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वायुमंडल (Atmosphere) का परिचय
अभी तक ज्ञात सभी ग्रहों में हमारी पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा ग्रह है, जहाँ पर जीवन संभव है और ऐसा इसलिए है, क्योंकि यहाँ पर जीवनदायक जल तथा ऑक्सीजन विद्यमान है। वायु जो बहुत सारी गैसों का मिश्रण है; ने पृथ्वी को चारों ओर से घेर रखा है। वायु के इसी घेरे को वायुमंडल कहते हैं। वायुमंडल हमारी पृथ्वी का एक अभिन्न हिस्सा है जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण इससे जुड़ा हुआ है।
यह हानिकारक पराबैंगनी किरणों को रोकने तथा जीवन के लिए अनुकूल तापमान बनाए रखने में अति महत्वपूर्ण है। वायुमंडल में गैसों के अलावा जलवाष्प एवं धूलकण भी पाए जाते हैं। वायुमंडल के कारण ही मौसमी घटनाएं संभव हो पाती है। आइए अब हम जानते हैं, वायुमंडल अर्थ एवं परिभाषा, विशेषताएं और संघटन के बारे में।
वायुमंडल (Atmosphere) का अर्थ
वायुमंडल रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन गैसों तथा धूलकण व जलवाष्प की एक ऐसी पतली परत है, जिसने पृथ्वी को चारों ओर से घेर रखा है और जो अंतरिक्ष एवं जीवमंडल के बीच एक संरक्षात्मक सीमा बनाता है। वायुमंडल की ऊंचाई का सही-सही अनुमान आज तक वैज्ञानिक नहीं लगा पाए।
कुछ वैज्ञानिक इसकी ऊपरी सीमा 480 किलोमीटर, कुछ 1000 किलोमीटर और कुछ 30000 किलोमीटर तक मानते हैं। यह पृथ्वी से उसके गुरुत्व के कारण उसके साथ बना हुआ है और यह पृथ्वी के घूर्णन के साथ-साथ सूर्य की परिक्रमा भी करता रहता है।
वायुमंडल (Atmosphere) की परिभाषाएं
मोंकहाउस के अनुसार,” वायुमंडल, गैस की एक पतली परत है जो गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी के साथ सटी हुई है।”
क्रिचफील्ड के अनुसार, “वायुमंडल गैंसों तथा लटके हुए ठोस और द्रव कणों का एक ऐसा गहरा आवरण है जो पृथ्वी को पूरी तरह घेरे हुए है।”
फिंच व ट्रिवार्था के अनुसार, “पृथ्वी के चारों ओर पृथ्वी के अभिन्न अंग के रूप में गैसों का एक आवरण लिपटा रहता है, जिसे वायुमंडल कहते हैं।
वायुमंडल (Atmosphere) के लक्षण या विशेषताएं
1. वायुमंडल की वायु रंगहीन, गंधहीन तथा स्वादहीन पदार्थ है। इसके साथ-साथ यह गतिशील भी है। वायु की अनुभूति हमें तभी होती है,जब इसमें क्षैतिज प्रवाह उत्पन्न होता है।
2. यद्यपि वह जल की भांति वायु सघन नहीं होती फिर भी इसमें अपना भार होता है जो धरातल पर दबाव डालता है, जिसे वायुदाब कहा जाता है। समुद्र तल के ऊपर यह वायुदाब 1034 ग्राम प्रति वर्ग सेंटीमीटर होता है।
3. धरातल से ऊँचाई के साथ वृद्धि होने पर वायु का घनत्व कम होता जाता है। धरातल के निकट की वायु भारी तथा ऊपर की ओर जाने पर हल्की होती जाती है। ऐसा पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण होता है। गुरुत्वाकर्षण के कारण भारी पदार्थ या गैसें धरातल के नजदीक एकत्रित हो जाते हैं एवं हल्की गैसें ऊपर बनी रहती है।
4. वायुमंडल के कुल भार का लगभग आधा भाग 5.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है और इसका 99% भाग 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है।
5. वायुमंडल के कारण ही अंतरिक्ष से पृथ्वी की ओर आने वाले उल्का आदि पिंड धरातल पर पहुंचने से पहले ही नष्ट हो जाते हैं।
6. वायुमंडल धरातल के तापमान को भी नियंत्रित करता है। वायुमंडल के कारण दिन के समय धरातल का तापमान अत्यधिक ऊंचा तथा रात में अत्यधिक कम नहीं हो पाता।
7. पृथ्वी का वायुमंडल ही विभिन्न प्रकार की मौसमी घटनाओं, जैसे:- बादलों का बनना, पवन का चलना, तूफान आदि का जन्मदाता है।
यदि वायुमंडल नहीं होता तो चंद्रमा की भांति इस ग्रह पर भी जीवन दिखाई नहीं देता।
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