर, शिकागो और न्यूयॉर्क भी ऐसे ही उदाहरण हैं।

हालाँकि, आज के समय में जल की उपलब्धता इतनी बड़ी समस्या नहीं रह गई है। अब पानी को पाइपों के जरिए दूर-दराज के इलाकों तक पहुँचाया जाता है। उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया की कालमूर्ती और भारत की कोलार की सोने की खानों तक पानी 500 किलोमीटर दूर से लाया जाता है। इसके अलावा, भूमिगत जल का भी बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है, जिससे मेरठ, अलीगढ़ और सहारनपुर जैसे शहरों के विकास में मदद मिली है।

समतल भूमि एवं यातायात के साधन 

नगरों का विकास ऐसे स्थानों पर होता है जहाँ भविष्य में विस्तार के लिए पर्याप्त भूमि हो और आस-पास के क्षेत्रों से अच्छी तरह जुड़ाव हो। किसी भी नगर या व्यापारिक केंद्र के विकास के लिए सस्ते और आसान यातायात के साधन जरूरी होते हैं।

स्मेल्स के अनुसार, “नगर यातायात मार्गों के केंद्र होते हैं और उनका महत्व इस बात पर निर्भर करता है कि वे कितने प्रभावी रूप से जुड़ते हैं।” यह बात न केवल व्यापारिक नगरों, बल्कि अन्य सभी नगरों पर भी लागू होती है।

वाइडल डी ला ब्लाश ने कहा कि “नगर हमेशा मार्गों से जुड़े होते हैं और आमतौर पर वे उन्हीं स्थानों पर बसते हैं जहाँ मार्ग किसी प्राकृतिक बाधा से बाधित होता है या जहाँ यातायात के साधनों में बदलाव (break of bulk) आवश्यक होता है।”

आर्थर ई० स्मेल्स के अनुसार, “नगरों और कस्बों का बसाव उनकी स्थिति पर निर्भर करता है। यह न केवल भौगोलिक कारकों, बल्कि राजनीतिक कारणों से भी प्रभावित होता है, जो नगरों के कार्यक्षेत्र को निर्धारित करते हैं।”

कार्यात्मक आधार (Functional Base)

नगरों का निर्माण उन कार्यों के लिए होता है, जो वे आसपास के क्षेत्रों के लिए करते हैं। नगर का विकास अनुकूल बसाव परिस्थितियों के कारण होता है। नगर की स्थिति और गतिविधियाँ उसकी महत्ता तय करती हैं।

परिवहन नगरों का एक जरूरी कार्य भी है और उसे बढ़ावा देने का साधन भी। नगर और उसके आसपास के क्षेत्र के बीच व्यापार, उद्योग, प्रशासन और वाणिज्यिक कार्यों का बड़ा योगदान होता है। जिन नगरों की स्थिति अनुकूल होती है, वहाँ ज्यादा कार्य होते हैं, जिससे वे बड़े शहरों में बदल जाते हैं।

आज के समय में वे नगर तेजी से बढ़ रहे हैं, जहाँ अधिक कार्यों की उपलब्धता और उनकी विशेषता ऊँची होती है। किसी नगर में प्रशासनिक कार्यों की अधिकता भी उसे महत्वपूर्ण बना देती है। उदाहरण के लिए, चंडीगढ़ को राजधानी के रूप में विकसित किया गया, लेकिन वहाँ व्यापार, परिवहन और उद्योगों का भी तेजी से विकास हुआ, जिससे उसका महत्व बढ़ गया। दिल्ली भी ऐसा ही एक महानगर है।

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