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प्रवास का व्यवहारपरक मॉडल (Behavioral Model of Migration) 

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प्रवास का व्यवहारपरक मॉडल (Behavioral Model of Migration)

जूल्यिन वल्पर्ट (J. Wolpert) ने सन् 1975 में मानव व्यवहार पर आधारित प्रवास का व्यवहारपरक मॉडल प्रस्तुत किया जो संरचनात्मक प्रकृति के मॉडलों से भिन्न है। उनके अनुसार संरचनात्मक मॉडल की प्रकृति वस्तुतः यांत्रिक है जिसमें मनुष्य की इच्छा, आवश्यकता, दृष्टिकोण आदि पर ध्यान नहीं दिया जाता है। 

वल्पर्ट ने प्रवास प्रतिरूप को मनुष्य की अभिरुचि, आवश्यकता तथा दृष्टिकोण का परिणाम बताया। उनके अनुसार मनुष्य का संचलन व्यवहार उन उपायों में से एक है जिसके द्वारा व्यक्ति विशेष अपने कल्याण या लाभ को अधिकतम करने का इच्छुक होता है। उन्होंने प्रवास माडल की अभिव्यक्ति के लिए स्थान और जनसंख्या के अभिलक्षणों पर ध्यान केन्द्रित करने की अपेक्षा व्यक्ति के व्यवहार को अधिक सार्थक एवं उपयोगी माना और दूरी तथा आर्थिक उद्देश्य के स्थान पर मानव व्यवहार पर विशेष बल दिया। 

वल्पर्ट ने प्रवास का जो मॉडल प्रस्तुत किया है उसमें व्यक्ति विशेष संचलनकर्ता (प्रवासी) अथवा स्थायी व्यक्ति कोई भी हो सकता है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी सूक्ष्म दृष्टि से अपने निवास स्थान तथा संभावित गन्तव्य स्थान के मूल्य का आकलन करता है और स्थान की उपयोगिता के आधार पर अपने कार्यक्षेत्र को तय करता है। कार्यक्षेत्र के अन्तर्गत वे समस्त स्थान सम्मिलित होते हैं जहाँ तक उपयोगिता के अनुसार व्यक्ति विशेष के प्रवास की आशा होती है। 

इस प्रकार वे सभी स्थान प्रवास के सम्भावित स्थल होंगे जहाँ व्यक्ति विशेष के निवास-स्थल की तुलना में उपयोगिता अधिक होगी। अपने निवास स्थान और अन्य सम्भावित गन्तव्य की तुलना के पश्चात् जो व्यक्ति प्रवास का निर्णय लेता है उसे संचलनकर्ता और जो अपने स्थान पर स्थायी बने रहने का निर्णय लेता है उसे स्थायी निवासकर्ता कहते हैं। जिस व्यक्ति को अपने निवास स्थान की तुलना में अन्य स्थान पर अधिक उपयोगिता मिलने की सम्भावना होती है, वह प्रवास का निर्णय लेता है। किन्तु जिसे अन्य स्थानों की तुलना में अपने स्थान की उपयोगिता ही अधिक मालूम होती है, वह स्थायी बना रहना चाहता है। 

वल्पर्ट का व्यवहारपरक मॉडल यह प्रदर्शित करता है कि विभिन्न व्यक्तियों का क्रिया क्षेत्र अलग-अलग होता है जो समय के अनुसार परिवर्तनशील होता है। स्थान की उपयोगिता को ध्यान में रखकर प्रवास करने के इच्छुक व्यक्ति को अनेक सामाजिक तथा संस्थागत अवरोधों का भी सामना करना पड़ता है। 

निश्चय ही वल्पर्ट ने इस मॉडल के माध्यम से प्रवास के माडल निर्माण में एक नवीन विचार तथा नयी दिशा दी है। उन्होंने स्थान, समय तथा मानव व्यवहार को संयुक्त करके प्रवास प्रक्रिया को समझाने का प्रयास किया है जिसका अन्य माडलों में अभाव है।

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