विद्युत-चुम्बकीय स्पैक्ट्रम (Electromagnetic Spectrum)

ऐसा वृहत स्पैक्ट्रम जिसके अन्तर्गत कॉसमिक (Cosmic) किरणों से लेकर रेडियो तरंगों (Radio Waves) के सभी तरंग दैर्ध्य शामिल होते हैं उसे विद्युत-चुम्बकीय स्पैक्ट्रम कहते हैं। इसे हम इस प्रकार समझ सकते हैं। यदि हम सूर्य के प्रकाश की किसी किरण को किसी प्रिज्म की सहायता से अँधेरे में किसी सफेद परदे पर प्रक्षेपित करें तो उस परदे पर-रंगीन पट्टी बन जाती है।
विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा (Electromagnetic Energy)

विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा, ऊर्जा का एक प्रकार है जो विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों से बनता है। इसमें रेडियो तरंगें, माइक्रोवेव, इन्फ्रारेड, दृश्य प्रकाश, पराबैंगनी, एक्स-रे और गामा किरणें आदि शामिल हैं। सौर प्रकाश भी एक प्रकार का विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा (EMR) है।
सुदूर संवेदन (Remote Sensing): अर्थ, परिभाषाएं, प्रक्रिया एवं अवस्थाएं

सुदूर संवेदन (Remote Sensing) का अर्थ है किसी दूर स्थिति घटना, वस्तु अथवा धरातल के बारे में सूचनाओं अथवा आँकड़ों को प्राप्त करना। दूसरे शब्दों में मोटे तौर पर सुदूर संवेदन का अर्थ है कि बिना किसी भौतिक सम्पर्क के, किसी वस्तु अथवा घटना के सम्बन्ध में सूचनाएं एकत्र करना।
ओगिलवी का अर्गोग्राफ (Ogilvie’s ergograph)

1938 में ए. जी. ओगिलवी (A. G. Ogilvie) ने तत्कालीन मद्रास भौगोलिक संस्था (Madras Geographical Society) की शोध-पत्रिका में प्रादेशिक भूगोल की तकनीक विषय पर प्रकाशित अपने लेख में एक भिन्न प्रकार का अर्गोग्राफ (ergograph) बनाया था, जिसमें महीनों के अनुसार दैनिक कार्यों की प्रकृति एवं उनकी घण्टों में अवधियों को वृत्ताकार वक्रों के द्वारा प्रदर्शित किया गया था।
क्लाइमेटोग्राफ (Climatograph)

क्लाइमेटोग्राफ (Climatograph) के द्वारा किसी स्थान के मासिक तापमान व मासिक वर्षा दोनों की दशाएँ प्रकट की जाती हैं। यह एक प्रकार का वृत्ताकार आलेख है, जिसे इरविन रेज़ (Erwin Raisz) ने अर-आरेख (spoke graph), इ. एन. मुन्स (E.N.Munns) व आर. हार्टशोर्न (R. Hartshorne) ने जलवायु-आरेख (climatograph) तथा टी. डब्ल्यू. बर्च (T.W.Birch) ने ध्रुवीय चार्ट (polar chart) व घड़ी आलेख (clock graph) नाम से पुकारा है।
क्लाइमोग्राफ़ (Climograph)

क्लाइमोग्राफ़ को क्लाइमोग्राम (Climogram) भी कहा जाता है। “क्लाइमोग्राफ़ एक ऐसा आलेख है जिसमें किसी स्थान के जलवायवी तत्त्वों के आँकड़ों को एक-दूसरे के सम्मुख आलेखित किया जाता है और परिणामी ग्राफ़ की आकृति और स्थिति उस स्थान की सामान्य जलवायु सम्बन्धी प्रकृति का सूचकांक प्रस्तुत करती है।”
विकर्ण मापक (Diagonal Scale)

जिस आलेखी मापक में विकर्णों की सहायता से गौण भागों को और छोटे भागों में विभाजित कर दिया जाता है, उसे विकर्ण मापक (Diagonal Scale) की संज्ञा दी जाती है।
परिक्रमण मापक (Revolution scale)

परिक्रमण मापक (Revolution scale) के द्वारा मानचित्र में स्थानों के बीच की दूरियाँ तथा किसी दी हुई परिधि वाले पहिए के द्वारा उन दूरियों को तय करने के लिए लगाये जाने वाले परिक्रमणों (चक्रों) की संख्या का प्रदर्शन किया जाता है ।
समय मापक (Time scale)

समय मापक को समय तथा दूरी की तुलनात्मक मापक भी कहते हैं क्योंकि इस मापक के द्वारा मानचित्र में दूरियाँ पढ़ने के साथ-साथ किसी निश्चित गति या चाल से उन दूरियों को तय करने का समय भी ज्ञात किया जा सकता है।
तुलनात्मक मापनी (Comparative Scale)

तुलनात्मक मापनी (Comparative Scale) वह आलेखी मापनी होती है जिसमें एक से अधिक माप प्रणालियों में दूरियाँ प्रदर्शित की जाती हैं। इन मापनियों को बनाने का उद्देश्य मानचित्र में भिन्न-भिन्न मापों के मात्रकों (units of measurement) जैसे, मील तथा किलोमीटर, मीटर तथा गज, कदम तथा मीटर आदि में दूरियां ज्ञात करना होता है।
चक्रवात (Cyclone)

चक्रवात वायु की वह राशि है जिसके मध्य में न्यून वायुदाब होता है तथा बाहर की ओर वायुदाब बढ़ता जाता है।
जलवायु परिवर्तन (Climatic Change)

जिस प्रकार की जलवायु का आज हम अनुभव कर रहे हैं वह थोड़े-बहुत उतार-चढ़ाव के साथ पिछले 10 हज़ार सालों से विद्यमान है। अपने जन्म के बाद से इस ग्रह ने अनेक भूमंडलीय जलवायविक परिवर्तन देखे हैं।
ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)

मानवीय (Anthropogenic) कारणों से वायुमंडल का सामान्य दर से अधिक गर्म होना ग्लोबल वार्मिंग या भूमंडलीय उष्मन कहलाता है। ग्लोबल वार्मिंग वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते सांद्रण का परिणाम है।
वर्षा (Rainfall)

बादलों से जल की बूँदों का धरातल गिरना अथवा बरसना वर्षा कहलाता है। वर्षा का होना एक जटिल प्रक्रिया है जो दो अवस्थाओं में सम्पन्न होती है-
वर्षण (Precipitation)

वायुमण्डल में उपस्थित आर्द्रता का तरलावस्था अथवा ठोस रूप में धरातल पर गिरना वर्षण अथवा अवक्षेपण (precipitation) कहलाता है। जल वर्षा, हिम वर्षा, फुहार तथा उपल-वृष्टि इत्यादि वर्षण के सामान्य रूप हैं।