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सिन्धु नदी तंत्र (Indus River System)

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सिन्धु नदी तंत्र (Indus River System)

सिन्धु नदी तंत्र (Indus River System) भारतीय उपमहाद्वीप का एक महत्त्वपूर्ण अपवाह तन्त्र है। सिन्धु का जलग्रहण क्षेत्र (Catchment Area) लगभग 1,165,000 वर्ग कि.मी. है, जिसमें लगभग 321,284 वर्ग कि.मी. भारत में है। भारतीय उपमहाद्वीप में सिन्धु सबसे पश्चिमी नदी तन्त्र है। झेलम, चेनाब, रावी, व्यास तथा सतलुज इसकी मुख्य सहायक नदियां हैं।

इनको भी पढ़ें
1. गंगा नदी तंत्र
2. ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र
3. प्रायद्वीपीय भारत का नदी तंत्र
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Indus River System Map
Source: Watershed Atlas of India

सिन्धु नदी

  • इसकी लम्बाई 2880 कि.मी. है तथा भारत में इसकी लम्बाई 709 कि.मी. है।
  • सिन्धु का उदगम खोखर-चू हिमनद में होता है, जो कैलाश श्रेणी’ (6714 मीटर) के उत्तरी ढाल पर स्थित है। 
  • कैलाश पर्वत से निकलने के बाद यह एक सिकुड़ी हुयी घाटी से उत्तर-पश्चिमी दिशा में (तिब्बत में) बहती है, जहां इस सिंगी खम्बन या लायन्स मॉउथ (Lion’s mouth) कहते हैं। 
  • लद्दाख में यह नदी लद्दाख श्रेणी एवं जास्कर श्रेणी के मध्य एक लगभग सीधे मार्ग को अपनाती है।
  • सुरू एवं द्रास इसकी बाएँ किनारे की अन्य सहायक नदियां है, जो इसमें कारगिल के निकट आकर मिलती हैं। 
  • उत्तर-पश्चिम की ओर सिन्धु में स्योक व नुबरा सहायक नदियां आकर मिलती हैं। ये सहायक नदियाँ सियाचिन हिमनद (काराकोरम श्रेणी) से निकलती हैं। 
  • स्कार्दु के निकट, स्योक से कुछ ही दूर नीचे, K2 पर्वत के उत्तरी ढाल को अपवाहित करने वाली शीगर नदी सिन्धु में आकर मिलती है। 
  • गिलगिट, सिन्धु की एक अन्य सहायक नदी है, जो इसमें पश्चिम से आकर मिलती है। 
  • सिन्धु नदी कई गहरे महा-खड्डों का निर्माण करती है। इसके द्वारा निर्मित सबसे गहरा महाखड्ड गिलगिट (5200 मी.) है। 
  • यह नदी नंगा पर्वत के निकट से होकर गुजरती है तथा दक्षिण-पश्चिम की ओर मुड़कर पाकिस्तान में प्रवेश करती है।

झेलम (वितस्ता)

  • झेलम का उद्गम एक जल-स्रोत से वेरीनाग में होता है, जो कश्मीर घाटी के दक्षिणी-पूर्वी भाग में स्थित है।
  • यह उत्तर-पश्चिम में लगभग 110 कि.मी. तक बहती है जहां यह वुलर झील में प्रवेश करती है तथा बारामुला से आगे अनुप्रवाह में यह एक 2130 मीटर गहरे महाखड्ड में प्रवेश करती है और मुजफ्फराबाद (पाकिस्तान) की ओर मुड़ जाती है। 
  • यह ट्रीम्मू में चेनाब से जाकर मिल जाती है। 
  • कश्मीर घाटी में इसकी ढाल अधिक गहरी नहीं है तथा इसलिए यह नदी अनन्तनाग एवं बारामुला के बीच नौगम्य है। 
  • यह नदी कश्मीर की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है।

चेनाब (अस्किनी)

  • यह भारत में लगभग 1180 कि.मी. तक बहती है तथा 26,755 वर्ग कि.मी. क्षेत्र को अपवाहित करती है।
  • चेनाब नदी को हिमाचल प्रदेश में चंद्र-भागा कहते हैं। 
  • चंद्रा तथा भागा इस नदी के ऊपरी भाग की दो सहायक नदियां हैं, जिसका उद्गम हिमाचल प्रदेश के लाहौल जिले में बारा लाप्चा दर्रे (4843 मीटर) के दोनों ओर से होता है।
  • इन नदियों में चन्द्रा का उद्गम हिमनद से होता है। चंद्रा तथा भागा का संगम टांडी में होता है। 
  • एकजुट होने के बाद चेनाब पीर पंजाल तथा वृहत् हिमालय के बीच बहती है। 
  • किश्तवार के निकट यह नदी एक ‘कैंची-मोड़’ (Hair-pin bend) लेकर पीर पंजाल को रिआसी में पार कर पाकिस्तान में प्रवेश करती है। 
  • चेनाब नदी पर बनी महत्वपूर्ण जल-बिजली परियोजना बागलिहार, सेलाल तथा दुलहस्ती है। 
  • बागलिहार परियोजना डोडा जिले में है और इस परियोजना की कुल ऊँचाई 144.5 मीटर है। यह परियोजना 450 मेगावाट बिजली उत्पन्न करेगी। यह योजना जम्मू एवं कश्मीर को पर्याप्त बिजली प्रदान करेगी।

रावी (पुरुष्णी अथवा इरावती)

  • यह नदी 725 कि. मी. तक बहती है तथा भारत में 5957 वर्ग कि.मी. क्षेत्र को अपवाहित करती है। 
  • रावी कुल्लू में रोहतांग दर्रे के निकट निकलती है, यह व्यास नदी के स्रोत के निकट है। 
  • यह नदी पीरपंजाल के पश्चिमी ढाल को तथा धौलाधार श्रेणी के उत्तरी ढाल को अपवाहित करती है।
  • धौलाधार श्रेणी में यह एक महाखड्ड बनाते हुए पंजाब के मैदान में प्रवेश करती है। 
  • पंजाब के मैदान में यह नदी भारत-पाक सीमा के साथ-साथ बहती है, गुरदासपुर तथा अमृतसर जिले के साथ-साथ बहने के बाद यह नदी पाकिस्तान में प्रवेश करती है।

व्यास (विपाशा अथवा अर्गीकिया):

  • व्यास नदी का स्रोत व्यास कुंड है, जो कुल्लू के रोहतांग दर्रे (4000 मीटर) के दक्षिणी फलक के निकट है, जहां यह नदी कुछ किलोमीटर तक बहती है जिसके बाद यह धौलाधार श्रेणी को काटती है तथा कोटी एवं लार्जी के निकट एक गहरे महाखड्ड का निर्माण करती है।
  • यह उत्तर से दक्षिण की ओर मनाली तथा कुल्लू शहर के साथ-साथ बहती है, जहां नदी की एक अनुप्रस्थ घाटी है जो कुल्लू घाटी के रूप से चर्चित है। 
  • नीचे की ओर यह कांगड़ा घाटी से होकर बहती है तथा पश्चिम की तरफ मुड़कर पंजाब के मैदान में प्रवेश करती है। 
  • यह अन्त में कपूरथला तथा अमृतसर जिले से होकर गुजरती है तथा सतलुज में जाकर हरीके (भारत में) के निकट मिलती है। 
  • यह नदी कुल 465 कि.मी. तक बहती है।

सतलुज (साताद्रु अथवा सातुद्री)

  • सतलुज नदी का उद्गम राकास झील (राकास ताल) से होता है, जो लगभग 4600 मीटर की ऊँचाई पर मानसरोवर झील (चीन) के निकट स्थित है। 
  • यह एक पूर्ववर्ती नदी है, जिसे तिब्बत में लांगचेन खम्बाब कहते हैं। 
  • यह नदी जास्कर तथा वृहत् हिमालयी श्रेणी में महाखड्ड का निर्माण करती है। 
  • शिपकीला दर्रे (4300 मीटर) के निकट यह हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करती है, जहां यह जास्कर श्रेणी से होकर बहती है। 
  • शिवालिक से गुजरती इस नदी पर भाखड़ा गांव के नजदीक एक महाखड्ड पर भाखड़ा बाँध का निर्माण किया गया है। 
  • भाखड़ा बाँध के नीच रोपड़ में यह नदी पंजाब के मैदान में प्रवेश करती है। 
  • रोपड़ से यह नदी पश्चिम की ओर बहती है तथा कपूरथला के दक्षिण-पश्चिम किनारे हरीके में यह व्यास से मिलती है। इस संगम के बाद यह नदी पाकिस्तान में प्रवेश करती है। 
  • भारत में इस नदी की लम्बाई 1050 कि.मी. है जो 28,090 वर्ग कि. मी. के क्षेत्र को अपवाहित करती है।

घग्घर(पौराणिक सरस्वती )

  • यह एक अंतः स्थलीय अपवाह है, जो अम्बाला (हरियाणा) के निकट सिरमुर के शिवालिक के पाद मलवा पंख (talus fan) से निकलती है। 
  • मैदान में प्रवेश करने के बाद यह विलुप्त हो जाती है, परंतु करनाल जिले में फिर से प्रकट हो जाती है।
  • इसके आगे यह सरिता हरका कहलाती है, जो बीकानेर के नजदीक हनुमानगढ़ में लुप्त हो जाती है।
  • इसके नदी तल का वृहत् आकार जो 5 से 8 कि.मी. चौड़ी है तथा जिसमें दोमट मिट्टी होती है ने इस धारणा को जन्म दिया कि पौराणिक काल में सतलुज दक्षिण की ओर इस घग्घर-हरका नदी से ही होकर बहती थी (यह नदी एक बड़े नदी के रूप में बहती थी जिसे वैदिक काल में सरस्वती कहते थे यह काल 5000 वर्ष या उससे अधिक पुराना है) न कि यह दक्षिण-पश्चिम की ओर बहती थी। 
  • इस नदी के निशान पूर्वी नारा भी मिलते हैं, जो वर्तमान में सिन्ध (पाकिस्तान) में एक पुरानी नहर है तथा जो कच्छ की दलदल भूमि (Rann of Kachchh) में जाकर मिल जाती है जो उस समय एक साधारणतः गहरी खाड़ी के रूप में जाना जाता था। 
  • वर्तमान में यह क्षेत्र व्यावहारिक रूप से एक मरुस्थल है तथा घग्घर-हरका वास्तविक रूप से अल्पकालिक नदियां हैं जो वर्षा ऋतु के दौरान सक्रिय होती हैं। 

FAQs

सिंधु नदी कहां से निकलती है और कहां खत्म होती है?

सिन्धु नदी कैलाश श्रेणी’ (6714 मीटर) के उत्तरी ढाल के खोखर-चू हिमनद से निकलती है तथा लद्दाख व जम्मू कश्मीर से होती हुई पाकिस्तान में प्रवेश करती है एवं कराची के पास अरब सागर में जा गिरती है।

सिंधु नदी को तिब्बत में क्या कहते हैं?

सिंधु नदी को तिब्बत में सिंगी खम्बन या लायन्स मॉउथ (Lion’s mouth) कहते हैं। 

सिंधु नदी का कितना भाग भारत में स्थित है?

सिंधु नदी की कुल लम्बाई 2880 कि.मी. है तथा भारत में इसकी लम्बाई 709 कि.मी. है।

झेलम का पुराना नाम क्या है?

झेलम का पुराना नाम वितस्ता है। झेलम नदी को वेदों में यह नाम दिया गया है।

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