डेली का महाद्वीपीय फिसलन सिद्धान्त (Sliding Continent Theory of Daly)

डेली महोदय ने बताया कि पृथ्वी की उत्पत्ति के बाद शीघ्र ही मौलिक तरल पृथ्वी के ऊपर एक पपड़ी के रूप में परिवर्तित हो गया, जिसे उन्होंने आद्य पपड़ी (primitive crust) बताया है। भूमध्यरेखा तथा ध्रुवों के पास कठोर स्थलखण्ड थे, जिन्हें डेली ने भूमध्यरेखीय तथा ध्रुवीय गुम्बद बताया है।
जेफ्रीज का तापीय संकुचन सिद्धान्त (Thermal Contraction Theory of Jeffreys)

जेफ्रीज के अनुसार पृथ्वी में कई सकेन्द्रीय परतें (concentric shells) पायी जाती हैं। पृथ्वी के ठंडा होने की क्रिया परत के रूप में होती है, परन्तु धरातल से 700 किमी० की गहराई तक ही तापमान में कमी के कारण पृथ्वी ठंडी होती है। धरातल में 700 किमी० के बाद वाला भाग (केन्द्र तक) इस परिवर्तन से अप्रभावित रहता है।
कोबर का पर्वत निर्माणक भूसन्नति सिद्धान्त (Geosyncline Orogen Theory of Kober)

प्रसिद्ध जर्मन विद्वान कोबर ने वलित पर्वतों की उत्पत्ति की व्याख्या के लिए ‘भूसन्नति सिद्धान्त’ का प्रतिपादन किया। उनका प्रमुख उद्देश्य प्राचीन दृढ़ भूखण्डों तथा भूसन्नतियों में सम्बन्ध स्थापित करना था। तथा पर्वत निर्माण की क्रिया को समझाने का भरसक प्रयास किया है।
पवन का अपरदन कार्य (Wind Erosional Work)

अपरदन के अन्य कारकों के समान ही पवन भी अपरदन व निक्षेपण का एक प्रमुख कारक है। लेकिन पवन का परिवहन कार्य नदियों या हिमनदियों से अलग होता है। क्योंकि पवन के चलने की दिशाऔर स्थित होती है इसलिए पवन द्वारा परिवहन कार्य किसी भी रूप में तथा किसी भी दिशा में हो सकता है।
नदी डेल्टा (River Delta)

डेल्टा नदी के द्वारा बनाए जाने वाले रचनात्मक स्थलरूपों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। प्रत्येक नदी जब सागर या झील में अपना पानी गिराती है, तब उसके मार्ग में अवरोध आने तथा जल की गति कम होने के कारण नदी के साथ बहने वाले अवसाद का जमाव होने लगता है। जिसके परिणामस्वरूप एक विशेष प्रकार के स्थलरूप की उत्पत्ति होती है, जो डेल्टा कहलाता है।
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त (Plate Tectonic Theory)

पृथ्वी की बाह्य ठोस और कठोर परत को भू-पृष्ठ कहा जाता है। इसकी मोटाई सब जगह एक समान नहीं है। यह महासागरों के नीचे कहीं केवल 5 किलोमीटर मोटी है, परन्तु कुछ पर्वतों के नीचे इसकी मोटाई 70 किलोमीटर तक है। भू-पृष्ठ के नीचे सघन शैलें पाई जाती हैं, जिन्हें मेंटल (Mantle) कहते हैं।
नदी का निक्षेपण कार्य (Depositional Work of River)

यदि नदी का अपरदन कार्य विनाशी होता है तो निक्षेप कार्य रचनात्मक होता है। अपरदन के समय नदियाँ स्थलखण्ड को काटकर, घिसकर या चिकना बनाकर विभिन्न स्थलरूपों का निर्माण करती हैं। इसके विपरीत निक्षेपण कार्य में तरह-तरह के मलवा अवसाद को विभिन्न रूपों में जमा करके विचित्र स्थलरूपों की रचना करती हैं।
रोस्टोव का आर्थिक वृद्धि सिद्धान्त (Rostow’s Theory of Economic Growth)

रोस्टोव ने जनसंख्या सम्बन्धी अलग से किसी सिद्धान्त का प्रतिपादन नहीं किया है किन्तु उन्होंने आर्थिक विकास तथा जनसंख्या वृद्धि को सहगामी बताया है। उनके अनुसार जनसंख्या वृद्धि की प्रवृत्ति आर्थिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं के अनुसार पाई जाती है।
मार्क्स का जनसंख्या सिद्धान्त (Marx’s Theory of Population)

कार्ल मार्क्स (Carl Marx) ने पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के दोषों की विस्तृत व्याख्या के साथ ही उसकी कटु आलोचना की है। उनके अनुसार, जनसंख्या समस्या के साथ ही समाज की समस्त सामाजिक-आर्थिक समस्याएँ पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की ही दुष्परिणाम हैं।
थामस डबलडे का आहार सिद्धान्त (Diet Theory of Thomas Doubleday)

ब्रिटिश अर्थशास्त्री तथा दार्शनिक थामस डबलडे (Thomas Doubleday) 1790-1870 ने खाद्य पूर्ति और जनसंख्या वृद्धि के सम्बन्ध में अपने सिद्धान्त का विश्लेषण किया। उनके अनुसार “जनसंख्या वृद्धि और खाद्यपूर्ति में विपरीत सम्बन्ध होता है।” (man’s increase in number was inversely related to food supply)।
हरबर्ट स्पेन्सर का जैविक सिद्धान्त (Biological Theory of Spencer)

ब्रिटिश दार्शनिक हरबर्ट स्पेन्सर (1820-1903) ने प्राकृतिक शक्तियों के आधार पर सामाजिक तथा जैविक विकास की व्याख्या करने का प्रयास किया है। उन्होंने जनसंख्या वृद्धि के लिए प्राकृतिक नियमों का सहारा लिया। उनका जैविक सिद्धान्त सैडलर और डबलडे के सिद्धान्तों से मिलता-जुलता है।
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC)

ढाका में सार्क चार्टर के तहत 8 दिसंबर,1985 को दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (The South Asian Association for Regional Cooperation-SAARC) की स्थापना गई थी। हालांकि दक्षिण एशिया के देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग की भावना सबसे पहले नवंबर 1980 में सामने आई।
निकटवर्ती पड़ोसी विश्लेषण विधि (Nearest Neighbor Analysis)

निकटवर्ती पड़ोसी विश्लेषण विधि (Nearest Neighbor Analysis) में सेवा केन्द्रों की प्रकीर्णन या फैलाव (dispersion) एवं संकेन्द्रण या जमाव (concentration) की अवस्था को मापने के लिए उनके जनसंख्या आकार, वितरण और प्रारूप विश्लेषण को ध्यान में रखा गया है।
नगरीकरण की ऐतिहासिक अवस्थाएँ (Historical Stages of Urbanization)

नगरीकरण वर्तमान युग की सबसे महत्त्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। इसका प्रारम्भ मानव के सभ्यता की ओर बढ़ते कदम से होता है। आदिमकाल से लेकर आज तक यह विभिन्न अवस्थाओं से गुजरा है। गिब्स (J.P. Gibbs) ने इन अवस्थाओं को पाँच तथा लैम्पर्ड (E. Lampard) ने दो भागों में बाँटा है।
नगरीकरण का चक्र (Cycle of Urbanization)

नगरीकरण वह चक्रीय प्रक्रिया है जिसमें कोई राष्ट्र कृषि-सामाजिक-व्यवस्था से औद्योगिक-सामाजिक-व्यवस्था की ओर बढ़ता है। नगरीकरण प्रक्रिया में एक राष्ट्र की जनसंख्या में नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत बढ़ता है।