इस लेख में आप वलित पर्वतों (Folded Mountain) का अर्थ, इसके प्रकार तथा विभिन्न विशेषताओं के बारे में विस्तार से जानेंगे।
जब चट्टानों में पृथ्वी की आन्तरिक हलचलों द्वारा मोड़ (fold) या वलन पड़ जाते हैं, तो ऐसे पर्वतों को “मोड़दार या वलित पर्वत (Folded Mountain)” कहा जाता है। ये पर्वत विश्व के सबसे ऊँचे और सर्वाधिक विस्तृत पर्वतों में से होते हैं, जिनका विस्तार लगभग हर महाद्वीप में देखा जा सकता है। इनका वितरण महाद्वीपीय किनारों पर होता है, जो अक्सर उत्तर से दक्षिण या पश्चिम से पूर्व दिशा में फैले होते हैं। उदाहरण के लिए, हिमालय, अल्पाइन पर्वत समूह, राकीज, और एटलस वलित पर्वतों के प्रमुख उदाहरण हैं।
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वलित पर्वतों में अक्सर अपनतियाँ (anticlines) और अभिनतियाँ (synclines) पाई जाती हैं। इन पर्वतों को उनके वलन (folding) के स्वभाव के आधार पर दो भागों में बांटा जा सकता है:
- साधारण वलित पर्वत (Simple Folded Mountains with Open Folds):
जब वलन साधारण होते हैं और अपनतियाँ एवं अभिनतियाँ एक सरल क्रम में व्यवस्थित होती हैं, तो ऐसे पर्वतों को साधारण वलित पर्वत कहते हैं। इस प्रकार के पर्वतों का निर्माण तब होता है, जब दबाव (pressure) की शक्ति सामान्य होती है। साधारण दबाव और मोड़ की क्रिया के कारण, क्रम से अपनति और अभिनति की संरचना बनती है। - जटिल वलित पर्वत (Complex Folded Mountains):
जब दबाव की शक्तियाँ अत्यंत तीव्र होती हैं, तो वलन की क्रिया भी अत्यंत जटिल हो जाती है। अत्यधिक दबाव के कारण कभी-कभी एक वलन का अग्रभाग टूटकर दूसरे वलन पर चला जाता है, जिससे ग्रीवाखंड (nappe) का निर्माण होता है। कभी-कभी दन्नाव में तीव्रता और जटिलता के कारण परिवलित वलन (recumbent fold) भी बन जाते हैं। ऐसे ही जटिल मोड़वाले पर्वतों को जटिल वलित पर्वतों की श्रेणी में रखा जाता है।
आयु के आधार पर भी वलित पर्वत (Folded Mountain)
1. युवा वलित पर्वत
- युवा वलित पर्वत (Folded Mountain) वे पर्वत हैं जिन पर अपरदन (erosion) के कारकों का प्रभाव अधिक नहीं हुआ हो। ।
- युवा वलित पर्वत का निर्माण धीरे-धीरे होता है, लेकिन निर्माण के साथ ही अपरदन की प्रक्रिया भी आरंभ हो जाती है, जिससे इनकी परिपक्वता की अवस्था पहले ही आ जाती है।
- वास्तव में धरातल पर इस प्रकार के पर्वतों का सर्वथा अभाव होता है, क्योंकि पर्वत निर्माण तथा वलन की क्रिया साधारण तथा मन्द प्रक्रिया होती है, जिसके अन्तर्गत पर्वतों का निर्माण शनैः शनैः होता रहता है।
2. परिपक्व वलित पर्वत
- परिपक्व वलित पर्वत (Folded Mountain) वे पर्वत होते हैं जिनकी धरातलीय आकृति में नूतन मोड़ और उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं।
- इन पर्वतों में एंकनत कटक (monoclinal ridges) और एकनत घाटियाँ (monoclinal valleys) पाई जाती हैं, जो उनके परिपक्व अवस्था का संकेत देती हैं।
- पर्वतों के मोड़ों के अंतिम भाग में, ये कटक और घाटियाँ मिलकर ऊबड़-खाबड़ आकृतियाँ बना देती हैं।
- इस प्रकार के पर्वतों में, अपरदन की क्रियाएँ अधिक समय से चल रही होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनकी सतह पर स्पष्ट और जटिल आकृतियाँ उभरकर सामने आती हैं।
वलित पर्वत (Folded Mountain) की विशेषताएँ
वलित पर्वत सभी एक जैसे नहीं होते, लेकिन इनकी कुछ common विशेषताएँ हैं जिन्हें अन्य पर्वतों से अलग पहचान मिलती है। आइए, इन विशेषताओं को विस्तार से समझें:
- उत्पत्ति और नवीनता
वलित पर्वत भूतल के नवीनतम पर्वत माने जाते हैं। इन पर्वतों में दुनिया की highest peaks यानी उच्चतम चोटियाँ पाई जाती हैं। - चट्टानों का निर्माण
वलित पर्वतों की चट्टानों का निर्माण अवसादी चट्टानों में दबाव पड़ने और मोड़ के कारण हुआ है। इन चट्टानों का जमाव नदी के तलछटीय निक्षेप (alluvial deposits) से भी जुड़ा है। - जलज (Sedimentary) चट्टानें
पर्यवेक्षणों से यह प्रमाणित हुआ है कि वलित पर्वतों में पाई जाने वाली चट्टानें जलज हैं। इसका मतलब है कि इनका जमाव जलीय भागों में हुआ था। इन चट्टानों में सागरीय जीवों के अवशेष भी मिलते हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि इनका जमाव सागरीय या जलीय क्षेत्र में हुआ। - तलछट की गहराई
वलित पर्वतों में तलछट की गहराई कई हजार मीटर तक (40,000 फीट से भी अधिक) मापी जाती है। कुछ विद्वान मानते हैं कि इनका जमाव अत्यधिक गहरे सागर में हुआ था, लेकिन तलछट में ऐसे सागरीय जीवों के अवशेष पाए जाते हैं जो केवल उथले सागर में ही पनप सकते हैं।
नतीजा: वलित पर्वतों का जमाव न केवल सागर में, बल्कि उथले सागर में भी हुआ। तलछटीय जमाव के कारण बढ़ते भार से सागरीय पेटी नीचे धँस गई, जिससे इतनी गहराई का जमाव संभव हुआ। - आकार और ढाल
वलित पर्वत मुख्य रूप से चाप (arch) के आकार में होते हैं, जिनका एक ढाल अवतल और दूसरा उत्तल होता है। आमतौर पर पर्वतों के ढाल उस दिशा में अवतल होते हैं, जहाँ दबाव की शक्ति का आगमन होता है। उदाहरण के लिए, हिमालय का आकार तलवार जैसा है – उत्तरी किनारा अवतल और दक्षिणी किनारा उत्तल। यह स्थिति इसलिए उत्पन्न हुई क्योंकि उत्तर से आ रही अंगारालैण्ड दक्षिण की ओर प्रायद्वीपीय भारत (गोंडवानालैण्ड) के दृढ़ भूखण्ड की ओर सरक रही थी। - विस्तार (Extent)
वलित पर्वत लंबाई में काफी विस्तृत लेकिन चौड़ाई में कम होते हैं। उदाहरण के लिए:- उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में राकीज़ और एण्डीज़ पर्वत उत्तर से दक्षिण दिशा में संकरी पट्टी में स्थित हैं।
- हिमालय का विस्तार पश्चिम से पूर्व में लगभग 1500 मील (2414 किमी) और उत्तर से दक्षिण में लगभग 250 मील (402 किमी) है।
- इससे स्पष्ट होता है कि वलित पर्वत का निर्माण न केवल उथले, बल्कि लंबे और संकरे सागर में हुआ। ऐसे जलीय भाग को ‘भूसन्नति’ कहा जाता है। यह भी माना जाता है कि “भूसत्रतियों से वलित पर्वतों की रचना हुई है” – अर्थात, “Out of geosynclines have come out the mountains”।
भूसन्नतियों को ‘वलित पर्वतों का पालना’ (cradle of mountains) भी कहा जाता है। वरसेस्टर के अनुसार, सभी बड़े वलित पर्वत पहले की भूसन्नतियों के किनारे पर पाए जाते हैं। - अपरदन की शक्तियाँ
अपरदन की क्रियाओं के चलते वलित पर्वतों में कई प्रकार के परिवर्तन हो जाते हैं। अत्यधिक अपरदन के कारण इन क्षेत्रों में उच्चावच्च में विलोम या व्यतिक्रम देखा जाता है।