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द्वितीयक जनसंख्या आंकड़ों के स्रोत (Sources of Secondary Population Data)

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जो विद्यार्थी भूगोल विषय में B.A, M.A, UGC NET, UPSC, RPSC, KVS, NVS, DSSSB, HPSC, HTET, RTET, UPPCS, और BPSC जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए जनसंख्या से संबंधित द्वितीयक आंकड़ों के स्रोतों की समझ बहुत महत्वपूर्ण है। द्वितीयक आंकड़े पहले से उपलब्ध आंकड़ों या रिपोर्ट्स से प्राप्त होते हैं, जिनका प्रयोग शोध और अध्ययन में किया जाता है। इन आंकड़ों को प्रकाशित और अप्रकाशित स्रोतों से प्राप्त किया जा सकता है। इस लेख में हम द्वितीयक जनसंख्या आंकड़ों के प्रमुख स्रोतों की चर्चा करेंगे, जैसे जनगणना रिपोर्ट, पंजीयन अभिलेख, राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण, और अन्तर्राष्ट्रीय प्रकाशन, जो जनसंख्या भूगोल के अध्ययन में अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं। इस जानकारी से न केवल आपको परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने में मदद मिलेगी, बल्कि आपको विषय की गहरी समझ भी प्राप्त होगी।

जनसंख्या से संबंधित द्वितीयक आंकड़े प्रकाशित तथा अप्रकाशित दोनों प्रकार के स्रोतों से प्राप्त किए जा सकते हैं। अप्रकाशित आंकड़ों शोध प्रबंधों, शोधकर्ताओं, प्रोजेक्ट रिपोर्टों, कार्यालय अभिलेखों, व्यापार संघों के अभिलेखों आदि से प्राप्त किया जाता हैं। अप्रकाशित आंकड़ों की व्यक्तिगत जाँच तो की जाती है परंतु  इनकी जाँच से प्राप्त परिणामों को प्रकाशित नहीं किया जाता।

अतः इस प्रकार के आंकड़े प्रायः संस्था के सदस्यों द्वारा ही प्रयोग किये जाते हैं। जनसंख्या भूगोलवेत्ता के लिए अप्रकाशित आंकड़ों का महत्व कम होता है और वे अधिकांशतः प्रकाशित आंकड़ों का ही प्रयोग करते हैं किन्तु कभी-कभी प्रकाशित आंकड़ों के अभाव में अथवा उनकी जाँच के लिए अप्रकाशित आंकड़ों का भी प्रयोग किया जा सकता है। 

प्रकाशित जनसंख्या आंकड़ों के स्रोत

(1) केन्द्रीय, राज्य और स्थानीय सरकारों के प्रकाशनों (सरकारी प्रकाशनों) से 

(2) अन्तर्राष्ट्रीय प्रकाशनों से 

(3) निजी तथा व्यापारिक संगठनों के प्रकाशनों से  

(4) शोध प्रतिवेदनों (रिपोटों) से 

जनसंख्या भूगोलवेत्ता जनसंख्या के विविध लक्षणों से सम्बन्धित आंकड़े जिन स्रोतों से प्राप्त करता है, उनमें प्रमुख हैं :- 

(अ) जनगणना रिपोर्ट (Census Reports)

(ब) पंजीयन अभिलेख (Regional Records)

(स) राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (National Sample Survey)

(द) अन्तर्राष्ट्रीय प्रकाशन (International Publications)

द्वितीयक जनसंख्या आंकड़ों के प्रमुख स्रोत

Sources of Population Data
द्वितीयक जनसंख्या आंकड़ों के स्रोत

(अ) जनगणना रिपोर्ट (Census Reports)

किसी निश्चित समय पर किसी देश या प्रदेश की समस्त जनसंख्या की गिनती को जनगणना कहते हैं। 

क्लार्क के शब्दों में, “किसी समय विशेष पर किसी निश्चित क्षेत्र में बसे हुए समस्त व्यक्तियों से सम्बन्धित जनांकिकीय आंकड़ों के संग्रह, संकलन तथा प्रकाशन सम्बन्धी सम्पूर्ण प्रक्रिया को जनगणना कहते हैं।” 

संयुक्त राष्ट्र संघ (U.N.O.) की परिभाषा के अनुसार, “किसी देश अथवा देश के पूर्णतः सीमांकित किसी विशिष्ट समय पर सभी व्यक्तियों से सम्बन्धित जनांकिकीय, आर्थिक और सामाजिक आंकड़ों को एकत्रित करने, संकलित करने, मूल्यांकन करने, विश्लेषण करने और प्रकाशित करने की समस्त प्रक्रिया को जनगणना कहते हैं।” 

प्राचीन काल में भी यूनान, मिश्र, रोम, बेबीलोन, चीन, भारत आदि सभ्य देशों में कर को एकत्रित करने अथवा सेना में भर्ती के लिए जनसंख्या सम्बन्धी आंकड़ों का संग्रह एवं संकलन किया जाता था। लेकिन उस समय जनगणना का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना होता था कि देश में ऐसे कितने व्यक्ति हैं, जिनसे कर (Tax) लिया जा सकता था अथवा ऐसे कितने युवक हैं जिन्हें सेना में सम्मिलित किया जा सकता था। इसी कारण से इसमें बच्चों और स्त्रियों को शामिल नहीं किया जाता था।

आधुनिक प्रकार की जनगणना का आरम्भ 17वीं शताब्दी से माना जाता है। 17वीं शताब्दी में इटली के छोटे-छोटे राज्यों ने जनगणना कराई थी किन्तु राष्ट्रीय स्तर पर सम्भवतः प्रथम जनगणना 18वीं शताब्दी में स्वीडन (1749) द्वारा कराई गयी थी। संयुक्त राज्य अमेरिका में नियमित जनगणना का आरम्भ सन् 1790 से हुआ। ब्रिटेन और फ्रांस में नियमित जनगणना सन् 1801 से आरम्भ हुई। इन जनगणनाओं में वर्तमान समाज की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए जनगणना अनुसूची तथा प्रश्नावली का निर्माण किया जाने लगा, जिनमें जनसंख्या के विविध आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक लक्षणों को सम्मिलित किया गया।  

भारत को प्रथम जनगणना सन् 1872 में सम्पन्न हुई थी। उस समय भारत में ब्रिटिश सरकार की स्वीकृति से सन् 1865 से 1872 के मध्य जनगणना की गयी थी, किन्तु देश के अनेक दुर्गम भाग इसमें शामिल नहीं थे। इसमें न तो कोई एक निर्धारित समय बिन्दु था और न ही इसमें सम्पूर्ण देश को शामिल किया गया था। सन् 1881 में एक समान आधार पर समस्त देश के लिए एक नियत समय बिन्दु पर जनगणना सम्पन्न हुई थी। यही कारण है कि 1881 जनगणना को प्रथम पूर्ण जनगणना माना जाता है। 

इसके पश्चात् प्रति 10 वर्ष के अंतराल पर नियमित रूप से जनगणना होती है। भारत की अंतिम जनगणना 2011 में हुई है। इस प्रकार भारत में अब तक कुल 14 जनगणनाएँ हो चुकी हैं। भारतीय जनगणना में विविध प्रकार के जनसंख्या लक्षणों से सम्बन्धित आंकड़े एकत्रित किये जाते हैं जिनमें कुल जनसंख्या, आयु, लिंग, ग्रामीण और नगरीय, प्रमुख व्यवसाय (आर्थिक क्रिया), साक्षरता, प्रवास, अनुसूचित एवं अनुसूचित जनजाति, धर्म आदि के अनुसार जनसंख्या सम्बन्धी आँकड़े प्रमुख हैं।

(ब) पंजीयन अभिलेख (Registration Records) 

जनसंख्या भूगोल का विद्यार्थी जनगणना के अलावा पंजीयन संस्थाओं से भी द्वितीयक आंकड़े प्राप्त करता है। चीन, जापान, कोरिया आदि देशों में प्राचीन काल में भी पंजीयन (Registration) की प्रथा थी। मध्यकाल में कुछ यूरोपीय देशों जैसे फ्रांस और स्वीडन में जन्म, मृत्यु और विवाह का पंजीयन किया जाता था, किन्तु यह अनियमित होता था। 

इस प्रकार देखा जाए तो प्राचीन और मध्यकाल में भी विश्व के अनेक देशों में मृत्यु, विवाह, धर्म परिवर्तन आदि के सम्बन्ध में कुछ सूचनाएँ अंकित की जाती थीं। किन्तु आधुनिक पंजीयन का आरम्भ इंगलैण्ड और वेल्स में सन् 1836 में आरम्भ हुआ। स्काटलैण्ड में पंजीयन सन् 1854 से प्रारम्भ हुआ। इंगलैण्ड और वेल्स में सन् 1874 से जन्मों का पंजीकरण कराना अनिवार्य कर दिया गया। 

पंजीयन के अन्तर्गत विभिन्न जनांकिकीय घटनाओं यथा, जन्म, मृत्यु, विवाह, तलाक आदि को परिवार के सदस्यों द्वारा पंजीयन संस्था में दर्ज कराया जाता है। पंजीयन कराने का कोई निश्चित समय नहीं होता है, बल्कि घटना के घटित होने के पश्चात् इसे पंजीयन कार्यालय में (आजकल सरल केन्द्र के माध्यम से) दर्ज करा दिया जाता है। जैसे जन्म या मृत्यु होने के बाद पंजीयन कराना।

भारत में पंजीयन रजिस्टर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय मालगुजारी कार्यवाहक या सचिव (पंचायत) के पास और नगरीय क्षेत्रों में नगर पालिका के कार्यालय में होता है। पंजीयन अभिलेख मुख्यतः दो स्रोतों से प्राप्त किएजा सकते हैं। 

(1) जन्म-मृत्यु पंजीयन (Vital Registration) 

इसके अंतर्गत जन्म, मृत्यु, विवाह, तलाक, गोद लेना, प्रवास आदि जनांकिकी घटनाओं को पंजीयन कार्यालय में अंकित कराना होता है। इस कार्य का उत्तरदायित्व प्रायः परिवार के मुखिया या सदस्य का होता है। विश्व के अधिकांश सभ्य देशों में जन्म और मृत्यु के पंजीयन को अनिवार्य कर दिया गया है। 

(2) जनसंख्या रजिस्टर (Population Register)  

कुछ देशों में जनसंख्या रजिस्टर रखने की परम्परा है, जिसमें प्रत्येक देशवासी का नाम अंकित होता है। इसमें प्रवासी लोगों का भी अभिलेख रहता है। इन रजिस्टरों से देश की वर्तमान जनसंख्या, प्रवास तथा जीवन सम्बन्धी अन्य आंकड़े भी प्राप्त होते हैं। भारत में सर्वप्रथम जन्म-मृत्यु के पंजीयन का शुभारम्भ सन्  1844 में मद्रास में हुआ, किन्तु स्वतंत्रता प्राप्ति तक जीवन सम्बन्धी आंकड़ों को एकत्रित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर का कोई संगठन नहीं था।

देश में प्रथम बार सन् (1949) में महापंजीयक (Registrar General) के पद पर नियुक्ति की गयी और सन् 1968 में पंजीयन सम्बन्धी एक अधिनियम बनाया गया। इसके द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर जन्म, मृत्यु और विवाह के पंजीकरण को अनिवार्य बनाया गया, जिसमें पंजीकरण न कराये जाने पर दण्ड की भी व्यवस्था है। 

(स) राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (National Sample Survey) 

जनगणना तो सामान्यतः एक नियत समय अन्तराल (प्रायः 10 वर्ष) पर होती है। अतः जनगणना के बीच के  वर्षों के लिए सूचनाएँ एकत्रित करने के उद्देश्य से नमूना सर्वेक्षण कराते हैं। भारत सहित बहुत से ‘देशों में ‘राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण’ (National Sample Survey) नामक संस्थायें स्थापित की गयी हैं, जो प्रतिमाह, छमाही अथवा वार्षिक रूप से जनसंख्या सम्बन्धी आंकड़ों का संग्रह करती हैं और उन्हें प्रकाशित भी करती हैं।

जनसंख्या भूगोल के शोधकर्ता को राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण से उपयोगी आंकड़े प्राप्त होते हैं। समय-समय पर सरकारी तथा अर्द्ध-सरकारी संस्थाएँ नमूना सर्वेक्षण द्वारा आवश्यक आर्थिक, सामाजिक आंकड़े एकत्रित करती हैं जो अन्य समाज विज्ञानियों की भांति जनसंख्या भूगोलवेत्ता के लिए भी उपयोगी होते हैं। 

(द) अन्तर्राष्ट्रीय प्रकाशन (International Publications) 

संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) सहित कुछ अन्य अन्तर्राष्ट्रीय संगठन भी सम्पूर्ण विश्व तथा विभिन्न देशों के जनसंख्या सम्बन्धी आंकड़ों को समय-समय पर पत्र-पत्रिकाओं के रूप में प्रकाशित करते हैं। ये संगठन विभिन्न देशों से जनांकिकीय आकड़ों को एकत्रित करते हैं और उन्हें सूचीबद्ध करके प्रकाशित करते हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख प्रकाशन 

(क) जनांकिकीय वार्षिक पत्रिका (Demographic Year Book)

इस पत्रिका का प्रकाशन सन् 1948 से निरंतर प्रतिवर्ष हो रहा है। इसमें सम्पूर्ण विश्व और पृथक् देशों के जनसंख्या आंकड़े प्रकाशित होते हैं। यह पत्रिका जनसंख्या भूगोल के विद्यार्थियों तथा लेखकों के लिए अत्यंत उपयोगी है। इसमें जनसंख्या आकार, क्षेत्रफल, जनसंख्या घनत्व, वृद्धि, जन्मदर, मृत्युदर, विवाह संख्या एवं दर आदि को प्रकाशित किया जाता है। 

(ख) सांख्यिकीय वार्षिक पत्रिका (Statistical Year Book) 

संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रकाशित इस वार्षिक पत्रिका में विश्व के विभिन्न देशों में राष्ट्रीय आय, ऊर्जा उपभोग, खाद्यान्न उत्पादन, शैक्षिक सुविधा, श्रम शक्ति, चिकित्सा सुविधा आदि से सम्बन्धित आंकड़े प्रकाशित होते हैं। 

(ग) अन्य प्रकाशन (Other Publications)

संयुक्त राष्ट्र संघ के जनसंख्या सम्बन्धी अन्य प्रकाशनों में प्रमुख हैं 

(1) जनसंख्या और जन्म-मरण सांख्यिकी (Population and Vital-Statistics)

(2) महामारी तथा जन्म-मरण अभिलेख (Epidemiological and Vital Records)

(3) सांख्यिकी की मासिक पत्रिका (Monthly Bulletin of Statistics)

(4) जनसंख्या सांख्यिकी सार- संग्रह (Compendium of Population Statistics) आदि।

Test Your Knowledge with MCQs

प्रश्न 1: द्वितीयक आंकड़ों के प्रमुख स्रोतों में से कौन सा स्रोत अप्रकाशित आंकड़ों के लिए नहीं है?

a) शोध प्रबंध (Research Thesis)
b) सरकारी प्रकाशन (Government Publications)
c) कार्यालय अभिलेख (Office Records)
d) व्यापार संघों के अभिलेख (Trade Union Records)


प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन-सा जनसंख्या आंकड़ों का द्वितीयक स्रोत है?

a) प्रत्यक्ष सर्वेक्षण (Direct Survey)
b) जनगणना रिपोर्ट (Census Reports)
c) नमूना सर्वेक्षण (Sample Survey)
d) व्यक्तिगत साक्षात्कार (Personal Interviews)


प्रश्न 3: जनसंख्या रजिस्टर में किस प्रकार की जानकारी अंकित की जाती है?

a) केवल जन्म की जानकारी
b) केवल मृत्यु की जानकारी
c) सभी जनांकिकीय घटनाओं की जानकारी
d) केवल विवाह की जानकारी


प्रश्न 4: संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा कौन सी वार्षिक पत्रिका प्रकाशित की जाती है, जिसमें जनसंख्या आंकड़े प्रकाशित होते हैं?

a) सांख्यिकीय वार्षिक पत्रिका (Statistical Year Book)
b) जनांकिकीय वार्षिक पत्रिका (Demographic Year Book)
c) आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey)
d) जनसंख्या सर्वेक्षण (Population Survey)


प्रश्न 5: भारत में पहली बार पूर्ण जनगणना किस वर्ष की गई थी?

a) 1865
b) 1872
c) 1881
d) 1947


प्रश्न 6: राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (National Sample Survey) का मुख्य उद्देश्य क्या है?

a) जनगणना की जानकारी को अद्यतन करना
b) जनगणना के बीच के वर्षों में आंकड़े एकत्र करना
c) केवल आर्थिक आंकड़े एकत्र करना
d) केवल जनसंख्या वृद्धि का अध्ययन करना


प्रश्न 7: भारत में पंजीयन रजिस्टर ग्रामीण क्षेत्रों में कहाँ रखा जाता है?

a) ग्राम प्रधान के पास
b) स्थानीय मालगुजारी कार्यवाहक या सचिव के पास
c) तहसील कार्यालय में
d) जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय में


प्रश्न 8: द्वितीयक आंकड़ों का मुख्य लाभ क्या है?

a) सटीकता
b) समय और लागत की बचत
c) सीधे स्रोत से जानकारी प्राप्त करना
d) व्यक्तिगत संपर्क


प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन-सा अन्तर्राष्ट्रीय प्रकाशन जनसंख्या भूगोल के अध्ययन के लिए उपयोगी है?

a) विश्व बैंक की रिपोर्ट
b) संयुक्त राष्ट्र संघ की जनसंख्या सांख्यिकी सार-संग्रह (Compendium of Population Statistics)
c) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की रिपोर्ट
d) नाटो (NATO) की रिपोर्ट


प्रश्न 10: भारत में पंजीयन सम्बन्धी अधिनियम कब बनाया गया था?

a) 1947
b) 1949
c) 1968
d) 1984


उत्तर (Answers):

उत्तर 1: b) सरकारी प्रकाशन (Government Publications)
उत्तर 2: b) जनगणना रिपोर्ट (Census Reports)
उत्तर 3: c) सभी जनांकिकीय घटनाओं की जानकारी
उत्तर 4: b) जनांकिकीय वार्षिक पत्रिका (Demographic Year Book)
उत्तर 5: c) 1881
उत्तर 6: b) जनगणना के बीच के वर्षों में आंकड़े एकत्र करना
उत्तर 7: b) स्थानीय मालगुजारी कार्यवाहक या सचिव के पास
उत्तर 8: b) समय और लागत की बचत
उत्तर 9: b) संयुक्त राष्ट्र संघ की जनसंख्या सांख्यिकी सार-संग्रह (Compendium of Population Statistics)
उत्तर 10: c) 1968

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