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जनसंख्या भूगोल की परिभाषा एवं विषय-क्षेत्र (Definition and Scope of Population Geography)

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जनसंख्या भूगोल, मानव भूगोल की एक महत्वपूर्ण शाखा है, जो जनसंख्या के वितरण, संघटन, स्थानांतरण और परिवर्तन में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नताओं का गहन अध्ययन करती है। इस विषय की गत्यात्मक प्रकृति इसे भूगोल के अन्य उपविषयों से अलग बनाती है। बी.ए., एम.ए., यूजीसी नेट, यूपीएससी, आरपीएससी, केवीएस, एनवीएस, डीएसएसएसबी, एचपीएससी, एचटीईटी, आरटीईटी, यूपीपीसीएस, बीपीएससी जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए जनसंख्या भूगोल का अध्ययन न केवल विषय की व्यापक समझ प्रदान करता है, बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए आवश्यक ज्ञान और दृष्टिकोण विकसित करने में सहायक सिद्ध होता है।

जनसंख्या भूगोल, मानव भूगोल की एक नई  शाखा है जिसके अन्तर्गत जनसंख्या के विभिन्न तत्वों में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नताओं का क्रमबद्ध विश्लेषण किया जाता है। प्रमुख जनसंख्या भूगोलविदों के अनुसार जनसंख्या भूगोल की परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं – 

जनसंख्या भूगोल की परिभाषाएँ

1. जी०टी० द्विवार्था (G.T. Trewartha)  के अनुसार “जनसंख्या भूगोल के मूल तत्त्व जनसंख्या द्वारा आच्छादित (आवासित) पृथ्वी के प्रादेशिक भिन्नताओं को समझने में निहित है।” इस परिभाषा से स्पष्ट है कि जी०टी० द्विवार्था ने जनसंख्या भूगोल को धरातल पर जनसंख्या के वितरण में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नता के अध्ययन का विषय माना है। उन्होंने क्षेत्रीय भिन्नता को सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।

2. ब्रिटिश भूगोलविद् जॉन आई० क्लार्क (John I. Clarke) के अनुसार “जनसंख्या भूगोल यह प्रदर्शित करता है कि जनसंख्या के वितरण, संघटन, प्रवास और वृद्धि में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नताएँ स्थानों की प्रकृति में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नताओं से किस प्रकार सम्बन्धित हैं। “  इस प्रकार उन्होंने जनसंख्या भूगोल को भूतल पर जनसंख्या वितरण में पायी जाने वाली क्षेत्रीय-भिन्नताओं को उसके भौतिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक संदर्भ में जानने का प्रयत्न करता है। 

नोट: जॉन आई० क्लार्क की जनसंख्या भूगोल पर प्रथम पाठ्य पुस्तक सन् 1965 में प्रकाशित हुई।

3.प्रसिद्ध फ्रांसीसी भूगोलविद् जे०बी० गार्नियर (J. B. Garnier) के अनुसार, “जनसंख्या भूगोल अपने पर्यावरण के संदर्भ में जनांकिकीय तथ्यों की मूल विशेषताओं तथा संभव परिणामों का सकारण अध्ययन करता है।”  यहां गार्नियर ने भूतल पर जनसंख्या की प्रमुख विशेषताओं के अध्ययन में पर्यावरण को महत्वपूर्ण कारक के रूप में प्रदर्शित किया है।

नोट: जे०बी० गार्नियद्वारा फ्रांसीसी भाषा में लिखित जनसंख्या भूगोल का अंग्रेजी अनुवाद 1966 में प्रकाशित हुआ। 

4.अमेरिकी भूगोलवेत्ता डैम्को (G.J. Demko) शब्दों में “जनसंख्या भूगोल, भूगोल विषय की वह शाखा है जो मानवीय जनसंख्या के जनांकिकीय तथा अजनांकिकीय विशेषताओं की क्षेत्रीय भिन्नताओं का विश्लेषण करता है।” उन्होंने जनसंख्या भूगोल के अन्तर्गत जनांकिकीय लक्षणों के साथ ही सामाजिक-आर्थिक लक्षणों के क्षेत्रीय भिन्नताओं के अध्ययन को भी सम्मिलित करने की बात कही है।

उपरोक्त परिभाषाओं से हम जनसंख्या भूगोल निम्नलिखित रूप से परिभाषित कर सकते हैं 

“जनसंख्या भूगोल, भूगोल की वह शाखा है जिसमें जनसंख्या के वितरण, संघटन, स्थानान्तरण तथा परिवर्तन में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नताओं और किसी निश्चित क्षेत्र में जनसंख्या तथा पर्यावरण के मध्य पाये जाने वाली अंतर्सम्बन्धों से उत्पन्न सामाजिक-आर्थिक प्रतिरूपों का अध्ययन किया जाता है।” 

ये भी पढ़े
1. माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत
2. जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत
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जनसंख्या भूगोल का विषय-क्षेत्र (Scope or Content of Population Geography) 

भूगोल की एक नवीन शाखा के रूप में जनसंख्या भूगोल अभी विकास की अवस्था में है और इसके अध्ययन क्षेत्र या विषय-वस्तु का निर्धारण अभी पूर्ण रूप को प्राप्त नहीं कर सका है। इसकी गत्यात्मक (dynamic) प्रकृति के कारण ही समय-समय पर इसमें विभिन्न नये-नये पक्षों को शामिल किया जाता रहा है। जनसंख्या भूगोल के अध्ययन का केन्द्रीय बिन्दु मनुष्य (जनसंख्या) है और इसी से जुड़े विभिन्न पक्षों का भौगोलिक अध्ययन ही इसकी मूल विषय-वस्तु है। 

किन्तु जनसंख्या भूगोल के विषय क्षेत्र के बारे में विभिन्न जनसंख्या भूगोलवेत्ताओं के विचारों में काफी अन्तर पाया जाता है जो एक नवीन विषय के लिए स्वाभाविक भी है। यहाँ कुछ प्रमुख जनसंख्या भूगोलवेत्ताओं द्वारा प्रस्तावित जनसंख्या भूगोल के विषय क्षेत्र की रूपरेखा की विवेचनाएँ  दि गई हैं। 

Scope of Population Geography
जनसंख्या भूगोल का विषय-क्षेत्र

जी०टी० ट्रिवार्था (G. T. Trewartha) के अनुसार जनसंख्या भूगोल का विषय-क्षेत्र

जी०टी० ट्रिवार्था (G. T. Trewartha) ने सन् 1953 में जनसंख्या भूगोल को क्रमबद्ध भूगोल की एक शाखा के रूप में स्थापित किया। ट्रिवार्था ने जनसंख्या भूगोल के विषय-क्षेत्र को निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित किया है 

(1) भूतकालीन जनसंख्या का भूगोल (Geography of population in past )  

इसमें विभिन्न ऐतिहासिक कालों के अनुसार जनसंख्या के वितरण एवं विकास का अध्ययन किया जाता है। 

(2) मानव संख्या (Human numbers)  

इसके अन्तर्गत जनसंख्या वितरण, घनत्व, प्रवास, वृद्धि आदि पक्षों के अध्ययन को शामिल किया जाता है। 

(3) जनसंख्या लक्षणों के वितरण का प्रादेशिक प्रतिरूप (Regional patterns of distribution of qualities of population) 

इसे दो उपवर्गों में बाँटा गया है। 

(अ) जनसंख्या के भौतिक लक्षण – प्रजाति, आयु संरचना, लिंग अनुपात, जन्म-दर, मृत्यु दर, स्वास्थ्य आदि । 

(ब) सांस्कृतिक लक्षण– साक्षरता, धर्म, भाषा, आवास-प्रवास, आर्थिक स्तर, व्यावसायिक संरचना, वैवाहिक स्थिति, राष्ट्रीयता, जाति आदि । 

जॉन आई० क्लार्क (John I. Clarke ) के अनुसार जनसंख्या भूगोल का विषय-क्षेत्र

जॉन आई० क्लार्क (John I. Clarke ) ने जनसंख्या भूगोल की विषय सामग्री के रूप में जिन तथ्यों को शामिल किया है उनके निम्नांकित तीन वर्ग हैं

(1) जनसंख्या की निरपेक्ष संख्या (Absolute number of population) 

(2) जनसंख्या के लक्षण (Qualities of population) 

(अ) भौतिक लक्षण – आयु, लिंग, प्रजाति आदि ।

(ब) सामाजिक लक्षण – वैवाहिक स्थिति, परिवार, आवास, साक्षरता, शिक्षा, भाषा, धर्म, राष्ट्रीयता, जाति आदि।  

(स) आर्थिक लक्षण – उद्योग, व्यवसाय, आय आदि । 

(3) जनसंख्या की गतिशीलता (Population dynamics) – जन्मदर, मृत्युदर, स्थानांतरण (प्रवास), जनसंख्या परिवर्तन आदि । 

अवश्य देखें
1.मध्यमान आयु
2.विश्व में जनसंख्या का वितरण
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विलवर जेलिन्स्की (W. Zelinsky) के अनुसार जनसंख्या भूगोल का विषय-क्षेत्र

विलवर जेलिन्स्की (W. Zelinsky) के मतानुसार जनसंख्या भूगोल के अन्तर्गत जनसंख्या के उन लक्षणों के अध्ययन को सम्मिलित किया जाना चाहिए जिनके विषय में विकसित देशों में आंकड़े एकत्रित किये जाते हैं। इस प्रकार उन्होंने जनसंख्या भूगोल के विषय क्षेत्र का सीमा का निर्धारण उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर करने का प्रयास किया है। जनसंख्या भूगोल के अन्तर्गत जिन जनसंख्या लक्षणों का अध्ययन किया जाता है उन्हें जेलिन्स्की ने निम्नलिखित तीन श्रेणियों में विभक्त किया है।

(1) जनसंख्या के जैविक लक्षण – लिंग, आयु, प्रजाति आदि। 

(2) आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक लक्षण – आवास, व्यवसाय, आय, वैवाहिक स्थिति, साक्षरता, भाषा, जाति आदि ।

(3) गत्यात्मक लक्षण – जन्मदर, मृत्युदर, स्थानांतरण आदि । 

नोट: जेलिन्स्की की जनसंख्या भूगोल की पाठ्य पुस्तक ‘A Prologue to Population Geography’ सन् 1966 में प्रकाशित हुई जो तीन खण्डों में विभक्त है। प्रथम खण्ड में जनसंख्या भूगोल की प्रकृति, विषय वस्तु, आंकड़ों के स्त्रोत आदि की व्याख्या की गयी है। द्वितीय खण्ड में जनसंख्या वितरण तथा उसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन किया गया है। तृतीय खण्ड में जनसंख्या संसाधन सम्बन्ध और जनसंख्या प्रदेशों का विवेचन किया गया है। जेलिन्स्की ने जनसंख्या भूगोल की अपनी सैद्धान्तिक रूपरेखा में तृतीय खण्ड को अधिक महत्वपूर्ण माना है।
याद रखने योग्य बातें

निष्कर्ष 

जनसंख्या भूगोल एक गत्यात्मक विज्ञान है जिसके विषय क्षेत्र की परिधि या सीमा में विस्तार होता जा रहा है। हाल के वर्षों में जनसंख्या भूगोल में मात्रात्मक अध्ययनों तथा सामान्यीकरण एवं माडल निर्माण पर बल दिया जाने लगा है और इसके लिए नई शोध तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। उपरोक्त प्रमुख जनसंख्या भूगोलविदों द्वारा व्यक्त विचारों को जानने के उपरान्त हम जनसंख्या भूगोल के अध्ययन के अन्तर्गत आने वाले तथ्यों को निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत कर सकते हैं- 

(1) जनसंख्या भूगोल की प्रकृति (Nature of population geography) – परिभाषा, विषय क्षेत्र, अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध, अध्ययन के उपागम, विकास आदि । 

(2) जनसंख्या की निरपेक्ष संख्या (Absolute numbers of population) – जनसंख्या का वितरण एवं घनत्व । 

(3) जनसंख्या की गत्यात्मकता (Population Dynamics)प्रजननता, मर्त्यता, जनसंख्या परिवर्तन, स्थानातरण आदि। 

(4) जनसंख्या के लक्षण (Characteristics of Population) 

(अ) भौतिक लक्षण – आयु, लिंग, प्रजाति आदि । 

(ब) आर्थिक लक्षण – आय, उद्योग, व्यवसाय आदि । 

(स) सामाजिक-सांस्कृतिक लक्षण – वैवाहिक स्थिति, परिवार, ग्रामीण-नगरीय अनुपात (नगरीकरण), साक्षरता, भाषा, धर्म, जाति, राष्ट्रीयता आदि । 

(5) जनसंख्या-संसाधन संबंध (Population and Resource Relationship) – अनुकूलतम-जनसंख्या, जनाधिक्य, जनाल्पता, जनसंख्या दबाव, जनसंख्या-संसाधन प्रदेश आदि ।

(6) जनसंख्या नियोजन एवं जनसंख्या नीतियाँ (Population Planning and Population Policies) – जनसंख्या नियोजन, जनसंख्या नीति ।

Test You Knowledge with MCQs

1. जनसंख्या भूगोल किस शाखा का एक उपविषय है?
a) पर्यावरण भूगोल
b) आर्थिक भूगोल
c) मानव भूगोल
d) जलवायु भूगोल

2. जी.टी. द्विवार्था (G.T. Trewartha) के अनुसार जनसंख्या भूगोल का प्रमुख अध्ययन क्षेत्र क्या है?
a) जनसंख्या की सांस्कृतिक संरचना
b) धरातल पर जनसंख्या वितरण की क्षेत्रीय भिन्नता
c) जनसंख्या की आर्थिक गतिविधियाँ
d) जनसंख्या और संसाधनों का संबंध

3. जनसंख्या भूगोल की पहली पाठ्य पुस्तक किस भूगोलवेत्ता द्वारा लिखी गई?
a) जे.बी. गार्नियर
b) जी.जे. डैम्को
c) जॉन आई. क्लार्क
d) विलवर जेलिन्स्की

4. जॉन आई. क्लार्क ने जनसंख्या भूगोल का अध्ययन किस संदर्भ में किया है?
a) केवल भौतिक संदर्भ
b) केवल सांस्कृतिक संदर्भ
c) भौतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संदर्भ
d) केवल आर्थिक संदर्भ

5. जे.बी. गार्नियर के अनुसार जनसंख्या भूगोल किसका अध्ययन करता है?
a) जनसंख्या की आर्थिक गतिविधियाँ
b) जनांकिकीय तथ्यों की पर्यावरणीय संदर्भ में विशेषताओं का अध्ययन
c) जनसंख्या की भौतिक संरचना
d) जनसंख्या और संसाधनों का संबंध

6. जी.जे. डैम्को ने जनसंख्या भूगोल में किस पक्ष का अध्ययन शामिल किया?
a) केवल जनांकिकीय लक्षण
b) केवल सामाजिक लक्षण
c) जनांकिकीय और अजनांकिकीय लक्षणों की क्षेत्रीय भिन्नताएँ
d) केवल भौतिक लक्षण

7. जी.टी. ट्रिवार्था के अनुसार जनसंख्या भूगोल का अध्ययन किन तीन वर्गों में विभाजित किया गया है?
a) भौतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक
b) भूतकालीन जनसंख्या, मानव संख्या, जनसंख्या लक्षणों का प्रादेशिक प्रतिरूप
c) आर्थिक, सांस्कृतिक, भौतिक
d) जैविक, सामाजिक, आर्थिक

8. विलवर जेलिन्स्की ने जनसंख्या भूगोल में किस विषय का अध्ययन करने का प्रस्ताव किया है?
a) केवल सांस्कृतिक लक्षण
b) केवल जैविक लक्षण
c) उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित जनसंख्या लक्षण
d) केवल जनसंख्या और संसाधन संबंध

9. विलवर जेलिन्स्की की पुस्तक ‘A Prologue to Population Geography’ के किस खंड को उन्होंने अधिक महत्वपूर्ण माना है?
a) जनसंख्या वितरण
b) जनसंख्या और संसाधन संबंध
c) जनसंख्या गत्यात्मकता
d) जनसंख्या के सामाजिक लक्षण

10. जी.टी. ट्रिवार्था ने जनसंख्या भूगोल को किस वर्ष क्रमबद्ध भूगोल की एक शाखा के रूप में स्थापित किया?
a) 1945
b) 1953
c) 1960
d) 1970


Answers:

  1. c) मानव भूगोल
  2. b) धरातल पर जनसंख्या वितरण की क्षेत्रीय भिन्नता
  3. c) जॉन आई. क्लार्क
  4. c) भौतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संदर्भ
  5. b) जनांकिकीय तथ्यों की पर्यावरणीय संदर्भ में विशेषताओं का अध्ययन
  6. c) जनांकिकीय और अजनांकिकीय लक्षणों की क्षेत्रीय भिन्नताएँ
  7. b) भूतकालीन जनसंख्या, मानव संख्या, जनसंख्या लक्षणों का प्रादेशिक प्रतिरूप
  8. c) उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित जनसंख्या लक्षण
  9. b) जनसंख्या और संसाधन संबंध
  10. b) 1953

FAQs

जनसंख्या भूगोल क्या है?

जनसंख्या भूगोल मानव भूगोल की एक शाखा है जिसमें जनसंख्या के वितरण, संरचना, प्रवास, और वृद्धि में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नताओं का अध्ययन किया जाता है।

जॉन आई० क्लार्क के अनुसार जनसंख्या भूगोल के मुख्य तत्व क्या हैं?

जॉन आई० क्लार्क के अनुसार जनसंख्या भूगोल में जनसंख्या की निरपेक्ष संख्या, जनसंख्या के भौतिक, सामाजिक, और आर्थिक लक्षण, तथा जनसंख्या की गतिशीलता शामिल हैं।

जनसंख्या भूगोल का अध्ययन क्यों महत्वपूर्ण है?

जनसंख्या भूगोल का अध्ययन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सामाजिक-आर्थिक प्रतिरूपों, जनसंख्या वितरण, और पर्यावरण के साथ जनसंख्या के अंतर्सम्बन्धों को समझने में मदद करता है।

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