इस लेख में आप नांजरायण झील Nanjarayan Ramsar Site and Bird Sanctuary के बारे में विस्तार से जानेंगे।
नांजरायण झील (Nanjarayan Ramsar Site) तमिलनाडु के तिरुप्पुर जिले के नेरुपेरीचल और सरकार पेरियापलयम गांवों में स्थित एक मीठे पानी की झील है। यह झील न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्व रखती है बल्कि इस क्षेत्र की जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में भी अति सहायक है। इस झील का नाम 17वीं सदी के राजा नांजरायण के नाम पर रखा गया है। इसको राजा ने कृषि और जल संरक्षण की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनवाया था। नांजरायण झील (Nanjarayan Ramsar Site) का निर्माण और उसका रखरखाव उस समय की जल प्रबंधन नीतियों और स्थानीय शासकों की दूरदर्शिता को दिखाता है।

हाल की चर्चा में क्यों?
यह झील दिसम्बर, 2024 में रामसर साइट में शामिल की गई तीन झीलों में से एक है, जिसके कारण यह चर्चा में है। पहले नांजरायण झील (Nanjarayan Ramsar Site) को 2022 में, पक्षी अभयारण्य के रूप में मान्यता दी गई, जो इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण की सूची में एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करता है। हाल ही में रामसर साइट के तौर पर शामिल की गई यह झील, पक्षी प्रेमियों, फोटोग्राफरों और पर्यावरणविदों के बीच एक चर्चा का विषय बन गई है।
यहां प्रवासी पक्षियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति ने इसे पक्षी विहार के लिए एक प्रमुख स्थान ला खड़ा किया है। इस अभयारण्य को एक संरक्षित क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिए राज्य की सरकार व वन विभाग ने कई कदम उठाए हैं, जिनमें झील की सफाई कराना, बबूल के पेड़ों की रक्षा और पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन को बढ़ावा देना आदि शामिल है।
नांजरायण झील की विशेषताएं
आइए अब नांजरायण झील की कुछ विशेषताओं पर नज़र डालते हैं:
नांजरायण झील का ऐतिहासिक महत्व
यह झील राजा नांजरायण द्वारा 400 साल पहले बनाई गई थी, जो उस समय की उन्नत जल प्रबंधन प्रणाली का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करती है। यह झील उस समय स्थानीय किसानों और समुदायों के लिए एक जीवनरेखा के रूप में कार्य करती थी। आज भी, यह झील अपने ऐतिहासिक महत्व के कारण इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बनी हुई है। इसके निर्माण में इस्तेमाल की गई तकनीक तथा इसका डिज़ाइन उस समय के इंजीनियरिंग कौशल और प्रबंधन को दर्शाता है।
जल प्रबंधन और सिंचाई के लिए नांजरायण झील का महत्व
नांजरायण झील में जल मुख्य रूप से नल्लार नदी और आसपास के क्षेत्रों से ही आता है। बरसात के मौसम में जब भी झील का जलस्तर बढ़ता है, तो अतिरिक्त पानी सरकार पेरियापलयम गांव की ओर मोड़ दिया जाता है। यह सिंचाई के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है और आसपास के गांवों में चावल, गन्ना, और सब्जियों की खेती के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हाल के वर्षों में झील के जल प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए नए नहर का जाल बिछाया गया है और जल संग्रहण संरचनाओं का निर्माण किया गया है।
नांजरायण झील जैव विविधता के घर के रूप में
नांजरायण झील अपनी अद्वितीय जैव विविधता के लिए जानी जाती है। यहां पर 191 प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं, जिनमें भारतीय डार्टर, भारतीय कौरमोरेंट और कई प्रवासी पक्षी शामिल हैं। झील के आसपास 87 प्रकार की तितलियां और 77 प्रकार के पौधे भी देखने को मिलते हैं, जो इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी को मजबूत बनाते हैं। इसके अलावा, यह झील 21 प्रकार के सरीसृप, 11 छोटे स्तनधारी और 7 उभयचरों का भी निवास स्थान है। यह समृद्ध जैव विविधता न केवल पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है, बल्कि क्षेत्र के पर्यावरणीय पर्यटन को भी बढ़ावा देती है।
नांजरायण झील में विशिष्ट वनस्पतियां और जीव-जंतु
- इस झील के किनारे पर उगने वाले गोंद बबूल (Vachellia nilotica) के पेड़ पक्षियों के लिए घोंसले बनाने और शरण लेने का प्रमुख स्थान हैं।
- झील के आसपास के दलदली क्षेत्र भारतीय फ्लैपशेल कछुआ (Lissemys punctata) जैसे उभयचरों के प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं।
- इसके अलावा, इस झील में मछलियों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जो स्थानीय मछुआरों की आजीविका का मुख्य साधन हैं।
नांजरायण झील प्रबंधन में स्थानीय समुदाय का योगदान
नांजरायण झील का प्रबंधन स्थानीय समुदायों और वन विभाग के सहयोग से किया जाता है। समुदायों ने जल संरक्षण और झील की स्वच्छता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रशासन ने झील के आसपास सूचना केंद्र और वाच टावर लगाए हुए हैं, जिससे आने वाले पर्यटकों को क्षेत्र की जैव विविधता के बारे में जागरूक किया जा सके।
नांजरायण झील का पर्यावरणीय महत्व
नांजरायण झील तिरुप्पुर जिले की पारिस्थितिकी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह झील न केवल जैव विविधता को संरक्षित करने में सहायक है, बल्कि यह क्षेत्रीय जलवायु को स्थिर बनाए रखने में भी योगदान देती है। झील के आसपास पक्षियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति इसे एक प्रमुख पर्यावरणीय धरोहर बनाती है। इसके अलावा, यह झील पर्यावरण शिक्षा, अनुसंधान, और स्थानीय रोजगार के अवसर प्रदान करती है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि नांजरायण झील पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु की प्राकृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे संरक्षित करना और इसके पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखना हमारे समाज और भविष्य की पीढ़ियों के लिए आवश्यक है। झील की जैव विविधता, सांस्कृतिक महत्व, और पर्यावरणीय योगदान इसे एक अद्वितीय स्थान बनाते हैं।
क्या आपने इस अभयारण्य का दौरा किया है? अपने अनुभव और सुझाव हमारे साथ comment box में साझा करें!