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पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance)

Estimated reading time: 5 minutes

इस लेख में आप उत्तर-पश्चिम भारत के राज्यों विशेषकर जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश आदि में शीत ऋतु के दौरान आने वाले पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) की उत्पत्ति, विकास एवं प्रभावों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) का परिचय

उत्तर-पश्चिम भारत के राज्यों विशेषकर जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश आदि  में रहने वाले लोगों ने शीत ऋतु के दौरान जनवरी या फरवरी के महीने में किसी रात को अन्य रातों की अपेक्षा अधिक गर्मी महसूस जरूर की होगी। और साथ ही उस रात से अगले 24 से 48 घंटों के दौरान वर्षा या बौछार को आते हुए भी देखा होगा। आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है। सर्दियों की किसी रात को महसूस की जाने वाली गरमी  किस कारण होती है? इस लेख में हम इसका उत्तर जानने का प्रयास करेंगे।

सर्दियों की किसी रात को महसूस की जाने वाली गरमी या उसके अगले 24 से 48 घंटों के दौरान होने वाली वर्षा का कारण होता है, पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance)।

Western Disturbance
इसमे भूमध्यसागर के पास उत्पन होने वाले विक्षोभ के भारत में आने वाले मार्ग को दर्शाया गया है।

क्या होता है, पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance)?

भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department-IMD) के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात या सामान्य भाषा में तूफान होते हैं, जिनकी उत्पत्ति कैस्पियन या भूमध्य सागर में होती है तथा उत्तर-पश्चिम भारत में शीतकालीन वर्षा या कहें गैर मानसूनी वर्षा के लिए ज़िम्मेदार होते हैं।

विक्षोभ का अर्थ ही होता हा ‘विक्षुब्ध’ क्षेत्र या निम्न दबाव वाला क्षेत्र। इनकी उत्पत्ति तो भूमध्य सागर के पास मध्य अक्षांशों में होती है ,लेकिन ये विक्षोभ अत्यधिक ऊँचाई (क्षोभमंडल की सीमा के पास) पर पूर्व की ओर चलने वाली ‘पश्चिमी जेट धाराओं’ (Westerly Jet Streams) के साथ यात्रा करते हुए इराक, ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान के रास्ते हिमालय पर्वत के अवरोध के कारण भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग में रूक जाते हैं। और अचानक होने वाली वर्षा, बर्फबारी एवं कोहरे के लिए ज़िम्मेदार होते हैं। पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) अपने साथ जो नमी ले जाते हैं वह इनके उत्पत्ति स्थल भूमध्य सागर और/या अटलांटिक महासागर से आती है।

पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) के प्रभाव

क्योंकि पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) की उत्पत्ति उष्णकटिबंधीय क्षेत्र से बाहर होती है, इसलिए इनके साथ “बहिरूष्ण कटिबंधीय (extra tropical)” शब्द जुड़ा हुआ है। पश्चिमी विक्षोभ के कारण उत्तर-पश्चिम भारत में होने सर्दी और मानसून पूर्व वर्षा इस क्षेत्र में होने वाली रबी की फसल  (विशेषकर गेंहू और सरसों) के विकास में अति उपयोगी रहती है। लेकिन हमेशा ये पश्चिमी विक्षोभ अच्छे मौसम के अनुकूल हों ऐसा आवश्यक नहीं है।

क्योंकि कभी-कभी अधिक वर्षा होने से ये अचानक बाढ़, भूस्खलन का कारण भी बन जाते हैं (विशेषकर पहाड़ी राज्यों में)। पश्चिमी विक्षोभ ओलावृष्टि और शीत लहर जैसी चरम मौसम की घटनाओं का कारण बन सकते हैं, तथा लोगों की जान भी ले सकते हैं, बुनियादी ढांँचे को तहस नहस कर सकते हैं तथा लोगों की आजीविका को प्रभावित कर सकते हैं।

पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) के कारण मौसम में होने वाले कुछ बदलाव

मानव अपने कार्यो से लगातार पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है, जिसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर जलवायु में होने वाले बदलावों जैसे ग्लोबल वार्मिंग, ओज़ोन क्षरण, आदि के रूप में देखने को मील रहा है। पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) जैसे चरम मौसमी घटनाओं में भी सामयिक या क्षेत्रीय परिवर्तन होना अपेक्षित है।  पश्चिमी विक्षोभ के कारण उत्तर-पश्चिम भारत के मौसम में होने वाले कुछ बदलावों को उदाहरणों के माध्यम से देखते हैं: 

  • वर्ष 2021 में अक्तूबर के महीने में दिल्ली में पिछले 65 वर्षों में सबसे अधिक वर्षा देखी गई। सफदरजंग मौसम वेधशाला में सामान्य होने वाली बारिश 28 मिमी के मुकाबले पश्चिमी विक्षोभ के कारण 122.5 मिमी बारिश दर्ज की।
  • इसी प्रकार फरवरी 2022 में कई पश्चिमी विक्षोभ के आने के से आसमान में बादल छाए रहे जिसके कारण  तापमान में कमी दर्ज की गई। तापमान में यह कमी पिछले 19 वर्षों में सबसे कम थी।
  • वर्ष 2023 के जनवरी और फरवरी महीने में भी अधिक वर्षा मापी गई। 
  • सब के ठीक उल्ट नवंबर 2021 एवं मार्च 2022 में वर्षा नहीं हुई तथा गर्मियों में मार्च 2022 के अंत में गर्म लहरों के साथ असामान्य रूप से वर्षा की शुरुआत देखी गई।
  • मार्च 2022 में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ उत्तर पश्चिम भारत से दूर हो गया तथा बादल छाए रहने और वर्षा की कमी के कारण तापमान अधिक बना रहा।

आपको पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) की उत्पत्ति, विकास एवं प्रभावों के बारे में यह लेख कैसा लगा, अपने अनुभव को comment box में अवश्य साझा करें ताकि इसमें अपेक्षित सुधार किया जा सके!

MCQs on “पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance)”

नीचे पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) पर आधारित 10 MCQs दिए गए हैं, जो छात्रों की परीक्षा और सामान्य ज्ञान के लिए उपयोगी हो सकते हैं। उत्तर अंत में दिए गए हैं।


  1. पश्चिमी विक्षोभ की उत्पत्ति कहाँ होती है?
    (a) अटलांटिक महासागर
    (b) भूमध्य सागर
    (c) बंगाल की खाड़ी
    (d) अरब सागर
  2. पश्चिमी विक्षोभ किन धाराओं के साथ यात्रा करते हैं?
    (a) पूर्वी जेट धाराएँ
    (b) भूमध्य रेखीय धाराएँ
    (c) पश्चिमी जेट धाराएँ
    (d) समुद्री धाराएँ
  3. पश्चिमी विक्षोभ का भारत में मुख्य प्रभाव किस क्षेत्र पर होता है?
    (a) पूर्वोत्तर भारत
    (b) उत्तर-पश्चिम भारत
    (c) दक्षिणी भारत
    (d) मध्य भारत
  4. पश्चिमी विक्षोभ के कारण होने वाली वर्षा का मुख्य लाभ किस फसल को होता है?
    (a) धान
    (b) रबी फसलें (गेहूँ और सरसों)
    (c) गन्ना
    (d) मक्का
  5. पश्चिमी विक्षोभ का संबंध किस प्रकार के चक्रवात से है?
    (a) उष्णकटिबंधीय चक्रवात
    (b) बहिरूष्ण कटिबंधीय चक्रवात
    (c) महासागरीय चक्रवात
    (d) भूमध्य चक्रवात
  6. पश्चिमी विक्षोभ के साथ नमी का स्रोत क्या होता है?
    (a) बंगाल की खाड़ी
    (b) भूमध्य सागर और अटलांटिक महासागर
    (c) प्रशांत महासागर
    (d) कर्क रेखा
  7. भारत में पश्चिमी विक्षोभ के कारण सबसे अधिक प्रभाव किस मौसम में होता है?
    (a) ग्रीष्मकाल
    (b) शीतकाल
    (c) मानसून
    (d) बसंतकाल
  8. पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से निम्नलिखित में से कौन-सी स्थिति उत्पन्न हो सकती है?
    (a) गर्म लहर
    (b) ओलावृष्टि
    (c) सूखा
    (d) चक्रवात
  9. पश्चिमी विक्षोभ किन क्षेत्रों से होते हुए भारत में प्रवेश करते हैं?
    (a) चीन और म्यांमार
    (b) पाकिस्तान और अफगानिस्तान
    (c) नेपाल और भूटान
    (d) श्रीलंका और मालदीव
  10. वर्ष 2021 में पश्चिमी विक्षोभ के कारण किस शहर में सबसे अधिक वर्षा दर्ज की गई?
    (a) मुंबई
    (b) चेन्नई
    (c) दिल्ली
    (d) जयपुर

उत्तर:

  1. (b)
  2. (c)
  3. (b)
  4. (b)
  5. (b)
  6. (b)
  7. (b)
  8. (b)
  9. (b)
  10. (c)

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