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प्रवास के प्रकार (Types of Migration) 

Estimated reading time: 15 minutes

जनसंख्या प्रवास, भूगोल के महत्वपूर्ण विषयों में से एक है, जिसे काल, प्रवास की अवधि, प्रवास में शामिल व्यक्तियों की संख्या, और क्षेत्रीय विशेषताओं के आधार पर विभिन्न वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। इन वर्गों में प्रागैतिहासिक और ऐतिहासिक प्रवास, दीर्घकालीन और अल्पकालीन प्रवास, बृहत् और लघु प्रवास, और अंतर्राष्ट्रीय और अन्तर्देशीय प्रवास शामिल हैं। यह परिचय उन छात्रों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो B.A, M.A, UGC NET, UPSC, RPSC, KVS, NVS, DSSSB, HPSC, HTET, RTET, UPPCS, और BPSC जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। इस अध्ययन से वे प्रवास के विभिन्न आयामों को गहराई से समझ सकेंगे।

जनसंख्या प्रवास को समय (काल), प्रवास की अवधि, प्रवास में भाग लेने वाले व्यक्तियों (प्रवासियों) की संख्या, प्रवास की क्षेत्रीय प्रकृति आदि आधारों पर निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। 

Types of Migration
प्रवास के प्रकार

प्रवास के प्रकार

कालानुसार प्रवास 

काल के अनुसार जनसंख्या प्रवास को निम्ननिखित वर्गों में रखा जा सकता है 

1. प्रागैतिहासिक प्रवास (Prehistoric Migration) 

प्रागैतिहासिक प्रवास के मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन होते हैं। प्लीस्टोसीन हिमकाल के हिमयुगों और अंतर्हिमयुगों के क्रमवार आने-जाने से जलवायु कभी शीतल और कभी गर्म होती रही । जैसा कि हम जानते है प्रारम्भिक मानव प्रजातियों की उत्पत्ति मध्य एशिया में मानी जाती है। जब मध्य एशिया की जलवायु गर्म (अंतर्हिमयुग) होती थी, तब यहाँ मानव प्रजाति का विकास होता था और जनसंख्या बढ़ जाती थी। 

किन्तु लम्बे समय बाद हिमयुग के आ जाने से जब जलवायु अत्यन्त शीतल हो जाया करती थी तब यहाँ से लोग बाहर की ओर पलायन किया करते थे। एक लम्बे समय के बाद पुनः अंतहिमयुग (गर्मकाल) आने पर वहाँ बचे हुए लोगों का फिर विकास होने लगता था। इस प्रकार जलवायु के शीतल होने पर मध्य एशिया से बाहरी क्षेत्रों के लिए मानव प्रवास होते रहते थे। 

जिन प्रजातियों की उत्पत्ति पहले हुई वे बाद में उत्पन्न होने वाली प्रजातियों से कमजोर होती थीं। अतः वे अपने-अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए क्रमशः बाहरी प्रदेशों में चली गईं। मध्य एशिया से प्रागैतिहासिक प्रवास के फलस्वरूप ही विश्व के विभिन्न भागों में प्रजातियों के वितरण का वर्तमान स्वरूप देखने को मिलता  है। यहीं कारण है कि सबसे पहले उत्पन्न होने वाली नीग्रिटो और नीग्रो प्रजातियाँ अल्प विकसित हैं और सुदूर जंगलों एवं अन्य दुर्गम स्थानों पर आश्रय लिए हुए हैं। बाद में विकसित होने वाली मानव प्रजातियाँ मध्य एशिया से क्रमश: निकट पाई  जाती हैं और सबसे बाद में विकसित होने वाली मंगोल प्रजाति के लोग मध्य एशिया के निकटवर्ती क्षेत्रों में मिलते हैं। 

2. ऐतिहासिक प्रवास (Historical Migration) 

ऐतिहासिक काल में होने वाले मानव प्रवासों को सामान्यतया तीन श्रेणियों में बाँटा गया है  

(अ) प्राचीन कालीन प्रवास

उदाहरण के लिए यूनान व रोमन साम्राज्यों के विस्तार के कारण होने वाले मानव प्रवास, भारत में आर्यों का आगमन और भारत से धर्म प्रचार के लिए बर्मा, श्रीलंका, मलाया, जावा, आदि के लिए भारतीयों का प्रवास। 

(ब) मध्य कालीन प्रवास 

यूरोप में भूमध्य सागरीय प्रदेशों से जनसंख्या का उत्तर दिशा की ओर प्रस्थान, भारत में पश्चिम से आक्रमणकारियों ( महमूद गजनवी, मुहम्मद गोरी, तैमूर लंग, बाबर चंगेज खाँ आदि) का प्रवास मध्यकालीन प्रवास के उदाहरण हैं। 

(स) आधुनिक प्रवास

आधुनिक काल में सत्रहवीं से उन्नीसवीं शताब्दी तक यूरोप के विभिन्न देशों से लाखों लोगों का  उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरका, दक्षिणी अफ्रीका, एशिया और आस्ट्रेलिया  के लिए मानव प्रवास आधुनिक प्रवास है। इसके अतिरिक्त अधिक जनसंख्या वाले देशों जैसे चीन, जापान, भारत आदि से भी बड़ी संख्या में जनसंख्या का निकटवर्ती देशों तथा अफ्रीका के लिए हुआ प्रवास । 

अवधि (Duration) के अनुसार प्रवास 

मानव का एक स्थान से दूसरे स्थान पर किए जाने वाले प्रवास की अवधि दीर्घकालीन, अल्पकालीन, दैनिक अथवा मौसमी किसी भी प्रकार की हो सकती है। अतः प्रवास में लगने वाली समय की अवधि के अनुसार प्रवास को निम्नलिखित चार वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। 

(1) दीर्घकालीन प्रवास (Long Period Migration) 

दीर्घकालीन प्रवास शताब्दियों में कभी-कभी होता है और  इसका कोई निश्चित समय नहीं होता। दीर्घकालीन प्रवास सामान्य रूप से बड़े पैमाने पर ही होता है, परन्तु यह छोटे पैमाने पर भी हो सकता है। सत्रहवीं से उन्नीसवीं शताब्दी तक यूरोपीय देशों से उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, दक्षिणी अफ्रीका, आस्ट्रेलिया आदि के लिए होने वाले मानव प्रवास इसी श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं। 

ब्रिटिश काल में चाय बागानों में काम करने के लिए भारत से श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका आदि के लिए जो मानव प्रवास हुए थे वे भी दीर्घकालीन मानव प्रवास के ही उदाहरण हैं। इस प्रकार का प्रवास अपेक्षाकृत् दीर्घ काल तक जारी रहता है और समाप्त होने के पश्चात् लम्बे समय तक स्थगित रहता है अथवा पुनः आरम्भ नहीं होता है। 

(2) अल्पकालीन प्रवास (Short Period Migration) 

अल्पकालीन प्रवास वह होता है जिसमें प्रवासी कुछ दिन या महीने के भीतर ही अपने मूल स्थान पर लौट आते है। उदाहरण के लिए देशाटन, तीर्थ यात्रा, सद्भावना यात्रा, राजनीतिक उद्देश्यों से की गई देश-विदेश की यात्रा, व्यापार सम्बन्धी यात्रा आदि मानव प्रवास को इसी वर्ग में रखा जाता है। 

(3) दैनिक प्रवास (Daily Migration) 

प्रतिदिन होने वाला जनसंख्या प्रवास मुख्य रूप से गाँवों से शहरों तथा बड़े नगरों व उनके उपनगरीय क्षेत्रों के मध्य पाया जाता है। बड़े नगर या औद्योगिक केन्द्र के बाहर उसके उपनगरीय क्षेत्र (Suburban areas) में स्थित आवासीय उपनगरों तथा गाँवों से रोजाना प्रातः काल बड़ी संख्या में लोग कारखानों तथा कार्यालयों में काम करने के लिए या अन्य उद्देश्यों से मुख्य नगर के लिए प्रवास करते हैं। वे दिन में नगर में रहकर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं और शाम होने पर पुनः अपने-अपने आवास घरों को लौट आते हैं। इस प्रकार सुबह गाँवों से नगर की ओर और सांयकाल नगर से गाँवों की ओर दैनिक प्रवास को देखा जा सकता है। 

(4) मौसमी प्रवास (Seasonal Migration)

वर्ष के किसी निश्चित समय या ऋतु विशेष में प्रतिवर्ष होने वाला मानव प्रवास मौसमी प्रवास कहलाता है। मौसमी प्रवास का समय और अवधि लगभग निश्चित होता है। यह प्रवास उच्च पर्वतीय प्रदेशों में अधिक होता है। जैसे हिमालय व आल्पस पर्वतों के उच्च भागों में रहने वाले लोग ग्रीष्म ऋतु में ऊँचे भागों में रहते हैं। क्योंकि उस समय वहाँ मौसम निवास योग्य रहता है तथा पशुओं के लिए पर्याप्त चरागाह भी उपलब्ध होता है। 

शीतऋतु आरम्भ होने पर चरागाह बर्फ से ढक जाते हैं और ठंड बहुत बढ़ जाती है। अतः शीतऋतु के आरम्भ होते ही वे अपने परिवार तथा पशुओं के साथ निचली घाटियों में आ जाते हैं। पूरी शीतऋतु वे निचली गर्म घाटियों में बिताते हैं और  ग्रीष्म ऋतु  के आते ही (शीतकाल समाप्त होने पर) वे लोग फिर से उच्चवर्ती भागों के लिए चल देते हैं। 

आकार (Size) के अनुसार प्रवास 

प्रवास में भाग लेने वाले व्यक्तियों की संख्या या आकार के अनुसार प्रवास को दो वर्गों में रखा जाता है

(1) बृहत् प्रवास 

प्रवास में भाग लेने वाले व्यक्तियों की संख्या अधिक होने पर प्रवास को बृहत् प्रवास कहा जाता है। उदाहरण के लिए 17वीं से 19वीं शताब्दी तक यूरोपीय देशों से अटलांटिक पार उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के लिए होने वाले मानव प्रवास बृहत् प्रवास के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। 

सन् 1947 में भारत-पाक विभाजन के समय भारत से पाकिस्तान और पाकिस्तान से भारत को होने वाला लाखों हिन्दू-मुसलमानों का स्थानान्तरण भी बृहत् प्रवास था। कोरोना काल में भारत के विभिन्न राज्यों के बीच लोगों का जो स्थानान्तरण हुआ उसको भी बृहत् प्रवास में गिना जा सकता है। 

(2) लघु प्रवास 

लघु प्रवास में व्यक्तियों की संख्या कम होती है। गोष्ठियों में भाग लेने के लिए अथवा कूटनीतिक उद्देश्यों से प्रतिनिधि मंडलों के प्रवास और खिलाड़ी टीमों का राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रवास लघु प्रवास के उदाहरण हैं। किसी विशेष कारण से एक या कुछ परिवारों का प्रवास भी इसी श्रेणी के अंतर्गत आता है। 

क्षेत्र (Areas) के अनुसार प्रवास 

इस प्रकार के प्रवास में यह देखा जाता है कि जनसंख्या का प्रवास किस स्थान या प्रदेश से कहाँ के लिए हुआ है। क्षेत्रीय विस्तार तथा स्थानिक दूरी (प्रवास दूरी) के आधार पर क्षेत्रीय मानव प्रवास को दो बृहद् वर्गों में विभाजित  किया जाता है। 

(1) अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास (International migration)

(2) अन्तर्देशीय या आन्तरिक प्रवास (Inland migration) 

(1) अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास (International migration) 

एक देश से दूसरे देश के लिए होने वाले मानव प्रवास को अंतर्राष्ट्रीय प्रवास कहा जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास बृहद् अथवा लघु आकार, ऐच्छिक अथवा बलात्, स्थायी अथवा अस्थायी किसी भी प्रकार का हो सकता है। यह स्थानान्तरण आर्थिक, सामाजिक अथवा राजनीतिक किसी भी कारण से हो सकता है। लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय प्रवासों में बृहद् और स्थायी प्रकृति के प्रवास का महत्व सर्वाधिक है क्योंकि इसका प्रभाव दोनों देशों तथा स्वयं प्रवासी व्यक्तियों पर स्थायी तथा गहरा होता है जिसके परिणामस्वरूप नवीन संस्कृति का विकास होता है।

(2) अन्तर्देशीय या आन्तरिक प्रवास (Inland Migration) 

किसी देश की सीमा के भीतर उसके एक भाग से दूसरे भाग के लिए होने वाले प्रवास को अंतर्देशीय या आंतरिक प्रवास कहा जाता है। आंतरिक प्रवास एक प्रांत से दूसरे प्रांत के लिए अथवा एक जनपद से दूसरे जनपद के लिए हो सकता है। इस प्रकार आंतरिक प्रवास के दो भेद हो सकते हैं

(अ) अंतप्रान्तीय या प्रवास (Inter-Provincial or Inter State Migration) 

(ब) स्थानीय प्रवास (Local Migration) अन्त्पर्देशीय

(अ) अंतर्प्रान्तीय प्रवास (Inter-Provincial or Inter State Migration) 

जब कोई व्यक्ति अपने प्रांत या राज्य की सीमा कोपर पारकर अन्य राज्य में जाता है, तो इस प्रकार का प्रवास अंतप्रान्तीय प्रवास कहलाता है। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी नगरों तथा दिल्ली में पंजाब और हरियाणा से, पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार से रोजगार की खोज में पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और गुजरात के औद्योगिक नगरों में होने वाला प्रवास इसके उदाहरण हैं। 

(ब) स्थानीय प्रवास (Local Migration)

थोड़ी दूरी तक होने वाले प्रवास को स्थानीय प्रवास कहा जाता है। एक जिले से दूसरे जिले के लिए तथा गाँवो और नगरों के मध्य होने वाला प्रवास इसी श्रेणी के अन्तर्गत आता है। प्रवास की दिशा के आधार पर स्थानीय प्रवास को निम्नलिखित चार वर्गों में विभक्त किया जा सकता है। 

(1) ग्राम से नगर प्रवास (Rural to Urban Migration)

(2) नगर से नगर प्रवास (Urban to Urban Migration) 

(3) नगर से ग्राम प्रवास (Urban to Rural Migration) 

(4) ग्राम से ग्राम प्रवास (Rural to Rural Migration)

(1) ग्राम से नगर प्रवास (Rural to Urban Migration) 

इसे नगरीय प्रवास भी कहा जाता है। पिछले तीन-चार दशकों से विकासशील देशों में गाँवों से नगरों के लिए प्रवास की प्रवृत्ति में तेजी देखने को मिली है जिसके कारण नगरीकरण की गति भी तेज हो हुई है। 

इस प्रवास के मुख्य रूप से दो कारण हैं

ग्रामीण दबाव शक्ति (Rural push forces)  

ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी, रोजगार के अवसरों की कमी, कम व अनिश्चित मजदूरी, शिक्षा, चिकित्सा, मनोरंजन आदि सामान्य सुविधाओं की कमी के कारण अधिक संख्या में युवक गाँवों से नगर जाने के लिए मजबूर होते हैं और बेहतर जीवन यापन के उद्देश्य से नगर की ओर चले जाते हैं। 

नगरीय आकर्षण शक्ति (urban pull force)

नगर उद्योग, व्यापार, परिवहन, शिक्षा, चिकित्सा, मनोरंजन और सरकारी सेवाओं केन्द्र होते हैं। यहां पर्याप्त रोजगार तथा जीवन की सामान्य सुविधाओं की उपलब्धता भी होती है। इस प्रकार नगर अपने विविध सेवाओं, रोजगार के अवसरों आदि के रूप में ग्रामीण जनता के आकर्षण का केन्द्र बन जाता है, जिसके कारण गाँवों के लोग नगर की ओर आकर्षित होते हैं। 

उच्चशिक्षा तथा तकनीकी प्रशिक्षण के लिए बड़ी संख्या में विद्यार्थी गाँवों से नगर के लिए प्रति वर्ष प्रवास करते हैं। इसी प्रकार शिक्षित एवं प्रशिक्षित युवक ही नहीं बल्कि अकुशल व्यक्ति भी रोजगार की खोज में नगर को जाते हैं और रोजगार मिल जाने पर बहुत से लोग वहीं स्थायी रूप से बस जाते हैं। जिसके परिणामस्वरूप नगरों में आवास, रोजगार, बिजली, पानी, सफाई आदि की गम्भीर समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। 

(2) नगर से नगर का प्रवास (Urban to Urban Migration)

नगर से नगर प्रवास की प्रवृत्ति विकसित और विकासशील दोनों प्रकार के देशों में मिलती है। किन्तु विकासशील देशों में इसकी आवृत्ति और मात्रा अपेक्षाकृत अधिक है। इस प्रवास में छोटे नगरों से लोग आर्थिक कारणों से बड़े नगरों के लिए प्रवास करते हैं, जहाँ उद्योग, व्यापर , रोजगार, उच्चतर शिक्षा, चिकित्सा आदि की अधिक सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं। 

इस प्रकार बड़े नगरों में लोग गाँवों और छोटे नगरों से आकर बसते हैं जिसके कारण ऐसे नगरों का आकार तेजी से बढ़ता जाता है और वे महानगर बन जाते हैं। विदेशों में न्यूयार्क, शिकागो, लंदन, पेरिस, टोकियो, शंघाई आदि सैंकड़ों नगरों में इस प्रकार के प्रवास होते रहे हैं। भारत में कोलकाता, मुम्बई, चेन्नई (मद्रास), दिल्ली, फरीदाबाद, गुरुग्राम आदि नगरों के लिए निकटवर्ती राज्यों के नगरों से प्रति वर्ष उल्लेखनीय मात्रा में प्रवास हो रहा है जिससे इन नगरों की जनसंख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। 

(3) नगर से ग्राम प्रवास (Urban to Rural Migration) 

नगर से गाँवों के लिए प्रवास की प्रवृत्ति अधिकतर विकसित देशों में देखने को मिलती  है। विकासशील देशों में इस प्रकार का प्रवास बहुत कम देखने को मिलता है। इस प्रवास में प्रायः उच्च वर्ग के लोगों की संख्या अधिक होती है। महानगरों में बढ़ती भीड़-भाड़ तथा प्रदूषण की समस्या से छुटकारा पाने के लिए लोग अपने नगरीय आवास को छोड़कर अपने मूल निवास क्षेत्र या नगर के बाहर निवास बनाकर रहने लगते हैं जहाँ उन्हें नगर के शोर-शराबा एवं भीड़-भाड़ से रहित स्वच्छ पर्यावरण और विस्तृत भूमि उपलब्ध होती है।

विकासशील देशों में नगर से गाँवों को ओर प्रवास कुछ अलग है। नगरों में नौकरी करने वाले मजदूर कुछ विशेष अवसरों पर अपने पैत्रिक गाँवों को लौट जाते हैं। इसी प्रकार नगर में सेवारत अनेक कर्मचारी सेवामुक्त होने के बाद अपने मूल निवास क्षेत्र को लौट जाते हैं और वहीं रहने लगते हैं। 

(4) ग्राम से ग्राम प्रवास (Rural to Rural Migration)

इस प्रकार का प्रवास विकसित और विकासशील दोनों प्रकार के देशों में मिलता है और प्रायः दो कृषि प्रधान क्षेत्रों के बीच पाया जाता है। जिस क्षेत्र में कृषि की कमी और जनसंख्या का घनत्व अधिक होता है वहाँ से कृषि आधारित जनसंख्या का प्रवास ऐसे कृषि क्षेत्रों के लिए होता है जहाँ पर्याप्त उपजाऊ कृषि भूमि उपलब्ध होती है और कृषि के विकास की नवीन सम्भावनाएँ उपलब्ध होती हैं। 

इस प्रकार के प्रवास भी दो रूपों में पाये जाते हैं। प्रथम, अल्प विकसित तथा सघन जनसंख्या वाले कृषि क्षेत्रों से विकसित क्षेत्रों (प्रदेशों) के लिए जहाँ कृषि कार्यों में रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध होते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा बिहार के पिछड़े हुए ग्रामीण क्षेत्रों से रोजगार पाने के लिए बड़ी संख्या में लोगों ने पंजाब और हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए प्रवास किया है। 

द्वितीय, किसी प्राकृतिक, धार्मिक अथवा सामाजिक संकट के कारण एक ग्रामीण क्षेत्र से लोग ऐसे किसी अन्य ग्रामीण क्षेत्र को स्थानान्तरित होने को बाध्य होते हैं जहाँ कृषि के लिए अविकसित पर्याप्त कृषि भूमि पाई जाती है। भूमि सस्ती होने के कारण कुछ कृषक यहाँ बड़े-बड़े कृषि फार्म स्थापित कर लेते हैं। ऐसे क्षेत्र में प्रवासी ग्रामीणों की बस्ती बस जाती है जहाँ उनका प्रभुत्व हो जाता है। उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों और दक्षिण की पठारी पेटी में प्रवासियों द्वारा आवासित अनेक ऐसे गाँव देखे जा सकते हैं।

References

  1. जनसंख्या भूगोल, डॉ. एस. डी. मौर्या
  2. जनसंख्या भूगोल, आर. सी. चान्दना

Test Your Knowledge with MCQs

  1. प्रागैतिहासिक प्रवास के मुख्य कारण कौन से थे?
    • (a) जलवायु परिवर्तन
    • (b) राजनीतिक संघर्ष
    • (c) धार्मिक मतभेद
    • (d) आर्थिक कारण
  2. मध्यकालीन प्रवास का एक प्रमुख उदाहरण कौन सा है?
    • (a) यूरोप से अमेरिका प्रवास
    • (b) आर्यों का भारत आगमन
    • (c) महमूद गजनवी का भारत पर आक्रमण
    • (d) यूनान व रोमन साम्राज्यों का विस्तार
  3. अल्पकालीन प्रवास का उदाहरण निम्नलिखित में से कौन सा है?
    • (a) ब्रिटिश काल में भारत से श्रीलंका प्रवास
    • (b) तीर्थ यात्रा
    • (c) यूरोप से उत्तरी अमेरिका प्रवास
    • (d) प्राचीन कालीन प्रवास
  4. दैनिक प्रवास किसके बीच मुख्य रूप से पाया जाता है?
    • (a) गाँवों से शहरों के बीच
    • (b) शहरों से शहरों के बीच
    • (c) देश से देश के बीच
    • (d) शहरों से गाँवों के बीच
  5. मौसमी प्रवास का समय और अवधि किस प्रकार होती है?
    • (a) निश्चित और नियमित
    • (b) अनिश्चित और असंगठित
    • (c) केवल गर्मियों में
    • (d) केवल शीतऋतु में
  6. बृहत् प्रवास का उदाहरण निम्नलिखित में से कौन सा है?
    • (a) तीर्थ यात्रा
    • (b) गोष्ठियों में भाग लेने के लिए प्रवास
    • (c) भारत-पाक विभाजन के समय प्रवास
    • (d) खेल टीमों का प्रवास
  7. लघु प्रवास में भाग लेने वाले व्यक्तियों की संख्या कैसी होती है?
    • (a) बहुत अधिक
    • (b) बहुत कम
    • (c) सामान्य
    • (d) निश्चित
  8. अन्तर्देशीय प्रवास किसे कहा जाता है?
    • (a) एक देश से दूसरे देश के लिए प्रवास
    • (b) एक राज्य से दूसरे राज्य के लिए प्रवास
    • (c) ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों के लिए प्रवास
    • (d) किसी शहर से दूसरे शहर के लिए प्रवास
  9. अंतर्प्रान्तीय प्रवास का उदाहरण कौन सा है?
    • (a) दिल्ली से पंजाब प्रवास
    • (b) बिहार से पश्चिम बंगाल प्रवास
    • (c) मुंबई से गोवा प्रवास
    • (d) मुंबई से दिल्ली प्रवास
  10. नगरीय प्रवास किस प्रकार का प्रवास है?
    • (a) ग्राम से नगर प्रवास
    • (b) नगर से ग्राम प्रवास
    • (c) नगर से नगर प्रवास
    • (d) ग्राम से ग्राम प्रवास

उत्तर (Answers):

  1. (a) जलवायु परिवर्तन
  2. (c) महमूद गजनवी का भारत पर आक्रमण
  3. (b) तीर्थ यात्रा
  4. (a) गाँवों से शहरों के बीच
  5. (a) निश्चित और नियमित
  6. (c) भारत-पाक विभाजन के समय प्रवास
  7. (b) बहुत कम
  8. (b) एक राज्य से दूसरे राज्य के लिए प्रवास
  9. (b) बिहार से पश्चिम बंगाल प्रवास
  10. (a) ग्राम से नगर प्रवास

FAQs

आंतरिक प्रवास क्या है?

आंतरिक प्रवास वह प्रक्रिया है जिसमें लोग एक देश के भीतर एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जाते हैं। यह प्रवास ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर या एक राज्य से दूसरे राज्य में हो सकता है। आंतरिक प्रवास के कारणों में रोजगार की तलाश, शिक्षा, बेहतर जीवन की इच्छा, और प्राकृतिक आपदाएं शामिल हो सकती हैं। आंतरिक प्रवास का असर सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में देखा जाता है, जैसे कि शहरों में जनसंख्या वृद्धि और ग्रामीण क्षेत्रों में श्रम की कमी।

अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के कारण क्या हो सकते हैं?

अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के प्रमुख कारणों में रोजगार की तलाश, बेहतर शिक्षा, राजनीतिक अस्थिरता, युद्ध, प्राकृतिक आपदाएं, और व्यक्तिगत कारण शामिल हो सकते हैं। लोग अपने जीवन की गुणवत्ता को सुधारने के लिए एक देश से दूसरे देश में प्रवास करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्रवास में कानूनी और अवैध दोनों प्रकार के प्रवास हो सकते हैं। इस प्रवास का असर प्रवासी व्यक्ति और उसके परिवार के जीवन के साथ-साथ प्रवास करने वाले और आगमन वाले देशों की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है।

मौसमी प्रवास क्या है?

मौसमी प्रवास वह प्रक्रिया है जिसमें लोग किसी विशेष मौसम या अवधि के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं। यह आमतौर पर खेती, उद्योगों, और पर्यटन जैसे कार्यों के लिए होता है। मौसमी प्रवास में लोग आमतौर पर फसल कटाई के समय या पर्यटन के चरम सीजन के दौरान प्रवास करते हैं। यह प्रवास समय-सीमा और मौसम पर निर्भर करता है और लोग काम खत्म होने के बाद वापस अपने स्थायी निवास पर लौट आते हैं। यह प्रवास ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में देखने को मिलता है।

शहरी प्रवास का क्या प्रभाव होता है?

शहरी प्रवास में लोग ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर जाते हैं, जिसे ‘ग्राम से नगर प्रवास’ भी कहा जाता है। इसका मुख्य कारण रोजगार की तलाश, बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं, और उच्च जीवन स्तर की चाहत होती है। शहरी प्रवास के प्रभावों में शहरों की जनसंख्या वृद्धि, अव्यवस्थित बस्तियों का निर्माण, और सामाजिक समस्याएं जैसे बेरोजगारी और गरीबी शामिल हैं। इसके अलावा, यह ग्रामीण क्षेत्रों में श्रम की कमी और कृषि उत्पादकता में गिरावट का कारण बन सकता है।

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