रिचर्ड हार्टशोर्न (Richard Hartshorne)

रिचर्ड हार्टशोर्न हार्टशोर्न का जन्म 1899 में संयुक्त राज्य में पश्चिम पेन्सिलवेनिया के किट्टोनिंग (kittoning) नगर में हुआ था। स्थानीय स्कूल से माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् हार्टशोर्न ने 1920 में प्रिन्सटन विश्वविद्यालय से गणित में उच्चशिक्षा प्राप्त किया और 1921-1923 तक शिकागो में रहकर सहायक अध्यापक के रूप में कार्य किया।
कार्ल ऑस्कर सावर (Carl Oscar Sauer)

कार्ल ऑस्कर सावर (1889-1975) बीसवीं शताब्दी के प्रमुख अमेरिकी भूगोलवेत्ता थे। कार्ल सावर का जन्म 1889 में संयुक्त राज्य अमेरिका में मिसौरी राज्य के वारेन्टन नगर में हुआ था। वारेन्टन कालेज से 1908 में स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के पश्चात् उन्होंने 1915 में शिकागो विश्वविद्यालय से प्रख्यात् भूगोलवेत्ता सैलिसबरी के निर्देशन में डाक्ट्रेट की उपाधि प्राप्त की थी।
एल्सवर्थ हंटिंगटन (Ellsworth Huntington)

एल्सवर्थ हंटिंगटन (1876-1947) एक भूवैज्ञानिक, भूगोलवेत्ता और जलवायु विज्ञानी के रूप में प्रसिद्ध हैं। हंटिंगटन संयुक्त राज्य के वेलोइट कालेज (Beloit College) से स्रातक उपाधि प्राप्त करने के पश्चात् टर्की चले गये जहाँ उनकी नियुक्ति एक कालेज में भूगोल के प्राध्यापक के रूप में हो गयी। वहाँ हंटिंगटन ने 1901 तक कार्य किया।
एलेन चर्चिल सेम्पुल (Ellen Churchill Semple)

जानिए एलेन चर्चिल सेम्पुल (Ellen Churchill Semple) के बारे में जिन्होंने मानव भूगोल के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया और फ्रेडरिक रैटजेल की नियतिवादी विचारधारा का समर्थन किया।
पैट्रिक गेडिस (Pettric Geddes)

फ्रांसीसी समाजशास्त्री ली प्ले (1806-1882) के विचारों से प्रभावित होकर गेडिस ने मानव समुदायों के अध्ययन के लिए ‘स्थान-कार्य-लोक’ (Place-Work-Folk) पद्धति का प्रतिपादन किया।
ए. जे. हरबर्टसन (A. J. Herbertson)

ए. जे. हरबर्टसन विश्व के प्रमुख प्राकृतिक प्रदेशों के निर्धारक के रूप में विख्यात् हैं। उन्होंने 1904 में रायल ज्योग्राफिक सोसाइटी के सम्मुख विश्व के बृहत् प्राकृतिक प्रदेशों से सम्बंधित एक शोध पत्र पढ़ा था जिसका प्रकाशन अगले वर्ष (1905) ‘भौगोलिक पत्रिका’ में हुआ। इसका शीर्षक था ‘बृहत् प्राकृतिक प्रदेश क्रमबद्ध भूगोल पर एक निबंध’ (Major Natural Regions – An Essay in Systematic Geography)।
हरबर्ट जॉन फ्ल्यूर (Herbert John Fleure)

हरबर्ट जॉन फ्ल्यूर (1877-1968) ब्रिटेन के प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता और मानव विज्ञानी (anthropologist) थे। फल्यूर का जन्म 1877 में गुवर्नसी (ब्रिटेन) में हुआ था। फ्ल्यूर ने जन्तु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, भूविज्ञान और भूगोल विषयों में शिक्षा प्राप्त की थी।
हाफोर्ड जॉन मैकिण्डर (Halford John Mackinder)

मैकिण्डर के विचार को उनके द्वारा प्रतिपादित ‘हृदयस्थल संकल्पना’ (Heartland concept) के नाम से जाना जाता है। उन्होने अपने विचार को कई लेखों तथा पुस्तकों द्वारा प्रस्तुत किया और समय-समय पर उनमें कुछ संशोधन भी किये।
21 जून का दिन बड़ा क्यों होता है? जानें इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण

ग्रीष्म संक्रांति का अर्थ है “गर्मियों का प्रारंभ”। 21 जून को ग्रीष्म संक्रांति (Summer Solstice) के रूप में जाना जाता है क्योंकि इस दिन पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर सबसे अधिक झुका होता है। इस कारण सूर्य की किरणें सीधे कर्क रेखा (23.5 डिग्री उत्तरी अक्षांश) पर पड़ती हैं, जिससे दिन की लंबाई सबसे अधिक होती है।
क्या होता है सुपर मून, ब्लू मून और ब्लड मून (What is Super Moon, Blue Moon and Blood Moon)

क्या आपने कभी रात के आसमान में एक विशेष चांद को चमकते हुए देखा है और सोचा है कि यह सामान्य से अधिक चमकीला या बड़ा क्यों है? यह सुपर मून हो सकता है। और क्या आपने किसी महीने में दो बार पूर्णिमा देखी है? इसे ब्लू मून कहा जाता है।
हरियाणा: राजनैतिक उद्भव, पड़ोसी राज्य, स्थानिक सम्बन्ध एवं सामरिक महत्व

शाह आयोग की अनुशंसा पर संयुक्त पंजाब का हिन्दी भाषी क्षेत्र अम्बाला, करनाल, रोहतक, हिसार, गुड़गाँव के जनपद एवं पटियाला तथा पूर्वी पंजाब स्टेट्स के जींद एवं महेन्द्रगढ़ जनपद मिला कर हरियाणा राज्य का उद्भव 1 नवम्बर 1966 को हुआ।
हरियाणा: अवस्थिति एवं विस्तार (Haryana: Location and Extent)

हरियाणा प्रदेश का विस्तार 27°39′ से 30°55′ उत्तरी अक्षांश से लेकर 74°28′ से 77°36′ पूर्वी देशान्तर तक है। हरियाणा प्रदेश भारत के उत्तर-पश्चिम भाग में स्थित है तथा राज्य का भौगोलिक क्षेत्रफल 44,212 वर्ग किलोमीटर है जो देश का 1.34 प्रतिशत भू-भाग है।
भूगोल का लक्ष्य और उद्देश्य (Aims and Purpose of Geography)

भूगोल का प्रमुख उद्देश्य विश्व सम्बन्धी ज्ञान में वृद्धि करना है। वह पृथ्वी को मानव का घर मानकर उसके विभिन्न क्षेत्रों या स्थानों की विभिन्नताओं तथा अन्तर्सम्बन्धों को समझता है। मानव की समृद्धि हेतु वह प्रादेशिक संसाधनों के अध्ययन पर जोर देता है, उनका समुचित प्रयोग करने के लिए विभिन्न योजनाएँ बनाने में योगदान देता है।
यथार्थवाद (Realism)

प्लेटो (Plato) ने विचारों के सिद्धान्त की व्याख्या करते हुए बताया। कि जो भी बाह्य स्वरूप हम देखते, सूघंते, स्पर्श करते हैं, अर्थात इन्द्रियों के माध्यम से अनुभव करते हैं। उन्हें इन्द्रियों (Senses) द्वारा सही-सही जानना, पहचानना सम्भव नहीं है, क्योंकि वे वास्तविक नहीं है। जो इस समय दृष्टिगत है, वह कुछ समय के पश्चात अदृश्य हो जायेगा।
आदर्शवाद (Idealism)

आदर्श मानव मस्तिष्क की दशा का प्रतीक है। यह मानव चेतना की प्रधानता को स्वीकार करता है। दार्शनिक अर्थ में आदर्शवाद वह अभिमत है, जिसमें मानव के क्रियाकलाप उसके अस्तित्व व ज्ञान को आधार प्रदान करते हैं। यह क्रियाकलाप किसी भौतिक पदार्थ या प्रक्रिया से नियंत्रित नहीं होते, वरन उसका अपना स्वतन्त्र अस्तित्व होता है।