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इस लेख में आप आयु संघटन (Age Composition) के अर्थ और इसके प्रभावित करने वाले कारकों का अध्ययन करेंगे। आयु संघटन किसी जनसंख्या में विभिन्न आयु वर्गों के अनुसार जनसंख्या के वितरण को दर्शाता है, जिसे आयु संरचना भी कहा जाता है। जनसंख्या का यह वितरण न केवल समाज की संरचना और कार्यशैली को प्रभावित करता है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक विकास की दिशा को भी निर्धारित करता है।
आयु संघटन का विश्लेषण इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जनसंख्या की कार्यशील क्षमता, निर्भरता अनुपात, और आर्थिक विकास के विभिन्न पहलुओं को उजागर करता है। इसके अलावा, प्रजनन दर, मर्त्यता, प्रवास, और अन्य सामाजिक-आर्थिक कारक भी आयु संघटन पर गहरा प्रभाव डालते हैं। इस लेख में हम इन सभी कारकों के प्रभाव को विस्तार से समझेंगे और यह जानेंगे कि कैसे आयु संघटन समाज और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है।
Table of contents
इस लेख में आप आयु संघटन का अर्थ एवं इसको प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे।
आयु संघटन का अर्थ (Meaning of Age Composition)
आयु संघटन किसी जनसंख्या में आयु या आयु वर्गों के अनुसार जनसंख्या के वितरण को दर्शाता है। इसे आयु संरचना (Age structure) भी कहा जाता है। हम जानते हैं कि विश्व के अलग- 2 देशों व प्रदेशों तथा समाजों में विभिन्न आयु वर्गों में जनसंख्या का वितरण एक समान नहीं है। विभिन्न आयु वर्गों की जनसंख्या (आयु संघटन) ही मुख्य रूप से जनसंख्या परिवर्तन की दर और दिशा दोनों को निर्धारित करती है।
किसी भी देश में कार्यशील जनसंख्या का अधिकांश भाग 15 – 59 आयु वर्ग में होता है तथा शेष आयु वर्गों में आश्रित जनसंख्या होती है। अतः जिस जनसंख्या में बच्चों और बूढों की संख्या अधिक होती है, वहाँ कार्यशील जनसंख्या पर निर्भरता अधिक देखने को मिलती है और वहाँ निर्भरता अनुपात उच्च होता है तथा आर्थिक विकास की गति कम होती है।
इसके ठीक विपरीत सक्रिय जनसंख्या (15-59 वर्ष) अधिक होने पर निर्भरता अनुपात कम और आर्थिक प्रगति तीव्र होती है। इसके अतिरिक्त शिक्षा, स्वास्थ्य आदि अन्य सामाजिक-आर्थिक दशाओं पर भी आयु संघटन या आयु संरचना का प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष प्रभाव होता है। आयु संघटन से लगभग सभी जनांकिकीय तत्व संबंधित होते हैं। अत: जनसंख्या भूगोलवेत्ता के लिए जनसंख्या की आयु संरचना के अध्ययन का विशेष महत्व है।
आयु संघटन को प्रभावित करने वाले कारक
प्रजननता या जन्मदर, मर्त्यता या मृत्युदर व प्रवास आयु संघटन को प्रभावित करने वाले मूल कारक हैं जो परस्पर एक दूसरे से सम्बन्धित हैं। इसके अलावा अन्य सामाजिक, आर्थिक दशाएँ भी आयु-संरचना या आयु संघटन को न्यूनाधिक मात्रा में प्रभावित करती हैं। आइए अब उपरोक्त जनांकिकीय तत्वों के प्रभाव को विस्तार में समझते हैं:-
प्रजननता (Fertility)
प्रजननदर (Fertility rate) या जन्मदर (Birth rate) जनसंख्या की आयु संरचना को प्रभावित करने वाला महत्वपूर्ण कारक है। ऐसा देखा गया है कि विश्व के जिन देशों में उच्च जन्मदर है वहाँ निम्न आयु वर्ग में जनसंख्या अधिक पाई जाती है और जीवन प्रत्याशा कम होने के कारण उच्च आयु वर्ग में जनसंख्या का अनुपात कम ही मिलता है।
जहां एक ओर एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के प्रायः सभी विकासशील देशों में उच्च जन्मदर के कारण 35 से 40 प्रतिशत जनसंख्या 0-14 वर्ष के आयु वर्ग में पाई जाती है और 65 वर्ष या इससे ऊपर 4 प्रतिशत से भी कम जनसंख्या मिलती है। वहीं इसके ठीक विपरीत पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अमेरिका, आस्ट्रेलिया आदि महाद्वीपों के विकसित देशों में जन्मदर निम्न तथा जीवन प्रत्याशा उच्च होने के परिणामस्वरूप 0-14 आयु वर्ग के अन्तर्गत 25 प्रतिशत से कम जनसंख्या है और 65 वर्ष या अधिक के आयु वर्ग में 10 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या देखने को मिलती है।
मर्त्यता (Mortality)
आयु संरचना को निर्धारित करने वाला दूसरा प्रमुख कारक मृत्युदर है। सामान्यतया मृत्युदर विभिन्न आयु वर्गों में भिन्न-भिन्न पाई जाती है। जिस आयु वर्ग में मृत्युदर पहले से कम हो जाती है, उसमें जनसंख्या का अनुपात बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए अनेक विकासशील देशों में चिकित्सा सुविधाओं तथा पोषण स्तर में सुधार होने से शिशु मृत्युदर में उल्लेखनीय कमी आई है जिससे उनके बाल आयु वर्ग में जनसंख्या का अनुपात पहले से अधिक हो गया है।
इसी प्रकार उच्च आयु वर्ग में मृत्युदर के ह्रास से वृद्ध व्यक्तियों की संख्या बढ़ जाती है। जीवन प्रत्याशा के निर्धारण में मृत्युदर की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विकासशील देशों मृत्युदर उच्च होने के कारण जीवन प्रत्याशा कम है और उच्च आयु वर्ग में जनसंख्या का अनुपात कम देखने को मिलता है। इसके विपरीत विकसित देशों में निम्न मृत्युदर और उच्च जीवन प्रत्याशा के फलस्वरूप उच्च आयु वर्ग में जनसंख्या का प्रतिशत अपेक्षाकृत अधिक पाया जाता है।
प्रवास (Migration)
जनसंख्या प्रवास भी आयु संघटन को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख कारक है। जब किसी जनसंख्या में किसी विशिष्ट आयु वर्ग के लोगों का अधिक प्रवास होता है, तब वहाँ उस आयु वर्ग के व्यक्तियों का अनुपात कम हो जाता है और जहाँ वे पहुँचते हैं वहाँ उस आयु वर्ग के व्यक्तियों का अनुपात बढ़ जाता है।
प्राय: यह देखा जाता है कि जनसंख्या के प्रवास में युवकों और प्रौढ़ों की संख्या अधिक होती है। जिसके कारण उत्प्रवास (out-migration) वाले प्रदेशों में बच्चों तथा वृद्ध व्यक्तियों संख्या का अनुपात उच्च हो जाता है और युवा जनसंख्या का अनुपात पहले से कम हो जाता है। इसके विपरीत आप्रवास (in-migration) वाले प्रदेश में युवा जनसंख्या का अनुपात अपेक्षाकृत् बढ़ जाता है। इस प्रकार आयु परक प्रवास होने पर आप्रवासी और उत्प्रवासी दोनों क्षेत्रों की आयु संरचना प्रभावित होती है।
अन्य कारक (Other factors)
उपरोक्त तीन कारकों के अलावा भी आयु संघटन पर अन्य कारकों जैसे प्राकृतिक संकट, युद्ध, महामारी, जनसंख्या नीति आदि का भी महत्वपूर्ण प्रभावपड़ता है। युद्ध के समय में तात्कालिक प्रभाव के रूप में जनसंख्या में युवा आयु वर्ग का अनुपात कम हो जाता है। महामारियों तथा संक्रामक बीमारियों का जब सर्वाधिक प्रभाव बच्चों पर होता है तब जनसंख्या में उनका अनुपात कम हो जाता है, जिसका प्रभाव आगे तब तक 60-70 वर्षों तक रहता है जब तक उक्त आयु वर्ग की आयु पूर्ण नहीं हो जाती है।
जनसंख्या नीति का प्रभाव भी आयु संरचना पर होता है। 1990 वें दशक से चीन में एक संतान से अधिक शिशुओं के जन्म पर सरकारी प्रतिबन्ध लगा दिया गया था जिससे वहाँ जन्मदर में बड़ी तीव्रता से कमी आई और जनसंख्या में बच्चों के अनुपात में उल्लेखनीय कमी देखने को मिली। जिसके कारण वर्तमान समय में चीन में बूढ़ों की संख्या अधिक हो गई है।
इसी प्रकार द्वितीय विश्वयुद्ध के तुरन्त बाद जापान ने जन्मदर के नियंत्रित करने के लिए गर्भपात को वैधता प्रदान कर दी थी, जिससे वहाँ जन्मदर में तीव्र ह्रास हुआ और शिशु आयु वर्ग (0-4 वर्ष) का आकार पहले से कम हो गया।
References:
- जनसंख्या भूगोल, एस. डी. मौर्या
- जनसंख्या भूगोल, आर. सी. चान्दना
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प्रश्न 1: आयु संघटन (Age Composition) किसे दर्शाता है?
A) किसी जनसंख्या में लिंगानुपात
B) किसी जनसंख्या में विभिन्न आयु वर्गों के अनुसार जनसंख्या का वितरण
C) किसी जनसंख्या में साक्षरता दर
D) किसी जनसंख्या की जन्मदर
प्रश्न 2: विश्व के किस क्षेत्र में 0-14 आयु वर्ग में जनसंख्या का प्रतिशत सबसे अधिक पाया जाता है?
A) पश्चिमी यूरोप
B) उत्तरी अमेरिका
C) एशिया
D) ऑस्ट्रेलिया
प्रश्न 3: आयु संघटन को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक कौन सा है?
A) साक्षरता
B) प्रजननता
C) आर्थिक स्थिति
D) भूगोलिक स्थिति
प्रश्न 4: जीवन प्रत्याशा का निर्धारण किस पर निर्भर करता है?
A) लिंगानुपात
B) शिक्षा
C) मृत्युदर
D) प्रवास
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा देश निम्न जन्मदर और उच्च जीवन प्रत्याशा के कारण 65 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में अधिक जनसंख्या रखता है?
A) नाइजीरिया
B) भारत
C) जापान
D) ब्राजील
प्रश्न 6: किस आयु वर्ग को सामान्यत: कार्यशील जनसंख्या के रूप में जाना जाता है?
A) 0-14 वर्ष
B) 15-59 वर्ष
C) 60-74 वर्ष
D) 75 वर्ष से अधिक
प्रश्न 7: उच्च निर्भरता अनुपात किस प्रकार की जनसंख्या संरचना से संबंधित है?
A) युवा जनसंख्या की अधिकता
B) वृद्ध जनसंख्या की अधिकता
C) कार्यशील जनसंख्या की अधिकता
D) उपरोक्त सभी
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा कारक आयु संरचना को सबसे अधिक प्रभावित करता है?
A) जलवायु परिवर्तन
B) शिक्षा का स्तर
C) प्रजनन दर
D) शहरीकरण
प्रश्न 9: आयु संघटन के अध्ययन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
A) जनसंख्या की जन्मदर का विश्लेषण
B) जनसंख्या की आर्थिक संरचना का विश्लेषण
C) जनसंख्या के आयु वितरण और उसके प्रभावों का विश्लेषण
D) जनसंख्या की सांस्कृतिक संरचना का विश्लेषण
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से किस अवधि में जापान ने गर्भपात को वैधता देकर जन्मदर को नियंत्रित किया?
A) प्रथम विश्व युद्ध के बाद
B) द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान
C) द्वितीय विश्व युद्ध के तुरंत बाद
D) 1990 के दशक में
उत्तर:
- B
- C
- B
- C
- C
- B
- B
- C
- C
- C
FAQs
आयु संघटन किसी जनसंख्या में विभिन्न आयु वर्गों के अनुसार जनसंख्या के वितरण को दर्शाता है। इसे आयु संरचना भी कहा जाता है। आयु संघटन किसी देश या क्षेत्र की सामाजिक, आर्थिक और जनसंख्या संरचना को समझने में मदद करता है। यह विभिन्न आयु समूहों में जनसंख्या की संख्या और उनके प्रतिशत को दर्शाता है, जो कि जनसंख्या परिवर्तन, कार्यशील जनसंख्या, निर्भरता अनुपात, और सामाजिक-आर्थिक विकास की दिशा को प्रभावित करता है।
आयु संघटन का आर्थिक विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। यदि किसी देश में कार्यशील जनसंख्या (15-59 वर्ष) अधिक हो, तो निर्भरता अनुपात कम होता है और आर्थिक प्रगति तेज होती है। इसके विपरीत, यदि बच्चों और वृद्धों की संख्या अधिक हो, तो कार्यशील जनसंख्या पर निर्भरता बढ़ जाती है, जिससे आर्थिक विकास की गति धीमी हो जाती है। इसलिए आयु संरचना का विश्लेषण आर्थिक नीतियों के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भारत में आयु संघटन की विशेषताएँ इस प्रकार हैं: यहाँ 0-14 वर्ष के आयु वर्ग में जनसंख्या का बड़ा हिस्सा पाया जाता है, जो उच्च प्रजनन दर का परिणाम है। 15-59 वर्ष के आयु वर्ग में कार्यशील जनसंख्या अधिक है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हालांकि, उच्च निर्भरता अनुपात भी देखा जाता है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। भारत की जीवन प्रत्याशा बढ़ने के कारण वृद्ध जनसंख्या का अनुपात भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है।
निर्भरता अनुपात किसी जनसंख्या में कार्यशील जनसंख्या (15-59 वर्ष) की तुलना में आश्रित जनसंख्या (0-14 वर्ष और 60 वर्ष से अधिक) के अनुपात को दर्शाता है। यह अनुपात इस बात का संकेत देता है कि कार्यशील जनसंख्या पर कितनी निर्भरता है। उच्च निर्भरता अनुपात का मतलब है कि कार्यशील जनसंख्या पर अधिक आर्थिक और सामाजिक जिम्मेदारियाँ होती हैं, जो देश की आर्थिक विकास को धीमा कर सकती हैं।
आयु संघटन का स्वास्थ्य सेवाओं पर सीधा प्रभाव होता है। यदि किसी जनसंख्या में बच्चों और वृद्धों की संख्या अधिक हो, तो स्वास्थ्य सेवाओं की माँग बढ़ जाती है, क्योंकि इन आयु वर्गों को विशेष चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है। इसके विपरीत, यदि कार्यशील जनसंख्या का प्रतिशत अधिक हो, तो स्वास्थ्य सेवाओं की माँग कम हो सकती है, लेकिन उत्पादनशीलता बढ़ने से अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार, आयु संरचना को ध्यान में रखकर स्वास्थ्य सेवाओं की योजना बनानी चाहिए।
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