ताप-आर्द्रता सूचकांक (Temperature Humidity Index)
80° फारेनहाइट तापमान तथा 20% सापेक्ष आर्द्रता शरीर के लिए आरामदेह है किन्तु सापेक्ष आर्द्रता 90% से अधिक होने पर वही तापमान कष्टदायक होता है। इस सम्बन्ध में महत्पूर्ण भूमिका अदा करने वाले अन्य कारक वायु का वेग तथा शारीरिक विकिरण के द्वारा ऊष्मा-ह्रास की दर है।
तापमान और आर्द्रता में संबंध (Relationship between Temperature and Humidity)
वायुमण्डलीय आर्द्रता एवं तापमान में प्रत्यक्ष सम्बन्ध देखने को मिलता है। दूसरे शब्दों में वायुमंडल का तापमान बढ़ने के साथ उसकी आर्द्रता के ग्रहण करने की क्षमता भी बढ़ जाती है। वायु में किसी निश्चित समय पर जल-वाष्प धारण करने की शक्ति उसके तापमान पर निर्भर करती है।
आर्द्रता (Humidity)
वायुमण्डल में उपस्थित जल-वाष्प को आर्द्रता (humidity) कहते हैं। प्रत्येक पदार्थ की भाँति जल की भी तीन अवस्थाएं होती हैं : ठोस, तरल तथा गैस। जल इन तीनों अवस्थाओं में पाया जाता है।
जल की अवस्था परिवर्तन सम्बन्धी प्रक्रियाएं (Processes Related to Change in State of Water)
वायुमण्डल में जल तीनों ही अवस्थाओं जल-वाष्प के रूप में (गैसीय अवस्था में), हिम के रूप में (ठोस अवस्था में) तथा जल के रूप में (तरल अवस्था में) विद्यमान रहता है। वायुमण्डल में उपस्थित जल को एक अवस्था से दूसरी अवस्था में परिवर्तित करने या होने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है।
शीतल स्थानीय पवनें (Cold Local Winds)
जब पवनों का तापमान उनके प्रवाह स्थल की अपेक्षा कम होता है, तब वो शीतल पवनें कहलाती हैं। प्रस्तुत लेख में हम ऐसी ही कुछ महत्वपूर्ण स्थानीय शीतल पवनों की चर्चा करेंगे।
उष्ण स्थानीय पवनें (Warm Local Winds)
जब पवनों का तापमान उनके प्रवाह स्थल की अपेक्षा अधिक होता है, तब वो उष्ण पवनें कहलाती हैं। इस लेख में हम ऐसी ही कुछ महत्वपूर्ण स्थानीय उष्ण पवनों के बारे में जानेंगे।
पर्वत समीर एवं घाटी समीर (Mountain Breeze and Valley Breeze)
पर्वत समीर एवं घाटी समीर स्थानीय पवनों के नाम से स्पष्ट होता है कि इनकी उत्पत्ति पर्वतीय प्रदेशों में होती है। ये पवनें पर्वतीय भागों में ढाल और घाटी के दिन व रात में अलग – अलग दर से गर्म एवं ठण्डा के कारण उत्पन्न तापमान में अंतर का परिणाम होती है। आइए इन दोनों के बारे में विस्तार से से जानते हैं।
सागर समीर एवं स्थल समीर (Sea Breeze and Land Breeze)
सागर समीर एवं स्थल समीर (Sea Breeze and Land Breeze) सागर समीर एवं स्थल समीर धरातल पर चलने वाली ऐसी स्थानीय पवन (local winds) होती हैं, जिनकी उत्पत्ति केवल स्थानीय कारणों से होती है तथा जिनके प्रभाव क्षेत्र सीमित होते हैं। अन्य कारणों की अपेक्षा इनकी उत्पत्ति स्थानीय (जिस स्थान या क्षेत्र पर ये चलती […]
जेट स्ट्रीम (Jet Stream)
ऊपरी क्षोभ मण्डल में धरातल से 6,000 मीटर से 12,000 मीटर की ऊंचाई के मध्य दोनों गोलाद्धों के चारों ओर 20° उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों से ध्रुवों के निकट तक वर्ष भर पश्चिम से पूर्व दिशा में विसर्प रूप में निरन्तर प्रवाहित होने वाली वाली वायुधाराओं को “जेट प्रवाह” अथवा “जेट स्ट्रीम” कहा जाता है।
पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance)
भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department-IMD) के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात या सामान्य भाषा में तूफान होते हैं, जिनकी उत्पत्ति कैस्पियन या भूमध्य सागर में होती है तथा उत्तर-पश्चिम भारत में शीतकालीन वर्षा या कहें गैर मानसूनी वर्षा के लिए ज़िम्मेदार होते हैं।
थॉर्नवेट के जलवायु प्रदेश (Thornthwaite’s Climatic Regions)
अमेरिकी विद्वान् थॉर्नवेट ने विश्व के जलवायु प्रदेशों की योजना सन् 1933 में प्रस्तुत की। थॉर्नवेट का विश्वास था कि जलवायु के तत्त्वों का सम्मिलित प्रभाव वनस्पति के रूप में आँका जा सकता है। उनके अनुसार जिस प्रकार मौसम विज्ञान के यन्त्र विभिन्न प्रकार के परिणामों को सूचित करते हैं, ठीक उसी प्रकार प्राकृतिक रूप से उपस्थित एक पौधा जलवायु का सूचक होता है।
मेघ: अर्थ एवं वर्गीकरण (Cloud: Meaning and Classification)
पृथ्वी के धरातल से अलग-2 ऊँचाइयों पर वायुमण्डल में जल वाष्प के संघनन के परिणामस्वरूप बने हिमकणों या जलसीकरों की राशि को मेघ या बादल कहा जाता है।
वायुमण्डल की उत्पत्ति (Origin of the Atmosphere)
वायुमण्डल की उत्पत्ति कब और कैसे हुई ? यह प्रश्न उतना ही मुश्किल व रहस्यमय है जितना कि स्वयं पृथ्वी की उत्पत्ति। इस विषय में निश्चयपूर्वक कुछ भी नहीं कहा जा सकता। केवल तर्क और कल्पनाओं के आधार पर इस समस्या के कुछ समाधान निकाले गए हैं। किन्तु इतना तो सर्वमान्य है कि लगभग 4.5 अरब वर्ष पहले जब पृथ्वी का जन्म हुआ तब वायुमंडल मौजूद नहीं था।
वायुमण्डल का संघटन (Composition of Atmosphere)
वायु अनेकों गैसों का मिश्रण है। समुद्र तल पर शुद्ध और शुष्क वायु में मुख्य रूप से 9 प्रकार की गैसें देखने को मिलती हैं : ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, आर्गन, कार्बन डाइआक्साइड, हाइड्रोजन, नियॉन, हेलियम, क्रिप्टॉन तथा जेनान। इस सभी गैसों में भी नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन का अनुपात सर्वाधिक है।
वायुमंडल का महत्व (Importance of the Atmosphere)
वायुमंडल हमारे लिए एक आवरण का काम करता है। यह सूर्य से आने वाली लघु सौर विकरण को तो पृथ्वी तक आने देता है, परंतु पृथ्वी से विकरित होने वाली लंबी तरंगों को बाहर जाने से रोकता है। इस प्रकार यह एक कांच घर(ग्रीन हाउस) का काम करता है और पृथ्वी के औसत तापमान को लगभग 30 डिग्री तक बनाए रखता है।