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एस्किमो जनजाति (Eskimo Tribe)

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एस्किमो जनजाति (Eskimo Tribe): परिचय 

मानव हजारों वर्षों से इस पृथ्वी पर रहता आया है। आरंभ में मानव की क्रियाओं को पर्यावरण की शक्तियों ने नियंत्रित किया हुआ था। लेकिन जैसे-जैसे विज्ञान एवं तकनीकी विकास होता गया तो मानव ने प्राकृतिक शक्तियों पर  नियंत्रण करना सीख लिया। लेकिन आज भी कई ऐसी जनजातियां हैं जिनके जीवन व क्रियाकलापों पर पर्यावरण का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। जब मानव प्राकृतिक शक्तियों का अनुपालन करता है और अपने जीवन को प्रकृति के अनुसार ढाल लेता है तो इसे मानव के द्वारा पर्यावरण के साथ अनुकूलन कहा जाता है।

आज भी इस प्रकार के अनुकूलन के कई उदाहरण देखने को मिलते हैं। पर्यावरण के साथ अनुकूलन करने वाले लोग प्रमुख रूप से भूमध्यरेखीय प्रदेश, ध्रुवीय प्रदेशों, उष्णकटिबंधीय घास के मैदानों,  शीतोष्ण कटिबंधीय घास के क्षेत्रों, हिमालय के पर्वतीय प्रदेशों तथा मरुस्थल में देखने को मिलते हैं। इनमें मध्य अफ्रीका के पिग्मी, कालाहारी मरुस्थल के बुशमैन, उत्तरी  ध्रुवीय क्षेत्रों के एस्किमो, पूर्वी अफ्रीका के पठारी भाग में रहने वाले  मसाई, मध्य एशिया के,  अरब के बद्दू, भारत के गोंड तथा हिमाचल की गुर्जर प्रमुख उदाहरण है। यहां हम एस्किमो जनजाति का वर्णन करेंगे।
एस्किमो (Eskimo)

एस्किमो जनजाति (Eskimo Tribe) का निवास क्षेत्र

एस्किमो टुंड्रा क्षेत्र के निवासी है। यह क्षेत्र आर्कटिक महासागर के चारों ओर लगभग 50 लाख वर्ग किलोमीटर मे फैला हुआ है। इस क्षेत्र का विस्तार अल्यूशियन दीप समूह से लेकर अलास्का, उत्तरी कनाडा, ग्रीनलैंड, स्कैनडीवेनिया (नॉर्वे, स्वीडन एवं फिनलैंड) तथा रूस के उत्तरी भागो से होता हुआ बेरिंग जलसंधि तक है।

अधिकतर एस्किमो 68 डिग्री से 70 डिग्री उत्तरी अक्षांश के बीच निवास करते हैं। अलास्का, कनाडा, ग्रीनलैंड तथा उत्तरी रूस में इनको एस्किमो के ही नाम से जाना जाता है। जबकि स्कैनडीवेनिया (नॉर्वे, स्वीडन एवं फिनलैंड) में लैप्स तथा रूस के उत्तरी भागों में इनको याकूत, यूकाघीर, चकची, सैमोयेड्स आदि नामों से जाना जाता है। 

एस्किमो का नया नाम इनूईट है। यह नाम 1977 में अलास्का के बैरो नगर में आयोजित
Inuit Circumpolar Conference के दौरान रखा गया था एस्किमो का अर्थ होता है ‘कच्चा मांस खाने वाले’, जबकि इनूईट का मतलब होता है ‘अपरिवर्तित लोग’ या ‘वास्तविक लोग’।
एस्किमो का अर्थ

एस्किमो जनजाति (Eskimo Tribe) भौतिक पर्यावरण

जलवायु (climate)

उत्तरी ध्रुव के नजदीक होने के कारण यहां पर बहुत कठोर सर्दी पड़ती है। यहां की भूमि लगभग सारा साल बर्फ से ढकी रहती है। वर्षा न के बराबर होती है और होती भी है तो वह बर्फ के रूप में होती है।  यहां नौ महीने शीत ऋतु तथा तीन माह वसंत, ग्रीष्म व पतझड़ ऋतु के होते हैं। लम्बा शीतकाल होने के कारण यहां का वार्षिक औसत तापमान शून्य से नीचे रहता है। कभी-कभी शीत ऋतु में तो यह -50 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है।

कई माह तक लगातार रात का अंधेरा रहने के कारण इन लोगों के शरीर पर जलवायु का विपरीत प्रभाव पड़ता है। अत ये लोग मस्तिष्क के विकार, पागलपन के दौरे, आत्महत्या की प्रवृत्ति, अनिद्रा, तथा रक्त-क्षीणता जैसे रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं। यहाँ के यात्रियों का मानना है कि तूफानी हवा में -30 डिग्री सेल्सियस तापमान की अपेक्षा शांत वातावरण में -50 डिग्री सेल्सियस तापमान सहन करना आसान है। 

वनस्पति (vegetation)

यहां अल्पकालीन ग्रीष्म ऋतु में ही बर्फ के पिघलने पर काई, लिचन, विलो, बर्च, एल्डर, मॉस व अनेक प्रकार के रंग बिरंगे फूलों के पौधे ही उगते हैं। 

मृदा (soil)

वर्ष के अधिकांश समय यहां का धरातल बर्फ से ढका रहता है और यहां वनस्पति का अभाव भी होता है। इन कारणों से यहां पर मिट्टी का अधिक विकास नहीं हो पाता और अधिकांश क्षेत्र पर नग्न चट्टाने ही पाई जाती है। कहीं-कहीं पर मृदा की बिल्कुल पतली परत पाई जाती है जो खेती के अनुकूल नहीं होती।

जीव जंतु (animals)

एस्किमो के निवास क्षेत्र में गर्म खून वाले जानवर होते है।, जिनमें रेंडियर, कैरीबाऊ, ध्रुवीय भालू, मस्क बैल, मस्क चूहा, ध्रुवीय लोमड़ी और चिड़िया आदि प्रमुख हैं। बर्फ की सतह के नीचे बहुत सारी मछलियां रहती हैं जिसमें सील, वालरस एवं व्हेल प्रमुख हैं। 

एस्किमो जनजाति (Eskimo Tribe) के शारीरिक लक्षण

एस्किमो का चेहरा सपाट तथा चौड़ा होता है। इनका कद 150 से 160 सेंटीमीटर के बीच होता है। रंग पीला, आंखें गहरी कत्थई  तथा पलकें तिरछी होती है। इनका सिर लंबा, बाल भद्दे व काले होते हैं। इन लोगों में मंगोल प्रजाति के लक्षण पाए जाते हैं

एस्किमो जनजाति (Eskimo Tribe) के अस्त्र-शस्त्र

एस्किमो का प्रमुख हथियार ‘हारपून’ होता है। यह 4 से 5 फुट लंबा होता है और व्हेल मछली की हड्डी से बनाया जाता है। इसके अलावा चाकू, कुल्हाड़ी, धनुष-बाण तथा अन्य जानवरों की हड्डियों का उपयोग करते हैं। रेंडियर की नसों से बनाए हुए जाल का उपयोग ये लोग जानवरों का शिकार करने के लिए करते हैं। आजकल आधुनिक समाज के संपर्क में आने से एस्किमो बंदूक का भी प्रयोग करने लगे हैं।

Harpoon
एस्किमो का प्रमुख हथियार ‘हारपून’

एस्किमो जनजाति (Eskimo Tribe) का भोजन 

जैसा कि ऊपर बताया गया है एस्किमो का शाब्दिक अर्थ होता है ‘कच्चा मांस खाने वाले’। अतः ये लोग पूर्णतया  मांसाहारी होते हैं। इनका प्रमुख भोजन सील, वालरस, रेंडियर व कैरीबाऊ आदि जानवरों का मांस होता है। ये लोग ज्यादातर कच्चा मांस खाना पसंद करते हैं। परंतु कभी-कभी मांस को उबालकर, भूनकर या सुखाकर खाते हैं। इनको भोजन प्राप्त करने के लिए शिकार करना पड़ता है। शिकार नहीं मिलने पर कई-कई दिनों तक भूखे भी रहना पड़ता है। कई दिनों तक भोजन न मिलने पर ये लोग अपने पालतू जानवरों जैसे कुत्तों व रेंडियर को भी मारकर खा जाते हैं।

एस्किमो जनजाति (Eskimo Tribe) के कपड़े 

ये लोग सर्दी से बचने के लिए अपने कपड़े सील, रेंडियर, कैरीबाऊ, धुर्वीय भालू आदि पशुओं की खाल से बनाते हैं। कपड़ों को सिलने के लिए सुई और धागा क्रमशः जानवरों की हड्डियों व नसों से बनाते हैं। पुरुषों के वस्त्रों में एक जर्सी होती है जिसको तिमियोक कहा जाता है। इनके ऊपर भी एक कपड़ा पहनते हैं जिसे ओरनाक कहते हैं। पुरुष सिर पर समूर वाली टोपी व पैरों में कॉमिक नामक जूते पहनते हैं। ये  जूते सील की खाल से बने होते हैं। स्त्रियों के कपड़ों को ओमौअत कहते हैं।

एस्किमो जनजाति (Eskimo Tribe) का आवास 

ऋतुओं के अनुसार एस्किमो के दो प्रकार के आवास देखने को मिलते हैं 

एस्किमो जनजाति (Eskimo Tribe) का ग्रीष्मकालीन आवास

गर्मी के दिनों में ये  लोग सील मछली की खालों से तंबू बनाकर रहते हैं। इन तंबुओं को स्यूपिक्स या खेमो कहा जाता है। शीत ऋतु में बर्फीले तूफानव हिमपात के कारण ये तंबू नष्ट हो जाते हैं। 

एस्किमो जनजाति (Eskimo Tribe) का शीतकालीन आवास 

शीत ऋतु में एस्किमो बर्फ से बने हुए घरों में रहते हैं, जिनको इग्लू कहा जाता है। ये  घर हड्डियों के चाकू से काटे गए बर्फ के बड़े-बड़े टुकड़ों या खंडों के द्वारा बनाए जाते हैं। ये खंड एक दूसरे के ऊपर के रखकर गुम्बद के आकार का इग्लू डेढ़ घंटे में बनकर तैयार हो जाता है। इनका व्यास लगभग 4 मीटर तथा ऊंचाई लगभग 3 मीटर होती है। इनका प्रवेश द्वार आधा मीटर होता है जिसमें ये लोग लेट कर या घुटनों के बल सरक कर अंदर जाते हैं। इग्लू के अंदर की दीवारों पर सील मछली की खाल के अस्तर डालकर तथा चर्बी जलाकर उसे गर्म रखा जाता है। छत से हवा निकलने के लिए एक छिद्र छोड़ दिया जाता है, ताकि अंदर अधिक गर्मी होने से इग्लू पिघल न जाए।

एस्किमो जनजाति (Eskimo Tribe) का व्यवसाय

आखेट एवं व्यापार ही इनके प्रमुख व्यवसाय है। ग्रीष्म ऋतु में ये लोग जानवरों का शिकार करते हैं, जिससे इनको भोजन, कपड़ा तथा आवास की सुविधा प्राप्त होती है एवं शीत ऋतु में ये लोग समूर का व्यापार करते हैं।

शिकार करने वाली सभी आखेटक जनजातियों में से एस्किमो सबसे श्रेष्ठ हैं। ये रेंडियर, कैरीबाऊ, ध्रुवीय भालू, मस्क बैल आदि जानवरों का शिकार करते हैं।

एस्किमो जनजाति शिकार के लिए विभिन्न प्रकार के तरीके या विधियां अपनाते हैं जो निम्लिखित हैं:

माउपोक विधि

इस विधि शीत ऋतु में सील मछली का शिकार करते हैं। सील मछली बर्फ के नीचे रहती है और सांस लेने के लिए उसे बर्फ में छेद बनाने पड़ते हैं। इन छिद्रों पर शीघ्र ही बर्फ की पतली परत जम जाती है। एस्किमो के शिकारी कुत्ते इन छिद्रों का सूंघकर पता लगा लेते हैं। इन छिद्रों में एस्किमो हड्डी की एक छड़ लगा देते हैं और छिद्र को पहले की भांति ही ढक देते हैं। जब सील मछली सांस लेने के लिए इस छिद्र के नजदीक आती है, तो एस्किमो शिकारी को पता चल जाता है किमछली सांस लेने के लिए छिद्र के पास आ रही है। इस समय वह हारपून उठाकर सील के मुंह में जोर से मारता है। जिससे उसका अगला भाग सील के मांस में घुस जाता है। बाद में सावधानीपूर्वक सील को बर्फ से निकाल लिया जाता है।

उतोक विधि

इस विधि के द्वारा एस्किमो सील का शिकार वसंत ऋतु में करते हैं। वसंत ऋतु में सील के विशाल झुंड धूप सेकने के लिए सागर के तटों पर इकट्ठा हो जाते हैं। उस समय एस्किमो दल व गाड़ी को छोड़कर अपने कुत्तों के साथ सील मछली के झुंडो की तलाश में निकल पड़ता है। सील के झुंड को देखकर वह बर्फ पर लेटकर खिसकता हुआ उसके निकट पहुंच जाता है और अपने हारपून से उस पर अचानक आक्रमण करके उसे मार देता है।

एतुआरपोक विधि

इस विधि से भी एस्किमो सील का ही शिकार करते हैं। इसमें एस्किमो दो छिद्रों का प्रयोग करते हैं। एक में ये चारा डालकर सील को लुभाते हैं और दूसरे छिद्र से हारपून भाले द्वारा सील मछली का शिकार किया जाता है।

इनके अलावा एस्किमो हल्के भाले की सहायता से बत्तख व हंसों का भी शिकार करते हैं। नदियों के रास्ते में जाल डालकर या थैलों की सहायता से भी मछलियों को पकड़ा जाता है। 

एस्किमो जनजाति (Eskimo Tribe) के परिवहन के साधन 

एस्किमो परिवहन के रूप में विभिन्न साधनों का प्रयोग करते हैं। जिनमें से प्रमुख साधन निम्नलिखित है: 

स्लेज

यह बिना पहिए की गाड़ी होती है, जिसे व्हेल मछली की हड्डियों से बनाया जाता है। जहां पर लकड़ी मिल जाती है वहां पर यह लकड़ी से बनाई जाती है। इसको शीत ऋतु में बर्फ पर चलाया जाता है। इसको 5-6  कुत्तों की टोली मिलकर खींचती है। शक्तिशाली कुत्तों को सबसे आगे तथा कमजोर कुत्तों को स्लेज के नजदीक लगाया जाता है।

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एस्किमो द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली गाड़ी ‘स्लेज

कायक

यह एक प्रकार की नाव होती है, जिसे ग्रीष्म ऋतु में खुले समुद्र में शिकार करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। यह नाव व्हेल मछली की हड्डियों अथवा लकड़ी से बनाई जाती है। यह सामान्यतया 6 मीटर लंबी होती है, जिसका ऊपरी भाग व्हेल की खाल से मढ़ा जाता है। केवल शिकारी के बैठने के लिए ही एक अंडाकार छेद बिना मढ़े रखा जाता है।

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एस्किमो द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली नाव ‘कायक

उमियाक 

यह खाल से मढ़ी हुई चौड़ी नाव होती है जो  अलास्का तथा  ग्रीनलैंड में व्हेल मछली का शिकार करने के लिए उपयोग में लाई जाती है।

एस्किमो द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली नाव ‘उमियाक

एस्किमो जनजाति (Eskimo Tribe) का समाज व संस्कृति

यह एक पितृवंशीय समाज है। जिसमें सबसे अधिक आयु वाला व्यक्ति इनका प्रमुख होता है। वही सभी त्योहारों, उत्सवों की अध्यक्षता करता है। प्रत्येक परिवार के लिए आवास तथा आखेट संबंधी निर्णय लेता है। एस्किमो आखेट से प्राप्त हुए शिकार को उस व्यक्ति को सौंप देता है और उसकी पत्नी उसका बंटवारा करती है। एस्किमो समाज में जादूगर सबसे अधिक प्रभावशाली व्यक्ति होता है। इनमें आपसी लड़ाई झगड़े बहुत कम होते हैं। ये लोग चोरी और लूट से भी अनभिज्ञ हैं। इनमें जादू-टोना, स्त्रियों से घुलमिल जाना और हत्या सामान्य अपराध है।

एस्किमो समाज में सबसे वृद्ध व्यक्ति अपना कर्तव्य भी बहुत अच्छे से निर्वाह करता है। जब कभी भोजन की कमी होती है या सीमित संसाधन होते हैं, तो जनसंख्या भार को कम करने के लिए वह परिवार के अन्य सदस्यों को सोता हुआ छोड़कर अपने इग्लू से बाहर आता है और निशक्त होने तक नंगे पांव बर्फ पर चलता रहता है। अज्ञात स्थान पर पहुंचने के पश्चात वह अपने समूर के कपड़े उतार लेता है। धीरे-धीरे अनावरण के कारण वह तत्काल मर जाता है। क्योंकि वहां का तापमान हिमांक बिंदु से बहुत नीचे होता है। इस प्रकार एस्किमो द्वारा आत्महत्या करने का यह अद्वितीय ढंग उनके द्वारा न्यायोचित ठहराया गया है। क्योंकि इससे वेअपने बच्चों व परिवार के अन्य सदस्यों के लिए सीमित भोजन को बचा पाते हैं।
एस्किमो जनजाति द्वारा आत्महत्या करने का अद्वितीय ढंग

सांस्कृतिक दृष्टि से ये लोग पिछड़े हुए हैं और जीवन भर बिना नहाए रहते हैं। वस्त्र को फट जाने तक यह उन्हें शरीर से नहीं उतारते। भूत प्रेतों में इनका विश्वास होता है। एस्किमो की एक देवी होती है जिसे वेदना के नाम से पुकारा जाता है। यह देवी समुद्र तल में रहती है और जंतुओं पर इसका नियंत्रण रहता है। इस देवी का रूट होना हानिकारक माना जाता है।

FAQs

एस्किमो जनजाति कौन हैं और उनका नया नाम क्या है?

एस्किमो उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्रों में रहने वाली एक जनजाति है। इनका नया नाम “इनूईट” है, जिसका अर्थ है ‘वास्तविक लोग’।

एस्किमो कहाँ रहते हैं?

एस्किमो आर्कटिक महासागर के चारों ओर टुंड्रा क्षेत्र में रहते हैं। यह क्षेत्र अलास्का, उत्तरी कनाडा, ग्रीनलैंड, स्कैंडिनेविया, और उत्तरी रूस में फैला हुआ है।

एस्किमो जनजातिका प्रमुख हथियार कौन सा है और यह किससे बनाया जाता है?

एस्किमो का प्रमुख हथियार ‘हारपून’ है, जो व्हेल मछली की हड्डी से बनाया जाता है।

एस्किमो जनजाति का भोजन क्या होता है?

एस्किमो मुख्यतः मांसाहारी होते हैं और सील, वालरस, रेंडियर, और कैरीबाऊ आदि जानवरों का मांस खाते हैं। ये लोग ज्यादातर कच्चा मांस खाना पसंद करते हैं।

एस्किमो किस प्रकार के आवास में रहते हैं?

एस्किमो शीत ऋतु में बर्फ से बने घरों में रहते हैं जिन्हें इग्लू कहा जाता है, और ग्रीष्म ऋतु में सील मछली की खाल से बने तंबुओं में रहते हैं।

एस्किमो जनजाति के कपड़े किससे बनाए जाते हैं?

एस्किमो अपने कपड़े सील, रेंडियर, कैरीबाऊ, और ध्रुवीय भालू की खाल से बनाते हैं। सुई और धागा जानवरों की हड्डियों और नसों से बनाए जाते हैं।

एस्किमो जनजाति परिवहन के लिए कौन से साधनों का उपयोग करते हैं?

एस्किमो परिवहन के लिए स्लेज (कुत्तों द्वारा खींची जाने वाली गाड़ी), कायक (नाव), और उमियाक (चौड़ी नाव) का उपयोग करते हैं।

एस्किमो जनजाति का प्रमुख व्यवसाय क्या है?

एस्किमो का प्रमुख व्यवसाय आखेट (शिकार) और समूर का व्यापार है।

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