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परिवहन लागत (Transport Cost)

हम सब जानते हैं कि धरातल पर मानव व अन्य प्राकृतिक संसाधनों या वस्तुओं का वितरण एवं उपलब्धता एक समान नहीं है। यहां तक एक ही क्षेत्र विशेष में भी सभी प्रकार के संसाधनों की उपलब्धता तथा वस्तुओं का उत्पादन करना न तो सम्भव है और न ही लाभदायक होता है। यदि दो क्षेत्रों में संसाधनों की उपलब्धता समान हो भी जाए तब भी तकनीकी रूप से विकसित क्षेत्र अपेक्षाकृत कम लागत में वस्तु-निर्माण कर सकता है। 

दूसरी ओर विभिन्न क्षेत्रों या देशों में लोगो के जीवन स्तर को ऊँचा करने की प्रवृत्ति के कारण विभिन्न वस्तुओं की मांग तथा उनकी क्रय-शक्ति लगातार बढ़ती ही जा रही है। इसलिए जो देश संसाधन सम्पन्न हैं, परन्तु आर्थिक दृष्टि से व तकनीकी तौर से पिछड़े हैं, वे अपने संसाधनों के बदले तकनीकी ज्ञान व आधुनिक यंत्रों तथा निर्मित वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील हैं। साथ ही विकसित राष्ट्रों में भी विभिन्न विशिष्ट वस्तुओं की माँग बढ़ रही है।

यही कारण है कि विभिन्न देशों या प्रदेशों के बीच व्यापार लगातार बढ़ता ही जा रहा है। और दो देशों या प्रदेशों के बीच व्यापारिक अन्तर्सम्बन्ध परिवहन साधनों की सुलभता तथा परिवहन लागत के स्तर पर निर्भर करता है। 

परिवहन लागत का अर्थ
परिवहन लागत से तात्पर्य वस्तुओं या लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक लाने व ले जाने में होने वाले व्यय/खर्च से है। इसमें ईंधन की लागत, वाहनों के रखरखाव या परिवहन के साधन, श्रम लागत, बीमा, कर और परिवहन से जुड़े अन्य खर्च शामिल हैं।

परिवहन लागत के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि आज सर्वाधिक अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सामुद्रिक मार्गों द्वारा ही किया जाता है ताकि परिवहन की लागत को कम से कम रखा जा सके। वहीं, वायु परिवहन उच्च लागत के कारण कम भार वाली मूल्यवान वस्तुओं तक ही सीमित है। 

परिवहन लागतों पर प्रभाव डालने वाले 3 मुख्य घटक लेन-देन (Transaction), लदान लागत तथा दूरी का घर्षण हैं। दूरी का घर्षण प्रदर्शित करता है कि एक इकाई लागत में कितनी इकाई दूरी की यात्रा की जा सकती है? लदान (Shipment) उपयोग किये गये साधन पर निर्भर करता है। आर्थिक क्रियाओं की संरचना तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार पर परिवहन लागत महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालती है। अनुभवजन्य साक्ष्य बताते हैं कि परिवहन लागत में 10 प्रतिशत की वृद्धि परिवहन की जाने वाली वस्तुओं की मात्रा में 20 प्रतिशत से अधिक कमी कर देती है।

ऊपर बताए गए परिवहन लागत के घटकों को ध्यान में रखते हुए, परिवहन लागतों को प्रभावित करने वाली प्रमुख परिस्थितियाँ निम्नलिखित हैं-

(1) भूगोल (Geography) 

भूगोल का परिवहन पर दूरी एवं अभिगम्यता (किसी स्थान तक आसानी से पहुँच) के रूप में प्रभाव डालता है। यहाँ दूरी अधिक महत्त्वपूर्ण है। दूरी को मार्ग की लम्बाई, समयावधि, लागत एवं ऊर्जा के उपयोग के रूप में अभिव्यक्त किया जा सकता है। यह उपयोग में लाए जाने वाले  परिवहन माध्यम (स्थल, जल और वायु), मार्गों की क्षमता व परिवहन साधनों के प्रकारों से प्रभावित होता है।

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जो देश दूसरे देशों या स्थानों के साथ सीधे महासागरीय परिवहन से जुड़े नहीं होते अर्थात जो देश स्थल आबद्ध (Land Locked) हैं, उनको अधिक परिवहन लागत देनी पड़ती है। इसके अतिरिक्त हिमावरण, पर्वत, नदियाँ, जलवायु, मौसम, बीहड़ (Ravines), वन, मरुस्थल आदि भौगोलिक परिस्थितियाँ भी परिवहन लागत को प्रभावित करती हैं।

(2) उत्पाद का प्रकार (Type of Product) 

कुछ पदार्थ तो ऐसे होते हैं जिनके लिए विशेष सम्वेष्टन (Packaging) की आवश्यकता होती है। वहीं कुछ अत्यधिक भारी, भंगुर, शीघ्र नाशवान अथवा विशेष रख-रखाव (Handling) की आवश्यकता वाले होते हैं जिनकी परिवहन लागत अधिक होती है। जैसे लौह-अयस्क का आसानी से परिवहन किया जा सकता है जबकि सब्जियों, फलों, फूलों, दुग्ध उत्पादों, मांस आदि को विशेष भण्डारण तथा उपकरणों से सज्जित परिवहन साधनों की आवश्यकता होती है।

इसके अतिरिक्त परिवहन में जोखिम कम करने के लिए किया जाने वाला बीमा भी लागत को बढ़ाता है। ऐसे ही, यदि यात्रा की दूरी बहुत अधिक होती है तो यात्रियों के लिए आरामदायक व सभी सुख-सुविधाओं से युक्त व्यवस्था की आवश्यकता होती है, जो परिवहन लागत को बढ़ाती है।

(3) पदार्थ की मात्रा (Amount of Goods) 

जितनी अधिक मात्रा में पदार्थ का परिवहन किया जायेगा,उतनी ही प्रति इकाई पदार्थ की परिवहन लागत कम आयेगी। बड़े स्तर पर वस्तुओं, जैसे—कोयला, तेल, धात्विक व अधात्विक खनिज आदि का प्रति इकाई कम लागत पर परिवहन सम्भव होता है। कंटेनरों द्वारा परिवहन करने पर भी प्रति इकाई लागत कम आती है।

(4) ऊर्जा (Energy)

परिवहन के साधन अधिक मात्रा में ऊर्जा का उपभोग करते हैं। उदाहरण के लिए, विश्व के कुल पेट्रोलियम उपभोग का 60 प्रतिशत परिवहन गतिविधियों द्वारा उपयोग किया जाता है। एक अर्थव्यवस्था के कुल ऊर्जा उपभोग का 25 प्रतिशत परिवहन द्वारा खर्च किया जाता है। वायु परिवहन जैसे अधिक ऊर्जा की आवश्यकता वाले परिवहन माध्यम ऊर्जा मूल्यों के उतार-चढ़ाव से बहुत अधिक प्रभावित होते हैं।

हालांकि, परिवहन गतिविधियों में उपयोग किए जाने वाली ऊर्जा के प्रकार से भी परिवहन लागत प्रभावित हो सकती है। जैसे सी.एन.जी. (CNG) से चलने वाले परिवहन साधनों पर पेट्रोल द्वारा चलने वाले परिवहन साधनों की अपेक्षा कम लागत आती है।

(5) व्यापार असन्तुलन (Trade Imbalance) 

आयात व निर्यात के मध्य असन्तुलन परिवहन लागत पर प्रभाव डालता है। कंटेनर परिवहन में व्यापार असन्तुलन के कारण एक और खाली ही चलाना पड़ता है जिससे कुल लागत बढ़ जाती है। इसी क्रम में यदि व्यापार सन्तुलन अधिक ऋणात्मक (आयात अधिक व निर्यात कम) है तो आयात की परिवहन दर निर्यात की परिवहन दर से अधिक होगी।

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समान परिस्थिति राष्ट्रीय व स्थानीय स्तर पर लागू होती है, जहाँ भाड़ा प्रवाह प्रायः एक दिशा में खाली करता है। दूसरी ओर यदि दो क्षेत्रों के बीच आयात और निर्यात के बीच संतुलन की स्थिति हो। तब परिवहन के साधन एक क्षेत्र में  किसी वस्तु को लाते हैं तो जाते हुए वह दूसरे क्षेत्र के लिए आवश्यक वस्तुएं ले जा सकता है। जिससे परिवहन लागत कम हो सकती है।

(6) आधारभूत संरचना (Infrastructure)

परिवहन माध्यम की दक्षता व क्षमता तथा गंतव्य स्थल; परिवहन लागत पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालते हैं। निम्न सुविधाओं (ख़राब रास्ते,निम्न गुणवत्ता के साधन या साधनों की उपलब्धता में कमी आदि ) वाले गंतव्य स्थलों (Terminals) के लिए अधिक परिवहन लागत आती है, अधिक समय लगता है तथा नकारात्मक आर्थिक परिणाम देखने को मिलते हैं। अधिक विकसित परिवहन तंत्रों में कम परिवहन लागत आती है, वे अधिक विश्वसनीय होते हैं तथा अधिक परिवहन भार सहने में सक्षम होते हैं।

(7) परिवहन माध्यम (Mode of Transportation) 

विभिन्न परिवहन माध्यमों की अपनी क्षमता, सीमाएँ व कार्य करने की परिस्थितियाँ होती हैं जो भिन्न परिवहन लागतों का निर्धारण करती हैं। उदाहरण के लिए, वायु मार्ग की अपेक्षा थल मार्ग तथा थल मार्ग की अपेक्षा जल मार्ग पर परिवहन लागत कम आती है। इसके अतिरिक्त जब दो या अधिक माध्यम प्रत्यक्ष प्रतियोगिता में होते हैं तो कम लागत वाला माध्यम अधिक लोकप्रिय होता है।

(8) परिवहन साधन (Means of Transportation) 

ढोई जाने वाली वस्तु की प्रकृति, मूल्य एवं गंतव्य के आधार पर विभिन्न साधनों में से सबसे कम परिवहन लागत वाले साधन का चुनाव किया जाता है जो कम से कम समय में गंतव्य पर पहुँच सके।

(9) प्रतियोगिता एवं विनियमन (Competition and Regulation) 

यह परिवहन में जटिल प्रतियोगितात्मक एवं विनियामक वातावरण से सम्बन्धित है। परिवहन सेवाएँ उच्च प्रतियोगिता वाले खण्ड का स्थान ले रही हैं जहाँ निम्न लागत महत्त्वपूर्ण है। महासागरीय व वायु परिवहन जैसे परिवहन उद्योगों में अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा बड़ी है। परिवहन दरें, तटीय व्यापार कानून, श्रम एवं सुरक्षा जैसे अधिनियम परिवहन लागत में वृद्धि करते हैं।

(10) समय (Time) 

परिवहन लागत निर्धारण में समय की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। समय निम्नलिखित रूपों में परिवहन लागत को प्रभावित करता है-

(i) परिवहन समय अवधि (Transport Time Duration)

दूरी तय करने में  लगने वाले समय की अवधि परिवहन लागत को प्रभावित करती है। स्थलाकृति, जलवायु, मौसम, परिवहन माध्यम व साधन का प्रकार व स्थिति, तकनीकी सीमाएँ, कानूनी गति सीमा, गति आदि कारक समयावधि को प्रभावित करते हैं। कम-से-कम समय में गंतव्य तक पहुँचाने वाला साधन व माध्यम अधिक लोकप्रिय होता है। परन्तु सामान्यतः उसकी परिवहन लागत तुलनात्मक रूप से अधिक होती है।

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(ii) प्रतीक्षा समय (Waiting Period)

जहां माँग अधिक व आपूर्ति कम हो तो उपभोक्ता को प्रतीक्षा सूची में अपने क्रम की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। इसके अतिरिक्त सेवा प्रदाता को सेवा प्रदान करने से पूर्व भी कुछ तैयारी करनी पड़ती है। इस प्रकार कुछ समय की देरी वांछनीय है।

(iii) समय निर्धारण एवं पालन (Time Scheduling and Punctuality)  

वायुयान व रेल जैसे परिवहन साधन निर्धारित समय-सारणी के अनुसार चलते हैं, परन्तु सड़क परिवहन में विभिन्न कारणवश निर्धारित समय में परिवर्तन यदा-कदा हो जाता है। निर्धारित समय पर आरम्भिक स्थल से गंतव्य पर पहुँचना परिवहन सेवा का प्रमुख उद्देश्य होता है परन्तु जितनी अधिक दूरी तक परिवहन होता है निर्धारित समय में विसरण उतना ही अधिक होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

(iv) आवृत्ति (Frequency)  

बड़ी जनसंख्या आकार वाले गंतव्यों के लिए सेवा की आवृत्ति अधिक जबकि छोटे स्थलों के लिए आवृत्ति कम होती है। सेवा की निर्धारित समय अवधि में आवृत्ति जितनी अधिक होती है सेवा उतनी ही अधिक उत्तम होती है, क्योंकि उपभोक्ता को अपने अनुसार विकल्प चुनने की स्वतंत्रता बढ़ जाती है। उच्च आवृत्ति के लिए अधिक परिवहन साधनों की आवश्यकता होती है। अधिक दूरी व उच्च आवृत्ति सेवा प्रदाता का खर्च बढ़ा देती है।

परिवहन लागतों के प्रकार (Types of Transport Cost)

परिवहन लागतों के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-

1. टर्मिनल लागत (Terminal Cost)

उद्गम व गंतव्य स्थलों पर वस्तुओं या पदार्थों के लादने (लदान) व उतारने से सम्बन्धित लागतें इसमें शामिल होती हैं।

2. ढुलाई लागत (Line Haul Cost)

प्रति इकाई वस्तु अथवा यात्री की एक इकाई दूरी तय करने पर आने वाली परिवहन लागत जिसे भार के अनुसार निर्धारित किया जाता है, ढुलाई लागत कहलाती है। इसमें यानान्तरण (Transshipment) लागत को शामिल नहीं किया जाता।

3. पूँजी लागत (Capital Cost)

परिवहन की भौतिक सम्पत्तियों, मुख्य रूप से आधारभूत संरचना, टर्मिनल्स एवं वाहनों आदि को जुटाने में लगा धन पूँजी लागत (Capital Cost) कहलाती है। यह अचल सम्पत्तियों को खरीदने की लागत है जो सामान्तया एक बार ही खर्च की जाती है। क्योंकि भौतिक सम्पत्तियों का समय के साथ ह्रास होता जाता है, जिसके कारण इनके रख-रखाव एवं मरम्मत के लिए पूँजी निवेश की लगातार आवश्यकता पड़ती रहती है।

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