अविख्यात फ्रांसीसी भूगोलवेत्ता (Noted French Geographer)

लूसियन गालो (1857-1941) ब्लाश के शिष्य और प्रमुख फ्रांसीसी भूगोलवेत्ता थे।
ब्लाश की मृत्यु (1918) के पश्चात् सारबोन विश्वविद्यालय में भूगोल के प्रोफेसर पद पर गालो की नियुक्ति की गई थी।
अविख्यात जर्मन भूगोलवेत्ता (Noted German Geographers)

अल्ब्रेक्ट पेन्क (1858-1945) बीसवीं शताब्दी के पूर्वाद्ध में एक प्रमुख जर्मन भूगोलवेत्ता और भूविज्ञानी थे जिन्हें भू-आकृति विज्ञान, हिमनद विज्ञान और भौतिक भूगोल के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है।
राउल ब्लांशार (Raoul Blanchard)

राउल ब्लांशार या ब्लैन्चर्ड (1877-1965) ब्लाश के शिष्य और फ्रांस के प्रमुख मानव भूगोलवेत्ता थे। उन्होंने 1906 में ‘फ्लैण्डर्स का प्रादेशिक भूगोल’ (Regional Geography of Flanders) विषय पर शोध प्रबंध प्रस्तुत किया और डाक्ट्रेट की उपाधि प्राप्त की।
इमैनुअल डी मार्तोन (Emmanuel De Martonne)

इमैनुअल डी मार्तोन (1873-1955) ब्लाश के प्रिय शिष्य एवं जमाई तथा अपने समय के प्रसिद्ध फ्रांसीसी भौतिक भूगोलवेत्ता थे।
अल्बर्ट डिमांजियाँ (Albert Demangeon)

ल्बर्ट डिमांजियाँ (1872-1940) ब्लाश के प्रमुख शिष्य थे। उन्होंने पेरिस के प्रख्यात् शिक्षण संस्थान ‘इकोल नार्मल सुजीरियर’ से व्लाश के निर्देशन में इतिहास और भूगोल विषय के साथ 1895 में स्नातक की शिक्षा पूर्ण की थी।
जीन ब्रूंश (Jean Brunhes)

ब्रूंश ने फ्रांसीसी भाषा में मानव भूगोल (La Geographic Humaine) नामक पुस्तक लिखी थी जिसका प्रथम संस्करण 1910 में प्रकाशित हुआ।
जर्मन भौगोलिक विचारधाराएं (German Geographic Thoughts)

जर्मन भूगोलवेत्ताओं द्वारा प्रतिपादित और विकसित प्रमुख भौगोलिक विचारधाराएं एवं संकल्पनाएं हैं- वैज्ञानिक भूगोल, क्रमबद्ध भूगोल, प्रादेशिक भूगोल, नियतिवाद, क्षेत्रवर्णनी विज्ञान, भूदृश्य या लैण्डशाफ्ट, भूराजनीति, अवस्थिति सिद्धांत आदि। इनका संक्षिप्त विवरण नीचे दिया जा रहा है।
वाइडल डी ला ब्लाश (Vidal de la Blache)

वाइडल डी ला ब्लाश (1845-1918) फ्रांस के सर्व प्रमुख भूगोलवेत्ता थे जिन्होंने लगभग चार दशकों (1877-1918) तक फ्रांसीसी भूगोलेवत्ताओं का मार्गदर्शन किया और भूगोल विशेषरूप से मानव भूगोल और प्रादेशिक भूगोल को प्रगति के उच्चतम शिखर तक पहुँचा दिया।
एलिसी रेकलस का भूगोल में योगदान (Elisee Reclus’s Contribution to Geography)

एलिसी रेकलस (1830-1905) फ्रांस के आरंभिक भूगोलवेत्ता थे जिन्होंने उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में भूगोल के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
एलिसीरेकलस जर्मन भूगोलवेत्ता कार्ल रिटर के शिष्य और उनके अनुयायी थे।
फर्डीनण्ड वॉन रिचथोफेन (Ferdinand von Richthofen): जीवन परिचय, योगदान एवं प्रमुख रचनाएं

रिचथोपेन (1833-1905) का जन्म जर्मनी के साइलेशिया राज्य के एक सम्पन्न परिवार में हुआ था।
अपनी अभिरुचि के अनुसार रिचथोफेन ने भूगर्भशास्त्र में प्रशिक्षण प्राप्त किया था। इन्होंने विद्यार्थी जीवन में ही आल्पस पर्वतीय क्षेत्र की भूरचना पर शोध कार्य किया था।
आस्कर पेशेल का भूगोल में योगदान (Oscar Peschel’s Contribution to Geography)

आस्कर पेशेल की विशेष रुचि भू-आकृतियों के अध्ययन में थी। उन्होंने अपने ‘भौतिक भू-विज्ञान’ में पृथ्वीतल के भौतिक स्वरूप का वैज्ञानिक अध्ययन प्रस्तुत किया था। आस्कर पेशेल को आधुनिक भौतिक भूगोल का संस्थापक माना जाता है।
फ्रेडरिक रेटजेल का भूगोल में योगदान (Friedrich Ratzel’s Contribution to Geography)

जर्मन भूगोलवेत्ता फ्रेडरिक रेटजेल (1844-1904) हम्बोल्ट और रिटर के बाद आधुनिक युग के तीसरे प्रमुख भूगोलवेत्ता थे। रैटजेल प्रथम भूगोलवेत्ता थे जिन्होंने भौगोलिक अध्ययन में मानव को स्थायी और महत्वपूर्ण स्थान दिलाने में अग्रणीय कार्य किया।
अल्फ्रेड हेटनर का भूगोल में योगदान (Alfred Hettner’s Contribution to Geography)

अल्फ्रेड हेटनर (1859-1941) बीसवीं शताब्दी के प्रमुख जर्मन भूगोलवेत्ता में से एक थे। डिकिन्सन (1969) के अनुसार उन्होंने अपने समकालीन किसी भी अन्य भूगोलवेत्ता से अधिक मात्रा में भूगोल को दार्शनिक और वैज्ञानिक आधार प्रदान किया था।
टालमी का भूगोल में योगदान (Ptolemy’s Contribution to Geography)

टालमी की आठ खण्डों वाली प्रसिद्ध ग्रंथमाला ज्योग्राफिया मुख्यतः सामान्य भूगोल से सम्बंधित है और भूगोल के विविध पक्षों पर प्रकाश डालती है। इसमें सामान्य सैद्धान्तिक नियमों, स्थानों की स्थितियों, मानचित्र कला की विधियों आदि का वर्णन किया गया है।
पोम्पोनियस मेला व प्लिनी का भूगोल में योगदान (Contribution of Pomponius Mela and Pliny to Geography)

स्काईलैक्स पुस्तक में भूमण्डल के विभिन्न प्रदेशों का संक्षिप्त भौगोलिक वर्णन है। इसमें मेला ने पृथ्वी के दो ध्रुव; उत्तरी और दक्षिणी बताया है। उन्होंने यह भी लिखा है कि पृथ्वी के पाँच बृहत् कटिबंधों में से केवल दो कटिबंधों- उत्तरी शीतोष्ण कटिबंध और दक्षिणी शीतोष्ण कटिबंध में ही मानव निवास के अनुकूल दशाएं पाई जाती हैं।