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स्वेज नहर (Suez Canal)

स्वेज नहर दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण जलमार्गों में से एक है, जो भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण एवं छोटा मार्ग प्रदान करती है। इसका इतिहास लगभग डेढ़ सदी से अधिक पुराना है, और इसका महत्व हाल के दिनों में बढ़ा है। यहां हम स्वेज नहर की उत्पत्ति, वैश्विक व्यापार में इसकी भूमिका और इसकी भविष्य की संभावनाओं का पता लगाएंगे।

स्वेज नहर की उत्पत्ति / निर्माण 

जैसा कि ऊपर बताया गया है, भूमध्य सागर और लाल समुद्र को जोड़ने वाली इस नहर का विचार प्राचीन काल से चला आ रहा था। मिस्र के फिरौन (राजा/शासक) ने पहले इस तरह के जलमार्ग का निर्माण करने का प्रयास किया था। हालाँकि, 19वीं सदी तक नौगम्य नहर का सपना साकार नहीं हुआ।

परंतु 19वीं सदी के उत्तरार्ध में स्वेज नहर की खुदाई 1859 में अलेग्जेण्ड्रिया में स्थित फ्रांसीसी दूतावास के एक इन्जीनियर फर्डिनेण्ड-डि-लेसेप्स के निर्देशन में आरम्भ हुई थी। उन्होंने इसके लिए आवश्यक वित्तपोषण प्राप्त किया और मिस्र सरकार से रियायतें प्राप्त कीं । दस साल के भीषण श्रम के बाद नहर 1869 में पूरी हुई और यह जल्दी से एक महत्वपूर्ण शिपिंग मार्ग बन गया।

इस नहर की लम्बाई 162 किमी है; औसत चौड़ाई 60 मीटर और गहराई 10 मीटर है। 1956 में मिस्र सरकार ने इस नहर का राष्ट्रीयकरण कर दिया था। 1967 में संयुक्त राष्ट्र संघ (U.NO.) ने इस राष्ट्रीयकरण को अपनी सहमति भी दे दी थी। 

स्वेज़ नहर के भूमध्यसागरीय की ओर तट पर पोर्ट सईद बन्दरगाह है। उसके दक्षिण में यह नहर मेझाला झील को पार करती हुई अलकन्तारा, अलफ़िरदान और इस्माइलिया नहरी पोताश्रयों तक आने के बाद उसके दक्षिण में स्थित झीलों, ग्रेट बिटर झील और लिटिल बिटर झील को पार करती है। नहर के दक्षिणी सिरे पर, जहाँ यह लाल सागर से मिलती है, पश्चिम में स्वेज़ पत्तन है और पूर्व में पत्तन तोफीक है। बिटर झीलों में जहाज़ रात के समय लंगर डालकर ठहर सकते हैं। उसके बाद नहर का अन्तिम भाग लगभग 50 किमी तक बिल्कुल सीधा है। इस्माइलिया पर एक मीठे जल की नहर स्वेज़ से आकर मिलती है।

Suez Canal on Map
Suez Canal on World Map

स्वेज नहर का महत्व 

  1. आज, स्वेज नहर वैश्विक व्यापार की एक महत्वपूर्ण धमनी है, जो यूरोप और एशिया को जोड़ती है और दो महाद्वीपों के बीच माल की आवाजाही को सुगम बनाती है। शिपिंग कंपनियों के लिए नहर एक महत्वपूर्ण शॉर्टकट है, जिससे वे अफ्रीका के दक्षिणी सिरे के आसपास लंबी और खतरनाक यात्रा से बच सकते हैं।
  2. स्वेज़ नहर के द्वारा यूरोपीय देशों और भारत, बाँग्लादेश, इण्डोनेशिया, आदि एशियाई देशों के बीच की दूरी कम हो गई है। उदाहरण के लिए, स्वेज़ मार्ग द्वारा लिवरपूल से मुम्बई तक लगभग 8,000 किमी, लिवरपूल और योकोहामा के बीच 5,400 किमी और लिवरपूल तथा सिडनी के बीच 2,000 किमी की बचत हो गई है। इससे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन मिला है, विशेषकर ग्रेट ब्रिटेन और कॉमनवैल्थ देशों के बीच व्यापार में वृद्धि हुई है।
  3. इस नहर के बनने से यूरोपीय देशों विशेष रूप से ब्रिटेन को बहुत लाभ हुआ । इस जलमार्ग के द्वारा ब्रिटेन अपने सुदूर-पूर्व स्थित उपनिवेशों से सस्ता कच्चा माल मँगाता था तथा उन्हें निर्मित माल निर्यात किया करता था । इसीलिए इस नहर को ब्रिटिश साम्राज्य की स्नायु- नाड़ी (Jugular Vein of the British Empire) कहा जाता था ।
  4. स्वेज नहर प्राधिकरण के अनुसार, 2020 में 19,000 से अधिक जहाज नहर से गुजरे, जिसमें कुल 1.17 बिलियन टन माल था। इस कार्गो का अधिकांश हिस्सा पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पादों का था, इसके बाद कंटेनरीकृत सामान और सूखी थोक वस्तुएं थीं।
  5. स्वेज नहर वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। नहर हर साल मिस्र के लिए अरबों डॉलर का राजस्व उत्पन्न करती है, और यह अनुमान लगाया जाता है कि नहर देश के सकल घरेलू उत्पाद में 2% से अधिक का योगदान करती है। इसके अलावा, नहर उन हजारों लोगों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है जो नहर में और उसके आसपास काम करते हैं, जिनमें पायलट, स्टीवडोर और अन्य सहायक कर्मचारी शामिल हैं।
  6. इस नहर के खुल जाने से केवल पश्चिमी देशों को ही लाभ नहीं हुआ, बल्कि पूर्वी संसार को भी इससे व्यापारिक फ़ायदा हुआ है। खाड़ी क्षेत्र में घटने वाले राजनीतिक घटनाक्रम के अनुसार इस मार्ग का प्रयोग घटता-बढ़ता, बंद होता और खुलता रहता है। फिर भी यह निश्चित है कि स्वेज़ नहर निर्माण के द्वारा भौगोलिक परिवर्तन करके राष्ट्रों के भाग्य बदलने वाला इससे बड़ा अकेला मानवीय उद्यम (Enterprise) पिछली शताब्दी में और कोई नहीं हुआ ।
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स्वेज़ नहर द्वारा व्यापार 

यूरोपीय देशों को जाने वाले व्यापारिक माल में फारस की खाड़ी के देशों से पेट्रोलियम के उत्पादित पदार्थ, भारत तथा अन्य देशों से धातुएँ, मैंगनीज़, अभ्रक, टिन, अन्य खनिज पदार्थ, रबर, चाय, जूट और जूट का सामान, कपास, सूती वस्त्र, मॉस, ऊन, नारियल, वनस्पति तेल, चमड़ा और खालें, सागवान लकड़ी, कॉफी, मसाले, आदि होते हैं। यूरोप से आने वाले माल में लोह-इस्पात, मशीनें, रेलवे का सामान, मोटरगाड़ियाँ, रासायनिक पदार्थ, उर्वरक, वस्त्र, मोटर कार तथा विविध प्रकार की निर्मित सामग्री होती हैं।

स्वेज नहर के सामने चुनौतियाँ

इसके महत्व के बावजूद, स्वेज नहर को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो लंबी अवधि में इसकी व्यवहार्यता को खतरे में डाल सकती हैं। 

  1. सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक जलवायु परिवर्तन है, जिसके कारण समुद्र का स्तर बढ़ रहा है और नहर के किनारों पर बाढ़ और कटाव का खतरा बढ़ रहा है। 2020 में, तेज़ हवाओं और रेत के तूफान के कारण नहर को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था।
  2. स्वेज नहर के सामने एक और चुनौती वैकल्पिक शिपिंग मार्गों से प्रतिस्पर्धा है, जैसे कि उत्तरी समुद्री मार्ग, जो आर्कटिक में समुद्री बर्फ पिघलने के कारण तेजी से व्यवहार्य हो रहा है। यह मार्ग स्वेज नहर की तुलना में यूरोप और एशिया के बीच कम दूरी प्रदान करता है और आने वाले वर्षों में एक महत्वपूर्ण प्रतियोगी बन सकता है।
  3. स्वेज नहर को भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है, विशेष रूप से ग्रैंड इथियोपियन रेनेसां डैम’ (The Grand Ethiopian Renaissance Dam- GERD) के निर्माण को लेकर मिस्र और इथियोपिया के बीच तनाव से सम्बन्धित है। बांध, जो नील नदी पर बनाया जा रहा है, स्वेज नहर में पानी के प्रवाह को कम कर सकता है और इसकी व्यवहार्यता को खतरे में डाल सकता है।

स्वेज नहर के लिए भविष्य की संभावनाएं

इन चुनौतियों के बावजूद, स्वेज नहर निकट भविष्य के लिए वैश्विक व्यापार की एक महत्वपूर्ण धमनी बने रहने की संभावना है। हाल के वर्षों में नहर का महत्वपूर्ण उन्नयन और आधुनिकीकरण हुआ है, जिसमें नहर का विस्तार और मौजूदा नहर के साथ एक नई नहर का निर्माण शामिल है।

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इसके अलावा, स्वेज नहर प्राधिकरण ने नहर की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने और अधिक यातायात को आकर्षित करने के उद्देश्य से कई पहलें शुरू की हैं। इनमें नहर के साथ नए बंदरगाहों और रसद सुविधाओं का विकास और नई सेवाओं की शुरूआत शामिल है, जैसे: ट्रांजिट पास जो जहाजों को नहर से अधिक तेज़ी से और कुशलता से गुजरने की अनुमति देता है।

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