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जीवीय अनुक्रम (Biotic Succession)

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जीवीय अनुक्रम (Biotic Succession) का अर्थ

किसी भी पारिस्थितिक तंत्र या आवास में वनस्पति के एक समुदाय के दूसरे समुदाय द्वारा किए जाने वाले प्रतिस्थापन (replacement) को अनुक्रम (succession) कहते हैं तथा इस तरह के परिवर्तन (वनस्पति समुदाय के) के क्रम (sequence) को क्रमक (sere) कहते हैं। 

जब किसी आवास में वनस्पति समुदाय परिवर्तन की विभिन्न प्रावस्थाओं (phases) से गुजरने के बाद स्थिर दशा को प्राप्त हो जाता है तो क्रमक पूर्ण हो जाता है। इस दशा में पादपों का सर्वाधिक विकास हो जाता है। इसे चरम समुदाय (climax community) या चरम वनस्पति (climax vegetation) कहते हैं।  

दूसरे शब्दों में वनस्पति परिवर्तन की श्रृंखला या क्रम में अंतिम अनुक्रम (last succession) को चरम अनुक्रम (climax succession) कहते हैं तथा इस अवस्था में वनस्पति समुदाय को चरम समुदाय कहते हैं। इस स्थिति को जलवायु चरम (climatic climax) भी कहते हैं क्योंकि वनस्पतियों के विकास में जलवायु सर्वप्रमुख नियंत्रक कारक होती है। 

क्लीमेण्ट्स (1916) ने वनस्पति के अनुक्रमिक विकास (successional development) में निम्न पाँच प्रावस्थाओं का उल्लेख किया है। 

जीवीय अनुक्रम (Biotic Succession) की प्रावस्थाएँ

जीवीय अनुक्रम की प्रावस्थाएँ
जीवीय अनुक्रम (Biotic Succession) की प्रावस्थाएँ

विवस्त्रीकरण (nudation)

सर्वप्रथम किसी भी प्रकार की वनस्पति से रहित या वनस्पति विहीन क्षेत्र का निर्माण होता है। 

प्रवास (migration)

अन्य क्षेत्र से पौधों के बीजों का वनस्पति से रहित या वनस्पति विहीन क्षेत्र में आगमन होता है।

आस्थापन (ecesis)

इस प्रावस्था में पौधों के बीजों की स्थापना तथा पौधों का जनन होता है। 

प्रतिक्रिया (reaction)

इस प्रावस्था में विकसित पौधों के बीच अस्तित्व के लिए प्रतिस्पर्धा होती है तथा उसका स्थानीय आवास पर प्रभाव पड़ने लगता है। 

स्थिरीकरण (stabilisation)

यह अंतिम प्रावस्था हैं, जिसमें प्रतिस्पर्धा में जीती वनस्पति समुदाय समस्थिति की दशा को प्राप्त कर लेती है। यह समस्थिति स्थानीय (local) एवं प्रादेशिक आवास की संतुलित दशाओं के सन्दर्भ में होती है। 

अनुक्रम की क्रमक अवस्थाओं के प्रकार

ज्ञातव्य है कि विभिन्न वनस्पति समुदायों का विकास विभिन्न आवासों (habitats) में होता है, अत: आवास प्रकारों के आधार पर अनुक्रम (succession) की क्रमक अवस्थाओं (seral stages) को निम्न प्रकारों में विभक्त करते हैं : 

  • जलक्रमक (hydrosere) तर (जलीय) अवस्थिति (wet sites) जैसे, दलदल swamps), झील के किनारे आदि में होता है 
  • शुष्क क्रमक (xeric या xerosere) में वनस्पति का अनुक्रम शुष्क रेगिस्तानों में बालुकास्तूपों पर होता है।
  • स्थल क्रमक (lithosere) नग्न शैलों पर होता है जहाँ पर वाष्पीकरण की अधिकता के कारण शुष्क पर्यावरण रहता है। 

जैविक अनुक्रम (Biotic Succession) को प्रभावित करने वाले कारक

किसी भी पारिस्थितिक तन्त्र में वनस्पति समुदाय का विकास निम्न कारकों द्वारा प्रभावित तथा नियंत्रित होता है : 

जलवायु कारक

तापमान, प्रकाश, मृदा में नमी, आर्द्रता आदि। याद रहे कि किसी भी प्रदेश में किसी भी पादप के लिए उस प्रदेश की वृहद्रस्तरीय जलवायु (macro- climate) का उतना महत्व नहीं होता है जितना कि उस पादप के आस-पास यानी पड़ोस (neighbourhood) की लघुस्तरीय जलवायु (micro-climate, कुछ वर्ग मीटर क्षेत्र) का महत्व होता है। 

मृदीय कारक (edaphic factors)

स्थान विशेष की मिट्टियों के पौधों के लिए महत्व रखने वाले गुण (properties) तथा पोषक तत्व, मृदा-गठन, मृदा संरचना (अम्लता तथा क्षारीयता आदि)।

जैविक कारक

जीवित पौधों का स्थान विशेष के पौधों पर प्रभाव, मुख्य रूप से प्राणी तथा मानव का प्रभाव। अन्य पौधों द्वारा स्थान, पोषक आहार तथा जल के लिए प्रतिस्पर्धा। 

भौतिक कारक (physiographic factors)

धरातल का स्वरूप, ऊँचाई, ढाल-कोण, ढाल-पहलू (aspects of slope) आदि।

अग्निकाण्ड

स्वभावज वनाग्नि (natural forest fire) तथा मानव द्वारा अनजाने में तथा जानबूझ कर वनों को जलाना।

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