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इस लेख में आप भारत में चावल के उत्पादन एवं वितरण (Production and Distribution of Rice in India) तथा चावल की उपज के लिए आवश्यक दशाओं के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
चावल हमारी सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण खाद्य फसल है, जिस पर भारत की आधी से भी अधिक जनसंख्या निर्भर करती है। चीन के बाद भारत विश्व का सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है। विश्व का लगभग एक चौथाई चावल भारत में ही पैदा किया जाता है। भारत में 2020-21 के आंकड़ों के अनुसार 45.07 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र पर चावल बोया गया। जिन क्षेत्रों में औसत वार्षिक वर्षा 150 सेमी. से अधिक होती है, उनमें चावल लोगों का मुख्य आहार होता है।
चावल की उपज के लिए आवश्यक दशाएँ
चावल की उपज के लिए निम्नलिखित दशाएँ अनुकूल हैं:
तापमान
चावल एक उष्णकटिबंधीय पौधा है। अतः यह उन इलाकों में अधिक होता है, जहां औसत वार्षिक तापमान कम से कम 20 डिग्री सेल्सियस होता है। इसको बोते समय 21° सेल्सियस, बढ़ते समय 24° सेल्सियस तथा पकते समय 27° सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है।
वर्षा
चावल जल में उगने वाला पौधा है। इसे बोते समय खेत में लगभ 20 से 30 सेंटीमीटर गहरा जल भरा हुआ होना चाहिए। चावल की फसल के लिए 150 से 200 सेमी. वार्षिक वर्षा आवश्यक है। बोते समय वर्षा अधिक होनी चाहिए। ज्यों-ज्यों पकने का समय आता है। त्यों-त्यों कम वर्षा की आवश्यकता रहती है। 100 सेमी. वार्षिक वर्षा की समवर्षा रेखा चावल की कृषि करने वाले क्षेत्रों की प्राकृतिक सीमा निर्धारित करती है। 100 सेमी. से कम वार्षिक वर्षा वाले इलाकों में सिंचाई की सहायता से चावल की कृषि की जाती है।
मिट्टी
चावल की फसल के लिए बहुत उपजाऊ मिट्टी का होना अति आवश्यक है। यह ऐसी मिट्टी में होता है, जिसमें पानी को सोखे रखने की अच्छी क्षमता हो। अतः इसके लिए चीकायुक्त दोमट मिट्टी या चिकनी मिट्टी उपयुक्त होती है। नदियों द्वारा लाई गई जलोढ़ मिट्टी में भी यह पौधा भली-भांति उगता है।
धरातल
चावल की कृषि के लिए हल्के ढाल वाले मैदानी भाग अनुकूल होते हैं। ताकि खेत में पानी खड़ा रह सके। नदियों के डेल्टों तथा बाढ़ के मैदानों में भी चावल खूब फलता है।
श्रम
चावल की कृषि में मशीनों से काम नहीं लिया जा सकता। इसलिए भूमि की जुताई, पौधों का प्रतिरोपण, फसल की कटाई, धान का छिलका हटाने तथा कूटने आदि का सारा काम हाथों से करना पड़ता है। इस प्रकार चावल की कृषि को ‘खुरपे की कृषि’ (Hoe-culture) कहते हैं। अतः इसकी कृषि के लिए अत्यधिक श्रम की आवश्कता होती हैं। यही कारण है कि चावल साधारणतया घनी जनसंख्या वाले क्षेत्रों में बोया जाता है।
चावल की किस्में
वैसे तो चावल की लगभग 200 किस्में हैं, लेकिन इनमें से केवल दो किस्म ही प्रमुख हैं:
(1) निम्न भूमि या दलदली चावल (Lowland or Swampy Rice)
निम्न भूमि पर उगाया गया चावल स्वादिष्ट होता है। और इसकी प्रति हेक्टेयर उपज भी अधिक होती है। भारत का अधिकतर चावल निम्न भूमि पर ही उगाया जाता है।
(2) उच्च भूमि या पहाड़ी चावल (Upland Rice)
उच्च भूमि उगाया गया चावल का पौधा छोटा होता है। इसका दाना छोटा तथा लाल रंग का होता है। यह थोड़ी-सी वर्षा में उग आता है और जल्दी पककर तैयार हो जाता है। यह चावल अधिक कड़ा तथा खाने में कम स्वादिष्ट होता है।
चावल किन अक्षांशों में पैदा किया जाता है, इस आधार पर भी इसकी दो किस्में होती है
(1) इंडिका (Indica)
निम्न अक्षांशों में उगाया जाने वाले चावल को इंडिका कहते हैं। जैसे भारत, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया आदि में उगाया जाने वाला चावल इंडिका किस्म का होता है।
(2) जेपोनिका (Japonica)
शीतोष्ण कटिबंध में उगाए जाने वाले चावल को जेपोनिका कहते हैं।
भारत में चावल का उत्पादन एवं वितरण
यदि जल उपलब्ध हो तो अधिक ऊँचे भागों को छोड़कर शेष बचे भारत में सभी जगह ग्रीष्म ऋतु में चावल की खेती की जा सकती है। भारत में बोई गई भूमि के अंतर्गत सबसे अधिक क्षेत्रफल भी चावल का है। यहां आजादी के बाद चावल के कुल बोए गए क्षेत्र तथा उत्पादन में निरंतर वृद्धि देखने को मिली है। जहां 1950-51 में 30.81 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र चावल की खेती की गई, वहीं 2020-21 में 45.07 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र पर चावल बोया गया।पागल की बात करें तो 1950- 51 में 20.58 मिलियन टन चावल का उत्पादन हुआ। वहीं 2020-21 के दौरान यह उत्पादन बढ़कर 122.27 मिलियन टन हो गया।
राज्य | कुल उत्पादन का % | उत्पादन (मिलियन टन में) | उपज(किलोग्राम/हेक्टेयर) |
पश्चिम बंगाल | 13.62 | 16.65 | 2984 |
उत्तर प्रदेश | 12.81 | 15.66 | 2759 |
पंजाब | 9.96 | 12.18 | 4366 |
ओडिशा | 7.17 | 8.77 | 2173 |
आंध्र प्रदेश | 6.45 | 7.89 | 3395 |
तेलंगाना | 6.30 | 7.70 | 3327 |
तमिलनाडु | 5.96 | 7.28 | 3574 |
छत्तीसगढ़ | 5.86 | 7.16 | 1889 |
बिहार | 5.63 | 6.88 | 2276 |
असम | 4.30 | 5.26 | 2224 |
अन्य | 21.95 | 26.84 | 2411 |
भारत | 100.00 | 122.27 | 2713 |
पश्चिम बंगाल
चावल के उत्पादन में पश्चिम बंगाल का भारत में प्रथम स्थान है। यहां भारत का 12.8% चावल क्षेत्र तथा 13.62% चावल का उत्पादन है। इस राज्य में कृषि योग्य भूमि के तीन चौथाई भाग पर चावल की खेती की जाती है। यहां एक वर्ष में चावल की तीन फसलें ली जाती है। इन्हें अमन, औस व बोरो के नाम से जाना जाता है। ये क्रमशः जाड़े, पतझड़ तथा ग्रीष्म ऋतु की फसलें हैं। और कुल उत्पादन का 78%, 20% तथा 2% उत्पन्न करती हैं। पश्चिम बंगाल में चावल का उत्पादन प्रमुख रूप से मिदनापुर, बांकुरा, फरीदपुर तथा वर्दवान जिलों में होता है।
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश ने चावल के उत्पादन में अभूतपूर्व उन्नति की है। यहां भारत का 12.60% चावल क्षेत्र तथा 12.81% चावल का उत्पादन है। जहां 2004-05 में यहां पर 95.96 लाख टन चावल पैदा होता था। वही 2020-21 में यहां 156.6 लाख टन चावल का उत्पादन हुआ। चावल के उत्पादन में यह वृद्धि सिंचाई की अधिक सुविधा तथा उर्वरकों एवं अच्छे बीजों के प्रयोग से संभव हो पाई। यहां के किसानों ने भी चावल के उत्पादन में रुचि दिखाई है। अब उत्तर प्रदेश की लगभग एक तिहाई कृषि भूमि पर चावल की खेती की जाती है। सहारनपुर, देवरिया, गोरखपुर, लखनऊ, बहराइच, गोंडा, बस्ती, बलिया, रायबरेली यहां मुख्य चावल उत्पादक जिले हैं।
पंजाब
चावल के उत्पादन में पंजाब का भारत में तीसरा स्थान है। परंपरागत रूप से पंजाब गेहूं के उत्पादन के लिए जाना जाता है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों के दौरान शस्य प्रारूप में परिवर्तन के कारण पंजाब एक महत्वपूर्ण चावल उत्पादक राज्य भी बन गया है। सन 1953-54 से 1985-86 तक पंजाब में चावल के उत्पादन में 12.22% की वृद्धि हुई है। जबकि समस्त भारत में यह वृद्धि 2.8% ही देखी गई। जहां सन 2004-05 में पंजाब में लगभग 104.5 लाख टन चावल पैदा किया गया था। वहीं 2020-21 के दौरान यह बढ़कर 121.8 टन हो गया। यहां पर होशियारपुर, गुरदासपुर, जालंधर, अमृतसर, लुधियाना, कपूरथला आदि मुख्य चावल उत्पादक जिले हैं।
ओडिशा
ओडिशा में भारत का 7.17% चावल का उत्पादन किया जाता है। उड़ीसा की कुल कृषि भूमि के लगभग 60% हिस्से पर चावल ही बोला जाता है। इस राज्य का इन 90% चावल संबलपुर, कटक, पूरी, बालासोर, गंजम, मयूरभंज आदि जिलों में उत्पादित किया जाता है।
आंध्र प्रदेश
यह राज्य भारत की कुल चावल उत्पादन का 6.45% प्रतिशत चावल उत्पादित करता है। यहां पर कृष्णा तथा गोदावरी नदियों के डेल्टा और तटीय मैदान में चावल की खेती की जाती है। इस राज्य के प्रमुख उत्पादक जिलों में कुरनूल, कुडप्पा, गोदावरी, कृष्णा, नेल्लोर तथा गंतूर आदि शामिल हैं।
तेलंगाना
इसका चावल उत्पादन में छठा स्थान है और यहां देश के चावल का 6.30% भाग उत्पादित होता है।
तमिलनाडु
यह राज्य भारत का 5.96% चावल पैदा करता है। यहां कावेरी नदी के डेल्टा में स्थित तंजावुर जिला तमिलनाडु का एक चौथाई चावल उत्पादित करता है। अन्य प्रमुख जिलों में चिंगलपुट, उत्तरी तथा दक्षिणी अर्काट, रामनाथपुरम, कोयंबटूर, सलेम तथा तिरुचिरापल्ली शामिल हैं।
छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ राज्य को ‘चावल का कटोरा’ के नाम से भी जाना जाता है। इस राज्य में वर्ष 2020-21 के दौरान चावल का 71.6 लाख टन चावल का उत्पादन किया गया। जो भारत के कुल उत्पादन का 5.86% है। इसके मुख्य उत्पादक जिले बिलासपुर, दुर्ग, बस्तर, रायगढ़ व सरगूजा हैं।
बिहार
बिहार राज्य भारत का 5.63% चावल उत्पादित करता है। यहां की लगभग 40% कृषि भूमि पर चावल उगाया जाता है। शाहाबाद, चंपारण, संथाल परगना, गया, दरभंगा, पूर्णिया तथा मुजफ्फरपुर जिले बिहार का लगभग 80% चावल पैदा करते हैं।
असम
यह राज्य भारत का 4.30% चावल पैदा करता है। यहां मुख्यतया ब्रह्मपुत्र तथा सूरमा नदी की घाटियों में चावल की खेती की जाती है। कहीं-कहीं पर पहाड़ी ढालों पर सीढ़ीनुमा खेत बनाए जाते हैं और वहां चावल बोया जाता है। गोलपांडा, नंदगांव तथा कामरूप इसके मुख्य उत्पादक जिले हैं। इन जिलों में तीन चौथाई भूमि पर चावल उगाया जाता है।
हरियाणा
पंजाब की तरह हरियाणा में भी सिंचाई, अधिक उपज देने वाले बीज तथा उन्नत कृषि पद्धति के प्रयोग से चावल की उपज में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसके प्रमुख उत्पादक जिले करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, पानीपत, अंबाला आदि है।
अन्य चावल उत्पादक राज्य
कर्नाटक, महाराष्ट्र, झारखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात, केरल, मणिपुर, त्रिपुरा आदि राज्यों में अल्प मात्रा में चावल पैदा किया जाता है।
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