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विश्व के जनसंख्या-संसाधन प्रदेश (Population Resource Regions of the World)

Population Resource Regions of the World

एकरमैन (E.A, Ackerman) ने जनसंख्या-संसाधन अनुपात तथा उनके विकास के लिए उपयोग में लाई जाने वाली प्रौद्योगिकी के आधार पर सम्पूर्ण विश्व को 5 बृहत् प्रदेशों में विभक्त किया है जो जनसंख्या-संसाधन प्रदेश को व्यक्त करते हैं। विश्व के प्रत्येक भाग इन्हीं पाँच प्रदेशों में से किसी न किसी प्रदेश के अंतर्गत शामिल हैं। इन प्रदेशों का नामकरण सामान्यतः प्रमुख प्रतिनिधि देश या प्रदेश के आधार पर किया गया है।

गोंड जनजाति (Gond Tribe)

Gond Tribe

The Gond tribe is the second largest tribal group in India after the Santhals. In ancient times, between the 14th and 18th centuries, they used to have an independent state which was spread over a large area. It was known as Gondwanaland. After the 18th century, the Mughals and the Marathas drove them out of north and south India respectively, and these people migrated to dense forests and inaccessible hilly areas.

बुशमैन जनजाति (Bushman Tribe)

Bushman tribe

The Bushman tribe, also known as the San people, are indigenous hunter-gatherers who have lived in Southern Africa for thousands of years. Despite facing challenges such as displacement and discrimination, the Bushmen have maintained their unique cultural traditions and deep connection to the land. Learn more about the culture, and way of life of the Bushman tribe.

एस्किमो जनजाति (Eskimo Tribe)

Eskimo igloo

The Eskimo Tribe, also known as the Inuit people, have a rich culture and history that dates back thousands of years in the Arctic regions. From their unique traditions, language, and art to their resilience in harsh environments and connection to the natural world, this blog post explores various aspects of the Eskimo way of life. Discover fascinating stories of their mythology, daily routines, and and gain insights into the beliefs and values that shape their culture.

मानव भूगोल के उपागम (Approaches to Human Geography)

Demo image Approaches to Human Geography

मानव भूगोल एक सामाजिक विज्ञान है जो मानव और उसके पर्यावरण के स्थानिक वितरण और अंतःक्रिया का अध्ययन करता है। मानव भूगोल के अध्ययन के लिए विभिन्न उपागम हैं। प्रत्येक उपागम का लोगों और उनके वातावरण के बीच के जटिल संबंधों को समझने और विश्लेषण करने का अपना दृष्टिकोण है। जिनका वर्णन नीचे दिया गया है:

1. प्रत्यक्षवादी उपागम (Positivist approach)

2. व्यवहारपरक या आधारपरक उपागम (Behavioural approach)

3. मानववादी उपागम (Humanistic approach)

4. क्रांतिपरक या मार्क्सवादी उपागम (Radical or Marxist approach)

5. कल्याणपरक उपागम (Welfare approach).

6. तंत्र उपागम (System approach).

मानव भूगोल की समकालीन प्रासंगिकता (Contemporary Relevance of Human Geography)

Contemporary Relevance of Human Geography

मानव भूगोल मानव व उसके पर्यावरण के बीच जटिल संबंधों को समझने का प्रयास करता है और साथ ही साथ यह मानव क्रियाओं पर भौतिक व सांस्कृतिक पर्यावरण के प्रभाव व  पर्यावरण पर मानव क्रियाओं के प्रभावों का अध्ययन करता हैI  इस प्रकार देखा जाए तो  मानव भूगोल की समकालीन प्रासंगिकता बहुत है क्योंकि यह हमें उन चुनौतियों और अवसरों को समझने में मदद करता है, जो वैश्विक समुदाय के रूप में हमारे सामने खड़ी हैI

मानव भूगोल की प्रकृति (Nature of Human Geography)

Nature of Human Geography

हम जानते हैं कि घर, गाँव, नगर, सड़कों व रेलों का उद्योग, खेत, पत्तन, दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुएँ आदि भौतिक पर्यावरण द्वारा दिए गए संसाधनों का उपयोग करते हुए मानव द्वारा निर्मित किए गए हैं। इन मानवीय तत्वों तथा भौतिक पर्यावरण के बीच, समय व स्थान के साथ बदलते हुए संबंधों का अध्ययन मानव भूगोल है।

प्रजातियों का वर्गीकरण (Classification of Races)

प्रजातियों के वर्गीकरण के लिए सबसे प्रथम प्रयास स्वीडिश प्रकृति विज्ञानी कार्ल लिनायूस (Carl Linnaeus, 1707-1778) ने 18वीं शताब्दी के मध्य में किया था। उन्होंने मानव जाति को चार प्रजातियों में बांटा जो निम्न प्रकार से है:

प्रजातियों के वर्गीकरण के आधार (Basis of Racial Classification)

basis of racial classification

ग्रिफिथ टेलर के अनुसार, “प्रजाति नस्ल को प्रकट करती है, न कि सभ्यता को (Race denotes breed, not culture) ” कई विद्वानों ने प्रजाति को अपने-अपने ढंग से  परिभाषित करने के प्रयास किए हैं, जिनमें से कुछ की परिभाषाएँ नीचे दी गई हैं

मानव भूगोल की शाखाएँ (Branches of Human Geography)

branches of human geography

मानव भूगोल, मानव एवं उसके पर्यावरण के बीच अंतर्संबंधो (interrelationships) का अध्ययन है। यह अपनी विषय-सामग्री के विश्लेषण हेतु अन्य सामाजिक विज्ञानों  (social sciences) के साथ अपने सम्बन्ध स्थापित करता है। इस प्रक्रिया में मानव भूगोल अन्य सामाजिक विज्ञानों (social sciences) से सहायता प्राप्त करता है और उन्हें सहायता प्रदान भी करता है।

मानव भूगोल का कार्य क्षेत्र (Scope of Human Geography)

प्रत्येक विषय का अपना दर्शन (philosophy), पद्धति शास्त्र (methodology) एवं कार्यक्षेत्र (scope) होता है। उदाहरण के लिए अर्थशास्त्र का सम्बन्ध मुख्य रूप से वस्तुओं के उत्पादन, संचलन, उपभोग और सेवाओं से, भूगर्भशास्त्र (geology) का सम्बन्ध भू पृष्ठ एवं भूगर्भ की संरचना से, जन सांख्यिकी (demography) का सम्बन्ध मानव जनसंख्या की विशेषताओं एवं जीव विज्ञान (biology) तथा वनस्पति शास्त्र (botany) का संबंध क्रमशः प्राणी एवं वनस्पति जगत से है। इसी प्रकार भूगोल में प्राकृतिक तथा मानव निर्मित तथ्यों का अध्ययन किया जाता है।