सांस्कृतिक परिमण्डल (Cultural Realm)
“सांस्कृतिक परिमण्डल की विस्तृत जानकारी: क्या है, प्रमुख स्थलों की सूची, सीमांकन के आधार और सांस्कृतिक परिमण्डल और मण्डल में अंतर के बारे में जानें। पढ़ें हमारे FAQs।”
सांस्कृतिक उद्गम स्थल (Cultural Hearth)
“सांस्कृतिक उद्गम स्थल की पूरी जानकारी: क्या है, किसने प्रस्तुत किया, और प्रमुख उदाहरण। जानें सांस्कृतिक परिमण्डल का महत्व और प्राचीन विश्व के प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र।”
सांस्कृतिक विसरण/प्रसार (Cultural Diffusion)
“सांस्कृतिक विसरण के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करें। विस्तारशील विसरण से लेकर पुनर्स्थापन विसरण तक, हर प्रकार के बारे में जानें।”
सांस्कृतिक भूदृश्य (Cultural Landscape)
जानें क्या है सांस्कृतिक भूदृश्य, इसके मुख्य घटक, कार्ल सावर की परिभाषा और भौगोलिक महत्त्व। सांस्कृतिक भूदृश्य का मानव सभ्यता से गहरा संबंध और उदाहरण भी जानें।
उत्संस्करण या परसंस्कृतिग्रहण (Acculturation)
उत्संस्करण (Acculturation) की प्रक्रिया, महत्व, आवश्यक दशाएं, और परिणामों के बारे में जानें। उत्संस्करण और सांस्कृतिक आत्मसात्करण के बीच अंतर और इसके लाभ व हानिकारक प्रभावों की विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।
सांस्कृतिक आत्मसात्करण/सात्मीकरण (Cultural Assimilation)
सांस्कृतिक आत्मसात्करण (Cultural Assimilation) की प्रक्रिया, महत्व, उदाहरण, सहायक और अवरोधक कारकों के बारे में जानें।
संस्कृति का अर्थ (meaning of Culture)
संस्कृति का अर्थ और महत्व जानें। संस्कृति के प्रकार, भौतिक और अभौतिक संस्कृति, और विभिन्न विद्वानों की दृष्टि से संस्कृति की परिभाषा के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।
लद्दाखी (The Ladakhis)
लद्दाखी जनजाति भारत के केन्द्रशासित प्रदेश लद्दाख के मूल निवासी हैं। ये आदिवासी लेह, करगिल और जेस्काद तथा स्कुर्द जिस पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा, में बसे हुए हैं।
सतत् पोषणीय विकास की मुख्य विशेषताएँ (Salient Features of Sustainable Development)
सतत् पोषणीय विकास की मुख्य विशेषताएँ
निम्नलिखित हैं:
प्राकृतिक संसाधनों का दक्ष उपयोग (Efficient Use of Natural Resources)
भावी पीढ़ी के जीवन की गुणवत्ता से समझौता न हो (No Compromise in the Quality of Life of the Future Generation)
विकास पर्यावरण के अनुकूल हो (Development should be Environment Friendly)
आर्थिक विकास को सीमित नहीं करती (Does not Limit Economic Development)
वितरण संबंधी साम्यता (Distribution Equity)
पूँजी का संरक्षण (Preservation of Capital)
सतत् पोषणीय विकास: अर्थ एवं इसके तत्व (Sustainable Development: Meaning and its Elements)
“हमारा पर्यावरण और प्राकृतिक-जैविक संसाधन वर्तमान पीढ़ी को तो सुखी बनाएँ मगर आने वाली पीढ़ियों को भी अभावग्रस्त न रहने दें।” आर्थिक विकास के इसी फलसफे ने सतत् पोषणीय विकास की अवधारणा को जन्म दिया ।
मानव-पर्यावरण संबंधों के अध्ययन से संबंधित विचारधाराएँ (Ideologies Related to the Study of Human-Environment Relationships)
मानव व पर्यावरण में क्या सम्बन्ध है ? इनमें कौन अधिक प्रभावशाली तथा नियन्त्रक है ? क्या प्रकृति सर्वोपरि एवं निर्णायक है ? क्या मानव मात्र प्रकृति के हाथ का खिलौना है अथवा वह बराबर का भागीदार है ? क्या तकनीकी और वैज्ञानिक विकास ने प्रकृति के महत्त्व को समाप्त कर मानव को सार्वभौम शक्तिशाली बना दिया है ?
प्रसम्भाव्यवाद (Probabilism)
ब्रिटिश भूगोलवेत्ता स्पेट (O.H.K. Spate) ने 1957 में ‘प्रसम्भाव्यवाद’ संकल्पना को प्रतिपादित किया। इस विचारधारा के अनुसार भूतल के विभिन्न भागों की प्राकृतिक दशाओं में विविधता तथा विलक्षणता पायी जाती है। किसी प्रदेश में कोई तत्व मानव के लिए अधिक उपयोगी है तो अन्य क्षेत्र में दूसरा तत्व। मानव के लिए उपयोगी सभी वस्तुएं भूतल के सभी भागों में समानरूप से नहीं पाई जाती है। किसी प्रदेश में कृषि के लिए प्राकृतिक परिस्थिति उपयुक्त है तो किसी प्रदेश में पशुचारण या खनन या औद्योगिक विकास के लिए।
नवनियतिवाद या नवनिश्चयवाद (Neo Determinism)
यह नियतिवाद या पर्यावरणवाद की संशोधित विचारधारा है जो व्यावहारिक जगत् के अधिक समीप है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित होने के कारण इसे वैज्ञानिक नियतिवाद (Scientific determinism) भी कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के मध्य तक अधिकांश भूगोलविदों की आस्था सम्भववाद में होने लगी और जो लोग नियतिवाद में विश्वास रखते थे वे भी प्राचीन नियतिवाद के आलोचक थे और उसके संशोधित तथा वैज्ञानिक स्वरूप पर बल देते थे। प्राचीन नियतिवाद के समर्थक सदैव यह सिद्ध करने में लगे रहे कि मनुष्य पर प्रकृति का नियंत्रण है और मनुष्य प्रकृति का दास है।
सम्भववाद (Possibilism)
सम्भववाद विचराधारा मानव-पर्यावरण के पारस्परिक सम्बंध की व्याख्या में मानव प्रयत्नों तथा क्रियाओं को अधिक महत्व देती है। बीसवीं शताब्दी के पूर्वाद्ध में फ्रांसीसी मानव भूगोलवेताओं ने मनुष्य की स्वतंत्रता तथा उसकी कार्य कुशलता पर जोर दिया और मनुष्य पर प्राकृतिक शक्तियों का नियंत्रण बताने वाले नियतिवाद की कड़ी आलोचनाएं की। सम्भववाद के समर्थकों का मानना था कि मानव भी एक शक्तिशाली कारक है जो अपने क्रिया कलापों द्वारा प्राकृतिक भूदृश्य में परिवर्तन करता है और सांस्कृतिक दृश्यों का निर्माण करता है।
नियतिवाद या पर्यावरणवाद (Determinism or Environmentalism)
नियतिवाद मानव भूगोल की एक प्रमुख विचारधारा है जो मानव एवं प्रकृति के सम्बन्धों की व्याख्या करती है तथा प्रकृति को सर्वशक्तिमान और सभी मानवीय क्रियाओं की नियंत्रक मानती है। इस विचारधारा के अनुसार मानव अपने पर्यावरण (प्रकृति) की विशिष्ट देन है और समस्त मानवीय क्रियाएं भौतिक दशाओं जैसे: स्थिति, उच्चावच, जलवायु, मिट्टी एवं खनिज, जलाशय, जीव-जन्तु आदि द्वारा नियंत्रित होती हैं।