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प्राथमिक क्रिया: लकड़ी काटने का व्यवसाय(Primary Activity: Lumbering)

वनों में लकडी काटने का व्यवसाय (Lumbering) मानव द्वारा की जाने वाली प्राथमिक क्रियाओं (Primary Activities)में सबसे महत्वपूर्ण है। आदि मानव भोजन बनाने के लिए, सर्दी से बचने के लिए तथा जंगली जानवरों से अपनी रक्षा करने के लिए आग जलाने हेतु लकड़ियों को इकट्ठा करता था। समय के साथ वृक्षों से पतियों, रेशों (Fibres) तथा  शाखाओं (Branches)को इकट्ठा करके उनसे पंखे, चटाई(Mat), टोकरियाँ(Baskets)आदि बनाए जाने लगे।

जैसे ही कोयले की खोज हुई तो ईंधन के रूप में लकड़ी का उपयोग भी कम होना शुरू हो गया। लेकिन, आज भी विश्व में लकड़ी के उत्पादन का लगभग 50% भाग ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। आज भी जिन देशों में कोयला व तेल की कमी है वहां उद्योगों में, रेलवे तथा विद्युत उत्पादन के लिए लकड़ी का सहारा लिया जाता है। लकड़ी का उपयोग भवन निर्माण,फर्नीचर, कागज तथा कृत्रिम रेशा बनाने में प्रयोग जाता है। 

लकड़ी काटने का व्यवसाय विश्व में केवल उन्हीं क्षेत्रों में विकसित हो सकता है, जहां पर घने वन पाए जाते हैं। संसार के प्राकृतिक वनस्पति(Natural Vegetation) के मानचित्र को देखने से पता चलता है कि पृथ्वी पर ज्यादातर वन उष्णकटिबंध (Tropic) में भूमध्यरेखीय (Equatorial) व मानसूनी प्रदेश(Monsoon Region) और शीतोष्ण कटिबन्धीय(Temperate) के टैगा प्रदेश में पाए जाते हैं। इन क्षेत्रों में से शीतोष्ण कटिबंध(Temperate) के कोणधारी वन व्यापारिक दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण है। हालांकि उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों(Tropic) के वन अधिक सघन है। लेकिन फिर भी यहां लकड़ी काटने का व्यवसाय(Occupation) अधिक विकसित नहीं हो पाया। इसके निम्नलिखित कारण है:

उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के वनों में लकड़ी काटने के व्यवसाय अधिक विकसित न होने के कारण

  1. उष्ण कटिबन्धीय(Tropic) वनों में कड़ी तथा भारी लकड़ियां हैं। जिसके कारण इन लकड़ियों का व्यवसायिक(Commercial) महत्व बहुत अधिक नहीं है क्योंकि कठोर लकड़ी का उपयोग मकानों तथा फर्नीचर आदि बनाने के लिए बहुत ज्यादा उपयोगी नहीं होता 
  2. कुछ वृक्षों (जैसे महोगनी, रोजवुड तथा सागौन (टीक)) की लकड़ियां बड़ी उपयोगी होती हैं। ये लकड़ियां अधिक टिकाऊ(Durable) होती हैं परन्तु इनके वृक्ष एक जगह नहीं मिलते, वरन् अन्य प्रकार के वृक्षों के बीच में छिटफुट(Sneezing) मिलते हैं। अतः इनकों खोजने में काफी समय लग जाता हैं चूँकि इन जंगलों में अनेक प्रकार की लतायें(Vines) तथा छोटी वनस्पतियाँ मिलती हैं इसलिए इन पेड़ों तक पहुँचना बड़ा कठिन होता है। 
  3. भूमि दलदली होने के कारण परिवहन के साधनों का विकास अच्छे से नहीं हो पाया, जिसके कारण उपयोगी पेड़ों तक पहुँचने व वनों से निकालने में कठिनाई होती है। इसके अलावा वृक्ष काट लेने पर भी उसको वन से निकालना अत्यन्त कठिन होता है क्योंकि पेड़ विविध प्रकार की लताओं में उलझे रहते हैं। 
  4. जहाँ कहीं नदियाँ मिलती भी है वहाँ भी उनको पानी पर बहाकर ले जाना सम्भव नहीं होता, क्योंकि ये लकड़ियां भारी होती हैं। इन्हीं कठिनाइयों के कारण इन वनों से लकड़ी काटने व निकालने का काम समुद्रतटों अथवा रेलमार्गों के किनारे ही होता है। 
  5. इन प्रदेशों में जनसंख्या कम होने के कारण कुशल श्रमिकों की संख्या भी कम है तथा जो श्रमिक मिलते भी हैं, उनमें स्टैमिना(Stamina) बहुत ही कम पाया जाता है तथा अधिकतम बीमार रहते हैं।
  6. इन क्षेत्रों में लकड़ियों को इकट्ठा करने के लिए आधुनिक उपकरण जैसे क्रॉलर ट्रैक्टर का उपयोग बहुत कम क्षेत्रों में किया जाता है, किन्तु ज्यादातर कार्य हाथों से ही किया जाता है।
  7. इन प्रदेशों में लकड़ी की मांग भी बहुत कम है जिसके कारण यहां यह व्यवसाय अधिक विकसित  नहीं हो पाया।

दूसरी ओर शीतोष्ण कटिबंधीय वनों, विशेष रूप से, टैगा कोंणधारी वनो से मिलने वाले लकड़ी आर्थिक दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण होती है। जिसके परिणाम स्वरूप इन क्षेत्रों में लकड़ी काटने का व्यवसाय बहुत विकसित हुआ है। इसके निम्नलिखित कारण है:

शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों के वनों में लकड़ी काटने के व्यवसाय के अधिक विकसित होने के कारण

  1. इन वनों की लकड़ियाँ मुलायम तथा हल्की होती हैं।लकड़ियों का उपयोग मकान बनाने कागज फर्नीचर आदि तैयार करने के लिए किया जाता है।
  2. एक ही प्रकार के वृक्ष एक जगह केन्द्रित होने से उपयोगी लकड़ी की वृक्षों को पहचाना और उन्हें काटना आसान हो जाता है।
  3. भूमि पर साधारणतः झाड़ियों, लताओं आदि के अभाव होने से, लकड़ी काटना तथा बाहर निकालना आसान होता हैं। परिवहन मार्गो के निर्माण तथा लकड़ी काटने में मशीनों का व्यवहार करने में सुविधा होती है।
  4. लकड़ियाँ मुलायम तथा हल्की होने के कारण इन लकड़ियों को नदियों द्वारा बहा ले जाना भी सम्भव है। 
  5. इन वनों के नजदीक ही विकसित औद्योगिक प्रदेश पाये जाते है। अत: इनलकड़ियों की मांग अधिक होती है। 
  6. शीतोष्ण कटिबंधीय वनों में लकड़ी काटने के व्यवसाय का आधुनिककरण हो चुका है। यहां पर लकड़ी काटने और ढ़ोने के लिए आधुनिक उपकरणों का प्रयोग किया जा रहा है। 

इन सभी कारणों से शीतोष्ण कटिबंधीय वनों में लकड़ी काटने का व्यवसाय उष्णकटिबंधीय वनों की अपेक्षा अधिक विकसित हुआ है।

Lumbering Area in the World
विश्व में लकड़ी उत्पादक क्षेत्र

शीतोष्ण वनों में लकड़ी उत्पादन

उत्तरी अमेरिका व यूरेशिया के शीतोष्ण वनों में शंकुधारी वनों की प्रधानता है। इन वनों से विश्व की अधिकांश लकड़ी तथा लुगदी (pulp) प्राप्त होता है।

उत्तरी अमेरिका में लकड़ी उत्पादन

संयुक्त राज्य अमेरिका व कनाडा उत्तरी अमेरिका में लकड़ी के लिए आत्मनिर्भर है। कनाडा अपने सम्पूर्ण क्षेत्रफल का 49% लगभग वनों से ढका हुआ है, जिसका 60% व्यापारिक दृष्टि से उपयोगी है। वहीं संयुक्त राज्य के सम्पूर्ण क्षेत्रफल का एक तिहाई भाग वनाच्छादित है जिसका 25% व्यापारिक दृष्टि से उपयोगी है। कनाडा की 90% से अधिक तथा संयुक्त राज्य की 70% लकड़ी मुलायम है। उत्तरी अमेरिका में विश्व के कुल लकड़ी उत्पादन का 20% मिलता है। इसमें 90% लकड़ी अच्छे किस्म की होती है। 50% लकड़ी इमारती समान बनाने तथा 20% लुग्दी बनाने के काम आत है। लगभग 10% लकड़ी से अन्य वस्तुएं बनती हैं। केवल 10% लकड़ी जलावन के काम आती हैं।

उत्तरी अमेरिका के प्रमुख का उत्पादन क्षेत्र

यहाँ छः प्रमुख क्षेत्र हैं-

1. प्रशान्त तटीय क्षेत्र

उत्तरी अमेरिका में अलास्का से लेकर केलीफोर्नियाँ तक प्रशान्त महासागर तट के साथ-साथ विस्तृत क्षेत्र कनाडा, एवं संयुक्त राज्य के लकड़ी उत्पदान के क्षेत्रों में अग्रणी हैं। इन क्षेत्रों में शंकुधारी कोमल वृक्ष उगते हैं जिनमें सबसे महत्वपूर्ण ‘डगलस फर’ है। इस किस्म से संयुक्त राज्य की 20% लकड़ी प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त पाइन, रोड सिडार, हेमलॉक तथा रेडवुड भी महत्त्वपूर्ण किस्में हैं। लट्ठों (logs) का परिवहन ट्रकों, केटरपिलर ट्रैक्टरों तथा रेलों से किया जाता है, फिर उन्हें तटीय क्षेत्रों में स्थित चिराई के कारखानों (saw mills) तथा पहुँचाया जाता है। ये कारखाने आधुनिकतम मशीनों तथा परिवहन की सुविधाओं से सम्पन्न हैं।  महासागर तट के साथ होने के कारण इन्हें सस्ते जल परिवहन की सुविधा भी प्राप्त है।

2. रॉकी पर्वतीय प्रदेश

दूसरा महत्वपूर्ण प्रदेश में संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, तथा मैक्सिको के उच्च तथा आर्द्र रॉकी पर्वतीय प्रदेश शामिल हैं जहां लकड़ी काटने का उद्योग विकसित है। यहाँ वन उच्च पर्वतीय ढालों पर मिलते हैं, किन्तु इनका क्षेत्र न्यूइंग्लैण्ड क्षेत्र से तीन गुना अधिक लकड़ी का उत्पादन करता हैं। यहाँ वनों को आग लगने की घटनाओं से बहुत हानि होती है। इस क्षेत्र में वाणिज्यिक रूप से महत्त्वपूर्ण किस्में डगलस तथा अन्य फर, वेस्टर्न लार्च, स्प्रूस, लॉज पोल पाइन, येलो पाइन, आदि हैं। दुर्गम क्षेत्रों में अवनालिका परिवहन (flume transportation) का प्रयोग किया जाता है। इस प्रदेश को बड़ा बाजार उपलब्ध है। 

3. मध्यवर्ती संयुक्त राज्य अमेरिका

उत्तरी एवं दक्षिणी शंकुधारी वनों के मध्य पर्णपाती कठोर किस्मों के वनों की पेटी स्थित है जहाँ काष्ठ(लकड़ी) उत्पादन अत्यन्त महत्वपूर्ण है। यह विशाल क्षेत्र संयुक्त राज्य अमेरिका की कठोर लकड़ी की भी अधिकांश मांग पूरी करता है तथा फर्नीचर उद्योग के लिये महत्त्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में लगभग आधी लकड़ी ओक वृक्षों से प्राप्त होती है। मेपल बीच, येलो पोपलार, रेड गम, एल्म, कॉटन वुड, हिकोरी, एश, ब्लैक वालनट अन्य उपयोगी कठोर किस्में हैं। सर्वोत्तम लकड़ी दक्षिणी अप्लेशियन तथा आन्तरिक उच्चभूमि (ओचिता पर्वत एवं ओजार्क पठार) से प्राप्त होती है। मिसीसिपी नदी तथा अटलांटिक तट के मध्य अनेक क्षेत्रों में भी उत्तम लकड़ी मिलती है।

4. दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका

दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका में येलोपाइन प्रधान किस्म है। रेडपाइन, शुगरपाइन, सिडार साइप्रस आदि अन्य कोमल किस्में हैं। इस प्रदेश में बढ़ती हुई जनसंख्या के लिये कृषि भूमि के विस्तार के कारण वनों का बहुत विनाश हो चुका है। यहां लकड़ी की कठोर किस्मों में ओक, हिकोरी, स्वीटगम तथा येलो पोपलार प्रमुख हैं। अतएव काष्ठ उत्पादन भी गिर गया है। यह प्रदेश देश के कुल काष्ठ उत्पादन का 25% योगदान देता है। यहाँ कागज, लुग्दी तथा प्लास्टिक उद्योग विकसित हो गये हैं।

5. न्यू इंग्लैण्ड प्रदेश

इस वन प्रदेश ने अमेरिका के उपनिवेशीकरण में बहुत योगदान दिया। प्रारम्भिक उपनिवेशकों ने मिश्रित वनों का बहुत दोहन किया। अब इस प्रदेश से लुग्दी तथा कागज उद्योगों के लिये कच्चा माल प्राप्त होता है। ह्वाइट पाइन, हेमलॉक, स्प्रूस, फर तथा मेपल प्रमुख किस्में हैं, इस प्रदेश से जलयान बनाने के लिए भी लकड़ी उपलब्ध होती है।

6. कनाडा की शंकुधारी वनों की पेटी

रॉकी पर्वतों से पूर्वी न्यू फाउंडलैण्ड तथा नोवास्कोशिया तक फैली यह पेटी लकड़ी का महत्वपूर्ण स्रोत है। कनाडा के काफी शंकुधारी वन काट दिये गये हैं। क्यूबेक, ओन्टारियो तथा ब्रिटिश कोलम्बिया के पूर्वी प्रान्त अब भी कनाडा के कुल काष्ठ उत्पादन का 50% प्रदान करते हैं। स्प्रेस, बालसमफर, डगलसफर, हेमलॉक हवाइट तथा रेड पाइन प्रमुख किस्में हैं।

कनाडा में लकड़ी काटने का कार्य शरद ऋतु ( autumn) में किया जाता है। शीतॠतु में हिमच्छादित धरातल पर लकड़ी के लट्ठों को फिसला कर नदियों के किनारों तक पहुचा दिया जाता है, जहाँ ये  वसन्त ऋतु के आगमन तक एकत्रित होते रहते हैं। ग्रीष्म ऋतु के आने पर जब हिम पिघलती है तो उन लट्ठों का परिवहन नदियों द्वारा किया जाता है। क्यूबेक तथा ओन्टारियों प्रान्त लुग्दी तथा कागज के अग्रणी उत्पादक हैं। कनाडा के पश्चिमी तट पर ब्रिटिश कोलम्बिया में भी लकड़ी काटने का कार्य विकसित है। कुछ मात्रा में लकड़ी न्यूफाउंडलैण्ड, नोवास्कोशिया, सविक तथा मैनवा प्रान्तों में भी उत्पादित की जाती है। 

यूरोप में लकड़ी उत्पादन

पश्चिमी यूरोप के 42% क्षेत्रफल पर वन मिलते है। इसका 90% व्यापारिक दृष्टि से लाभदायक है। यहाँ विश्व की कुल लकड़ी उत्पादन का 11% मिलता है। उत्पादन का 75% औद्योगिक वस्तुओं के उत्पादन में लगता है। यद्यपि पश्चिमी यूरोप के सभी देश लकड़ी के लिए समान रूप से सम्पन्न नहीं है तथा उनमें परस्पर आयात-निर्यात होता है तथापि सभी देशों की सम्मिलित वन सम्पत्ति उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पर्याप्त है।

यूरोप के प्रमुख का उत्पादन क्षेत्र

1. स्केन्डिनेविया

स्केन्डिनेविया देशों नार्वे, स्वीडन, फिनलैण्ड में वनोद्योग विकसित हैं। इन देशों में वनों का वैज्ञानिक प्रबन्धन किया जाता है। वनारोपण, संरक्षण, तथा वैज्ञानिक प्रबन्धन से वनों का उत्पादन बढ़ गया है। यहां पाइन, स्थूस, फर आदि प्रमुख किस्में मिलती हैं जिनसे काष्ठ, लकड़ी की लुग्दी तथा कागज निर्मित होता है।

2. मध्यवर्ती यूरोप

ये वन लैण्डेस, पिरेनीज, आलप्स, राइन मध्यवर्ती घाटी के सहारे पर्वतीय क्षेत्रों में तथा उत्तरी सागर से पूर्वी पोलैण्ड तथा अनुर्वर मिट्टियों के मैदानों में स्थित हैं। बेल्जियम, डेनमार्क, फ्रांस तथा जर्मनी वनों की देखभाल करने में सबसे आगे हैं। दक्षिण की ओर शंकुधारी वनों का स्थान मिश्रित वन ले लेते हैं। इनमें से अधिकांश वन कृषि भूमि का विस्तार करने के लिये काट डाले गए हैं। 

3. पूर्वी सोवियत संघ

पूर्व सोवियत संघ में विश्व का सर्वाधिक वनाच्छादित क्षेत्र पाया जाता है। देश के एक तिहाई भाग पर वन हैं। यहाँ उत्तर में टैगा के शंकुधारी वनों से लेकर दक्षिण में मिश्रित वन तथा पर्णपाती वन देखने को मिलते है। सर्वाधिक वनाच्छादित क्षेत्र साइबेरिया, सुदूर पूर्व, उत्तर-पश्चिम यूराल, वोल्गा क्षेत्र हैं। देश की अर्थव्यवस्था में लकड़ी उद्योग का महत्वपूर्ण स्थान हैइस प्रदेश में बढ़ती हुई जनसंख्या के लिये कृषि भूमि के विस्तार के कारण वनों का बहुत विनाश हो चुका है। यूरोपीय रूस के दक्षिणी तथा मध्यवर्ती सघन आबाद क्षेत्रों के व्यापक वनों का दोहन नहीं किया गया। उसका प्रमुख कारण जारकालीन रूप को आर्थिक तथा तकनीकी पिछड़ापन था। विरल आबादी तथा इन देशों की दूरस्थता भी इन वनों के अल्प दोहन के लिये उत्तरदायी रही। 

सोवियत संघ में लकड़ी उत्पादन

इस भाग में विश्व का 18% वनाच्छादित क्षेत्रफल है। विश्व लकड़ी का उत्पादन 11% प्राप्त होता है। 80% क्षेत्रफल साइबेरिया में है। यहाँ काटी गई लकड़ी अधिकांशतः जलमार्ग द्वारा उपभोग के क्षेत्र में पहुँचाई जाती है। होती है। इनसे कागज के लिए लुग्दी भी बनाई जाती है। इन कारणों से इन वनों का महत्व बढ़ जाता है।

सोवियत संघ के प्रमुख का उत्पादन क्षेत्र

लेनिनग्राड तथा आर्केन्द्रित के पृष्ठ प्रदेशों, मास्कों के उत्तर तथा उत्तर पूर्व में मध्य तथा एशियाई रूस के ट्रक एवं प्रदेश हैं। उत्तरी रूस में नदियों द्वारा लट्ठों का परिवहन करने में बाधा होती है क्योंकि उत्तर की ओर आर्कटिक महासागर में गिरने वाली नदियाँ अपने निचले भागों में शीतकाल में जम जाती है। कैन्जितका उत्पादन का प्रधान केन्द्र है जहाँ चिराई के अनेक प्रमुख कारखाने हैं।

दक्षिण, पूर्वी, एवं दक्षिणी-पूर्वी एशिया में लकड़ी उत्पादन

इस भाग में विश्व के कुल उत्पादन का 27% मिलता है। चीन, जापान को छोड़कर अन्य देशों का उत्पादन प्रमुख रूप से उष्ण कटिबन्धीय वनों से होता है। दक्षिण एशिया (भारत, पाकिस्तान, लंका, अफगानिस्तान) का 1/5 भाग वनाच्छादित है। भारत में वन हिमालय के दक्षिणी ढाल, पश्चिमी तथा पूर्वी घाट, विन्ध्याचल, उ०पू० राज्यों, सतपुड़ा की पहाड़ियों तथा असम की पहाड़ियों पर मिलते है। वनों से भारत की लकड़ी की आवश्यकतायें अच्छी तरह पूरी हो सकती है। किन्तु अधिकतर वन दुर्गम हैं। भारत में विश्व की 9% लकड़ी उत्पन्न होती है जो स्थानीय उपभोग में ही खप जाती है।

दक्षिणी-पूर्वी एशिया के 60% क्षेत्रफल पर वन पायें जाते हैं। कुल वन क्षेत्रफल के 50% में कोणधारी तथा 20% में मिश्रित वन है। जापान में लकड़ी का अधिकांश उत्पादन होकैडो तथा उत्तरी होन्शू के वनों से होता है। चीन में अच्छे वन केवल पहाड़ों की ढालों पर मिलते हैं। चीन के कुल क्षेत्रफल का मात्र 14% वनाच्छादित है। लकड़ी वाले वन दक्षिण-पश्चिम तथा दक्षिण-पूर्व के पहाड़ी डालों पर मिलते है।

अन्य प्रदेश 

दक्षिणी अमेरिका में विश्व के 11% लकड़ी का उत्पादन होता है। परन्तु उत्पादन का 75% केवल जलावन के ही काम आता है। दक्षिणी अमेरिका का 36% क्षेत्रफल वनाच्छादित है। लेकिन इसका आधे से अधिक दुर्गम है। वनों से उत्पादित लकड़ी का केवल 25% औद्योगिक वस्तुओं के निर्माण के लायक होता है।

सहारा के दक्षिणवर्ती में अफ्रीका में यद्यपि विश्व के कुल वन क्षेत्रफल का 1/6 मिलता है, लेकिन सम्पूर्ण अफ्रीका में विश्व की 1.5% लकडी का ही उत्पादन किया जाता है। इसमें केवल 15% लकड़ी औद्योगिक वस्तुओं के निर्माण के लिए उपयुक्त होती है। आस्ट्रेलिया-न्यूजीलैण्ड, दक्षिणी-पश्चिमी एशिया एवं उत्तरी अफ्रीका लकड़ी उत्पादन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नहीं है।

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