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भारत में जल विद्युत् शक्ति (Hydroelectric Power in India): उत्पादन एवं वितरण

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भारत में कोयला और पेट्रोलियम के बाद जल विद्युत ऊर्जा का तीसरा प्रमुख क्षेत्र है। अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, केरल, मेघालय एवं सिक्किम राज्य अपनी जरूरत की  90 प्रतिशत और हरियाणा, कर्नाटक, उड़ीसा, पंजाब एवं राजस्थान 50 प्रतिशत आपूर्ति जल विद्युत से पूरा करते हैं। 

भारत में प्रथम जलविद्युत संयंत्र की स्थापना 1897-98 में दार्जिलिंग में की गई (स्थापित क्षमता 200 kw)। इसके बाद दूसरा जल विद्युत संयंत्र 1902 में शिवसमुद्रम के निकट कावेरी नदी पर कोलार की सोने की खानों को बिजली देने के लिए बनाया गया (क्षमता 4200 kw) | तीसरा केन्द्र झेलम नदी पर मोहारा के निकट 1909 में स्थापित हुआ (क्षमता 4500 kw) | 

प्रथम विश्वयुद्ध से विद्युत उत्पादन को प्रोत्साहन मिलने से 1950-51 तक देश में बिजली की स्थापित क्षमता 575 मेगावाट और उत्पादन 286 करोड़ kwh हो गया। स्वतंत्रता के बाद भाखड़ा नांगल, हीराकुड, रिहण्ड, दामोदर घाटी, चम्बल, तुंगभद्रा, कोयना आदि प्रयोजनाओं के पूरा होने से वर्तमान में जल विद्युत की आपूर्ति में काफी सुधार हुआ है।

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1. जल विद्युत शक्ति के उत्पादन हेतु आवश्यक दशाएं
2. जल विद्युत शक्ति के उपयोग से होने वाले लाभ
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भारत में जल विद्युत शक्ति का उत्पादन एवं वितरण (Generation and Distribution of Hydroelectric Power in India)

जलविद्युत उत्पादन की दृष्टि से महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, केरल, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर आदि महत्वपूर्ण है। इन राज्यों की महत्त्वपूर्ण जल-विद्युत परियोजनाओं का वर्णन नीचे किया गया है

महाराष्ट्र में प्रमुख जल-विद्युत केन्द्र/परियोजना 

लोनावाला परियोजना 

पुणे के निकट लोनावाला क्षेत्र में नीलामूला, शिर्वता, वलवन, लोनावाला आदि अनेक झीलें हैं। इनका जल पाइपों द्वारा खोपोली तक पहुँचाया जाता है। यहाँ पर टाटा कम्पनी ने सन् 1915 में 65,000 किलोवाट क्षमता वाला शक्ति संयंत्र लगाया। अतः इसे टाटा जल-विद्युत परियोजना भी कहते हैं। अब इसमें शिवपुरी (क्षमता 72,000 किलोवाट), खोपोली (क्षमता 72,000 किलोवाट) तथा भीटा (क्षमता 1,32,000 किलोवाट) कार्यरत है तथा ये तीनों बिजली घर मुम्बई तथा पुणे को बिजली प्रदान करते हैं।

कोयना (Koyna) परियोजना 

यह मुम्बई से 240 किमी० दक्षिण-पूर्व कृष्णा नदी की सहायक नदी कोयना पर स्थित है। इसके निर्माण के पहले तथा दूसरे चरण में आठ बिजली घर लगाए गए थे जिनकी क्षमता 5.5 लाख किलोवाट है। तीसरे चरण में चार और बिजली घर बनाए गए हैं जिनकी क्षमता तीन लाख किलोवाट है।

ककरपारा परियोजना

यह तापी नदी पर ककरपारा नामक स्थान पर है। इसकी स्थापना 1953 में की गई। यहाँ 2.2 लाख किलोवाट बिजली पैदा करके सूरत तथा उसके निकटवर्ती क्षेत्रों को भेजी जाती है।

तमिलनाडु में प्रमुख जल-विद्युत केन्द्र/परियोजना 

इस राज्य की प्रमुख परियोजनाएँ, मैटूर, पायकारा, पापनाशम्, पेरियार तथा कुण्डा हैं। 

मैटूर परियोजना 

यह मैटूर के निकट कावेरी नदी पर स्थित है। यहाँ 53 मीटर ऊँचा बाँध बनाकर 55,000 किलोवाट बिजली पैदा की जाती है।

पायकारा (Pykara) परियोजना

कावेरी नदी की सहायक पायकारा नदी पर 390 मीटर ऊँचा बाँध बनाकर 68,000 किलोवाट क्षमता वाला जल-विद्युत घर बनाया गया है।

पापनाशम् परियोजना

ताम्रपर्णी नदी पर पापनाशम स्थान पर 53 मीटर ऊँचा बाँध बनाकर 24,000 किलोवाट बिजली पैदा की जाती है। यह तमिलनाडु के दक्षिणी भाग में स्थित है और यहाँ से तिनेवली, मदुरई, तूतीकोरिन आदि स्थानों को बिजली भेजी जाती है।

पेरियार परियोजना

केरल की सीमा के निकट परियार पहाड़ियों में एक जल विद्युत उत्पादन केन्द्र की स्थापना की है। यहां पर 35,000पैदा होती है।

कुण्डा परियोजना

इससे लगभग 40,000 किलोवाट बिजली उत्पन्न होती है। 

उपर्युक्त सभी केन्द्रों को एक विद्युत संगठन क्रम (Electric Grid System) में जोड़ दिया गया है। इससे तमिलनाडु के लगभग सभी स्थानों को जलविद्युत उपलब्ध हो रही है।

कर्नाटक में प्रमुख जल-विद्युत केन्द्र/परियोजना

इस राज्य की प्रमुख परियोजनाएं निम्नलिखित है 

महात्मा गाँधी परियोजना

कृष्णा नदी पर बने जोग जलप्रपात पर 42,000 किलोवाट क्षमता वाला बिजलीघर बनाया गया है। यहाँ से धारवाड़ तथा हुबली जिलों को बिजली प्राप्त होती है।

शिवसमुद्रम परियोजना 

कावेरी नदी पर शिवसमुद्र नामक जलप्रपात पर 42,000 किलोवाट क्षमता वाला जलविद्युत घर बनाया गया है। यहाँ से कोलार सोने की खानों तथा बंगलौर एवं मैसूर को बिजली प्राप्त होती है।

शिमशा परियोजना

कावेरी नदी की सहायक शिमशा नदी पर शिमशा जल-प्रपात का उपयोग करके सन् 1940 में 17:200 किलोवाट क्षमता का बिजली घर बनाया गया है। 

शरावती परियोजना 

शरावती नदी पर 12 लाख किलोवाट विद्युत उत्पादन क्षमता का केन्द्र स्थापित किया गया है।

उत्तर प्रदेश में प्रमुख जल-विद्युत केन्द्र/परियोजना

इस राज्य की प्रमुख परियोजनाएं निम्नलिखित है 

गंगा विद्युत संगठन क्रम प्रणाली (The Ganga Electric Grid System)

ऊपरी गंगा नहर हरिद्वार से मेरठ तक 12- प्रपात बनाती है। इनमें से सात स्थानों पर कृत्रिम बांध बनाकर विद्युत उत्पन्न की गई है। इन स्थानों के नाम नी गजनी, मुहम्मदपुर, चित्तौर, सलावा, भोला, पलेरा तथा सुमेरा है। इन सभी स्थानों से लगभग 23,800 किलोवाट बिजली प्राप्त को जाती है। इनको एक ग्रिड में संगठित किया गया है। इस संगठन से उत्तर प्रदेश के लगभग 4,000 वर्ग किमी क्षेत्र में स्थित 14 जिलों के 95 नगरों को विद्युत मिलती है। ग्रामीण क्षेत्रों के नलकूपों को भी यही संगठन विद्युत प्रदान करता है।

माताटीला बांध 

यह बांध बेतवा नदी पर झांसी के निकट मध्य प्रदेश की सीमा के पास बनाया गया है। यहाँ 10,000 किलोवाट विद्युत उत्पन्न होती है जिसे उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश बांटकर प्रयोग करते हैं। इससे उत्तर प्रदेश के झांसी, हमीरपुर व बांदा जिली को तथा मध्य प्रदेश के ग्वालियर व संतिया जिलों को बिजली मिलती है।

रिहन्द परियोजना

मिर्जापुर जिले में पीपरी नामक स्थान पर सोन नदी की सहायक रिहन्द नदी पर 91.5 मीटर ऊँचा बनाकर 3,00,000 किलोवाट क्षमता वाला विद्युत गृह स्थापित किया गया है। इनसे कानपुर से मुगलसराय तक के इलाको को बिजली मिलती है।

केरल में प्रमुख जल-विद्युत केन्द्र/परियोजना

इस राज्य को प्रमुख परियोजनाएं निम्नलिखित हैं।

पल्लीवासल परियोजना

मुद्रपूजा नदी के पल्लीवासल स्थित झरने से जल-विद्युत पैदा की जाती है। इसकी क्षमता 50,000 किलोवाट है।

सेंगुलम परियोजना 

पल्लीवासलके नीचे बेलाथुवल स्थान पर एक विद्युत गृह बनाया गया है। इसकी क्षमता 48,000 किलोबाद है।

पेरिंगलकोथू परियोजना

त्रिचूर जिले की चेलकुदी नदी के पेरिंगलकोथू स्थान पर 32,000 किलोवाट क्षमता का बिजली घर बनाया गया है।

नेरियामंगलम् परियोजना

पेरियार नदी के दाहिने किनारे पर पनाम कुट्टी स्थान पर 45,000 किलोवाट क्षमता वाला विद्युत उत्पादन गृह बनाया गया है।

पन्नियार परियोजना

मथिरापूझा नदी के बाएं किनारे पर सेंगुलम शक्तिगृह के ठीक विपरीत यह शक्ति गृह बनाया। गया है। इसकी क्षमता 1,40,000 किलोवाट है।

पंजाब में प्रमुख जल-विद्युत केन्द्र/परियोजना

पंजाब की प्रमुख परियोजनाएं निम्नलिखित हैं।

भाखड़ा नांगल परियोजना 

रूपनगर के निकट भाखड़ा के स्थान पर सतलुज नदी पर 518 मीटर लम्बा तथा 226 मीटर ऊँचा बाँध बनाया गया है। इसके दोनों ओर 1,050 मेगावाट जलविद्युत क्षमता वाले विद्युतगृह बनाए गए हैं। नांगल हाइडल चैनल नामक नहर पर स्थित गंगूवाल तथा कोटला नामक स्थानों पर 77 मेगावाट क्षमता वाले विद्युतगृह का निर्माण किया गया है।

पोंग बाँध परियोजना 

होशियारपुर जिले में तलवाड़ा के निकट पोंग नामक स्थान पर व्यास नदी पर 1.750 मीटर सम्बा तथा 133 मीटर ऊँचा बाँध बनाया गया है। इस पर निर्मित शक्तिगृह की उत्पादन क्षमता 360 मेगावाट है। 

अपर बारी दोआब नहर परियोजना

अमृतसर के निकट अपर वारी दोआब पर स्थित एक जल-प्रपात बनाया गया है। इससे उत्पादित जलविद्युत अमृतसर जिले को दी जाती है।

हिमाचल प्रदेश में प्रमुख जल-विद्युत केन्द्र/परियोजना

मण्डी परियोजना 

व्यास नदी की सहायक उहल नदी के जल के बहाव को एक बाँध का निर्माण करके रोक दिया गया है और 417 मीटर लम्बा सुरंग बनाकर जल को नदी की विपरीत दिशा में ले जाया गया है। वहाँ से जल को पाइप लाइनों द्वारा 609 मीटर की ऊंचाई से गिराकर जोगिन्दरनगर नामक स्थान पर विद्युत का उत्पादन किया जाता है। यहाँ से 6,000 किलोवाट बिजली प्राप्त होती है। यहाँ के बिजली कांगड़ा घाटी, मण्डी तथा उत्तरी पंजाब के कई इलाकों को भेजी जाती है।

पंडोह परियोजना

व्यास नदी पर मण्डी जिले में पंडोह नामक स्थान पर बाँध बनाकर जल को दो सुरंगों तथा नहर द्वारा देहरी नामक स्थान पर लाया गया है। यहाँ पर 165 मेगावाट विद्युत क्षमता वाला विद्युत गृह बनाया गया है। 

शिमला परियोजना

सतलुज को सहायक नोटी नदी के जल को 162 मीटर की ऊँचाई से गिरकर विद्युत पैदा जाती है जिसे शिमला तथा निकटवर्ती क्षेत्रों को भेजा जाता है। 

उपर्युक्त परियोजनाओं के अतिरिक्त लाहौल स्पीति तथा किन्नौर पाटियों में जलविद्युत पैदा करने के लिए विद्युतगृह का निर्माण किया गया है।

उत्तराखंड में प्रमुख जल-विद्युत केन्द्र/परियोजना

शारदा विद्युत संगठन क्रमप्रणाली (The Sards Electric Grid System)

इसका विकास गंगा विद्युत संगठन क्रम प्रणाली की भाँति किया गया है। शारदा नहर पर बनबसा से 12 किमी की दूरी पर खातिमा के निकट एक जल विद्युत केन्द्र लगाया गया है जिसमें तीन उत्पादक सेट काम करते हैं। यहाँ पर 41,400 किलोवाट बिजली उत्पन्न की जाती है। इसे गंगा विद्युत संगठन कम से मिलाया गया है। यह ग्रिड अल्मोड़ा तथा नैनीताल को बिजली उपलब्ध कराता है। इसके अतिरिक्त यह ग्रिड उत्तर प्रदेश के खीरी, बरेली, सीतापुर, शाहजहांपुर, बाराबंकी, हरदोई, उन्नाव तथा लखनऊ जिलों को बिजली प्रदान करता है।

रामगंगा परियोजना

गढ़वाल क्षेत्र में कालागढ़ स्थान के निकट रामगंगा नदी पर 125 मीटर ऊँचा बाँध बनाकर 1,05,000 किलोवाट बिजली पैदा की गई है। इससे गढ़वाल तथा कुमाऊँ क्षेत्रों को बिजली मिलती है। 

उत्तराखंड अपनी आवश्यकता से अधिक जल विद्युत पैदा करता है और अतिरिक्त जल विद्युत उत्तर प्रदेश के कई इलाकों को भेजता है।

जम्मू-कश्मीर में प्रमुख जल-विद्युत केन्द्र/परियोजना

बारामूला जलविद्युत केन्द्र

यह बारामूला से 32 किमी दूर बुनियर के निकट झेलम नदी पर स्थित है। यहाँ की विद्युत बारामूला तथा श्रीनगर को भेजी जाती है।

पहलगांव जल-विद्युत केन्द्र

यह पहलगांव के निकट लिद्दर नदी पर स्थित है। इसकी बिजली पहलगाँव तथा निकटवर्ती इलाकों को दी जाती है।

मेडखल जल-विद्युत केन्द्र

यह श्रीनगर से 32 किमी० दूर मेडखल नामक स्थान पर स्थित है। यहाँ 6,000 किलोवाट बिजली पैदा होती है जो श्रीनगर तथा इसके निकटवर्ती इलाकों को प्रदान की जाती है।

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