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प्रवास का गुरुत्व मॉडल (Gravity Model of Migration)
1930 के दशक से जनसंख्या प्रवास के सैद्धान्तिक विश्लेषण में न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण नियम का प्रयोग आरम्भ हुआ और तब से स्थानिक क्रिया-प्रतिक्रिया में जनसंख्या आकार और दूरी को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाने लगा। गुरुत्व मॉडल का मौलिक आधार यह है कि किसी क्षेत्र या नगर में प्रवासियों को आकर्षित करने की शक्ति उसके आकार के अनुसार बढ़ती जाती है और उससे दूरी बढ़ने पर घटती जाती है।
सर्वप्रथम सन् 1929 में टैक्सास विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री रैली (W.J. Railly) ने नगर के फुटकर व्यापार क्षेत्र के निर्धारण हेतु इस मॉडल का प्रतिपादन किया था जिसे ‘फुटकर व्यापार गुरुत्वाकर्षण नियम’ (Law of Retail Gravitation) के नाम से जाना जाता है।
गुरुत्व माडल के अनुसार प्रवास सूचकांक की गणना निम्नलिखित सूत्र द्वारा की जा सकती है:
प्रवास सूचकांक (M) = K * P1 P2 / d2
जहां
P1 = प्रथम स्थान की जनसंख्या
P2 = द्वितीय स्थान की जनसंख्या
d2 = दोनों स्थनों के मध्य की दूरी का वर्ग
K = स्थिर अनुपात
प्रवास सूचकांक यह प्रदर्शित करता है कि किसी दिए हुए स्थान के द्वारा किसी अन्य केन्द्र से आकर्षित होने वाले व्यक्तियों (प्रवासियों) की मात्रा उस स्थान की जनसंख्या के प्रत्यक्ष अनुपात में और दोनों केन्द्रों के बीच की दूरी के वर्ग के विपरीत अनुपात में होती है।
गुरुत्व सिद्धान्त के अनुसार किसी स्थान की जनसंख्या जितनी अधिक होती है उसमें जनसंख्या को आकर्षित करने की शक्ति उतनी ही अधिक पाई जाती है और दूरी जितनी अधिक होती है, प्रवास की मात्रा उतनी ही कम पाई जाती है।
प्रवास के सन्दर्भ में गुरुत्व माडल की उपयुक्तता अधिक नहीं है क्योंकि प्रवास एक सामाजिक एवं जटिल विषय है जिसे गणितीय सूत्र के आधार पर स्पष्ट करना कठिन और अस्वाभाविक है। प्रवास जनसंख्या आकार और दूरी से ही नहीं प्रभावित होता है बल्कि इसके निर्धारण में अन्य आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक कारकों का भी योगदान होता है।
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