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यदि आप बी.ए., एम.ए., यूजीसी नेट, यूपीएससी, आरपीएससी, केवीएस, एनवीएस, डीएसएसएसबी, एचपीएससी, एचटीईटी, आरटीईटी, या यूपीपीसीएस, बीपीएससी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, तो भूगोल विषय में कपास के उत्पादन, वितरण, और इसकी किस्मों के बारे में ज्ञान होना आवश्यक है। कपास की खेती, इसके लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएं, और प्रमुख उत्पादक राज्यों की जानकारी इस क्षेत्र में आपके ज्ञान को मजबूत करेगी। इस पोस्ट में, हम कपास की कृषि से संबंधित विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझेंगे, जिससे आपकी तैयारी को लाभ मिलेगा और आपको परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
Table of contents
कपास एक उष्ण एवं उपोषणकटिबंधीय झाड़ीनुमा पौधा है, जिसकी ऊंचाई 1.5 से लेकर 2 मीटर तक हो सकती है। इस पौधे पर अनेक डोडिया (Pods) लगती हैं। इन डोडियों में बीज के चारों ओर रेशा लिपटा हुआ होता है। इसी रेशे से कपड़े तैयार किए जाते हैं। इसके बीज का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है। इसके बीज से तेल भी निकाला जाता है। तेल निकालने के बाद शेष बचे भाग को पशुओं के चारे व खाद के रूप में भी प्रयोग में लाया जाता है।
लगभग 80 प्रतिशत कपास का उपयोग परिधान (कपड़े) में किया जाता है, 15 प्रतिशत घरेलू सामानों में और शेष 5 प्रतिशत गैर-बुने हुए अनुप्रयोगों जैसे फिल्टर और पैडिंग के लिए उपयोग किया जाता है।
विश्व कपास दिवस (WCD) 7 अक्टूबर को मनाया जाता है और यह दिन कपास को बढ़ावा देने, ज्ञान साझा करने और कपास से संबंधित गतिविधियों और उत्पादों को प्रदर्शित करने के अवसर का प्रतिनिधित्व करता है।
कपास की किस्में
वैसे तो कपास की अनेक किस्में हैं। लेकिन व्यापार की दृष्टि से महत्वपूर्ण कपास का वर्गीकरण इसके रेशे की लंबाई के अनुसार किया जाता है। जो इस प्रकार है:
छोटे रेशे वाली कपास
इस कपास का रेशा 25 मिलीमीटर से भी छोटा होता है। सामान्य तौर पर इस किस्म के रेशे की लंबाई 12 मिलीमीटर से लेकर 23 मिलीमीटर तक होती है। यह कपास भारत, चीन, तथा दक्षिणी-पूर्वी एशिया के अन्य देशों व ब्राज़ील में पैदा की जाती है।
मध्यम रेशे वाली कपास
इसका रेशा 32 मिलीमीटर से 40 मिलीमीटर तक लंबा होता है। यह रेशा मजबूत भी होता है। इस किस्म की कपास संयुक्त राज्य अमेरिका में सर्वाधिक उत्पादित की जाती है। भारत में भी इसका उत्पादन किया जाता है। व्यापार की दृष्टि से यह सबसे महत्वपूर्ण कपास है।
लम्बे रेशे वाली कपास
यह सबसे उत्तम किस्म की कपास होती है। जिसमें रेशे की लंबाई 60 मिलीमीटर से अधिक होती है। इसका रेशा लंबा, चमकीला, लचीला, हल्का, मजबूत तथा मुलायम होता है। इस कपास के रेंशो से उच्च कोटि के वस्त्र बनाए जाते हैं। यह कपास संयुक्त राज्य अमेरिका तथा पश्चिमी देशों में की जाती है। अब भारत में भी इस क़िस्म की खेती बड़े पैमानेपर होने लगी है।
भारत में कपास के कुल क्षेत्र का लगभग 17% छोटे रेशे वाली, 44% मध्यम रेशे वाली, तथा 39% लंबे रेशे वाली कपास के अंतर्गत आता है। वहीं कपास के कुल उत्पादन का लगभग 16% छोटे रेशे वाली, 43% मध्यम रेशे वाली तथा 41% लंबे रेशे वाली कपास का होता है।
कपास के उत्पादन के लिए निम्नलिखित भौगोलिक दशाएं अनुकूल होती हैं:
कपास के उत्पादन के लिए आवश्यक दशाएँ
तापमान
जैसा कि पहले बताया जा चुका है, कपास एक उपोष्ण तथा उष्णकटिबंधीय पौधा है। अतः इसे ऊँचे तापमान की आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए 21 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान अनुकूल होता है। पाला इसकी खेती के लिए शत्रु का काम करता है। अतः जंहा कपास की खेती की जाती है, वहां वर्ष में 200 दिन पाला रहित होने अनिवार्य है। तेज धूप कपास के पौधे को बढ़ने में सहयोग करती हैं।
वर्षा
कपास की खेती के लिए 50 से 100 सेंटीमीटर के बीच वर्षा पर्याप्त होती है। वर्षा थोड़े-थोड़े दिनों के अंतराल पर होती रहनी चाहिए। पकते समय शुष्क वातावरण की जरूरत होती है। इसकी खेती कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी सिंचाई की सहायता से की जा सकती है। सिंचाई भूमि पर पैदा होने वाली कपास उत्तम किस्म की होती है।
मिट्टी
कपास की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी, जो अपने अंदर जल को अधिक देर तक सोख सके, अनुकूल होती है। मिट्टी में चूने के अंश से कपास की खेती में वृद्धि होती है। उत्तरी भारत में कपास की कृषि ऐसी ही मिट्टी में होती है। लावा से बनी काली मिट्टी इसके लिए सर्वोत्तम होती है। जो दक्षिण भारत के राज्यों में पाई जाती है। इसको रेगर या कपास वाली मिट्टी भी कहा जाता है। बार-बार कपास की खेती करने से मिट्टी का उपजाऊपन कम हो जाता है। तब उस मिट्टी को खाद एवं उर्वरकों की बड़ी मात्रा में जरूरत होती है।
धरातल
इसकी खेती के लिए मैदानी भागों का होना आवश्यक है। पर्वतीय भागों में इसकी खेती नहीं की जा सकती।
श्रम
कपास को बोने, निराने, तथा चुनने के लिए सस्ते व कुशल श्रमिकों की जरूरत होती है। अतः कपास की खेती में अत्यधिक श्रम की आवश्यकता होती है। कपास की खेती में मशीनों का प्रयोग एक सीमा तक ही किया सकता है।
भारत में कपास का उत्पादन
सबसे बड़े कपास उत्पादक देश चीन और भारत हैं। इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्राजील हैं। हमारे देश में कपास का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 2020-21 इसमें केवल 462 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर था। जबकि इसी वर्ष चीन में 1748 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर कपास का उत्पादन किया गया।यहीं कारण है कि भारत में कपास का उत्पादन चीन की अपेक्षा कम है।
तालिका 1
भारत में वर्षवार कपास का बोया गया क्षेत्र, उत्पादन एवं उपज
वर्ष | क्षेत्र(मिलियन हेक्टेयर में) | उत्पादन(मिलियन गांठे) प्रत्येक गांठ 170 किलोग्राम की | प्रति हेक्टेयर उपज (किलोग्राम में) |
1950-51 | 5.88 | 3.04 | 88 |
1955-56 | 8.09 | 4.18 | 88 |
1960-61 | 7.61 | 5.6 | 125 |
1965-66 | 7.96 | 4.85 | 104 |
1970-71 | 7.61 | 4.76 | 106 |
1975-76 | 7.35 | 5.95 | 138 |
1980-81 | 7.82 | 7.01 | 152 |
1985-86 | 7.53 | 8.73 | 197 |
1990-91 | 7.44 | 9.84 | 225 |
1995-96 | 9.04 | 12.86 | 242 |
2000-01 | 8.53 | 9.52 | 190 |
2005-06 | 8.68 | 18.5 | 362 |
2010-11 | 11.24 | 33 | 499 |
2015-16 | 12.29 | 30.01 | 415 |
2020-21 | 13.01 | 35.38 | 462 |
उपरोक्त तालिका को देखने से ज्ञात होता है कि भारत में 1950-51 की अपेक्षा कपास के अंतर्गत बोये गए क्षेत्र में लगभग 2.5 गुना वृद्धि देखी गई है। वही उत्पादन में 12 गुना जबकि प्रति हेक्टेयर उपज में यह 9 गुना देखने को मिली है। इस प्रकार हम देखते हैं कपास के बोये गए क्षेत्र में विशेष वृद्धि न होने पर भी उत्पादन में तेजी से वृद्धि हुई है। इसका मुख्य कारण उपज प्रति हेक्टेयर में उल्लेखनीय वृद्धि है जो अधिक उपज देने वाले उत्पादन बीजों के कारण संभव हो सका है।
तालिका 2
भारत के प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में बोया गया क्षेत्र, उत्पादन एवं उपज
राज्य | बोया गया क्षेत्र (मिलियन हेक्टेयर में) | कुल बोये गए क्षेत्र का % | उत्पादन (मिलियन टन में) | कुल उत्पादन का % | प्रति हेक्टेयर उपज (किलोग्राम में) |
महाराष्ट्र | 4.29 | 32.95 | 9.59 | 27.10 | 380 |
गुजरात | 2.27 | 17.46 | 7.27 | 20.55 | 544 |
तेलंगाना | 2.36 | 18.14 | 5.99 | 16.94 | 432 |
राजस्थान | 0.81 | 6.21 | 3.21 | 9.06 | 675 |
कर्नाटक | 0.82 | 6.30 | 2.32 | 6.56 | 481 |
हरियाणा | 0.74 | 5.69 | 1.82 | 5.15 | 419 |
मध्यप्रदेश | 0.57 | 4.40 | 1.78 | 5.04 | 530 |
आंध्रप्रदेश | 0.61 | 4.66 | 1.60 | 4.53 | 450 |
अन्य | 0.55 | 4.20 | 1.79 | 5.07 | 559 |
भारत | 13.01 | 100.00 | 35.38 | 100.00 | 462 |
भारत में कपास वितरण प्रतिरूप
भारत में कपास के उत्पादन की कोई विशेष पेटी देखने को नहीं मिलती। फिर भी यह अनेक राज्यों में बोई जाती है। भारत की लगभग दो-तिहाई कपास दक्षिणी भारत में उगाई जाती है। क्योंकि यहां पर लावायुक्त काली मिट्टी कपास की खेती के लिए विशेष रूप से उपयुक्त होती है। अकेले महाराष्ट्र व गुजरात में पूरे भारत की लगभग आधी कपास पैदा की जाती है। उत्तरी भारत राजस्थान और हरियाणा के प्रमुख उत्पादक राज्य है।
महाराष्ट्र
यह कपास के उत्पादन का परंपरागत राज्य रहा है। 2020-21 के आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र भारत का सबसे बड़ा कपास उत्पादक राज्य है। यहां 2020-21 के दौरान समस्त भारत कि लगभग 27% कपास उत्पादित की गई। हालांकि इस राज्य में प्रति हेक्टेयर कपास का उत्पादन अन्य कई राज्यों से कम रहा है। महाराष्ट्र में लावा युक्त काली मिट्टी, जिसे कपास वाली काली मिट्टी भी कहा जाता है, होने के कारण यहां कपास अधिक मात्रा में ही नहीं बल्कि अच्छे किस्म की भी उगाई जाती है। इसके प्रमुख उत्पादक जिलों में नागपुर, अकोला, अमरावती, वर्धा, नांदेड़, जलगांव, बुलढाणा, आदि शामिल हैं।
गुजरात
गुजरात, महाराष्ट्र के बाद भारत का सबसे महत्वपूर्ण कपास उत्पादक राज्य है। यहां 2020-21 के दौरान देश की लगभग 20.55% कपास का उत्पादन किया गया। यहां की काली कपास वाली मिट्टी कपास की खेती के लिए बहुत उपयुक्त है। इस राज्य का दो-तिहाई उत्पादन गुजरात के मैदान से आता है। जहां बड़ोदरा, अहमदाबाद, सूरत, भड़ौच, साबरमती, पंचमहल, सुरेंद्रनगर आदि मुख्य उत्पादक जिले हैं।
तेलंगाना
यह राज्य भारत के कुल कपास उत्पादन का 16.94 प्रतिशत उत्पादित करके तीसरे स्थान पर है। इसके प्रमुख कपास उत्पादक जिलों में नलगोंडा, आदिलाबाद संगारेड्डी, नागरकुर्नूल और आसिफाबाद शामिल हैं। यहां की अर्ध-शुष्क जलवायु, सस्ते श्रमिकों की उपलब्धता, उपजाऊ मिट्टी, सिंचाई की सुविधाएं तथा सरकारी प्रोत्साहन एवं सब्सिडी आदि महत्वपूर्ण कारक हैं, जो इस राज्य के प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में शामिल करते हैं।
राजस्थान
राजस्थान में सिंचाई की सहायता से कपास की खेती की जाती है। यह राज्य में भारत की लगभग 9.06 प्रतिशत कपास उत्पादित करता है। इस राज्य की आधी कपास अकेले श्रीगंगानगर तथा हनुमानगढ़ जिलों से प्राप्त की जाती है। इसका श्रेय राजस्थान नहर को जाता है। अन्य उत्पादक जिले भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, झालावाड़, अलवर व अजमेर हैं। राजस्थान में भारत की प्रति हेक्टेयर उपज देश में सर्वाधिक है।
कर्नाटक
यहां भारत की लगभग 6.56 प्रतिशत कपास का उत्पादन होता है। इस राज्य में उत्तर में बीजापुर से लेकर दक्षिण में चित्तल दुर्ग तक काली मिट्टी का विस्तार है जो कपास की कृषि के लिए बहुत अनुकूल है। यहां सिंचाई की सुविधाएं भी अच्छी हैं जिससे कपास की खेती को बढ़ावा मिलता है। चित्तल दुर्ग, शिमोगा, धारवाड़, बेल्लारी, बेलगांव तथा बीजापुर आदि इस राज्य के मुख्य कपास उत्पादक जिले हैं।
हरियाणा
पहले कपास की कृषि की दृष्टि से हरियाणा का कोई विशेष महत्व नहीं था। परन्तु इसके दक्षिणी-पश्चिमी भाग में बलुई उपजाऊ मिट्टी की उपस्थिति तथा सिंचाई की व्यवस्था हो जाने से इस राज्य में कपास की उपज में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2020-21 के आंकड़ों के’अनुसार हरियाणा भारत की 5.15% से अधिक कपास पैदा करके 6वें स्थान पर है। हरियाणा की 80% कपास हिसार तथा सिरसा जिलों में पैदा होती है। जीन्द तथा भिवानी अन्य महत्वपूर्ण उत्पादक जिले हैं।
मध्य प्रदेश
यह राज्य भारत की 5 प्रतिशत से अधिक कपास पैदा करता है। यहां पर अनुकूल परिस्थितियां न होने के कारण कपास की उपज प्रति हेक्टेयर भी कम है। इस राज्य की 75% से अधिक कपास मालवा क्षेत्र से प्राप्त होती है। यहां की लावायुक्त मिट्टी कपास की कृषि के लिए उपयुक्त है। पूर्वी निमार, पश्चिमी निमार, उज्जैन, देवास, धार, रतलाम, भोपाल, छिन्दवाड़ा आदि मुख्य कपास उत्पादक जिले हैं।
Test Your Knowledge with MCQs
- कपास की खेती के लिए सबसे अनुकूल तापमान कौन सा है?
- A) 10 से 15 डिग्री सेल्सियस
- B) 21 से 25 डिग्री सेल्सियस
- C) 30 से 35 डिग्री सेल्सियस
- D) 40 से 45 डिग्री सेल्सियस
- कौन सा राज्य भारत में सबसे अधिक कपास का उत्पादन करता है?
- A) गुजरात
- B) तेलंगाना
- C) महाराष्ट्र
- D) राजस्थान
- भारत में किस प्रकार की मिट्टी कपास की खेती के लिए सबसे अधिक उपयुक्त मानी जाती है?
- A) बलुई मिट्टी
- B) जलोढ़ मिट्टी
- C) लाल मिट्टी
- D) काली मिट्टी
- विश्व कपास दिवस (World Cotton Day) कब मनाया जाता है?
- A) 7 अक्टूबर
- B) 12 मार्च
- C) 5 जून
- D) 21 सितंबर
- कपास का कौन सा प्रकार व्यापार की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण है?
- A) छोटे रेशे वाली कपास
- B) मध्यम रेशे वाली कपास
- C) लंबे रेशे वाली कपास
- D) मोटे रेशे वाली कपास
- भारत में कपास की प्रति हेक्टेयर औसत उपज 2020-21 में कितनी थी?
- A) 462 किलोग्राम
- B) 500 किलोग्राम
- C) 650 किलोग्राम
- D) 750 किलोग्राम
- भारत का कौन सा राज्य कपास की प्रति हेक्टेयर उपज में सबसे आगे है?
- A) गुजरात
- B) महाराष्ट्र
- C) राजस्थान
- D) हरियाणा
- कपास की खेती के लिए कितनी वर्षा की आवश्यकता होती है?
- A) 20 से 30 सेंटीमीटर
- B) 50 से 100 सेंटीमीटर
- C) 150 से 200 सेंटीमीटर
- D) 200 से 300 सेंटीमीटर
- कपास के बीज से कौन सा उत्पाद निकाला जाता है जो पशु चारे के रूप में उपयोग होता है?
- A) रेशा
- B) तेल
- C) कोटन लिंटर
- D) कपास का तेल
- भारत में कपास उत्पादन के क्षेत्र में किस देश के मुकाबले उत्पादन कम है?
- A) संयुक्त राज्य अमेरिका
- B) ब्राजील
- C) चीन
- D) पाकिस्तान
उत्तर:
- B) 21 से 25 डिग्री सेल्सियस
- C) महाराष्ट्र
- D) काली मिट्टी
- A) 7 अक्टूबर
- B) मध्यम रेशे वाली कपास
- A) 462 किलोग्राम
- C) राजस्थान
- B) 50 से 100 सेंटीमीटर
- B) तेल
- C) चीन
FAQs
कपास की खेती के लिए 21 से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान सबसे उपयुक्त माना जाता है। यह पौधा उपोष्ण और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाता है। मिट्टी की बात करें तो कपास के लिए काली मिट्टी (रेगर) सबसे अच्छी होती है, जो जल को सोखने की क्षमता रखती है और इसमें चूने की मात्रा भी होती है। भारत के दक्षिणी राज्यों में इस मिट्टी की प्रचुरता है, जहां कपास की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।
विश्व कपास दिवस (World Cotton Day) हर साल 7 अक्टूबर को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य कपास के महत्व को समझाना और इसके उत्पादन, व्यापार और उपयोग के बारे में जागरूकता फैलाना है। विश्व कपास दिवस के माध्यम से कपास से जुड़े उद्योगों को बढ़ावा दिया जाता है और इससे संबंधित तकनीकों और उत्पादों को प्रदर्शित किया जाता है। यह दिन कपास किसानों, उत्पादकों और व्यापारियों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है।
कपास की किस्मों को उनके रेशे की लंबाई के आधार पर तीन मुख्य प्रकारों में बांटा जाता है: छोटे रेशे वाली कपास, मध्यम रेशे वाली कपास, और लंबे रेशे वाली कपास। छोटे रेशे वाली कपास का रेशा 25 मिलीमीटर से कम होता है, मध्यम रेशे वाली कपास का रेशा 32 से 40 मिलीमीटर तक होता है, जबकि लंबे रेशे वाली कपास का रेशा 60 मिलीमीटर से अधिक होता है। व्यापारिक दृष्टिकोण से मध्यम रेशे वाली कपास सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है।
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