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जनसंख्या वितरण और घनत्व की असमानता एक जटिल भौगोलिक परिघटना है, जिसका विश्लेषण विभिन्न प्राकृतिक और मानवीय कारकों के संदर्भ में किया जा सकता है। पृथ्वी के विभिन्न क्षेत्रों में जनसंख्या का घनत्व असमान रूप से वितरित होता है, जो कि जलवायु, स्थलाकृति, मिट्टी, खनिज संसाधन, जलाशय, और स्थिति जैसे प्राकृतिक कारकों के साथ-साथ आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक मानवीय कारकों पर निर्भर करता है। इस अध्ययन में, हम इन भौगोलिक कारकों के प्रभाव को विस्तार से समझेंगे और देखेंगे कि कैसे ये कारक जनसंख्या के वितरण और घनत्व को प्रभावित करते हैं। समझदारी से इन कारकों का विश्लेषण करने से हमें विभिन्न क्षेत्रों में जनसंख्या की घनता को समझने और मानव निवास की विशेषताओं को बेहतर ढंग से जानने में मदद मिलेगी। |
जैसे की हम जानते हैं कि पृथ्वी के धरातल के पर जनसंख्या का वितरण एवं घनत्व एक समान नहीं है। कहीं पर जनसंख्या सघन रूप में पाई जाती है, तो कहीं पर अल्प जनसंख्या या कम सघनता देखने को मिलती है। जनसंख्या के इस असमान वितरण का कोई एक कारण नहीं है अपितु यह प्राकृतिक तथा मानवीय कारकों के सामूहिक प्रभावों का परिणाम है।
जनसंख्या तथा उसके घनत्व के वितरण को प्रभावित करने वाले सभी भौगोलिक कारकों को दो प्रमुख वर्गों में विभाजित किया जा सकता है
(अ) प्राकृतिक कारक
(ब) मानवीय कारक
जनसंख्या के वितरण एवं घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक
(अ) प्राकृतिक कारक (Physical Factors)
जनसंख्या के वितरण तथा घनत्व को प्रभावित करने वाले प्राकृतिक कारकों में जलवायु, भूविन्यास, मिट्टी एवं खनिज, जलापूर्ति (जलाशय), प्राकृतिक वनस्पति तथा जीव-जन्तु प्रमुख हैं।
1. जलवायु (Climate)
मनुष्य के स्वास्थ्य, निवास तथा क्रियाओं को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में से जलवायु सबसे ऊपर है। तापमान, आर्द्रता एवं वर्षा, प्रचलित पवनें आदि जलवायु के प्रमुख घटक हैं, जो मानव के क्रियाकलापों या क्रियाशीलता को प्रभावित करते हैं। स्वास्थ्यवर्द्धक जलवायु मानव को अपनी ओर आकर्षित करती है।
हंटिंगटन ने मानसिक कार्य के लिए 3-5° सेल्सियस और शारीरिक श्रम के लिए लिए 15°-18° सेल्सियस तापमान को सबसे अच्छा बताया है । शीतोष्ण जलवायु मानव स्वास्थ्य तथा आर्थिक विकास के लिए सर्वाधिक उपयुक्त मानी जाती है। इसी प्रकार पर्याप्त वर्षायुक्त मानसूनी जलवायु भी जनसंख्या को सदा आकर्षित करती रही है।
इसीलिए संसार की सर्वाधिक जनसंख्या का संकेंद्रण भी मानसून एशिया के देशों चीन, जपान, वियतनाम, कोरिया, भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश आदि में पाया जाता है। इसी प्रकार शीतोष्ण जलवायु वाले पश्चिमी यूरोपीय देशों तथा उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तटीय भागों में भी जनसंख्या का संकेंद्रण अधिक है।
सामान्य रूप से 4° – 21° सेल्सियस तक का तापमान मानव के रहने के लिए अनुकूल होता है। अत्यधिक ठंडा और गर्म प्रदेश मनुष्य के लिए अनुपयुक्त होते हैं। यहीं कारण है कि अति न्यून तापमान और सदैव बर्फ से ढके रहने के कारण अंटार्कटिका और ग्रीनलैण्ड, अधिक उष्ण और आर्द्र जलवायु वाले भूमध्य रेखीय प्रदेश कांगो बेसिन व अमेजन बेसिन तथा अत्यधिक शुष्कता के कारण अफ्रीका में सहारा तथा कालाहारी मरुस्थल, एशिया में अरब, थार एवं गोबी मरुस्थल, दक्षिणी अमेरिका में अटाकामा मरुस्थल और दक्षिण- पश्चिम आस्ट्रेलिया का मरुस्थल लगभग निर्जन हैं।
इसी प्रकार वर्षा के वितरण और जनसंख्या के घनत्व में सीधा सम्बन्ध पाया जाता है। जनसंख्या का घनत्व अधिक वर्षा वाले क्षेत्र से कम वर्षा वाले क्षेत्र की ओर सामान्यतः घटता जाता है। यदि हम सम्पूर्ण एशिया अथवा केवल भारत के जनसंख्या वितरण पर दृष्टि डालें तो पायेंगे कि जनसंख्या की सर्वाधिक सघनता अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में है और न्यूनतम सघनता उन क्षेत्रों में है जहाँ वर्षा बहुत कम प्राप्त होती है।
2. स्थलाकृति (Topography)
किसी भी देश, प्रदेश या क्षेत्र में जनसंख्या के वितरण और घनत्व पर वहाँ की स्थलाकृति का भी महत्वपूर्ण प्रभाव देखने को मिलता है। यदि हम विश्व के जनसंख्या मानचित्र को देखेंगे टो पाएंगे कि सबसे अधिक जनसंख्या मैदानी भागों में रहती है, पठारी भागों में उससे कम और पहाड़ी भागों में सबसे कम पायी जाती है। मैदानी भागों में धरातल समतल होने के कारण कृषि के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध होती है और साथ ही वहाँ यातायात, सिंचाई, व्यापार आदि की सुविधाएँ भी अधिक सुलभ होती हैं। यही कारण है कि विश्व के विभिन्न भागों में नदियों द्वारा निर्मित सतलुज, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों के मैदान, पाकिस्तान में सिन्धु नदी का मैदान इसके उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
विश्व के सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश चीन की अधिकांश जनसंख्या भी इसके पूर्वी भाग टिसीक्यांग और यांगटिसीक्यांग नदियों के मैदानों में ही सकेंन्द्रित है। इसी प्रकार यूरोप में राइन, डेन्यूब, सीन, वोल्गा आदि नदियों के मैदान और संयुक्त राज्य अमेरिका में मिसीसिपी नदी का मैदान सघन रूप से बसे हुए हैं।
इसके विपरीत पहाड़ी प्रदेश ऊँचे-नीचे और अत्यधिक विषम होने के कारण खेती करने, बस्तियाँ बनाने, यातायात आदि की दृष्टि से अनुपयुक्त होते हैं। यही कारण है कि विश्व के सभी ऊँचे पर्वतीय प्रदेशों में प्रायः विरल जनसंख्या पाई जाती है।
3. मिट्टी (Soil)
किसी भी प्रदेश में उपजाऊ मिट्टी का होना मानव निवास को आकर्षित करता है। देखा जाए तो वास्तव में ‘मानव सभ्यता का इतिहास मिट्टी का ही इतहास है’ क्योंकि व्यक्ति के शिक्षा का आरम्भ उस मिट्टी से ही होता है जहाँ वह रहता है। मिट्टी वनस्पति का आधार है, क्योंकि सभी प्रकार के पेड़-पौधे मिट्टी में ही उगते-बढ़ते हैं। अतः उनके विकास के लिए उपजाऊ व उपयोगी मिट्टी होना अनिवार्य है। मनुष्य सहित सभी प्रकार के शाकाहारी प्राणियों का भोजन अनाज तथा वनस्पतियों के रूप में मिट्टी से ही प्राप्त होता है।
मांसाहारी जीव जिन प्राणियों पर निर्भर होते हैं, सामान्यतः वे भी मिट्टी में उगने वाली वनस्पतियों पर पलते हैं। इस प्रकार शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के प्राणियों और मनुष्यों को भोजन मिट्टी से प्राप्त होता है। संसार के जिन भागों में मिट्टियाँ अधिक उपजाऊ होती हैं, जैसे लावा द्वारा निर्मित काली मिट्टी, जलोढ़ मिट्टी आदि वहाँ जनसंख्या का जमाव अधिक पाया जाता है। यदि हम भारत का ही उदाहरण लें तो देखते हैं कि उर्वर जलोढ़ मिट्टी वाले उत्तरी मैदान में जनसंख्या अधिक सघन है जबकि दक्षिणी पठार के आंतरिक भागों में कम उपजाऊ लाल, पीली एवं लैटराइट मिट्टियों वाले क्षेत्रों में जनसंख्या काफी विरल है।
4. खनिज पदार्थ (Minerals)
औद्योगिक क्रांति के पश्चात् खनिज संसाधनों की उपलब्धि ने जनसंख्या वितरण को काफी प्रभावित किया है। लोहा, तांबा, बाक्साइट, जस्ता आदि महत्वपूर्ण औद्योगिक खनिज हैं जिनके प्रयोग से अन्य उपयोगी वस्तुएँ बनाई जाती हैं। सोना, चाँदी, हीरा, प्लैटिनम आदि बहुमूल्य खनिज हैं जो उपयोगी मात्रा में विश्व के कुछ सीमित भागों में ही पाये जाते हैं। कोयला, पेट्रोलियम, यूरेनियम, थोरियम आदि शक्ति के प्रमुख साधन हैं जिनके प्रयोग से आधुनिक कारखानें तथा परिवहन के साधनों को संचालित किया जाता है।
यूरोप में 40° से 60° उत्तरी अक्षांशों के मध्य कोयला पेटी स्थित है जिसका विस्तार पश्चिम में ग्रेट ब्रिटेन से लेकर पूर्व में रूस तक है। इस पेटी में लोहा अयस्क भी काफी मात्रा से मिलता है जिससे यहाँ लोहा-इस्पात उद्योग का खूब विकास हुआ है। इसके साथ ही ताँबा, जस्ता तथा खनिजों पर आधारित उद्योग भी विकसित है। इसी कारण से उत्तरी पश्चिमी यूरोपीय देशों में जनसंख्या अधिक सघन है।
पूर्वी यूरोप के जिन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण खनिजों के भण्डार हैं वहाँ भी जनसंख्या अपेक्षाकृत् अधिक है। दक्षिण-पश्चिम एशिया के शुष्क भागों में जहाँ पेट्रोलियम के विशाल भंडार हैं, मानव निवास के लिए पर्यावरणी दशाएँ प्रतिकूल होते हुए भी पिछले कुछ दशकों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। संयुक्त अरब गणराज्य, कुवैत, ईरान, इराक आदि देश इसके उदाहरण हैं। पश्चिमी आस्ट्रेलिया के विशाल मरुस्थल में कालगुर्ली और कूलगार्डी की विश्व प्रसिद्ध सोने की खानें हैं। इनके निकट नगरों का विकास हुआ है जहाँ लगभग 1000 किमी. दूर पूर्वी भागों से पाइप द्वारा पीने का जल पहुँचाया जाता है।
5. जलाशय (Water bodies)
जल मनुष्य की एक जैविक आवश्यकता है जिसके अभाव में मानव जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती। अतः मानव का निवास वहीं हो सकता है जहाँ पानी पीने के लिए कोई जल स्रोत उपलब्ध हो। पीने के साथ ही घरेलू कार्यों, औद्योगिक कार्यों तथा सिंचाई आदि के लिए भी जल की आवश्यकता होती है। जलापूर्ति की सुविधाओं वाले क्षेत्र में जनसंख्या की सघनता पायी जाती है। प्राचीन काल में जब नदियाँ यातायात की प्रमुख साधन थीं, महत्वपूर्ण नगरों का विकास अधिकांशतः नदियों के किनारे हुआ था।
आधुनिक काल में विश्व व्यापार के दृष्टिकोण से समुद्री मार्गों का महत्व सर्वाधिक है। यही कारण है कि संसार के बड़े-बड़े नगर समुद्र तटों पर स्थित हैं और महत्वपूर्ण समुद्र पत्तनों के रूप में विकसित हुए हैं। न्यूयार्क, न्यूआर्लियन्स सैन्फ्रांसिस्को, लासएंजिल्स, लन्दन, टोकियो, शांघाई, सिंगापुर, कोलकाता, मुम्बई, चेन्नई आदि इसके उदाहरण हैं। शुष्क मरुस्थलों में जनसंख्या का निवास केवल उन्हीं क्षेत्रों में देखा जा सकता है जहाँ कोई जलाशय विद्यमान होता है। इस प्रकार जनसंख्या के वितरण तथा उसकी सघनता पर जलाशय और जलापूर्ति का महत्वपूर्ण प्रभाव पाया जाता है।
6. स्थिति एवं अभिगम्यता (Location and Accessibility)
किसी प्रदेश की स्थिति और उसकी अभिगम्यता में घनिष्ट सम्बन्ध होता है। किसी प्रदेश मे आवागमन की सुविधा जितनी ही अधिक होगी, वह प्रदेश जनसंख्या को उतना ही अधिक आकर्षित करेगा। समतल मैदानी भाग रेल मार्ग, सड़क मार्ग, नहर आदि के लिए उपयुक्त होते हैं।
इसके विपरीत पहाड़ी भाग ऊँचे-नीचे तथा दुर्गम होते हैं और वहाँ किसी भी स्थलीय यातायात के साधन का विकास करना अत्यन्त खर्चीला और कठिन होता है। जल यातायात के लिए नौगम्य नदियाँ तथा समुद्रों का तटवर्ती भाग अधिक उपयुक्त होता है। इन्हीं कारणों से जनसंख्या की सघनता सागर झील या नदी के तटीय भागों में और आन्तरिक समतल मैदानों में अधिक पायी जाती है।
इनके अतिरिक्त मुख्य स्थल के निकट स्थित सागरीय द्वीप भी मानव निवास को आकर्षित करते हैं। ब्रिटिश द्वीप समूह, जापान, इण्डोनेशिया आदि इसके उदाहरण हैं। वर्तमान काल में विश्व व्यापार के महत्व में होने वाली निरन्तर वृद्धि के फलस्वरूप सागर तटीय क्षेत्रों तथा समुद्र पतनों के पृष्ठ प्रदेशों में जनसंख्या निवास के लिए आकर्षण बढ़ता जा रहा है।
(ब) मानवीय कारक (Human Factors)
किसी प्रदेश में जनसंख्या के वितरण और घनत्व को प्रभावित करने वाले मानवीय कारकों में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक कारक प्रमुख हैं।
1. आर्थिक कारक (Economic Factors)
किसी भी क्षेत्र में मानव निवास के लिए वहाँ जीविका के किसी न किसी साधन का पाया जाना अनिवार्य होता है। जीविका के साधनों में आखेट, पशुपालन, कृषि, खनन, उद्योग-धन्धे, व्यापार, परिवाहन, विविध सेवाएँ आदि प्रमुख हैं। विश्व के जिस भाग में कोई एक अथवा एक से अधिक आय के स्रोत उपलब्ध तथा विकसित होते हैं, वहाँ निवास के लिए जनसंख्या आकर्षित होती है।
कृषि प्रधान देशों के उन भागों में जहाँ उपजाऊ मिट्टी सहित अन्य भौगोलिक परिस्थितियाँ कृषि के लिए उपयुक्त होती हैं, वहाँ मानव बसाव अधिक पाया जाता है। भारत के उत्तरी मैदान, चीन के मैदान और बांगलादेश के डेल्टाई भाग में जनसंख्या अधिक होने का यही कारण है। प्रौद्योगिकीय विकास जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख कारक है। आधुनिक काल में प्रौद्योगिकी के विकास द्वारा नये-नये यंत्रों, मशीनों, परिवहन एवं संचार के साधनों का विकास किया जा रहा है जिससे औद्योगिक तथा कृषि उत्पादनों में उल्लेखनीय वृद्धि तथा जीवन स्तर में उत्थान होता है जिसके फलस्वरूप अन्य क्षेत्रों से औद्योगिक तथा आर्थिक रूप से विकसित क्षेत्रों के लिए जनसंख्या का स्थानान्तरण होता है। उद्योग मुख्यतः नगरीय केन्द्रों पर स्थापित होते हैं, अतः रोजगार के लिए ग्रामीण जनसंख्या का पलायन नगरों की ओर होता है।
किसी प्रदेश में आर्थिक प्रगति होने पर उसमें भोजन तथा रोजगार की उपलब्धि के रूप में अधिक जनसंख्या के पोषण की क्षमता में वृद्धि हो जाती है जिससे वहीं जनसंख्या का बसाव बढ़ने लगता है। आर्थिक रूप से विकसित पश्चिमी यूरोपीय देशों – ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड आदि में औद्योगिक विकास अधिक हुआ है। वहाँ अधिकांश भोज्य पदार्थ बाहर से आयात किये जाते हैं और उनके बदले निर्मित सामग्रियों का निर्यात किया जाता है। एशिया में जापान भी इसी श्रेणी का देश है। इन देशों में प्रति व्यक्ति आय अधिक है और इस आर्थिक समृद्धि के कारण यहाँ जनसंख्या की सघनता भी अधिक है।
2. सामाजिक-सांस्कृतिक कारक (Socio-Cultural Factors)
जनसंख्या वितरण के प्रतिरूप पर सामाजिक संगठन, वर्ग भेद, रीति-रिवाज, परम्पराओं, धार्मिक विश्वास तथा जीवन मूल्यों के प्रभाव को अपेक्षाकृत् लघु स्तर पर देखा जा सकता है। जिन रूढ़िवादी समाजों में सामाजिक मान्यताएं तथा धार्मिक विश्वास आदि परिवार नियोजन में बाधक होते हैं, वहाँ जनसंख्या की वृद्धि दर तीव्र होती है जिससे वहाँ जनसंख्या का घनत्व तेजी से बढ़ता जाता है। विभिन्न मुस्लिम देशों तथा विकासशील देशों में सामाजिकअवरोधों की जटिलता के कारण जनसंख्या की सघनता में चिन्ताजनक वृद्धि हो रही है।
सामाजिक प्रथाएँ तथा जीवन मूल्य जनसंख्या के स्थानान्तरण को नियंत्रित करते हैं जिसका प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष प्रभाव जनसंख्या के वितरण प्रतिरूप में देखने को मिलता है। भौतिकवादी पाश्चात्य संस्कृति आर्थिक सम्पन्नता के लिए जनसंख्या के प्रवास को प्रोत्साहित करती है जिसके परिणामस्वरूप अधिक जनसंख्या वाले यूरोपीय देशों से बड़े पैमाने पर मानव स्थानान्तरण अल्प जनसंख्या वाले अमेरिकी, आस्ट्रेलियायी, अफ्रीकी तथा अन्य क्षेत्रों के लिए हुआ।
इसके विपरीत पूर्वी या प्राच्य सभ्यता वाले एशियायी देशों के लोगों में क्षेत्रीय गतिशीलता कम पायी जाती है क्योंकि यहाँ आर्थिक दौड़ काफी मन्द होती है और लोग अपनी आय तथा साधन के अनुसार जीवन यापन करके निम्न जीवन स्तर से भी संतुष्ट हो जाते हैं। इसीलिए चीन, वियतनाम, भारत, बांगलादेश आदि अधिक जनसंख्या वाले देशों से स्वेच्छा से अंतर्राष्ट्रीय स्थानांतरण अपेक्षाकृत् कम हुए हैं।
3. राजनीतिक कारक (Political Factors)
सरकारी नीतियाँ जनसंख्या के वितरण और घनत्व को विभिन्न रूपों में नियंत्रित करती है। विभिन्न देश अपनी सामाजिक-आर्थिक परिस्थिति के अनुसार अपनी-अपनी नीतियों का निर्धारण करते हैं जिसके द्वारा जनसंख्या वृद्धि तथा प्रवास को नियंत्रित करने का प्रयत्न किया जाता है। 20 वीं शताब्दी के आरम्भ तक जनसंख्या प्रवास पर राष्ट्रीय नियंत्रण कम होता था जिससे बड़े पैमाने पर जनसंख्या का स्थानान्तरण सम्भव था। उस समय जहाँ नये आर्थिक संसाधनों का पता चलता था वहाँ उच्च प्रौद्योगिकी वाले घने बसे हुए देशों से लोग आकर बसने लगते थे और उपनिवेशों की स्थापना करते थे।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद लगभग सभी राष्ट्रीय सरकारों ने आप्रवास पर प्रतिबंध लगा दिया है। आस्ट्रेलिया की श्वेत नीति (White Policy) के परिणामस्वरूप वहाँ गोरी जातियों के अतिरक्ति अन्य लोगों को नागरिकता नहीं प्राप्त हो सकती है। इसी प्रतिबंध के कारण सघन बसे हुए एशियायी तथा अफ्रीकी देशों से आप्रवासन पूर्णतः प्रतिबंधित है। यही कारण है कि आस्ट्रेलिया की कुल जनसंख्या भारत की जनसंख्या के पचासवें भाग से भी कम है।
इसी प्रकार देश विभाजन, युद्ध आदि के परिणामस्वरूप भी जनसंख्या का स्थानांतरण होने से जनसंख्या वितरण प्रतिरूप प्रभावित होता है। सन् 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है जिससे दोनों देशों के जनसंख्या वितरण में उल्लेखनीय परिवर्तन हुआ था।
4. जनांकिकीय कारक (Demographic Factors)
जनसंख्या की प्राकृतिक वृद्धि, प्रवास और नगरीकरण जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले प्रमुख जनांकिकीय तत्व हैं। लगभग पिछले 50 वर्षों से प्रायः सभी देशों में जनसंख्या के अंतर्राष्ट्रीय आवास-प्रवास पर प्रतिबंध है। अतः भारत और चीन जैसे देशों में जहाँ पहले से ही जनसंख्या का आकार विशाल है वहाँ प्रवास के अभाव में प्राकृतिक वृद्धि से ही जनसंख्या के आकार और सघनता में निरन्तर वृद्धि होती जा रही है।
बहुत से विकासशील देशों में प्रयत्न के बावजूद जन्मदर में अधिक कमी नहीं आ पायी है जबकि चिकित्सा सुविधाओं के विकास से मृत्युदर में काफी कमी आ गयी है। इसके परिणामस्वरूप वहाँ प्राकृतिक वृद्धि की गति निरन्तर तीव्र बनी हुई है और जनसंख्या तीव्रता से बढ़ती जा रही है। इसी कारण से भारत सहित अनेक विकासशील देशों में जनसंख्या विस्फोट की स्थिति उत्पन्न हो गयी है।
विकसित देशों की स्थिति इससे भिन्न है। अधिकांश विकसित देशों संयुक्त राज्य अमेरिका, पश्चिमी – यूरोपीय देश, जापान तथा आस्ट्रेलिया में जन्मदर और मृत्युदर दोनों ही नियंत्रित हैं और निचले स्तर पर पहुँच गयी हैं तथा दोनों में अंतर बहुत कम रह गया है। इससे उन देशों में जनसंख्या की वृद्धि लगभग रुक सी गयी है और जनसंख्या के घनत्व में लगभग स्थिरता आ गयी है।
इसी प्रकार नगरीकरण के विकास का भी जनसंख्या के वितरण पर प्रभाव पाया जाता है। नगरों के विकास से ग्रामीण जनसंख्या रोजगार आदि विभिन्न सुविधाओं की खोज में नगरों के लिए स्थानांतरित होती है जिससे नगरीय केन्द्रों में जनसंख्या का घनत्व अपेक्षाकृत् अधिक तेजी से बढ़ने लगता है। वर्तमान काल में जनसंख्या का क्षेत्रीय पुनर्योजन की प्रक्रिया विकासशील दोशों में अधिक प्रचलित है जिसका मूल कारण नगरीकरण का विकास ही है।
Test Your Knowledge with MCQs
1. जनसंख्या के वितरण और घनत्व को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन से हैं?
- (अ) जलवायु और स्थलाकृति
- (ब) जनांकिकीय और सांस्कृतिक कारक
- (स) केवल आर्थिक कारक
- (द) केवल प्राकृतिक कारक
उत्तर: (अ) जलवायु और स्थलाकृति
2. कौन सा भौगोलिक कारक जनसंख्या के घनत्व को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है?
- (अ) स्वास्थ्य सेवाएँ
- (ब) जनसंख्या का आकार
- (स) मिट्टी की उपजाऊता
- (द) शिक्षा की उपलब्धता
उत्तर: (स) मिट्टी की उपजाऊता
3. किस प्राकृतिक कारक की वजह से जनसंख्या सघनता अधिक होती है?
- (अ) शुष्क जलवायु
- (ब) उपजाऊ मिट्टी
- (स) ठंडा तापमान
- (द) पर्वतीय स्थलाकृति
उत्तर: (ब) उपजाऊ मिट्टी
4. कौन सा मानवीय कारक जनसंख्या के वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है?
- (अ) भूमि का आकार
- (ब) आर्थिक अवसर
- (स) भूविज्ञान
- (द) प्राकृतिक वनस्पति
उत्तर: (ब) आर्थिक अवसर
5. कौन सा राजनीतिक कारक जनसंख्या प्रवास को प्रभावित कर सकता है?
- (अ) प्राकृतिक आपदाएँ
- (ब) सरकारी नीतियाँ
- (स) क्षेत्रीय सांस्कृतिक परंपराएँ
- (द) खनिज संसाधन
उत्तर: (ब) सरकारी नीतियाँ
6. किस प्राकृतिक कारक के कारण जनसंख्या अधिक घनी होती है?
- (अ) कम वर्षा वाले क्षेत्र
- (ब) उच्च पर्वतीय क्षेत्र
- (स) जलाशयों के निकट
- (द) अत्यधिक ठंडे क्षेत्र
उत्तर: (स) जलाशयों के निकट
7. कौन सा सामाजिक-सांस्कृतिक कारक जनसंख्या के घनत्व को प्रभावित करता है?
- (अ) जनसंख्या वृद्धि दर
- (ब) पारंपरिक रीति-रिवाज
- (स) जलवायु परिस्थितियाँ
- (द) खनिज संसाधनों की उपलब्धता
उत्तर: (ब) पारंपरिक रीति-रिवाज
8. कौन सा आर्थिक कारक जनसंख्या वितरण पर प्रभाव डालता है?
- (अ) उपजाऊ मिट्टी
- (ब) प्रौद्योगिकी का विकास
- (स) जलवायु परिस्थितियाँ
- (द) स्थलाकृति
उत्तर: (ब) प्रौद्योगिकी का विकास
9. क्यों पर्वतीय क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व कम होता है?
- (अ) समतल भूमि की कमी
- (ब) उच्च तापमान
- (स) उपजाऊ मिट्टी की उपलब्धता
- (द) जलाशयों की कमी
उत्तर: (अ) समतल भूमि की कमी
10. जनसंख्या के वितरण पर किस कारक का प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है?
- (अ) सामाजिक मान्यताएँ
- (ब) जलवायु और स्थलाकृति
- (स) शिक्षा का स्तर
- (द) ऐतिहासिक घटनाएँ
उत्तर: (ब) जलवायु और स्थलाकृति
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