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ताप कटिबन्ध (Temperature Zones)
सूर्य की किरणों के कोण, दिन-रात की सापेक्ष अवधि तथा वायुमण्डल द्वारा परावर्तित की जाने वाली ऊष्मा के परिमाण में अन्तर होने के कारण भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर सूर्यातप की मात्रा घटती जाती है। इसलिए तापमान उत्तरोत्तर घटता जाता है। इन्हीं तथ्यों से वाकिफ़ होकर प्राचीन यूनानी (Greek) विद्वानों ने पृथ्वी को अग्रलिखित तीन ताप कटिबन्धों में विभाजित किया था।
उष्ण कटिबन्ध (Torrid Zone)
यह कटिबन्ध कर्क रेखा (23½° उत्तरी अक्षांश) तथा मकर रेखा (23½° दक्षिणी अक्षांश) के बीच पाया जाता है। इस कटिबन्ध में सूर्य की किरणें सारा वर्ष लगभग लाम्बिक अथवा सीधी पड़ती हैं। इसी कारण यहाँ सारा वर्ष ऊँचे तापमान रहते हैं। सर्दी न पड़ने के कारण यह कटिबन्ध शीतविहीन उष्ण कटिबन्ध कहलाता है।
शीतोष्ण कटिबन्ध (Temperate Zone)
कर्क रेखा और उत्तरी ध्रुव वृत्त अथवा आर्कटिक वृत्त (66½° उत्तरी अक्षांश) तथा मकर रेखा और दक्षिणी ध्रुव वृत्त अथवा अंटार्कटिक वृत्त (66½° दक्षिणी अक्षांश) के बीच शीतोष्ण कटिबन्ध स्थित है। इस पेटी में सूर्य की किरणें न तो लाम्बिक पड़ती हैं और न ही तिरछी । अतः यहाँ न तो अधिक गर्मी पड़ती है और न ही अधिक सर्दी।
शीत कटिबन्ध (Frigid Zone)
आर्कटिक वृत्त से उत्तरी ध्रुव (90° उत्तरी अक्षांश) तथा अंटार्कटिक वृत्त से दक्षिणी ध्रुव (90° दक्षिणी अक्षांश) के बीच स्थित भू-भाग शीत कटिबन्ध कहलाते हैं। यहाँ सूर्य क्षितिज (Horizon) के ऊपर 23½° के कोण से ऊपर नहीं उठता। परिणामस्वरूप सूर्य की किरणें यहाँ सारा साल तिरछी पड़ती हैं। इससे यहाँ तापमान अत्यन्त कम होते हैं और ठण्ड अत्यधिक पड़ती है।