Estimated reading time: 5 minutes
इस लेख में, हम लिंग संघटन (Sex Composition) का अर्थ और इसे ज्ञात करने की विभिन्न विधियों की विस्तारपूर्वक चर्चा करेंगे। हम जानेंगे कि विभिन्न देशों में लिंगानुपात को कैसे मापा जाता है और इसके लिए प्रयोग में लाई जाने वाली विधियों की विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे। यह जानकारी बी.ए, एम.ए, यूजीसी नेट, यूपीएससी, आरपीएससी, केवीएस, एनवीएस, डीएसएसएसबी, एचपीएससी, एचटीईटी, आरटीईटी, यूपीपीसीएस, और बीपीएससी की परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी है।
Table of contents
लिंग संघटन का अर्थ
किसी जनसंख्या में स्त्रियों और पुरुषों का संघटन लिंग संघटन कहलाता है। लिंग संघटन की माप लिंगानुपात या यौन अनुपात (Sex ratio) द्वारा की जाती है। किसी भी प्रदेश की सामाजिक स्थिति तथा अर्थव्यवस्था में स्त्री-पुरुष अनुपात की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में लिंगानुपात विभिन्न जनांकिकीय तत्वों जैसे प्रजननता, मर्त्यता, विवाह दर, जनसंख्या परिवर्तन, व्यावसायिक संरचना आदि महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। अतः लिंगानुपात का ज्ञान जनसंख्या भूगोलवेत्ता के लिए विशेष महत्व रखता है।
इसके महत्व को दर्शाते हुए ट्रिवार्था (1953) ने लिखा है कि, ‘किसी क्षेत्र के भौगोलिक विश्लेषण के लिए स्त्री-पुरुष अनुपात मूलाधार है क्योंकि यह भूदृश्य का एक महत्वपूर्ण लक्षण ही नहीं बल्कि यह अन्य जनांकिकीय तत्वों को भी महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है।’
लिंगानुपात का सबसे बड़ा लाभ यह है कि अन्य जनांकिकीय तत्वों की बजाए इसकी गणना के लिए आवश्यक स्त्रियों और पुरुषों की संख्या सम्बन्धी आंकड़ों का संग्रहण अधिक स्पष्ट और सरल है। स्त्रियों और पुरुषों की स्पष्ट पहचान होने के कारण लिंगानुपात से सम्बन्धी आंकड़े अधिक सही और तथ्यपूर्ण होते हैं क्योंकि जनगणना के समय व्यक्ति के लिंग को छिपाने की सम्भावना कम होती है जबकि आयु, व्यवसाय आदि में अधिक।
लिंगानुपात ज्ञात करने की विधियाँ
किसी जनसंख्या में स्त्रियों और पुरुषों के अनुपात को कई प्रकार से दर्शाया जा सकता है। इसीलिए विश्व के अलग -2 देशों में लिंगानुपात को प्रकट करने के तरीकों में भी अन्तर देखा जा सकता है। आइए स्त्रियों और पुरुषों के अनुपात की गणना के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली विभिन्न विधियों के बारे में जानते हैं
जहाँ संयुक्त राज्य अमेरिका सहित कुछ देशों में लिंगानुपात को प्रति 100 स्त्रियों पर पुरुषों की संख्या के रूप में दर्शाया जाता है। वहीं न्यूजीलैंड जैसे कुछ देशों में प्रति 100 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या के रूप में लिंगानुपात की गणना की जाती है। भारत में लिंगानुपात को प्र1000 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या के रूप में दर्शाया जाता है। लिंगानुपात ज्ञात करने के लिए विश्व के अधिकत्र देशों में पहली तीन विधियों का ही प्रचलन अधिक है।
Test Your Knowledge with MCQs
- लिंग संघटन का क्या अर्थ है?
a) जनसंख्या की कुल संख्या
b) स्त्रियों और पुरुषों का अनुपात
c) शिक्षा का स्तर
d) आर्थिक क्रियाएं - लिंग संघटन को किस माध्यम से मापा जाता है?
a) आयु संरचना
b) लिंगानुपात (Sex Ratio)
c) ग्रामीण-नगरीय अनुपात
d) व्यवसाय संरचना - निम्नलिखित में से कौन-सी विधि भारत में लिंगानुपात ज्ञात करने के लिए प्रयोग की जाती है?
a) प्रति 100 स्त्रियों पर पुरुषों की संख्या
b) प्रति 100 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या
c) प्रति 1000 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या
d) प्रति 1000 स्त्रियों पर पुरुषों की संख्या - लिंगानुपात के आंकड़े कितने स्पष्ट और सही होते हैं?
a) बहुत कम सटीक
b) औसत
c) अधिक सटीक
d) असंबंधित - लिंग संघटन का अध्ययन किन तत्वों को प्रभावित करता है?
a) जलवायु परिवर्तन
b) प्रजननता, मर्त्यता, और विवाह दर
c) आर्थिक विकास
d) भू-आकृति - कौन सा व्यक्तित्व लिंग संघटन के महत्व को दर्शाते हुए लिखा है कि स्त्री-पुरुष अनुपात मूलाधार है?
a) ट्रिवार्था (1953)
b) क्लार्क (J.I. Clarke)
c) हार्टशोर्न (R. Hartshorne)
d) स्टैंप (L. Dudley Stamp) - निम्नलिखित में से किस देश में लिंगानुपात को प्रति 100 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या के रूप में दर्शाया जाता है?
a) संयुक्त राज्य अमेरिका
b) न्यूजीलैंड
c) भारत
d) जापान - लिंगानुपात का सबसे बड़ा लाभ क्या है?
a) अन्य जनांकिकीय तत्वों के मुकाबले सटीकता
b) जनसंख्या वृद्धि दर का अनुमान
c) आयु संरचना का निर्धारण
d) व्यवसाय का विश्लेषण - लिंग संघटन के अध्ययन में कौन सा घटक शामिल नहीं होता है?
a) लिंग अनुपात
b) आयु संरचना
c) जलवायु परिवर्तन
d) ग्रामीण-नगरीय अनुपात - लिंगानुपात के आंकड़े क्यों अधिक सटीक होते हैं?
a) आंकड़े जनगणना से सीधे प्राप्त होते हैं
b) आंकड़े सर्वेक्षण से प्राप्त होते हैं
c) आंकड़े अनुमानित होते हैं
d) आंकड़े थ्योरी आधारित होते हैं
उत्तर (Answers):
- b) स्त्रियों और पुरुषों का अनुपात
- b) लिंगानुपात (Sex Ratio)
- c) प्रति 1000 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या
- c) अधिक सटीक
- b) प्रजननता, मर्त्यता, और विवाह दर
- a) ट्रिवार्था (1953)
- b) न्यूजीलैंड
- a) अन्य जनांकिकीय तत्वों के मुकाबले सटीकता
- c) जलवायु परिवर्तन
- a) आंकड़े जनगणना से सीधे प्राप्त होते हैं
You Might Also Like
- लिंगानुपात के प्रकार (Types of Sex Ratio)
- आयु संघटन: अर्थ एवं इसको प्रभावित करने वाले कारक (Age Composition: Meaning and Factors Affecting It)
- मर्त्यता की माप (Measurement of Mortality)
- जनसंख्या संघटन (Population Composition)
- Population Geography (जनसंख्या भूगोल)
FAQs
लिंगानुपात को मापने के लिए विभिन्न विधियाँ होती हैं। भारत में, इसे प्रति 1000 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या के रूप में दर्शाया जाता है। अन्य देशों में यह विधियाँ भिन्न हो सकती हैं, जैसे प्रति 100 स्त्रियों पर पुरुषों की संख्या।
लिंग संघटन का अध्ययन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह प्रजननता, मर्त्यता, विवाह दर, और जनसंख्या परिवर्तन जैसे जनांकिकीय तत्वों को प्रभावित करता है। यह सामाजिक और आर्थिक विश्लेषण में भी सहायक होता है।
ट्रिवार्था (1953) ने लिखा है कि स्त्री-पुरुष अनुपात भौगोलिक विश्लेषण के लिए मूलाधार है क्योंकि यह भूदृश्य का एक महत्वपूर्ण लक्षण है और अन्य जनांकिकीय तत्वों को भी प्रभावित करता है।