पौधों के पदानुक्रमिक वर्गीकरण (Hierarchical Classification of Plants) के अन्तर्गत सर्वाधिक समानता वाले पौधों को एक पदानुक्रम इकाई में रखते हैं। पौधों में समानता उनके कार्यात्मक प्रतिरूप, प्रजनन प्रक्रिया (breeding mechanism), ऊर्जा का निर्माण या उपयोग आदि के रूप में देखी जाती है।
पौधों का पदानुक्रमिक या सौपानिक वर्गीकरण (Hierarchical Classification of Plants)
पादप जगत में पौधों के पदानुक्रम में सबसे निचली इकाई प्रजाति (species) होती है। समान व्यवहार करने वाले एकाकी पौधों (जिसमें पौधे आपस में ही प्रजनन करते हैं तथा अपने जैसे ही वंश या संतति (offsprings) उत्पन्न करते हैं), की संख्या को जनसंख्या (population) कहते हैं और इनके समूह या वर्ग को प्रजाति कहते हैं।
“Population is defined as a group of individuals of the same species living in the same area or interbreeding and sharing genetic information”. -D. B. Botkin and E. A. Keller, 1982
लगभग समान विशेषता वाली कई प्रजातियों के समूह द्वारा उत्पन्न अगला उच्च पदानुक्रम बनता है, जिसे वंश (genera) कहते हैं। उभय विशेषता वाले विभिन्न वंशों के समूह को परिवार (families) कहते हैं। इसी तरह बढ़ते पदानुक्रम में उभय विशेषता वाले पदानुक्रम के पौधों को क्रमश: कोटि (orders), वर्ग (classes), संघ (phyla), तथा पादप जगत (plant kingdom) में विभाजित करते हैं।
पादप जगत समस्त वनस्पतियों का प्रतिनिधित्व करता है तथा यह सर्वोच्च पदानुक्रम होता है। पौधों को सर्वोच्च पदानुक्रम से लघुतम पदानुक्रम में नीचे दिए गए चित्र द्वारा व्यक्त किया जा सकता है।
You Might Also Like
- पौधों का वर्गीकरण (Classification of Plants)
- प्रजातियों के वर्गीकरण के आधार (Basis of Racial Classification)
- भारतीय वनों का वर्गीकरण (Classification of Indian Forests)
- जनसंख्या के वितरण एवं घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting Distribution and Density of Population)
- प्रजातियों का वर्गीकरण (Classification of Races)