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यदि हम विश्व के विभिन्न क्षेत्रों, मानव समुदायों, और समाजों में प्रजननता से संबंधित आंकड़ों का विश्लेषण करें, तो यह स्पष्ट होता है कि प्रजननता में एकरूपता नहीं है। प्रजननता के अंतर के पीछे कई जैविक, सामाजिक, और व्यक्तिगत कारक जिम्मेदार होते हैं। ये कारक, जिनमें प्रजनन क्षमता, वैवाहिक स्थिति, विवाह की आयु, स्वास्थ्य, और मनोवैज्ञानिक धारणा शामिल हैं, प्रजननता को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। इन कारकों को समझना न केवल भूगोल के छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि उन सभी के लिए भी जो B.A, M.A, UGC NET, UPSC, RPSC, KVS, NVS, DSSSB, HPSC, HTET, RTET, UPPCS, और BPSC जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। इस विषय को सरलता से समझाने के लिए, प्रजननता को प्रभावित करने वाले कारकों को मुख्य वर्गों में विभाजित किया जा सकता है, जिनमें जैविक, जनांकिकीय, सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक, और मनोवैज्ञानिक कारक शामिल हैं। ये वर्गीकरण छात्रों को इस जटिल विषय को व्यवस्थित रूप से समझने में मदद करेंगे, जो कि उनके शैक्षणिक और प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं में सफलता के लिए आवश्यक है।
Table of contents
यदि हम विश्व के अलग-2 क्षेत्रों, मानव समुदायों तथा समाजों में प्रजननता से सम्बन्धी आंकड़ों का विश्लेषण करेंगे तो पाएंगे कि विश्व में प्रजननता एक समान नहीं है। प्रजननता में अन्तर लिए अनेक जैविक, सामाजिक तथा व्यक्तिगत कारक उत्तरदायी होते हैं। वैसे तो प्रजननता को प्रभावित या निर्धारित करने वाले कारकों की सूची बहुत लम्बी बन सकती है। किन्तु प्रजननता को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने वाले कारकों में प्रजनन क्षमता, वैवाहिक स्थिति, विवाह के समय आयु, विवाहित जीवन काल, स्वास्थ्य, मनोवैज्ञानिक धारणा आदि प्रमुख हैं। विषय वस्तु को सरलता से समझने के लिए प्रजननता को प्रभावित या नियंत्रित करने वाले सभी कारकों को निम्नलिखित प्रमुख वर्गों में विभाजित किया जा सकता है
प्रजननता के निर्धारक (Determinants of Fertility)
(1) जैविक कारक (Biological factors)
(2) जनांकिकीय कारक (Demographic factors)
(3) सामाजिक-सांस्कृतिक कारक (Socio-cultural factors)
(4) आर्थिक कारक (Economic factors),
(5) राजनीतिक कारक (Political factors)
(6) मनोवैज्ञानिक या व्यक्तिगत कारक (Psychological or Personal factors)
जैविक कारक (Biological Factors)
प्रजननता को प्रभावित करने वाले जैविक कारकों में प्रजाति (race), स्त्री की प्रजनन क्षमता (fecundity) तथा सामान्य स्वास्थ्य प्रमुख हैं।
प्रजाति (race)
हम जानते हैं कि अलग-2 मानव प्रजातियों जैसे नीग्रिटो, आस्ट्रेलाइड, धूमध्य सागरीय, नार्डिक, मंगोलाइड आदि का विकास भिन्न-भिन्न पर्यावरण (जलवायु दशाओं) में हुआ है। पर्यावरण का प्रजातियों की प्रजनन शक्ति तथा प्रजननता पर कहीं ना कहीं प्रभाव अवश्य होता है। वैज्ञानिक शोधों में ऐसा भी पाया गया है कि एक ही स्थान पर रहने वाले अलग-2 प्रजातीय समुदायों के प्रजनन दर में अंतर है।
इसके साथ ही एक ही प्रजाति के विभिन्न मानव समुदाय विश्व के भिन्न-भिन्न भागों में रहने पर भी उनके प्रजनन दर में विशेष अन्तर नहीं है।देखा जाए तो प्रजातीय स्तर पर प्रजननता सम्बन्धी आंकड़ों का अभाव है, किन्तु जो भी आंकडें हैं उनके अध्ययनों से जो निष्कर्ष निकला गया है, उसके अनुसार प्रजाति प्रजननता को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है।
स्त्रियों की प्रजनन क्षमता
प्रजननता को नियंत्रित करने वाले जैविक कारकों में स्त्रियों की प्रजनन क्षमता (fecundity) और पुरुषों की सन्तानोत्पत्ति क्षमता का महत्व सबसे अधिक है। स्त्रियों में प्रजनन क्षमता उनके रजस्वला होने से लेकर उसकी समाप्ति तक रहती है। यह अवधि विभिन्न स्त्रियों में थोड़ा बहुत अलग हो सकती है, परन्तु सामान्य रूप से यह 15 वर्ष से 44 वर्ष मानी जाती है। इस आयु को पुनरुत्पादक आयु (reproductive age) भी कहते हैं।
सन्तान उत्पत्ति की क्षमता पुरुषों में सामान्यतः 13 या 14 वर्ष की आयु परआरम्भ हो जाती है और दीर्घकाल तक (सम्भवतः मृत्यु पर्यंत) विद्यमान रहती है। यदि विभिन्न प्रदेशों के सभी स्त्री- पुरुषों में सन्तान उत्पत्ति की क्षमता एक समान पाई जाए तो एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में प्रजननता में अंतर न के बराबर होगा, किन्तु एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में कुछ स्त्रियाँ प्रजनन क्षमता से वंचित होने के कारण सन्तानोत्पत्ति में अक्षम (बाँझ) होती हैं और कुछ पुरुष भी नपुंसकता अथवा रोग के कारण सन्तानोत्पत्ति के योग्य नहीं होते हैं। अतः प्रजननता के निर्धारण में स्त्री-पुरुषों की सन्तानोत्पत्ति क्षमता का महत्व विशेषरूप से बढ़ जाता है।
सामान्य स्वास्थ्य
सामान्य स्वास्थ्य भी प्रजननता को प्रभावित करने वाले प्रमुख जैविक कारको में से एक है। कुछ रोग या बीमारी ऐसे होते हैं जो प्रजनन क्षमता को पूर्णरूप से या आंशिक रूप से समाप्त कर देते हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण मृत्युदर प्रायः उच्च होती है, जिसके कारण लोग छोटा परिवार रखने की बजाए परिवार बढ़ाने की सोचते हैं। जिसके परिणामस्वरूप प्रजननता में वृद्धि होती है।
उष्ण कटिबंधीय विकासशील देशों में इसका उदाहरण देखा जा सकता हैं। जैसे-2 स्वास्थ्य सुविधाओं में विस्तार तथा सुधार होने से जीवन प्रत्याशा (life expectancy) बढ़ जाती है तो लोग परिवार को सीमित रखने के पक्ष में होते जाते हैं, जिसके कारण प्रजननता घट जाती है। शीतोष्ण कटिबंधीय विकसित देश इसके उदाहरण हैं।
जनांकिकीय या जनसांख्यिकीय कारक (Demographic Factors)
प्रजननता को प्रभावित करने वाले जनांकिकीय कारकों में आयु, लिंग, वैवाहिक स्तर एवं विवाहित जीवन की अवधि, प्रवास (गतिशीलता), नगरीकरण आदि प्रमुख हैं।
जनसंख्या का आयु संघटन
किसी जनसंख्या का आयु संघटन या संरचना सीधे तौर पर प्रजनन दर को प्रभावित करती है। जिस देश की जनसंख्या में प्रजनन आयु वर्ग (15-44 वर्ष ) के स्त्री-पुरुषों का अनुपात अधिक होता है, वहाँ प्रजनन दर उच्च होने की सम्भावना रहती है। एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के विकासशील देशों में युवा जनसंख्या अधिक होने के कारण वहाँ प्रजनन दर उच्च है। स्वास्थ्य सुविधाओं के होने से विकसित देशों में शिशु मृत्युदर और वृद्ध मृत्यु दर दोनों ही अपेक्षाकृत् निम्न है जिसके कारण वहाँ युवाओं का अनुपात तथा प्रजनन दर दोनों विकासशील देशों की तुलना में कम है।
वैवाहिक स्तर तथा विवाहित जीवन की अवधि
वैवाहिक स्तर तथा विवाहित जीवन की अवधि का प्रजननता से सीधा सम्बन्ध है। जिस समाज में विवाह आवश्यक माना जाता है वहाँ विवाहितो की संख्या अधिक होने के कारण प्रजनन दर भी उच्च पायी जाती है। इसके विपरीत जिन देशों या समाजों में विवाह आवश्यक नहीं माना जाता है अथवा विवाह देर से होता है, वहाँ प्रजनन दर निम्न होती है।
तलाक, विधवा, विदुरों आदि की संख्या में वृद्धि से प्रजनन दर में कमी और पुनर्विवाह, विधवा विवाह, बहुविवाह आदि प्रथाओं के प्रचलन से प्रजनन दर में वृद्धि की प्रवृत्ति मिलती है। इसी प्रकार विवाहित जीवन की अवधि लम्बी होने पर प्रजननता अधिक और छोटी होने पर प्रजननता कम पाई जाती है।
प्रवास
प्रजननता को नियंत्रित करने में लिंग परक प्रवास का महत्वपूर्ण योगदान होता है। जब किसी क्षेत्र से युद्ध, रोजगार आदि के उद्देश्य से युवा थोड़े या लम्बे समय के लिए अधिक संख्या में किसी दूसरे स्थान पर चले जाते हैं, तब वहाँ उस अवधि में प्रजनन दर घट जाती है क्योंकि युवा स्त्री-पुरुषों के अलग-2 रहने से स्त्रियां गर्भधारण से वंचित रह जाती हैं।
नगरीकरण
प्रजननता पर नगरीकरण का भी प्रभाव देखा जाता है। नगरों में स्त्रियों की तुलना में पुरुषों की संख्या अधिक पाई जाती है जिसका मुख्य कारण यह है कि गाँवों से अधिक संख्या में युवक रोजगार की तलाश में अथवा उच्च शिक्षा के लिए अकेले नगर में जाते हैं और उनका परिवार गाँवों में रहता है। इस प्रकार नगरों में प्रजनन दर निम्न पार्यो जाती है। बढ़ती आवश्यकताओं, शिक्षा के प्रसार, स्त्रियों की आर्थिक क्रियाओं में संलग्नता आदि के कारण नगरों में छोटे परिवार को प्राथमिकता दी जाती है, जिसका परिणाम निम्न प्रजनन दर के रूप में सामने आता है।
सामाजिक-सांस्कृतिक कारक (Socio-Cultural Factors)
प्रजननता के निर्धारण में विभिन्न सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारकों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहता है। देखा जाए तो प्रजनन क्षमता एक जैविक तत्व है और काम वासना व्यक्ति की जैविक आवश्यकता है। फिर भी सन्तान उत्पत्ति की इच्छा तथा परिवार का छोटा या बड़ा होना प्रायः सामाजिक मांग और आवश्यकता से प्रभावित होता है। प्रजननता को प्रभावित करने वाले सामाजिक-सांस्कृतिक कारकों में प्रमुख हैं
(1) विवाह के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण तथा विवाह की आयु
(2) परिवार नियोजन के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण
(3) शैक्षिक स्तर
(4) समाज में स्त्रियों की दशा
(5) पुत्र प्राप्ति की अभिलाषा
(6) धार्मिक विश्वास
(7) जातीय संरचना
(8) अन्य कारक
विवाह के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण तथा विवाह की आयु
विवाह के प्रति समाज का दृष्टिकोण प्रजननता को अधिक प्रभावित करता है। जिस समाज में विवाह आवश्यक संस्कार माना जाता है, वहाँ स्वाभाविक रूप से प्रजनन दर उच्च पाई जाती है। इसके विपरीत जिस देश या समाज में विवाह आवश्यक नहीं माना जाता, वहीं प्रजनन दर अपेक्षाकृत् निम्न पायी जाती है।
इसी प्रकार विवाह की आयु भी एक प्रमुख कारक है। जिस समाज में बाल विवाह की प्रथा होती है वहाँ विवाहित युग्मों की सन्तान उत्पादक आयु अधिक लम्बी होने के कारण प्रजनन दर उच्च पायी जाती है। इसके विपरीत अधिक आयु में विवाह होने पर प्रजनन दर निम्न हो जाती है। इस प्रकार स्पष्ट है कि विवाह की आयु और प्रजनन दर में विपरीत सम्बन्ध पाया जाता है।
परिवार नियोजन के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण
जिस समाज में लोग परिवार को छोटा रखने के इच्छुक व तैयार होते हैं, वहाँ प्रजननता कम पाई जाती है। जिस समाज में स्त्रियाँ घर से बाहर जाकर नौकरी या काम करती हैं और उन्हें बच्चों के लालन-पालन का समय कम मिलता है, वहाँ लोग परिवार नियोजन चाहते हैं। नगरों में बच्चों का पालन- पोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं आदि खर्चीली होती हैं, अतः वहाँ छोटे परिवार को प्राथमिकता दी जाती है।
भारत सहित अनेक विकासशील देशों में विशेष रूप से उनके गाँवों में परिवार को ‘पूँजी’ समझा जाता है जिससे परिवार वृद्धि को प्रोत्साहन मिलता है और प्रजननता उच्च पाई जाती है।
शैक्षिक स्तर
किसी समाज या देश का शिक्षा का स्तर भी प्रजनन दर को प्रभावित करता हैं। समाज में शिक्षा विशेषरूप से स्त्रियों की शिक्षा का प्रसार प्रजनन दर को कम करने में सहायक होता है। सामान्य रूप से शिक्षित स्त्रियाँ बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा तथा उनके भविष्य के प्रति अधिक जागरूक होती हैं और सीमित परिवार की इच्छुक होती हैं। शिक्षा के उत्थान से परिवार नियोजन के अवरोधक-अंधविश्वास, रूढ़िवादिता, धार्मिक कट्टरता आदि कम हो जाते हैं। शैक्षिक स्तर और प्रजननता में सामान्यतः विपरीत सम्बन्ध पाया जाता है।
समाज में स्त्रियों की दशा
समाज में स्त्रियों के स्थान का भी प्रजननता के निर्धारण में महत्वपूर्ण योगदान पाया जाता है। पुरुष प्रधान समाज में जहाँ स्त्रियों की स्वतंत्रता कम होती है, उन्हें भोग की वस्तु समझा जाता है और समाज में उन्हें निम्न स्तर दिया जाता है, वहाँ प्रजनन दर उच्च पायी जाती है। इस्लामिक देशों में स्त्रियों के निम्न स्तर के कारण प्रजनन दर उच्च है।
इसके विपरीत पाश्चात्य देशों में जहाँ समाज में स्त्रियों को पुरुष के समान स्थान प्राप्त होता है अथवा नारी मुक्ति आन्दोलन सक्रिय है, वहाँ प्रजनन दर अपेक्षाकृत् निम्न है।
पुत्र प्राप्ति की अभिलाषा
कुछ समाजों तथा परिवारों में पुत्र जन्म को अधिक महत्व दिया जाता है। विश्व के अधिकतर समाजों में कम से कम एक पुत्र का होना आवश्यक समझा जाता है, जिसका मुख्य कारण है पुरुष सदस्य पर परिवार का निर्भर होना। अनेक दम्पत्ति कई-कई कन्याओं के जन्म के पश्चात् भी पुत्र प्राप्ति की लालसा में बच्चे पैदा करते रहते हैं, जिससे प्रजनन दर में वृद्धि को बढ़ावा मिलता है।
धार्मिक विश्वास
धार्मिक विश्वास तथा धार्मिक मान्यताओं एवं प्रतिबंधों का भी प्रजननता के निर्धारण में महत्वपूर्ण स्थान होता है। यद्यपि विश्व का कोई भी धर्म परिवार नियोजन के ऐच्छिक प्रतिबंधों का पक्षधर नहीं है, किन्तु नियंत्रण की प्रवृत्ति विभिन्न धर्मों में अलग-अलग पाई जाती है। परिवार नियोजन के ऐच्छिक उपायों का संभवतः इस्लाम धर्म सर्वाधिक विरोधी है जिसके कारण मुस्लिम देशों में परिवार नियोजन पर बल नहीं दिया जाता है और फलतः वहाँ प्रजनन दर उच्च पायी जाती है।
किंगस्ले डेविस (1951) ने लिखा है कि भारत में हिन्दू और मुसलमान एक ही पर्यावरण में साथ-साथ निवास करते हैं किन्तु मुसलमानों की जन्मदर हिन्दुओं की जन्मदर से अधिक है। यह तथ्य विभिन्न भारतीय जनगणनाओं से भी स्पष्ट होता है। इसी प्रकार परिवार नियोजन के ऐच्छिक उपायों पर रोमन कैथोलिक इसाई अधिक कठोर नियंत्रण रखते हैं जबकि प्रोटेस्टेन्ट इसाई इसके प्रति अपेक्षाकृत् नरम दृष्टिकोण रखते हैं। इस कारण प्रथम समुदाय की प्रजननता द्वितीय समुदाय की तुलना में अधिक पाईजाती है।
जातीय संरचना
जातीय संरचना का प्रभाव भी प्रजननता पर देखने को मिलता है। भारत में सामाजिक रूप से पिछड़ी हुई जातियों यथा अनुसूचित एवं अनुसूचित जन जातियों में प्रजनन दर सवर्ण जातियों की तुलना में अधिक पायी जाती है।
अन्य कारक
प्रजननता को प्रभावित करने वाले अन्य कारकों में यौन व्यवहार (Sexual behaviour), विवाह के प्रकार, सामाजिक परम्पराएँ, प्रथाएँ एवं मान्यताएँ आदि भी उल्लेखनीय हैं। इस पर अवैध जन्मों की मात्रा तथा सामाजिक मान्यता का भी प्रभाव देखा गया है।
अर्थिक कारक (Economic Factors)
प्रजननता के निर्धारण में परिवार की आय, जीवन स्तर, व्यवसाय, आहार की प्रकृति आदि आर्थिक कारकों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इनमें आय ही सर्वप्रमुख तथा मौलिक तत्व है जो अन्य तत्वों को नियंत्रित करता है। सामान्य तौर पर ऐसा देखा गया है कि निर्धनों में धनिकों की तुलना में जन्मदर अधिक पायी जाती है। उच्च आय वर्गीय परिवारों में मनोरंजन के साधनों की अधिकता, बच्चों का उच्च स्तरीय पालन- पोषण तथा सम्पत्ति को विभाजित होने से बचाने की इच्छा के अनुकूल छोटे परिवार को प्राथमिकता, उच्च जीवन स्तर बनाये रखने की तत्परता आदि कारणों से प्रजनन दर हतोत्साहित होती है।
इसके विपरीत निर्धन या अल्पाय वाले परिवारों में बच्चे कम आयु में ही विभिन्न आर्थिक कार्यों में लग जाते हैं और परिवार की आय वृद्धि में सहायक होते हैं। इसी कारण से परिवार पूँजी समझा जाता है और सन्तानोत्पत्ति पर रोक नहीं लगाई जाती। इनमें बच्चों की शिक्षा या अन्य खर्चीली तैयारी पर कोई व्यय नहीं पड़ता है और साथ ही निर्धन परिवार निम्न जीवन स्तर में रहने के अभ्यस्त होते हैं। अतः ये बच्चों की संख्या बढ़ाने से विशेष परेशानी का अनुभव नहीं करते।
यही कारण है कि गाँवों में नगरों की तुलना में और मलिन बस्तियों में नगरों के अन्य क्षेत्रों की तुलना में प्रजनन दर अधिक पाई जाती है। यही स्थिति विकसित और विकासशील देशों के मध्य भी है। विकसित देशों में प्रजनन दर विकासशील देशों की तुलना में कम है। आर्थिक कारकों में व्यवसाय भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। सामान्यतः शारीरिक कार्य करने वाले व्यक्तियों की तुलना में बौद्धिक एवं मानसिक कार्य करने वाले व्यक्तियों की प्रजनन क्षमता एवं प्रजनन दर कम होती है।
विभिन्न आर्थिक क्रियाओं में संलग्न (कार्यकारी) स्त्रियों में प्रजननता कम होती है क्योंकि वे सीमित परिवार की इच्छुक होती हैं। भोजन या आहार की प्रकृति से भी प्रजननता प्रभावित होती है। भोजन की आदतें तथा प्रयुक्त भोज्य पदार्थों का प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष सम्बन्ध आय के स्तर से सम्बद्ध होता है।
सामान्य रू से उच्च आय वर्ग के व्यक्ति भोजन में प्रोटीनयुक्त पदार्थों का उपभोग अधिक करते है जिससे प्रजनन शक्ति में कमी आती है और अंततः प्रजननता कम हो जाती है। इसके विपरीत निर्धन लोगों में अल्प पोषण से ऐसे दोष नहीं आते हैं। इस प्रकार गरीबों में उच्च प्रजननता और धनिकों में निम्न प्रजननता के पीछे पोषण स्तर तथा आहार की प्रकृति का हाथ भी दिखाई पड़ता है।
राजनीतिक कारक (Political Factors)
प्रजननता को प्रभावित करने में सरकारी नीति का अपना अलग महत्व है। विभिन्न देशों की सरकारें अपने देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के अनुसार जनसंख्या नीति आपनाती है। साम्यवादी चीनी सरकार ने परिवार को सीमित रखने की सरकारी नीति तथा कार्यक्रमों को दृढ़ता से लागू किया है। इसके फलस्वरूप एक विवाहित युग्म से पूरे जीवन में केवल एक ही सन्तान उत्पन्न करने का अधिकार रखा और अन्य सन्तानों की उत्पत्ति दण्डनीय है। हालांकि वर्तमान में चीन ने इस नीति को हटा दिया है।
इसके परिणामस्वरूप पिछले तीन दशकों में चीन की जन्मदर में बड़ी तेजी से गिरावट आयी है। जनसंख्या नियंत्रण के उद्देश्य से जिन देशों में गर्भपात को वैधता प्रदान की गयी है, वहाँ भी प्रजननदर में कम हुई है। भारत में भी जनसंख्या नियमन के उद्देश्य से सरकारी नीति तैयार की गयी है और विविध सरकारी कार्यक्रमों के क्रियान्वयन से प्रजनन दर को कम करने का प्रयत्न किया जा रहा है। इसी प्रकार युद्ध में संलग्र जिस देश में युवकों की अधिक संख्या में मृत्यु हो जाती है वहाँ आगामी कुछ दशकों तक प्रजनन दर निम्न रहती है।
मनोवैज्ञानिक या व्यक्तिगत कारक (Psychological or Personal Factors)
प्रजननता पर व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक धारणा, विचार तथा प्रकृति का भी प्रभाव होता है। पर्यावरण, जाति, धर्म, आय, शैक्षिक स्तर आदि के समान होने पर भी अलग-अलग व्यक्तियों की प्रजननता भिन्न-भिन्न हो सकती है। कोई पुरुष या स्त्री परिवार में एक सन्तान को तो कोई दो तो कोई तीन सन्तान को अच्छा मानते हैं। इसी प्रकार कुछ लोग एक पुत्र अवश्य चाहते हैं और पुत्र प्राप्ति की कामना से कभी-कभी वे कई सन्तानों को जन्म देते हैं। इस प्रकार प्रजननता के निर्धारण में व्यक्तिगत कारक का भी कम महत्व नहीं है।
References
- जनसंख्या भूगोल, डॉ. एस. डी. मौर्या
- जनसंख्या भूगोल, आर. सी. चान्दना
Test Your Knowledge with MCQs
प्रश्न 1: प्रजननता को प्रभावित करने वाले जैविक कारकों में से कौन सा कारक मुख्य रूप से प्रजनन क्षमता को निर्धारित करता है?
a) प्रजाति
b) विवाह की आयु
c) नगरीकरण
d) धार्मिक विश्वास
प्रश्न 2: प्रजननता को प्रभावित करने में किस आयु वर्ग की प्रमुख भूमिका होती है?
a) 0-14 वर्ष
b) 15-44 वर्ष
c) 45-60 वर्ष
d) 60+ वर्ष
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा कारक समाज में स्त्रियों की स्थिति को प्रभावित करता है और प्रजननता पर प्रभाव डालता है?
a) सामाजिक-सांस्कृतिक कारक
b) जनांकिकीय कारक
c) जैविक कारक
d) आर्थिक कारक
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा कारक प्रजननता को प्रभावित करने वाले जनांकिकीय कारकों में शामिल नहीं है?
a) आयु संघटन
b) विवाह की आयु
c) वैवाहिक जीवन की अवधि
d) जातीय संरचना
प्रश्न 5: किस प्रकार का प्रवास प्रजननता को प्रभावित करता है?
a) ग्रामीण से शहरी प्रवास
b) लिंग परक प्रवास
c) अंतर्राष्ट्रीय प्रवास
d) मौसमी प्रवास
प्रश्न 6: परिवार नियोजन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण से किसका प्रभाव कम होता है?
a) प्रजननता
b) जनांकिकीय कारक
c) धार्मिक विश्वास
d) जैविक कारक
प्रश्न 7: नगरीकरण के कारण किस प्रकार के परिवार को प्राथमिकता दी जाती है?
a) बड़ा परिवार
b) छोटा परिवार
c) संयुक्त परिवार
d) विस्तारित परिवार
प्रश्न 8: स्त्रियों की प्रजनन क्षमता किस अवधि के दौरान सर्वाधिक होती है?
a) 15-24 वर्ष
b) 25-34 वर्ष
c) 35-44 वर्ष
d) 45-54 वर्ष
प्रश्न 9: प्रजननता को प्रभावित करने वाले आर्थिक कारकों में से कौन सा कारक सबसे अधिक प्रभावशाली है?
a) आय
b) रोजगार
c) स्वास्थ्य सेवाएं
d) शिक्षा
प्रश्न 10: किस धार्मिक समुदाय में प्रजनन दर सर्वाधिक होती है?
a) हिंदू
b) मुस्लिम
c) ईसाई
d) बौद्ध
उत्तरमाला (Answer Key):
- a) प्रजाति
- b) 15-44 वर्ष
- a) सामाजिक-सांस्कृतिक कारक
- d) जातीय संरचना
- b) लिंग परक प्रवास
- a) प्रजननता
- b) छोटा परिवार
- a) 15-24 वर्ष
- c) स्वास्थ्य सेवाएं
- b) मुस्लिम
FAQs
प्रजननता के निर्धारक वे कारक होते हैं जो किसी समाज में जन्म दर को प्रभावित करते हैं। इनमें जैविक, सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक, और जनांकिकीय कारक शामिल होते हैं।
जैविक कारक जैसे कि स्त्री-पुरुष का प्रजनन आयु, स्वास्थ्य, और पोषण स्तर सीधे तौर पर प्रजनन क्षमता को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, महिलाओं की प्रजनन क्षमता 15-49 वर्ष की उम्र के बीच अधिक होती है।
नगरीकरण से प्रजनन दर में कमी आती है क्योंकि शहरी क्षेत्रों में छोटे परिवारों को प्राथमिकता दी जाती है और परिवार नियोजन के साधन आसानी से उपलब्ध होते हैं।
शिक्षा का प्रजननता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। उच्च शिक्षा प्राप्त महिलाओं में आमतौर पर प्रजनन दर कम होती है क्योंकि वे परिवार नियोजन के महत्व को बेहतर समझती हैं।
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