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रासगन की विखण्डन परिकल्पना

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रासगन की विखण्डन परिकल्पना (Fission Hypothesis of Ross Gun) ग्रहों की उत्पत्ति और उनके सूर्य से दूरी को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक सिद्धांत है। यह परिकल्पना उन छात्रों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो UGC-NET, UPSC, RPSC, KVS, NVS, DSSSB, HPSC, HTET, RTET, UPPSC, और BPSC जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। इस सिद्धांत के माध्यम से, हम ग्रहों की उत्पत्ति के पीछे की जटिल प्रक्रियाओं और ब्रह्मांडीय शक्तियों को समझ सकते हैं।

रासगन की विखण्डन परिकल्पना

रासगन की विखण्डन परिकल्पना, ग्रहों की उत्पत्ति और सूर्य से उनकी दूरियों को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। इस परिकल्पना के अनुसार, प्राचीन काल में सूर्य अकेला नहीं था, बल्कि उसके पास एक साथी तारा भी था। यह साथी तारा समय के साथ धीरे-धीरे सिकुड़ने लगा, और इसके सिकुड़ने के कारण उसकी घूर्णन गति बढ़ने लगी। यह वृद्धि कोणीय संवेग की सुरक्षा के नियम के अनुसार हुई, जिसमें किसी वस्तु का आकार घटने पर उसकी घूर्णन गति बढ़ जाती है। इस बढ़ती हुई गति के कारण तारा अस्थिर हो गया, और उसकी अस्थिरता इतनी बढ़ गई कि वह दो भागों में विभाजित होने की स्थिति में आ गया।

इस महत्वपूर्ण समय पर, जब तारा अपने चरम पर था, एक तीसरा तारा उसके समीप आया। इस तीसरे तारे के अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से साथी तारा टूटने लगा, और उससे निकला हुआ पदार्थ सूर्य की ओर खिंच गया। यह पदार्थ, जो अत्यधिक गर्म और तरल अवस्था में था, धीरे-धीरे ठंडा होकर ठोस ग्रहों का रूप लेने लगा। यह पदार्थ सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव में आकर विभिन्न कक्षाओं में स्थापित हुआ, और इस प्रकार ग्रहों का निर्माण हुआ। यह प्रक्रिया बेहद जटिल और समय-साध्य थी, लेकिन इसने हमारे सौरमंडल के ग्रहों की संरचना और उनकी दूरियों को निर्धारित किया।

हालांकि, रासगन की विखण्डन परिकल्पना ग्रहों की उत्पत्ति को समझाने में एक प्रभावी सिद्धांत प्रतीत होती है, लेकिन इसमें कुछ कमियां भी हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि यह सिद्धांत तारों के बीच की विशाल दूरियों को ध्यान में नहीं रखता। तारों के बीच की ये दूरियां इतनी अधिक होती हैं कि तीसरे तारे का इतनी नजदीक आना और साथी तारे को विखंडित करना, भौतिक रूप से असंभव सा प्रतीत होता है। इसके बावजूद, यह परिकल्पना हमें ब्रह्मांडीय घटनाओं और उन प्रक्रियाओं के बारे में गहन जानकारी प्रदान करती है, जिनके कारण सौरमंडल का गठन हुआ।

रासगन की यह परिकल्पना न केवल ग्रहों की उत्पत्ति को एक नया दृष्टिकोण देती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे ब्रह्मांडीय शक्तियाँ और गुरुत्वाकर्षण बल हमारे सौरमंडल के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस परिकल्पना का अध्ययन छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमें उन प्रक्रियाओं को समझने में मदद करती है जो हमारे ग्रहों और उनकी कक्षाओं की वर्तमान स्थिति के पीछे छिपी हुई हैं।

Your Knowledge with MCQs

1. रासगन की विखण्डन परिकल्पना किससे संबंधित है?

A) जलवायु परिवर्तन

B) ग्रहों की उत्पत्ति

C) भूकंप का कारण

D) सौरमंडल के गठन

2. रासगन की परिकल्पना के अनुसार, साथी तारा किस कारण से दो भागों में विभाजित हो गया?

A) गुरुत्वाकर्षण शक्ति

B) घूर्णन गति में वृद्धि

C) सूर्य का प्रभाव

D) तीसरे तारे का समीप आना

3. विखण्डन परिकल्पना के अनुसार, तीसरा तारा क्या भूमिका निभाता है?

A) सूर्य के तापमान को बढ़ाना

B) साथी तारे के विखंडन में सहायक होना

C) ग्रहों का निर्माण करना

D) कोई भूमिका नहीं

4. किस नियम के अनुसार साथी तारे की घूर्णन गति में वृद्धि हुई?

A) न्यूटन का गति का नियम

B) सापेक्षता का सिद्धांत

C) कोणीय संवेग की सुरक्षा का नियम

D) ऊष्मागतिकी का नियम

5. परिकल्पना के अनुसार, साथी तारे से निकला हुआ पदार्थ किसका रूप ले लेता है?

A) उपग्रह

B) ग्रह

C) धूमकेतु

D) तारे

6. रासगन की परिकल्पना के अनुसार ग्रहों का निर्माण किस अवस्था से हुआ?

A) ठोस अवस्था

B) गैसीय अवस्था

C) तरल अवस्था

D) प्लाज्मा अवस्था

7. रासगन की परिकल्पना किन घटनाओं को समझाने में सहायता करती है?

A) पृथ्वी के अंदरूनी भागों की संरचना

B) ग्रहों की उत्पत्ति और उनकी कक्षाएँ

C) वायुमंडलीय घटनाएँ

D) महासागरीय धाराएँ

8. विखण्डन परिकल्पना के अनुसार ग्रहों का निर्माण किस कारण से हुआ?

A) सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव से

B) साथी तारे के टूटने से

C) तीसरे तारे के समीप आने से

D) सभी

9. रासगन की विखण्डन परिकल्पना ग्रहों की उत्पत्ति को किस प्रकार से देखती है?

A) प्राकृतिक आपदाओं के परिणामस्वरूप

B) ब्रह्मांडीय शक्तियों और गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के रूप में

C) रासायनिक प्रतिक्रियाओं के परिणामस्वरूप

D) ज्वालामुखी क्रियाओं के परिणामस्वरूप

10. रासगन की विखण्डन परिकल्पना का मुख्य कमजोर पक्ष क्या है?

A) तीसरे तारे का इतना समीप आना असंभव प्रतीत होता है

B) ग्रहों की उत्पत्ति का सही विवरण नहीं देती

C) सूर्य की भूमिका को अनदेखा करती है

D) कोणीय संवेग का उल्लंघन करती है

उत्तर:

B) ग्रहों की उत्पत्ति

B) घूर्णन गति में वृद्धि

B) साथी तारे के विखंडन में सहायक होना

C) कोणीय संवेग की सुरक्षा का नियम

B) ग्रह

C) तरल अवस्था

B) ग्रहों की उत्पत्ति और उनकी कक्षाएँ

D) सभी

B) ब्रह्मांडीय शक्तियों और गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के रूप में

A) तीसरे तारे का इतना समीप आना असंभव प्रतीत होता है

FAQs

रासगन की विखण्डन परिकल्पना क्या है?

रासगन की विखण्डन परिकल्पना ग्रहों की उत्पत्ति और उनके सूर्य से दूरी को समझाने का एक वैज्ञानिक सिद्धांत है। इस परिकल्पना के अनुसार, एक साथी तारा धीरे-धीरे सिकुड़ता गया और उसकी घूर्णन गति बढ़ने लगी। यह वृद्धि इतनी अधिक हो गई कि तारा अस्थिर होकर दो भागों में विभाजित हो गया। इस विभाजन के बाद, तारे से निकला हुआ पदार्थ सूर्य की ओर खिंच गया और विभिन्न कक्षाओं में स्थापित होकर ग्रहों का निर्माण हुआ।

रासगन की विखण्डन परिकल्पना की कमजोरियां क्या हैं?

रासगन की विखण्डन परिकल्पना की मुख्य कमजोरी यह है कि यह तारों के बीच की विशाल दूरियों को ध्यान में नहीं रखती। इस परिकल्पना के अनुसार, तीसरा तारा साथी तारे के इतने निकट आ जाता है कि वह उसे विखंडित कर देता है। लेकिन, तारों के बीच की दूरियों को देखते हुए, यह प्रक्रिया भौतिक रूप से असंभव प्रतीत होती है।

रासगन की विखण्डन परिकल्पना का महत्व क्या है?

रासगन की विखण्डन परिकल्पना का महत्व इस बात में है कि यह ग्रहों की उत्पत्ति और उनके सूर्य से दूरी को समझाने के लिए एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान करती है। यह परिकल्पना हमें यह समझने में मदद करती है कि कैसे ब्रह्मांडीय शक्तियाँ और गुरुत्वाकर्षण बल हमारे सौरमंडल के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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