मौसम एवं जलवायु के तत्त्व (Elements of Weather and Climate)

जिन तत्त्वों से विभिन्न प्रकार के मौसमों एवं जलवायु प्रकारों की रचना होती है उन्हें मौसम अथवा जलवायु के तत्त्व कहा जाता है। इन तत्वों का संक्षिप्त वर्णन नीचे किया जा रहा है –
1. तापमान
2. वायुदाब
3. पवनें
4. आर्द्रता
5. वर्षण
मौसम व जलवायु: अर्थ, परिभाषाएं एवं अंतर (Weather and Climate: Meaning, Definitions and Difference)

साधारण मानव के लिए मौसम एवं जलवायु में अंतर करना कठिन है। लेकिन जलवायु विज्ञान में जलवायु (climate) एवं मौसम (weather) दोनों शब्दों का प्रयोग विभिन्न अर्थों में किया जाता है। अतः इस विज्ञान में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिए इन शब्दों का वास्तविक अर्थ एवं अंतर समझ लेना चाहिए।
गतिशीलता संक्रमण मॉडल (Mobility Transition Model)

प्रसिद्ध जनसंख्या भूगोलविद् ज़ेलिंस्की (W. Zelinsky) ने सन् 1971 में जनसंख्या के प्रवास से सम्बन्धित एक सिद्धान्त प्रस्तुत किया जिसे गतिशीलता संक्रमण मॉडल के नाम से जाना जाता है। जेलिंस्की के विचार से जनसंख्या के प्रवास की प्रवृत्ति जनांकिकीय संक्रमण की अवस्थाओं से काफी समानता रखती है।
प्रवास का व्यवहारपरक मॉडल (Behavioral Model of Migration)

जूल्यिन वल्पर्ट (J. Wolpert) ने सन् 1975 में मानव व्यवहार पर आधारित प्रवास मॉडल प्रस्तुत किया जो संरचनात्मक प्रकृति के मॉडलों से भिन्न है। उनके अनुसार संरचनात्मक मॉडल की प्रकृति वस्तुतः यांत्रिक है जिसमें मनुष्य की इच्छा, आवश्यकता; दृष्टिकोण आदि पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
प्रवास का आकर्षण एवं दाब सिद्धान्त (Pull and Push Theory of Migration)

आकर्षण एवं दाब सिद्धान्त प्रवास के कारणों तथा प्रवासियों द्वारा निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रदर्शित करता है। यह सिद्धान्त प्रतिपादित करता है कि किसी भी व्यक्ति के लिए प्रवास का निर्णय दो विपरीत शक्तियों- आकर्षण (Pull) और दाब (Push) के अन्तर्द्वन्द्व का परिणाम होता है।
सोपानी संचलन मॉडल (Stepwise Movement Model)

सोपानी संचलन मॉडल रैवेन्सटीन की संकल्पना में द्वितीय सामान्यीकरण – अवस्थाओं में प्रवास (Migration in Phases) पर आधारित है। यह मॉडल इस कल्पना पर आधारित है कि किसी तीव्र वृद्धि वाले नगर के लिए उसके समीपवर्ती ग्रामीण क्षेत्र की जनसंख्या ही सर्वप्रथम प्रवास करती है।
ली का प्रवास सिद्धान्त (Lee’s Migration Theory)

ली (F.S. Lee) ने अपने सिद्धान्त का प्रतिपादन सन् 1966 में किया। उन्होंने जनसंख्या प्रवास को चार कारकों का परिणाम माना है –
(1) मूल स्थान के कारक
(2) गन्तव्य स्थान के कारक
(3) मध्यवर्ती अवरोध
(4) व्यक्तिगत कारक
प्रवास का सूक्ष्म विश्लेषणात्मक मॉडल (Micro Analytical Model of Migration)

सन् 1967 में हैगरस्टैन्ड (T. Hagerstrand) ने अपने ‘स्थानिक अंतक्रिया सिद्धान्त’ (Theory of Spatial Interaction) के विश्लेषण में आवासीय संचलन (Residential movement) का एक सरल मॉडल प्रस्तुत किया। इस मॉडल के अनुसार किसी भी क्षेत्र में जनसंख्या का वितरण सतत रूप में नहीं पाया जाता है बल्कि यह विभिन्न केन्द्रों (nodes) के रूप में वितरित होती है जो परस्पर सम्बन्धित होते हैं और उनके मध्य पारस्परिक संचलन पाया जाता है।
प्रवास का प्रतियोगी प्रवासी मॉडल (Competing Migrants Model of Migration)

स्टोफर (S. Stouffer) ने अपने मध्यवर्ती अवसर माडल में संशोधन करके सन् 1960 में प्रतियोगी प्रवासी मॉडल प्रस्तुत किया और इसमें प्रतियोगी प्रवासी तत्वों को भी समाहित किया।
प्रवास का मध्यवर्ती अवसर मॉडल (Intervening Opportunity Model of Migration)

गुरुत्व मॉडल और न्यूनतम प्रयास सिद्धान्त में संशोधन करके सन् 1940 में स्टोफर (S. Stouffer) ने मध्यवर्ती अवसर मॉडल प्रस्तुत किया। यह सिद्धान्त प्रतिपादित करता है कि प्रवास की मात्रा वास्तविक (भौगोलिक) दूरी की अपेक्षा सामाजिक तथा आर्थिक दूरी से अधिक प्रभावित होती है।
न्यूनतम प्रयास सिद्धान्त (Principle of Least Effort)

सन् 1940 में जी०के० जिफ (G.K. Jipf) ने न्यूनतम प्रयास सिद्धान्त का प्रतिपादन किया और वस्तुओं, सूचनाओं तथा व्यक्तियों के स्थानान्तरण की व्याख्या की।
प्रवास का गुरुत्व मॉडल (Gravity Model of Migration)

गुरुत्व मॉडल का मौलिक आधार यह है कि किसी क्षेत्र या नगर में प्रवासियों को आकर्षित करने की शक्ति उसके आकार के अनुसार बढ़ती जाती है और उससे दूरी बढ़ने पर घटती जाती है।
रैवेन्स्टीन का प्रवास नियम (Ravenstein’s Law of Migration)

बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में भूगोल सहित अन्य सामाजिक विज्ञानों में आई मात्रात्मक क्रांति के परिणामस्वरूप मॉडल तथा सिद्धान्त निर्माण में विद्वानों ने अधिक अभिरुचि दिखायी है। प्रवास सिद्धान्त तथा मॉडल के निर्माण में जनांकिकीविदों, समाजशास्त्रियों, अर्थशास्त्रियों, भूगोलविदों आदि ने प्रयास किए हैं। इस दिशा में रैवेन्स्टीन (1889) के प्रयास को प्रथम महत्वपूर्ण कार्य माना जाता है।
संथाल जनजाति (Santhal Tribe)

संथाल जनजाति मध्य-पूर्वी भारत की सबसे बड़ी, समन्वित व सम्भवतः सबसे लचीली (Resilient) जनजाति है। भारत में इनसे अधिक गतिशील, लड़ाकू (Militant) व सामाजिक मुद्दों के प्रति संवेदनशील और कोई जनजाति नहीं है। शायद इन्हीं कारणों से ये लोग पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर पाए।
नगरों के वर्गीकरण की शुद्ध सांख्यिकीय विधियां (Pure Statistical Method of Towns’ Classification)

यह विधि पूरी तरह से आँकड़ों के वैज्ञानिक विश्लेषण पर आधारित है। इसमें नगर के प्रत्येक व्यवसाय या कार्य के लिए सांख्यिकीय मापदण्ड (Parameters) निर्धारित किए जाते हैं और उनका प्रयोग सभी नगरों पर समान रूप से किया जाता है। नगरों के वर्गीकरण की सांख्यिकीय विधि का प्रयोग विभिन्न विद्वानों ने अपने-2 कार्य में किया है, जिनमें से कुछ का संक्षिप्त वर्णन नीचे किया जा रहा है