इस लेख में आसान शब्दों में आपको केन्द्रीय स्थान की संकल्पना (Concept of Central Place) को समझाया गया है:
केन्द्रीय स्थान की संकल्पना (Concept of Central Place)
आप सभी जानते हैं कि कोई भी नगर (शहर) अपने आसपास के गांवों और कस्बों से गहरा संबंध रखता है। सभी नगर अपने आसपास के क्षेत्र को विभिन्न सेवाएँ और सामान (माल) प्रदान करता है और बदले में उनसे कुछ सेवाएँ प्राप्त करता है। नगर की वृद्धि (विकास) इस बात पर निर्भर करती है कि उसके आसपास का क्षेत्र उसे कितना समर्थन देता है। जितना अधिक समर्थन मिलेगा, नगर उतनी ही तेजी से आगे बढ़ेगा।
केन्द्रीय स्थान क्या होता है?
मार्क जेफरसन के अनुसार, नगर अपने आप नहीं बढ़ते, बल्कि आसपास का क्षेत्र ही उन्हें बढ़ने में मदद करता है। यह सभी केन्द्रीय स्थानों (Central Places) पर लागू होता है। 1931 में मार्क जेफरसन ने सबसे पहले “केन्द्रीय स्थान” शब्द का उपयोग किया था।
वास्तव में, केन्द्रीय स्थान वह बस्ती होती है जो अपने आसपास के क्षेत्र के लिए सामाजिक और आर्थिक सेवाओं का केंद्र होती है। इस विचार को क्रिस्टालर के सिद्धांत से और अधिक पहचान मिली।
केन्द्रीय स्थान केवल लोगों का समूह नहीं होता, बल्कि यह व्यापार, दुकानों और सेवाओं का केंद्र होता है। इसका मुख्य उद्देश्य अपने आसपास के बड़े क्षेत्र को सेवाएँ और माल प्रदान करना होता है।
हर क्षेत्र में छोटी बस्तियाँ (गांव, पुरवा) से लेकर बड़े कस्बे और नगर तक होते हैं। ये सभी आपस में जुड़े होते हैं और अलग-अलग प्रकार के कार्य करते हैं। गाँव भी एक केन्द्रीय स्थान हो सकता है, लेकिन वह केवल छोटे क्षेत्र की सेवा करता है।
केन्द्रीय स्थानों के स्तर
केन्द्रीय स्थान एक सापेक्षिक (Relative) शब्द है, यानी कुछ स्थान दूसरे स्थानों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
- उच्च क्रम के केन्द्रीय स्थान – यह बड़े क्षेत्र को सेवाएँ देते हैं और यहाँ कई तरह की सुविधाएँ (जैसे बड़े बाजार, अस्पताल, विश्वविद्यालय) मिलती हैं।
- निम्न क्रम के केन्द्रीय स्थान – यह कम सेवाएँ देते हैं और छोटे क्षेत्र पर प्रभाव डालते हैं, जैसे छोटे गाँव या कस्बे।
उच्च क्रम के केन्द्रीय स्थान वे सभी कार्य करते हैं जो निम्न क्रम के केन्द्रीय स्थान करते हैं, लेकिन इसके अलावा वे और भी अधिक सेवाएँ प्रदान करते हैं। इसलिए, किसी भी क्षेत्र के सभी केन्द्रीय स्थान समान महत्त्व के नहीं होते।
इस तरह हम देखते है कि, केन्द्रीय स्थान वह बस्ती होती है जो अपने आसपास के क्षेत्र को विभिन्न सेवाएँ और सामान प्रदान करती है। ये सेवाएँ “केन्द्रीय कार्य” कहलाती हैं। नगरों, कस्बों और गाँवों का विकास इस सिद्धांत के अनुसार होता है, और हर बस्ती का अपने स्तर पर एक महत्वपूर्ण योगदान होता है।