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केन्द्रीय स्थानों के कार्य, प्रकार व उनके वितरण पर प्रभाव डालने वाले तत्त्व (Types, Functions and Distributional Factors of Central Places)

इस लेख में आप केन्द्रीय स्थानों के कार्य, प्रकार व उनके वितरण पर प्रभाव डालने वाले तत्त्वों (Types, Functions and Distributional Factors of Central Places) के बारे में आसान शब्दों में विस्तार से जानेंगे।

नगरीय बस्तियों (Urban Settlements) के विकास पर कई चीज़ों का प्रभाव पड़ता है। इतिहास से पता चलता है कि नगर की केन्द्रीय सेवाएँ (Central Services) और उनके कार्य ही नगर के विकास को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। ये सेवाएँ किसी भी बस्ती में इकट्ठी हो जाती हैं और अपने आसपास के क्षेत्र को सेवाएँ प्रदान करती हैं। इस कारण ये स्थान वितरण बिंदु (Distribution Points) के रूप में कार्य करते हैं। ये बस्तियाँ अपने आस-पास के ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों को भी विभिन्न सेवाएँ प्रदान करती हैं, जिससे इनका महत्व और भी बढ़ जाता है।

केन्द्रीय स्थानों के कार्य, प्रकार व उनके वितरण पर प्रभाव डालने वाले तत्त्व (Types, Functions and Distributional Factors of Central Places)

केन्द्रीय स्थानों की स्थिति, आकार, दूरी और कार्यों के आधार पर एक पदानुक्रम (Hierarchy) बनता है। इसका अर्थ है कि छोटे नगर कुछ सीमित सेवाएँ प्रदान करते हैं, जबकि बड़े नगरों में अधिक विविध सेवाएँ उपलब्ध होती हैं। ऐतिहासिक रूप से केन्द्रीय स्थानों के कार्य, उनके प्रकार और वितरण पर तीन मुख्य सिद्धांत प्रभाव डालते हैं:

  1. बाजार सिद्धांत (Market Principle) – नगर का व्यापारिक संबंध उसके आसपास के क्षेत्र से होता है। बाजार क्षेत्र जितना बड़ा होगा, नगर की सेवाओं की पहुँच उतनी ही अधिक होगी।
  2. यातायात सिद्धांत (Transport Principle) – नगर का विकास और सेवाओं का वितरण मुख्य सड़कों और यातायात के मूवमेंट (Movement) पर निर्भर करता है। अच्छी यातायात व्यवस्था नगर को अधिक व्यावसायिक और प्रशासनिक गतिविधियों के लिए आकर्षक बनाती है।
  3. प्रशासकीय सिद्धांत (Administrative Principle) – नगरों को प्रशासनिक कार्यों, सुरक्षा और सार्वजनिक सेवाओं के संचालन के लिए उपयुक्त भूमि की आवश्यकता होती है। प्रशासनिक केंद्र आमतौर पर ऐसे स्थानों पर विकसित होते हैं, जहाँ से पूरे क्षेत्र का प्रबंधन आसानी से किया जा सके।

सेवाओं की स्थापना पर प्रभाव डालने वाले तत्त्व

नगरों में सेवाओं की स्थापना उपभोक्ताओं के आकर्षण (Attraction of Consumers) पर निर्भर करती है। किसी सेवा का प्रभाव कितनी दूर तक के लोगों तक पहुँचेगा, यह उस सेवा की प्रकृति पर निर्भर करता है।

उदाहरण के लिए:

  • प्राथमिक विद्यालय (Primary School) लगभग हर बस्ती में पाया जाता है, इसलिए इसका सेवा क्षेत्र छोटा होता है।
  • उच्च शिक्षा संस्थान (Higher Education Institute) कम संख्या में होते हैं और दूर-दूर तक लोगों को आकर्षित करते हैं।
  • अस्पताल (Hospitals) भी विशेष प्रकार की सेवाएँ प्रदान करते हैं, और इनका वितरण जनसंख्या घनत्व एवं माँग पर निर्भर करता है।

सेवाएँ एक निश्चित दूरी पर स्थापित होती हैं, जो तीन मुख्य परिस्थितियों पर निर्भर करती हैं:

  1. विशेष प्रकार के संस्थान – जैसे कि तकनीकी संस्थान, संग्रहालय, सरकारी दफ्तर आदि बड़े नगरों में स्थापित होते हैं क्योंकि वे आसपास के क्षेत्रों से लोगों को आकर्षित करते हैं। इन संस्थानों की स्थापना के लिए संसाधनों, विशेषज्ञों और उच्च स्तर की सुविधाओं की आवश्यकता होती है।
  2. माँग और आपूर्ति – कुछ सेवाएँ, जैसे सामान्य चिकित्सक (General Practitioner) गाँवों में मिल सकते हैं, लेकिन मस्तिष्क सर्जन (Brain Surgeon) सिर्फ बड़े नगरों में पाए जाते हैं। इसी तरह ज्वेलरी और फर्नीचर की दुकानें भी बड़े नगरों में अधिक होती हैं, क्योंकि इनकी माँग वहाँ अधिक होती है।
  3. यातायात और परिवहन सुविधा – अगर यातायात के साधन तेज और सुगम होंगे, तो लोग विशेष सेवाओं के लिए बड़े नगरों की ओर जाएंगे। उदाहरण के लिए सिनेमा हॉल और थिएटर छोटे गाँवों की तुलना में बड़े नगरों में ही अधिक पनपते हैं।

सेवाओं के वितरण का पैटर्न

सेवाओं के वितरण को प्रभावित करने वाले दो मुख्य कारक होते हैं:

  1. सेवा क्षेत्र का विस्तार – किसी सेवा की भौगोलिक सीमा कितनी होगी, यह उसकी प्रकृति पर निर्भर करता है।
    • दैनिक उपयोग की वस्तुएँ (जैसे किराना, मांस, ब्रेड) छोटे कस्बों से भी मिल सकती हैं।
    • विशेष वस्तुएँ (जैसे ब्रांडेड कपड़े, ज्वेलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स) बड़े नगरों से ही मिलती हैं।
    • स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाएँ भी इसी आधार पर वितरित होती हैं।
  2. सेवा को बनाए रखने के लिए आवश्यक जनसंख्या – कोई भी सेवा तभी सफल होगी जब उसके लिए न्यूनतम संख्या में ग्राहक उपलब्ध होंगे।
    • स्कूल या अस्पताल तभी चल पाएंगे जब वहाँ पर्याप्त संख्या में विद्यार्थी या मरीज होंगे।
    • एक गोदाम (Warehouse) तभी लाभदायक होगा जब वहाँ से अधिक लोगों को सेवाएँ मिलेंगी।

आकार-कार्य संबंध (Size-Function Relationship)

बड़े नगरों में सेवाओं का विस्तार अधिक होता है, क्योंकि वहाँ जनसंख्या अधिक होती है और सेवाओं की माँग भी ज्यादा रहती है। जैसे-जैसे नगर का आकार बढ़ता है, उसमें सेवाओं की विविधता भी बढ़ती जाती है। एक बड़े नगर में आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक और प्रशासनिक गतिविधियाँ छोटे नगरों की तुलना में अधिक होती हैं। इसी कारण बड़े नगर अधिक व्यापारिक, औद्योगिक और सांस्कृतिक केंद्र बन जाते हैं।

नगरों के बीच कार्यों का वितरण भी महत्वपूर्ण होता है। उदाहरण के लिए:

  • महानगरों में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ, बड़े अस्पताल और विश्वविद्यालय स्थित होते हैं।
  • मध्यम आकार के नगर व्यापारिक और औद्योगिक केंद्र होते हैं।
  • छोटे नगर और कस्बे मुख्यतः कृषि आधारित होते हैं, लेकिन वे अपने आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सेवाएँ भी प्रदान करते हैं।

निष्कर्ष

केन्द्रीय स्थानों के वितरण पर किए गए अध्ययन से दो मुख्य निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं:

  1. जैसे-जैसे नगर का आकार बढ़ता है, वैसे-वैसे उसकी सेवाओं की विविधता भी बढ़ती जाती है।
  2. नगरों और कस्बों की दूरी एक निश्चित पैटर्न में होती है, जिससे उनका एक पदानुक्रम (Hierarchy) बनता है।

इस प्रकार केन्द्रीय स्थानों के कार्य, प्रकार और वितरण का अध्ययन हमें बताता है कि कैसे नगरों और सेवाओं का विकास होता है और वे अपने आसपास के क्षेत्र को कैसे प्रभावित करते हैं।

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