Estimated reading time: 1 minute
विश्व में जनसंख्या वितरण (Distribution of Population in the World) की मुख्य विशेषताएँ विषय पर अध्ययन करते समय यह समझना महत्वपूर्ण है कि विश्व की जनसंख्या का वितरण कई कारकों पर निर्भर करता है। यह विषय उन छात्रों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो B.A, M.A, UGC NET, UPSC, RPSC, KVS, NVS, DSSSB, HPSC, HTET, RTET, UPPCS, और BPSC जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। इस लेख में आपको यह जानने का अवसर मिलेगा कि किस प्रकार दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व और वितरण में अंतर होता है, कौन से क्षेत्र अत्यधिक जनसंख्या वाले हैं और कौन से अल्प जनसंख्या वाले। इसके साथ ही, आप उन कारणों का भी अध्ययन करेंगे जो इन असमानताओं को जन्म देते हैं, जैसे कि भौगोलिक स्थितियां, जलवायु, कृषि क्षमता, और औद्योगिकीकरण। इस तरह का ज्ञान न केवल आपकी परीक्षा की तैयारी को सुदृढ़ करेगा बल्कि आपको वैश्विक जनसंख्या वितरण के जटिल स्वरूप को समझने में भी मदद करेगा। |
Table of contents
विश्व में जनसंख्या वितरण की मुख्य विशेषताएँ
- वर्तमान में संसार की कुल जनसंख्या लगभग 790 करोड़ से अधिक है जिसका आधा से अधिक (लगभग 60 प्रतिशत) अकेले एशिया महाद्वीप में बसी हुई है।
- संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) के आंकड़े के अनुसार सन् 2021 में संसार की कुल जनसंख्या 790.9 करोड़ थी।
- एशिया विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या (469.4 करोड़) वाला महाद्वीप है। जनसंख्या की दृष्टि से अफ्रीका (139करोड़) का दूसरा स्थान है। इसके पश्चात् क्रमशः यूरोप (74.5 करोड़), उत्तरी अमेरिका (60.4 करोड़), दक्षिणी अमेरिका (43.9 करोड़), ओशेनिया (4.5करोड़) का स्थान आता है।
- संसार के थोड़े क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ जनसंख्या का अधिकांश भाग संकेन्द्रित है जबकि अधिकांश क्षेत्रों में जनसंख्या बहुत कम है और अंटार्कटिका तथा ग्रीनलैण्ड के अधिकांश भाग हिमाच्छादित होने के कारण जनरिक्त हैं। इस प्रकार विश्व की लगभग 60 प्रतिशत जनसंख्या कुल स्थलीय क्षेत्र के लगभग 5 प्रतिशत भाग में ही केन्द्रित है। इसके विपरीत लगभग आधे स्थलीय क्षेत्र पर मात्र 5 प्रतिशत जनसंख्या का ही निवास है। यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि विश्व के 50 प्रतिशत से अधिक स्थलीय भाग मानव निवास के लिए अनुपयुक्त होने के कारण निर्जन हैं।
विश्व में जनसंख्या का वितरण
महाद्वीप | जनसंख्या (हजार में) | विश्व का प्रतिशत |
---|---|---|
एशिया | 4694576 | 59.36 |
अफ़्रीका | 1393676 | 17.62 |
यूरोप | 745173 | 9.42 |
उत्तरी अमेरिका | 604155 | 7.64 |
दक्षिण अमेरिका | 439719 | 5.56 |
ओशिनिया | 45575 | 0.58 |
विश्व | 7909295 | 100.00 |
विश्व में जनसंख्या का वितरण
विश्व में जनसंख्या के वितरण को निम्नलिखित चार श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है:
(अ) अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र
(ब) मध्यम जनसंख्या वाले क्षेत्र
(स) अल्प तथा अत्यल्प जनसंख्या वाले क्षेत्र, और
(द) निर्जनप्राय एवं बिना बसे हुए क्षेत्र।
(अ) अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र (Highly Populated Areas)
विश्व की लगभग 90 प्रतिशत जनसंख्या उत्तरी गोलार्द्ध में रहती है, जो तीन विशाल जनसमूहों (Human Agglomerations) में केन्द्रित है-
1. पूर्वी, दक्षिण तथा दक्षिण-पूर्व एशिया
2. उत्तरी-पश्चिमी एवं मध्यवर्ती यूरोप
3. उत्तरी-पूर्वी उत्तरी अमेरिका
इन तीनों जनसमूहों को क्रमशः एशियायी जनसमूह, यूरोपीय जनसमूह और अमेरिकी जनसमूह के नाम से भी जाना जाता है।
1. पूर्वी, दक्षिणी तथा दक्षिण-पूर्व एशिया
यह संसार का सबसे बड़ा मानव समूह है, जो चीन-जापान से इण्डोनेशिया होते हुए पाकिस्तान तक फैला है। इस भूभाग पर मानसूनी जलवायु पायी जाती है, जिसके आधार पर इसे मानसून एशिया के नाम से भी जाना जाता है। इसे एशियायी जनसमूह भी कहते हैं। एशियायी जनसमूह को भी तीन में विभाजित किया गया है
(क) पूर्वी एशिया (चीन, जपान, कोरिया, वियतनाम आदि देश)
(ख) दक्षिणी एशिया (भारत, पाकिस्तान, बांगलादेश, श्रीलंका आदि देश)
(ग) दक्षिण-पूर्व एशिया (इण्डोनेशिया आदि देश)
(क) पूर्वी एशिया (चीन, जपान, कोरिया, वियतनाम आदि देश)
पूर्वी एशिया विश्व का सबसे विशाल जनसमूह है जहां विश्व की पाँचवें हिस्से से अधिक (21 प्रतिशत) जनसंख्या रहती है। चीन विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। चीन में विश्व की लगभग 18 प्रतिशत (142 करोड़) जनसंख्या पायी जाती है। इसके समीप स्थित द्वीपीय देश जापान की जनसंख्या लगभग 12.5 करोड़ है। चीन के उत्तर-पूर्व में स्थित कोरिया गणराज्य में सम्मिलित रूप से लगभग 7.76 करोड़ जनसंख्या का निवास है। इस प्रकार पूर्वी एशिया में कुल मिलाकर लगभग 162 करोड़ जनसंख्या का निवास है।
(ख) दक्षिणी एशिया (भारत, पाकिस्तान, बांगलादेश, श्रीलंका आदि देश)
दक्षिणी एशिया में भारतीय उपमहाद्वीप में एक विशाल मानव समूह पाया जाता है। दक्षिणी एशिया में भारत, पाकिस्तान और बांगलादेश हैं जो सन् 1947 के पूर्व एक ही देश (भारत) के अंग थे। भारत चीन के पश्चात् विश्व का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। भारत में 141.7 करोड़, पाकिस्तान में 23.8 करोड़ और बांगलादेश में 17.1 करोड़ जनसंख्या पायी जाती है। इस प्रकार इन तीनों देशों की कुल जनसंख्या 182.6 करोड़ से अधिक है जो विश्व की कुल जनसंख्या के 20 प्रतिशत से ऊपर है।
(ग) दक्षिण-पूर्व एशिया (इण्डोनेशिया आदि देश)
दक्षिण-पूर्व एशिया का जनसमूह उपरोक्त दोनों जनसमूहों से छोटा है। हिन्देशिया के विभिन्न भागों में कुल मिलाकर लगभग 35 करोड़ लोग और वियतनाम में लगभग 9.8 करोड़ लोग रहते हैं। पहाड़ी एवं पठारी भूमि और द्वीपीय स्थिति के कारण यहाँ जनसंख्या का वितरण प्रायः असंगठित है। इस जनसमूह में भी विश्व की 5 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या पायी जाती है।
एशियायी जनसमूह की अधिकतर जनसंख्या 10° उत्तर से 40° उत्तर अक्षांश के मध्य रहती है, जहाँ उष्ण, उपोष्ण कटिबंधीय तथा मानसूनी जलवायु पायी जाती है। यहां सारा साल बहने वाली नदियों, पर्याप्त वर्षा होने, सिंचाई की सुविधा, उपजाऊ मिट्टी (जलोढ़, काली मिट्टी आदि) होने से इतने बड़े जनसमूह का जीविका निर्वाह होना सम्भव हुआ है। चीन, जापान, कोरिया, वियतनाम, भारत, बांगलादेश आदि (जापान को छोड़कर) सभी देश कृषिप्रधान हैं और अधिकांश जनसंख्या की जीविका कृषि पर आधारित है।
चावल की कृषि की प्रधानता के कारण इस जनसमूह की मानवा सभ्यता को चावल की सभ्यता (Rice Culture) भी कहते हैं। चीन, भारत, . बांगलादेश और जापान विश्व के प्रमुख चावल उत्पादन देश हैं।
एशिया में जनसंख्या की सर्वाधिक सघनता नदी घाटियों में पायी जाती है जहाँ उपजाऊ काँप मिट्टी, पर्याप्त वर्षा तथा सिंचाई की सुविधा के फलस्वरूप मुख्यतः खाद्यानों का उत्पादन किया जाता है। दक्षिणी और पूर्वी एशिया के उपजाऊ मैदानी भागों में जनसंख्या का संकेन्द्रण बहुत पहले से होता आया है जिसका मूल आधार कृषि फसलें ही हैं। सम्पूर्ण प्रदेश में निर्वाहमूलक कृषि की परम्परा है क्योंकि यहाँ जनसंख्या का दबाव अधिक तथा कृषि भूमि अपेक्षाकृत् सीमित है।
कुल मिलाकर इस प्रदेश के अंतर्गत सभी विकासशील देश (जापान को छोड़कर) आते हैं जिनकी अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है।
2. उत्तरी-पश्चिमी तथा मध्यवर्ती यूरोप
एशिया के बाद दूसरा सबसे बड़ा जनसमूह यूरोप महाद्वीप में स्थित है। यूरोप के उत्तरी-पश्चिमी तथा मध्यवर्ती भाग में स्थित देशों में कुल मिला कर विश्व की लगभग एक-चौथाई जनसंख्या निवास करती है। यूरोपीय जनसमूह के अंतर्गत जर्मनी, ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, स्पेन, पोलैण्ड, यूगोस्लाविया, रूमानिया, नीदरलैण्ड, पुर्तगाल, हंगरी, बेल्जियम आदि देश शामिल हैं।
यूरोपीय जनसमूह 40° से 60° उत्तरी अंक्षाश के मध्य पाया जाता है, जिसमें सर्वाधिक सघनता 45° से 55° उत्तरी अक्षांश के मध्य स्थित कोयला पेटी में पायी जाती है जहाँ आधुनिक उद्योगों और नगरों का सर्वाधिक विकास हुआ है। इसी पेटी में जनसंख्या की सघनता सबसे अधिक है, अतः इसे यूरोपीय जनसंख्या की धुरी (Axis of European population) भी कहा जाता है। औद्योगिक क्रांति से पहले यूरोप में जीवन-यापन का मुख्य आधार कृषि’ थी और अधिकांश जनसंख्या नदी घाटियों तथा मैदानी क्षेत्रों में निवास करती थी।
किन्तु औद्योगिक क्रांति के पश्चात् बीसवीं शताब्दी के आरम्भ तक उत्तरी-पश्चिमी यूरोप के देश विश्व के उद्योग प्रधान देश बन गये। अब यहाँ की 70 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या विनिर्माण उद्योगों, व्यापार, यातायात तथा अन्य नगरीय कार्यों में लगी हुई हैं। विनिर्माण उद्योगों तथा व्यापारिक क्रियाओं के विकास के कारण ही यूरोपीय देशों में जनसंख्या के पोषण की क्षमता अधिक है। आवश्यक खाद्यपदार्थ और उद्योगों के लिए कच्चे माल अन्य महाद्वीपों से मंगाये जाते हैं तथा उनके बदले में मशीनरी तथा अन्य निर्मित सामान निर्यात किये जाते हैं।
यहां की समशीतोष्ण जलवायु लोगों के स्वास्थ्य के हेतु अनुकूल है।
इसके अतिरिक्त यूरोप के उत्तरी-पश्चिमी तथा मध्यवर्ती भाग में परिवहन के विभिन्न साधनों का भी पर्याप्त विकास हुआ है। स्थलीय भाग पर सड़कों और रेलमार्गों का जाल बिछा हुआ है। नदियों और नहरों का प्रयोग आंतरिक जलमार्ग के रूप में किया जाता है जिससे आंतरिक महत्वपूर्ण नगर भी समुद्र पत्तनों से जुड़े हुए हैं। समुद्र की निकटता तथा उनके तटों पर समुद्र पत्तन के विकास से यूरोप का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार भी उन्नत दशा में है। विश्व का सर्वाधिक विदेशी व्यापार यूरोप के इसी भाग से होता है।
पश्चिमी यूरोप के देश लगभग 200 वर्ष पहले जनांकिकीय संक्रमण की प्रथम अवस्था (उच्च जन्मदर और उच्च मृत्युदर) से बाहर निकल चुके थे और आज ये जनांकिकीय संक्रमण की अंतिम अवस्था में पहुँच गए हैं, जिसमें जन्मदर और मृत्युदर दोनों अपने निम्नतम स्तर पर होती है और जनसंख्या वृद्धि लगभग रुक जाती है तथा जनसंख्या स्थिर हो जाती है।
इन देशों में जनसंख्या का घनत्व अधिक है किन्तु विकासशील देशों की भांति यहाँ जनसंख्या की समस्या नहीं है। रोजगार के पर्याप्त अवसरों की उपलब्धि, प्रतिव्यक्ति औसत उच्च आय, वैज्ञानिक तथा तकनीकी प्रगति, औद्योगिक तथा व्यापारिक विकास और उच्च नगरीकरण आदि के फलस्वरूप उत्तरी-पश्चिमी यूरोप में सामान्य जीवन स्तर उच्च और आधुनिक सुविधाओं से पूर्ण है।
3. उत्तरी-पूर्वी उत्तरी अमेरिका
विश्व का तीसरा बड़ा जनसमूह उत्तरी अमेरिका के उत्तरी-पूर्वी भाग में स्थित है जो एशियायी और यूरोपीय जनसमूहों की तुलना में काफी छोटा है। इसके अंतर्गत संयुक्त राज्य अमेरिका के उत्तरी-पूर्वी भाग और कनाडा के पूर्वी तटीय क्षेत्र शामिल हैं। इसे अमेरिकी जनसमूह के नाम से भी जाना जाता है। अमेरिकी जनसमूह विश्व का सबसे नवीन और विकसित मानव समूह है जिसका उत्पत्ति एवं विकास मुख्य रूप से यूरोपीय लोगों के यहां आकर बसने के परिणामस्वरूप हुआ है।
अमेरिकी जनसमूह की अधिकतर जनसंख्या यूरोपीय मूल की है, जिसके कारण यहाँ यूरोपीय संस्कृति की प्रमुखता पायी जाती है। अमेरिकी जनसमूह की कुल जनसंख्या में लगभग 90 प्रतिशत यूरोप से आए हुए लोगों की हैं। 18वीं तथा 19वीं शताब्दियों में यूनाइटेड किंगडम, आयरलैंड, जर्मनी, फ्रांस, इटली, आस्ट्रिया, हंगरी आदि यूरोपीय देशों से भारी संख्या में जनसंख्या स्थानांतरण उत्तरी अमेरिका के लिए हुआ जिनमें से अधिकांश महाद्वीप के उत्तरी-पूर्वी तटवर्ती भागों में बस गये क्योंकि ये क्षेत्र सर्वाधिक अभिन्य थे और इसके साथ ही यहाँ खनिज सम्पदा के विशाल भंडार और शक्ति के साधन उपलब्ध थे जिसके आधार पर आधुनिक औद्योगिक विकास सम्भव था।
अटलांटिक महासागर के तट पर समुद्र पत्तनों का विकास हुआ है जिनके द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार होता है। इसके अलावा इस क्षेत्र के पश्चिम में उपजाऊ कृषि भूमि है, जिससे इतना अधिक अनाज पैदा होता है कि वह देश की आवश्यकता से बहुत अधिक है और विदेशों को निर्यात किया जाता है। खेती बड़े-बड़े कृषि फार्मों पर. आधुनिक कृषि यंत्रों की सहायता से की जाती है जिसमें मानव श्रम की आवश्यकता बहुत कम होती है।
इस प्रकार अमेरिकी जनसमूह की अधिकांश जनसंख्या उद्योग, खनन, परिवहन तथा अन्य द्वितीयक एवं तृतीयक कार्यों में लगी हुई है, जिससे प्रतिव्यक्ति उच्च आय प्राप्त होती है। उद्योग, व्यापार तथा वाणिज्यिक क्रियाओं की बहुलता, उच्च नगरीकरण, यंत्रीकृत कृषि आदि अमेरिकी जनसमूह की प्रमुख विशेषता है। यहां की लगभग 95 प्रतिशत जनसंख्या नगरों में निवास करती है। अमेरिकी लोगों की प्रति व्यक्ति आय अधिक तथा रहने-सहन का स्तर बहुत ऊँचा है।
अमेरिका में जन्मदर और मृत्युदर दोनों पूर्णतः नियंत्रित हैं और अत्यन्त में निम्न स्तर पर पायी जाती हैं। विदेशों में आप्रवासन भी प्रतिबंधित है, अतः जनसंख्या वृद्धि दर मन्द (1 प्रतिशत वार्षिक ) है तथा जनसंख्या बहुत धीरे-धीरे बढ़ रही है।
(ब) मध्यम जनसंख्या वाले क्षेत्र (Moderately Populated Areas)
नई तथा पुरानी दुनिया के सभी महाद्वीपों में मध्यम जनसंख्या वाले क्षेत्र स्थित हैं। विश्व के उन भागों में जहां प्राकृतिक तथा मानवीय दशाएँ अधिक जनसंख्या के भरण-पोषण के लिए उपयुक्त नहीं हैं किन्तु वे मानव के निवास के लिए बिल्कुल अनुपयुक्त भी नहीं हैं, ऐसे क्षेत्रों में कहीं-कहीं भौगोलिक दशाएँ मानव निवास के लिए उपयुक्त भी हैं लेकिन इनका विस्तार अपेक्षाकृत कम है।
एशिया में भूमध्य सागर के पूर्व में स्थित टर्की, इजराइल, जार्डन और लेबनान में जनसंख्या का वितरण मध्यम प्रकार का है। दक्षिणी-पूर्वी यूरोप में रूम सागर के तटवर्ती देशों में जनसंख्या अधिक सघन नहीं है। इन देशों में कृषि के लिए पर्याप्त उपजाऊ भूमि उपलब्ध नहीं है क्योंकि अधिकांश भूमि पहाड़ी और पठारी है। ग्रीष्म काल शुष्क रहने के कारण खेती अधिकतर शीत ऋतु में ही होती है। रूम सागरीय जलवायु वाले इन भागों में मुख्यतः रसदार फलों की खेती की जाती है। यहाँ बड़े उद्योग धंधों का विकास नहीं हुआ है और उद्योग के नाम पर छोटे-छोटे धन्धे ही पाये जाते हैं।
दक्षिण-पूर्वी और पूर्वी यूरोप में भी जनसंख्या का वितरण सामान्य ही कहा जा सकता है। इसके अंतगर्त यूक्रेन और रूस के भाग सम्मिलित हैं जहाँ कृषि और उद्योग दोनों का पर्याप्त विकास हुआ है। उत्तरी अमेरिका का मध्य पूर्वी भाग जो मुख्यतः कृषि प्रदेश है, मध्यम जनसंख्या वाला क्षेत्र है। यहाँ बड़े-बड़े कृषि फार्मों पर आधुनिक यंत्रों के प्रयोग से उन्नत कृषि की जाती है। यहाँ जनसंख्या कम होते हुए भी कृषि उन्नत अवस्था में है। यहाँ गेहूँ, मक्का, कपास आदि की विकसित कृषि उन्नत अवस्था में है। संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के पश्चिम तट पर भी नगरों के विकास से जनसंख्या का जमाव बढ़ा है।
इसके अतिरिक्त मैक्सिको तथा मध्य अमेरिका और पश्चिमी द्वीप समूह भी मध्यम जनसंख्या वाले क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। दक्षिण अमेरिका में पूर्वी तथा पश्चिमी समुद्र तटीय भागों में जनसंख्या का वितरण सामान्य है। ब्राजील, अर्जेनटीना, यूरुग्वे, बेनेजुएला, कोलम्बिया, पीरू तथा चिली के समुद्रतटीय भाग इसी प्रकार के हैं। अफ्रीका में नील नदी की घाटी, उत्तरी-पश्चिमी अफ्रीका (मोरक्को तथा अल्जीरिया), पश्चिमी अफ्रीका के तटवर्ती भाग (गिनी और नाइजीरिया) और दक्षिणी-पूर्वी अफ्रीका में भी जनसंख्या का वितरण न अधिक है और न इसे कम ही कहा जा सकता है।
ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण-पूर्वी मैदानी भाग में ही अधिकांश जनसंख्या का निवास है जिसकी सघनता मध्यम प्रकार की है। न्यूजीलैण्ड की गणना भी इसी श्रेणी के अन्तर्गत की जा सकती है।
(स) अल्प एवं अत्यल्प जनसंख्या वाले क्षेत्र (Low and Very Low Populated Areas)
इसके अंतर्गत विश्व के बसे हुए उन क्षेत्रों को शामिल किया जाता है, जहाँ जनसंख्या बहुत कम है और यह बिखरे समूहों में पाई जाती है। किन्तु ये क्षेत्र पूर्णतया जनरिक्त नहीं हैं। इन क्षेत्रों में भूविन्यास, जलवायु, मिट्टी, जलापूर्ति आदि का अनुपयुक्त होना और आर्थिक संसाधनों, यातायात के साधनों आदि का अभाव जनसंख्या वृद्धि तथा सघनता में अवरोधक हैं।
इस प्रकार के क्षेत्र सामान्यतः मरुस्थलों, भूमध्यरेखीय घने जंगली भार्गों के बाहर स्थित सीमान्त क्षेत्रों, कटे-फटे पठारों तथा निचले पहाड़ो प्रदेशों, कनाडा तथा यूरेशिया के टैगा वन प्रदेशों में मिलते हैं। एशिया में पश्चिमी चीन, तिब्बत, मंगोलिया तथा एशियायी रूस के विस्तृत भूभाग में अल्प जनसंख्या का निवास पाया जाता है।
(द) निर्जनप्राय एवं बिना बसे हुए क्षेत्र (Non-Ecumene Areas)
पृथ्वी का लगभग आधा स्थलीय क्षेत्र पूर्णतः अथवा लगभग जनरिक्त है जहाँ स्थायी मानव निवास का अभाव है। ऐसे क्षेत्र अत्यंत शीतल अथवा अत्यंत उष्ण तापमान, अत्यधिक वर्षा अथवा अति शुष्कता तथा धरातलीय विषमता के कारण मानव निवास के लिए सर्वथा प्रतिकूल हैं जिसके कारण यहाँ स्थायी मानव निवास अभी तक सम्भव नहीं हो पाया है। इन क्षेत्रों में मानव-बसाव के अभाव के लिए जलवायु की कठोरता ही सर्वाधिक उत्तरदायी है।
विश्व के बिना बसे हुए प्रदेश अतिप्रधान हैं जिन्हें निम्नलिखित चार वर्गों में रखा जा सकता है –
(1) अति शीत प्रदेश
(2) अति शुष्क प्रदेश
(3) अति उष्णार्द्र प्रदेश
(4) अति ऊँचे पर्वतीय प्रदेश
(1) अति शीत प्रदेश (Very Cold Regions)
उत्तरी गोलार्द्ध में टुण्ड्रा प्रदेश और दक्षिणी गोलार्द्ध में सम्पूर्ण अंटार्कटिका महाद्वीप वर्ष भर बर्फ से ढके रहने के कारण पूर्णतया निर्जन या जनरिक्त हैं। शीत प्रधान टुण्ड्रा का विस्तार अलास्का से लेकर उत्तरी कनाडा, ग्रीनलैण्ड, उत्तरी स्कैन्डनेविया तथा उत्तरी साइबेरिया तक है। यह समस्त भाग जनरिक्त है और टुण्ड्रा के केवल दक्षिणी सीमा पर विशेषकर सागर तटीय भागों में यत्र-तत्र शिकारी आदिम जाति के कुछ लोग पाये जाते हैं जो शिकार की खोज में घुमक्कड़ जीवन व्यतीत करते हैं।
कनाडा और ग्रीनलैण्ड के समुद्र तटीय भागों में एस्किमो नामक घुमक्कड़ शिकारी मिलते हैं। जो मछलियों तथा अन्य जीवों का शिकार करके जीवन यापन करते हैं। यूरेशिया के टुण्ड्रा प्रदेश में याकूत, चुकची आदि आदिम जातियों के लोग यत्र-तत्र समुद्री तटों पर मिलते हैं जिनकी संख्या बहुत कम है।
सम्पूर्ण अंटार्कटिका महाद्वीप जिसका क्षेत्रफल लगभग 135 लाख वर्ग किमी० है, स्थायी हिमावरण के कारण पूर्णतया जनविहीन है।
(2) अति शुष्क प्रदेश (Very Dry Regions)
वर्षा तथा जलाभाव के कारण पृथ्वी के कई बड़े-बड़े प्रदेश निर्जन पड़े हुए हैं। इसके अंतर्गत निम्न तथा मध्य आक्षांशों में स्थित मरुस्थल सम्मिलित हैं। अफ्रीका में सहारा और कालाहारी मरुस्थल, एशिया में अरब, थार, तुर्किस्तान, गोबी और तकलामकान मरुस्थल, उत्तरी अमेरिका में ग्रेट बेसिन, दक्षिण अमेरिका में पैटागोनिया एवं आटाकामा मरुस्थल और पश्चिमी आस्ट्रेलिया का मरुस्थल संसार के बहुत बड़े-बड़े शुष्क प्रदेश हैं जहाँ वर्षा और जल के अभाव के कारण वनस्पतियों का विकास नहीं हो पाता है और सम्पूर्ण भाग रेत (बालू) अथवा नग्न शैलों से आच्छादित रहता है।
इन मरुस्थलों में भयंकर रेत भरी आंधियाँ चलती हैं। इन मरुस्थलों में कहीं-कहीं जहाँ जलाशय पाये जाते हैं उनके किनारे-किनारे ही हरियाली देखी जा सकती है। इन मरुद्यानों (Oasis) में छोटे मानव समूह अस्थायी निवास बनाकर तब तक रहता है जब तक जलाशय में जल उपलब्ध रहता है। भविष्य में कृत्रिम वर्षा अथवा सिंचाई के साधनों के प्रयोग से मरुस्थलों में जनसंख्या निवास के क्षेत्रों को बढ़ाया जा सकता है।
(3) अति उष्णार्द्र प्रदेश (Very Hot Humid Regions)
भूमध्य रेखीय प्रदेशों में तापमान वर्ष भर उच्च रहता है और वर्षा अधिक मात्रा में होती है जिसके फलस्वरूप वहाँ सघन वनस्पतियाँ खूब पनपती हैं तथा ऊँचे-ऊँचे वृक्षों वाले सघन वन पाये जाते हैं। वृक्षों के नीचे तरह-तरह की झाड़ियाँ तथा अन्य वनस्पतियाँ उगती हैं जिससे जंगली भाग प्रायः अंधकारमय और दुर्गम होते हैं। इन वनों में अनेक प्रकार के जहरीले सांप, कीड़े-मकोड़े, मच्छर, मक्खियाँ आदि अधिक पनपते हैं जो मनुष्य के लिए घातक होते हैं।
उच्च तापमान और उच्च आर्द्रता के इस प्रदेश में हवा प्रायः स्थिर रहती है अथवा अत्यंत मन्द गति से चलती है जिसके कारण वातावरण ऊमस भरा होता है और हमेशा पसीना होता रहता है। इस प्रकार के भूमध्य रेखीय जलवायु मानव स्वास्थ्य के लिए अहितकर है और वहाँ प्रायः बीमारियाँ तथा महामारियों का प्रकोप बना रहता है।
दक्षिण अमेरिका में अमेजिन बेसिन (ब्राजील) और अफ्रीका में कांगो बेसिन (मध्य अफ्रीका) के सघन वन प्रेदश लगभग जनरिक्त हैं। इन जंगलों में आदिम जातियों के कुछ समूह मिलते हैं जो पेड़ों पर मचान बनाकर रहते हैं। ये लोग जंगली जानवरों के शिकार तथा पेड़-पौधों से भोजन प्राप्त करते हैं
(4) उच्च पर्वतीय प्रदेश (High Mountain Regions)
ऊँचे पर्वतों के ऊपरी भाग विषम धरातल, तीव्र ढाल और प्रतिकूल पर्यावरण के कारण प्रायः जन विहीन होते हैं। उच्च पर्वतीय भागों में भोजन का अभाव, शीतल एवं अहितकर जलवायु तथा आवागमन की असुविधाएँ ही जनरिक्तता का प्रमुख कारण हैं। ऊँचे पर्वतीय भाग अत्यंत न्यून तापमान के कारण प्रायः हिमाच्छादित रहते हैं। यहाँ समतल भूमि के अभाव और तीव्र ढाल के कारण बस्तियाँ बनाना अत्यंत कठिन ही नहीं, कहीं-कहीं लगभग असम्भव होता है।
पर्वतीय भागों में कुछ गिनी-चुनी घाटियों के अतिरिक्त सम्पूर्ण पहाड़ी क्षेत्र कृषि के लिए अयोग्य होता है। एशिया में हिमालय, उत्तरी अमरिका में रॉकी, दक्षिणी अमेरिका में एंडीज तथा यूरोप में आल्पस पर्वत के अधिकांश उच्चवर्ती भाग पूर्णतः जनविहीन हैं। उष्ण कटिबंधीय पर्वतों की जलवायु प्रायः स्वास्थ्यवर्द्धक होती है। अतः वहाँ पर्यटन तथा मनोरंजन केन्द्र के रूप में कुछ स्थलों पर मानव निवास पाया जाता है। इसके विपरीत मध्य एवं उच्च अक्षांशीय पर्वतों की जलवायु अतिशीतल और कठोर होती है जिसके कारण ऐसे भू- क्षेत्र सामान्यतः जनरिक्त रहते हैं।
Test Your Knowledge with MCQs
1. विश्व में किस महाद्वीप में सबसे अधिक जनसंख्या निवास करती है?
A) अफ्रीका
B) यूरोप
C) एशिया
D) उत्तरी अमेरिका
2. किस महाद्वीप की जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या का लगभग 60 प्रतिशत है?
A) अफ्रीका
B) एशिया
C) दक्षिणी अमेरिका
D) यूरोप
3. विश्व की कुल स्थलीय क्षेत्र का कितना प्रतिशत भाग पर 60 प्रतिशत जनसंख्या संकेन्द्रित है?
A) 10 प्रतिशत
B) 5 प्रतिशत
C) 20 प्रतिशत
D) 15 प्रतिशत
4. निम्नलिखित में से कौन सा क्षेत्र अधिक जनसंख्या वाला क्षेत्र नहीं है?
A) उत्तरी-पूर्वी उत्तरी अमेरिका
B) उत्तरी-पश्चिमी यूरोप
C) दक्षिणी अफ्रीका
D) पूर्वी एशिया
5. विश्व के किस भाग में सबसे बड़ा जनसमूह पाया जाता है?
A) उत्तरी-पश्चिमी यूरोप
B) उत्तरी-पूर्वी उत्तरी अमेरिका
C) पूर्वी, दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी एशिया
D) उत्तरी अफ्रीका
6. चावल की सभ्यता (Rice Culture) किस जनसमूह से संबंधित है?
A) यूरोपीय जनसमूह
B) अमेरिकी जनसमूह
C) एशियायी जनसमूह
D) अफ्रीकी जनसमूह
7. यूरोपीय जनसंख्या की धुरी (Axis of European Population) किस क्षेत्र में पायी जाती है?
A) उत्तरी यूरोप
B) दक्षिणी यूरोप
C) पश्चिमी यूरोप
D) कोयला पेटी (Coal Belt) में
8. अमेरिकी जनसमूह की अधिकतर जनसंख्या का मूल कहाँ से है?
A) एशिया
B) अफ्रीका
C) यूरोप
D) ऑस्ट्रेलिया
9. कौन सा क्षेत्र जनांकिकीय संक्रमण की अंतिम अवस्था में पहुँच चुका है?
A) एशिया
B) अफ्रीका
C) उत्तरी-पश्चिमी यूरोप
D) उत्तरी अमेरिका
10. कौन सा महाद्वीप प्राकृतिक कारणों से अधिकांशतः निर्जन है?
A) यूरोप
B) अफ्रीका
C) एशिया
D) अंटार्कटिका
11. भारत की जनसंख्या में सबसे अधिक वृद्धि किस दशक में हुई?
A) 1951-1961
(B) 1961-1971
(C) 1971-1981
(D) 1981-1991
12: जनसंख्या परिवर्तन का प्रमुख कारण कौन सा है?
(A) प्राकृतिक वृद्धि
(B) प्रवास
(C) शहरीकरण
(D) उपरोक्त सभी
13. जनसंख्या घनत्व किस कारक से प्रभावित होता है?
(A) प्राकृतिक संसाधन
(B) जलवायु
(C) आर्थिक अवसर
(D) उपरोक्त सभी
14. भारत में जनसंख्या वृद्धि दर को नियंत्रित करने के लिए कौन सा प्रमुख कार्यक्रम चलाया गया?
(A) परिवार नियोजन
(B) जनसंख्या नियंत्रण
(C) शिक्षा कार्यक्रम
(D) पोषण कार्यक्रम
15. जनसंख्या परिवर्तन के अध्ययन के लिए कौन सा सिद्धांत महत्वपूर्ण है?
(A) मॉल्थस का जनसंख्या सिद्धांत
(B) डार्विन का विकास सिद्धांत
(C) लोव का जनसंख्या सिद्धांत
(D) न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत
Answers:
- C) एशिया
- B) एशिया
- B) 5 प्रतिशत
- C) दक्षिणी अफ्रीका
- C) पूर्वी, दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी एशिया
- C) एशियायी जनसमूह
- D) कोयला पेटी (Coal Belt) में
- C) यूरोप
- C) उत्तरी-पश्चिमी यूरोप
- D) अंटार्कटिका
- (C) 1971-1981
- (D) उपरोक्त सभी
- (D) उपरोक्त सभी
- (A) परिवार नियोजन
- (A) मॉल्थस का जनसंख्या सिद्धांत
FAQs
विश्व में जनसंख्या वितरण अत्यधिक असमान है। लगभग 60% जनसंख्या एशिया महाद्वीप में निवास करती है। इसके अलावा, कुछ क्षेत्र जैसे अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड जनरिक्त हैं। कुल स्थलीय क्षेत्र के केवल 5% भाग में ही विश्व की 60% जनसंख्या केंद्रित है।
यूरोप में जनसंख्या का वितरण मुख्यतः उत्तरी-पश्चिमी और मध्यवर्ती भागों में सघन है, जहां औद्योगिक क्रांति के बाद बड़े-बड़े शहर और औद्योगिक क्षेत्र विकसित हुए।
अमेरिका में जनसंख्या का वितरण मुख्यतः उत्तरी-पूर्वी भाग में केंद्रित है, जहां बड़े-बड़े शहर, उद्योग, और उन्नत कृषि क्षेत्र स्थित हैं। यहां की जनसंख्या अधिकांशतः यूरोपीय मूल की है।
विश्व की जनसंख्या का अधिकांश भाग एशिया, उत्तरी-पश्चिमी यूरोप, और उत्तरी-पूर्वी अमेरिका में बसा हुआ है। इन क्षेत्रों में उन्नत कृषि, उद्योग, और बेहतर जीवन की सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जो जनसंख्या के संकेन्द्रण का कारण बनती हैं।
You May Also Like
- जनसंख्या के वितरण एवं घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting Distribution and Density of Population)
- जनसंख्या भूगोल की परिभाषा एवं विषय-क्षेत्र (Definition and Scope of Population Geography)
- दक्षिण पश्चिम एशिया के प्रमुख खनिज तेल केन्द्र (Major Mineral Oil Centers of South-West Asia)
- भारत : स्थिति एवं विस्तार
- जनसंख्या परिवर्तन (Population Change)